जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बागपत।
उपस्थितः- आर.पी. सिंह अध्यक्ष
श्रीमती मीनाक्षी जैन महिला सदस्य
श्री राजीव कुमार सामान्य सदस्य
परिवाद संख्याः- 39 सन् 2020
श्रीमती सरिता गुप्ता आयु पत्नी श्री अरवन्दि कुमार गुप्ता निवासी 15/296 रामा कालोनी नेहरु रोड कस्बा बडौत तहसील व थाना बडौत जिला बागपत।
प्रार्थी/परिवादी
परिवादी की ओर से - श्री मुबीन चैधरी एडवोकेट।
श्री कमल जुनेजा एडवोकेट।
बनाम
01-शाखा प्रबन्धक, कार्पोरेशन बैंक शाखा बावली रोड बडौत तहसील व थाना बडौत जनपद बागपत। विपक्षी/प्रतिवादी
02-महा प्रबन्धक मुख्य शाखा कार्यालय कार्पोरेशन बैक मंगला देवी मन्दिर मार्ग मंगलौर कर्नाटक।
विपक्षी/प्रतिवादी
विपक्षीगण की ओर से- श्री अजय कुमार धामा एडवोकेट।
परिवाद दायर करने की तिथि-03.11.2020
अंतिम सुनवाई की तिथि-17.01.2023
निर्णय की तिथि-24.01.2023
द्वारा-आर.पी. सिंह, अध्यक्ष
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद-पत्र परिवादिनी की तरफ से विपक्षीगण द्वारा उसके गोल्ड/जेवर न देने के कारण प्रस्तुत किया गया है।
01- संक्षेप मे परिवादिनी का कथन इस प्रकार है, कि प्रार्थिनी/परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के बैंक कार्पोरेशन बैंक शाखा बावली रोड बडौत जनपद बागपत से सन 2013 में एक गोल्ड लोन अंकन 4,20,000/-रुपये का लिया था, जिसका ऋण खाता संख्या 560991000412560 है। प्रार्थिनी द्वारा जो गोल्ड/जेवर कडे 10 पीस, कोलर 1 पीस एवं झाले 2 पीस एवं कुन्डल 2 पीस विपक्षी की उपरोक्त बैंक शाखा में रखा था, उनका वजन 291.900 ग्राम था। प्रार्थिनी उपरोक्त गोल्ड ऋण की योजना अनुसार समय समय पर बैंक द्वारा बतायी गयी प्रक्रिया एवं ब्याज जमा करता रहा है। परिवादिनी को अपने जेवरात की आवश्यकता हुई जो विपक्षीगण की बैंक शाखा में जमा है, तो वह विपक्षी के बैंक में दिनांक 25.11.2017 में गया तो उन्होने अपने सिस्टम में कुछ दिक्कत बताकर दो दिन बाद आने को कहा, तो वह दिनांक 28.12.2017 को फिर विपक्षीगण के बैंक मे गया, तो विपक्षी संख्या 1 द्वारा बताया गया, कि परिवादिनी का गोल्ड/जेवर नही मिल रहा है, उसके पश्चात विपक्षी संख्या 1 ने यह कहकर परिवादिनी को घर भेज दिया, कि जैसे ही आपका जेवर/गोल्ड मिल जायेगा, तो हम आपको सूचित कर देंगे, तब आप अपना गोल्ड/जेवर ले जाना। जिसके पश्चात परिवादिनी के पास दिनांक 31.1.2018 को बैंक से फोन आया, कि आप बैंक आ जाओ, जहां मौजूद बैंक अधिकारी ने उसे बताया, कि उसका गोल्ड/जेवर चोरी हो गया है, जिसकी रिर्पोट मेंरे द्वारा थाना बडौत जनपद बापगत पर शाखा प्रबन्धक व अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध दर्ज करा दी गयी है और अब जो भी अपराधी होगा उसके विरुद्ध कार्यवाही होगी और जो गोल्ड ऋण आपने लिया है उसके ऋण खाते में कोई पैसा जमा नही करना और यह बात कहकर परिवादी को वापिस भेज दिया। उसके बाद परिवादिनी कई बार विपक्षी संख्या 1 के बैंक में जाकर मुख्य शाखा अधिकारियों से अपने गोल्ड/जेवर को प्राप्त करने के संबंध में मिल चुका है, परन्तु आज तक उसको कोई सही या उचित जवाब नही दिया गया है, जिससे यह प्रतित होता है, कि विपक्षीगण परिवादी का गोल्ड/जेवर हडप करना चाहते हैं, जिस कारण परिवादिनी को काफी मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति उठानी पड रही है। परिवादिनी को विवस होकर न्यायालय की शरण में आना पडा है। उपरोक्त के संबंध में परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण को एक रजि0 नोटिस भी प्रेषित किया गया, लेकिन न तो नोटिस का जवाब दिया और न ही उक्त जेवर को वापिस किया, जिस कारण परिवाद योजित करने की आवश्यकता हुई है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाये कि वह परिवादिनी द्वारा विपक्षी के बैंक में गोल्ड लोन में जमा किये गये जेवर कडे 10 पीस, कोलर 1 पीस एवं झाले 2 पीस एवं कुन्डल 2 पीस जिनकी कीमत अंकन 13,00,000/-रुपये है, जो विपक्षी नही दे रहे है दिलाया जावे। यदि विपक्षीगण उक्त जेवर को अदा नही करता है तो उक्त जेवर की कीमत अंकन 13,00,000/-रुपये परिवादी को अदा करें तथा परिवादी को विपक्षीगण से हुई मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति के तौर पर अंकन 5,00,000/-रुपये दिलाये जावे व वाद व्यय दिलाया जावे। अन्य कोई प्रतिकार जो हितकर परिवादी हो विपक्षीगण से दिलाया जावे।
विपक्षीगण की तरफ से 20ग जवाबदावा दाखिल करके, जवाबदावा में कथन किया है, कि परिवाद पत्र की धारा 1 का कथन केवल लोन लेने वाला कथन व खाता संख्या से संबंधित कथन स्वीकार है, सन 2013 में गोल्ड लोन लेने वाला कथन गलत तहरीर किया है स्वीकार नही है। परिवाद पत्र की धारा 2 ता 5 व 7 व 9 का कथन जिस प्रकार तहरीर किया है स्वीकार नही है। परिवाद पत्र की धारा 6 व 8 का कथन पर किसी प्रकार की टिप्पणी की आवश्यकता नही है। प्रतिवाद पत्र के विशेष कथन में कहा है, कि परिवादिनी द्वारा सन 2013 को अंकन 4,30,000/-रुपये का गोल्ड लोन लेना अपने परिवाद में दर्शाया गया है का कथन सही है, जिसका बैंक खाता संख्या 560991000412560 है, जो दिनांक 31.07.2021 तक बढ़कर 7,00,052/-रुपये ब्याज सहित हो गया है। लोन लेने के बाद परिवादी द्वारा लोन धनराशि जमा की है और ना ही ब्याज बैंक में जमा किया, जिस कारण उक्त लोन खाता खराब/एन.पी.ए. हो गया है। परिवादी द्वारा जो गोल्ड/जेवर लोन लेने के वक्त बैंक में गिरवी रखी गयी थी उसकी कीमत का निर्धारण बैंक के उच्च कार्यालय द्वारा निर्धारित होगा परिवादिनी द्वारा नही। परिवादिनी जिस दिन बैंक में लोन ली गयी धनराशि को जमा करेगाा उससे उस दिन तक का लोन व ब्याज की धनराशि ली जायेगी। परिवादिनी बैंक का लोन व ब्याज जमा करना नही चाहता है और बैंक के तथ्य छिपाकर झूठे मुकदमें दायर कर रहे हैं। परिवादिनी को विपक्षी संख्या 1 द्वारा सूचना दी गयी थी, कि उसका गोल्ड/जेवर चोरी हो गया है, बैंक द्वारा गोल्ड के संबंध में अपनी जिम्मेदारी मानते हुए चोरी की रिपोर्ट थाना बडौत (बागपत) दर्ज करायी है, जिसका मुकदमा अपराध संख्या 147/18 सरकार बनाम शाखा प्रबन्धक गौरव साहु आदि अन्तर्गत धारा 380 आई.पी.सी. थी, जिसके बाद पुलिस जांच कर निष्कर्ष निकालेगी उसकी सूचना आपको दे दी जायेगी। नोटिस देने वाली बात निराधार है। बैंक द्वारा परिवादी को समस्त घटना से अवगत करा दिया था। परिवादिनी के पति ने यूनियन बैंक आॅफ इण्डिया की मैन शाखा बडौत (बागपत) से दिनंाक 09.07.2014 को एक सी.सी. लीमिट धनराशि 22,00,000/-रुपये की बनवायी थी, जो लोन जमा न करने के कारण उक्त सी.सी. लीमिट का खाता खराब हो गया और अब उक्त सी.सी. लीमिट की लोन राशि बढकर 18,61,184/-रुपये$ब्याज सहित हो गयी है। जिसका खाता संख्या 379605010000247 है। परिवादिनी के पति की मृत्यु हो गयी है और पति की मृत्यु के बाद पति की सम्पत्ति के मालिक परिवादिनी हो गयी है। उक्त सी.सी. लीमिट का खाता अक्टूबर 2018 से मार्च 2019 तक खराब हो गया था। बैंक ने उक्त सी.सी. लीमिट को ठीक करने के लिए मयंक गुप्ता के खाते में ओवरड्राफ्ट भी दिया जो अभी तक जमा नही किया गया, जिसकी धनराशि अंकन 59393.74/-रुपये $ ब्याज सहित हो गयी है। उक्त ओवरड्राफ्ट तीन महीने के लिए दिया गया था। परिवादी को विपक्षीगण के विरुद्ध वाद दायर करने का कोई कानूनी अधिकार नही है। परिवादी ने विपक्षीगण को तंग व परेशान करने के लिए उक्त परिवाद दायर किया है जो खण्डि होने योग्य है। गोल्ड चोरी के संबंध में जो भी कानूनी कार्यवाही हो सकती है वह कर दी गयी है और परिवादी के गोल्ड/जेवर की कीमत के बारे में जो भी निर्णय बैंक के नियमों व उच्च कार्यालय द्वारा होगा उसकी सूचना परिवादी को दे दी जायेगी, परिवादी को भी बैंक की लोन धनराशि व ब्याज जमा करने वाली तिथि तक का समस्त लोन जमा करना होगा, अगर लोन व ब्याज धनराशि जमा करने के बाद परिवादी की कुछ धनराशि बचती है तो वह परिवादी को दी जायेगी। परिवादी विपक्षीगण से किसी भी प्रकार का प्रतिकार पाने का अधिकारी नही है। इसलिए परिवादी का वाद आदेश-8 नियम-11 सी.पी.सी. सव्यय खण्डित होने योग्य है।
03-अपने कथन के समर्थन मे परिवादिनी की तरफ से साक्ष्य में 23ग शपथपत्र सरिता गुप्ता परिवादिनी दाखिल किया है तथा सूची 5ग/1 से 5ग/2 ता 11 विपक्षीगण को भेजे गये विधिक नोटिस मय असल रजिस्ट्री रसीद, 5ग/12 आधार कार्ड मयंक गुप्ता, 5ग/13 ता 18 एफ.आई.आर. की छायाप्रति दाखिल की है।
विपक्षीगण की तरफ से साक्ष्य में 25ग शपथपत्र महेश जोशी दाखिल किया है।
04-परिवादिनी की तरफ से लिखित बहस 27ग दाखिल किया गया है एवं विपक्षीगण की तरफ से 26ग लिखित बहस दाखिल किया है। परिवादिनी एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की मौखिक बहस सुनी गयी तथा पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया गया ।
05-पक्षों के अभिवचनों के आधार पर परिवाद के उचित न्याय निर्णयन हेतु निम्नलिखित निर्धारण बिन्दु विरचित किये जाते हैंः-
01-क्या विपक्षी बैंक की लापरवाही के कारण परिवादिनी का गोल्ड, जो उसने गोल्ड लोन की बाबत बैंक में जमा किया था चोरी हो गया और बैंक द्वारा सेवा में कमी की गयाी है?
02-क्या परिवादिनी विपक्षीगण से किसी अनुतोष को पाने का अधिकारिणी है?
निर्धारण बिन्दु संख्या 1 का निस्तारण- इस निर्धारण बिन्दु संख्या 1 में तय किया जाना है, कि क्या विपक्षी बैंक की लापरवाही के कारण परिवादिनी का गोल्ड, जो उसने गोल्ड लोन की बाबत बैंक में जमा किया था चोरी हो गया और बैंक द्वारा सेवा में कमी की गयाी है? परिवादिनी ने अपने परिवाद एवं साक्ष्य में यह कहा है, कि उसने विपक्षी बैंक से सन् 2013 में अंकन 4,20,000/-रुपये का गोल्ड लोन लिया, जिसके एवज में 291.900 ग्राम गोल्ड बैंक में रखा और वह ऋण की किस्त समय से अदा करता रहा। जब उसने अपने जेवर की मांग बैंक से की तो बैंक द्वारा बहाना बना दिया गया और दिनांक 31.01.2018 को बैंक से फोन आया और परिवादिनी को बैंक में बुलाकर बताया गया, कि उसका गोल्ड चोरी हो गया है, कि जिसकी रिपोर्ट थाने पर करा दी गयी है। विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावे में परिवादी के द्वारा गोल्ड बैंक में जमा कराना और ऋण लेना स्वीकार किया है तथा यह कथन किया, कि परिवादिनी द्वारा लोन धनराशि जमा नही की है और बैंक में उसका गोल्ड चोरी हो गया है। इसके अतिरिक्त परिवादिनी के पति द्वारा भी 22 लांख रुपये की सी.सी. लिमिट ली थी जो उसकी मृत्यु तक 18,61,184/-रुपये बकाया थी। परिवादिनी को समस्त लोन की धनराशि जमा करनी होगी। यदि उसके बाद कुछ राशि बचती है, तो परिवादिनी को अदा की जायेगी।
इस प्रकार उभयपक्षों के अभिवचनों व साक्ष्य से यह निष्र्कष निकलता है, कि परिवादिनी का गोल्ड जो उसने ऋण की बाबत बैंक में रखा था, वह बैंक की लापरवाही से चोरी हुआ है, केवल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा देने मात्र से ही बैंक अपने दायित्व से नही बच सकता। बैंक के द्वारा लापरवाही बर्ती गयी है और सेवा में कमी की गयी है। निर्धारण बिन्दु संख्या तद्नुसार परिवादिनी के पक्ष में विपक्षीगण के विरुद्ध निर्णीत किया जाता है।
निर्धारण बिन्दु संख्या 2 का निस्तारण- इस निर्धारण बिन्दु में यह तय किया जाना है, कि क्या परिवादिनी विपक्षीगण से किसी अनुतोष को पाने का अधिकारिणी है। उपरोक्त निर्धारण बिन्दु संख्या 1 में यह तय हो चुका है, कि परिवादिनी का गोल्ड जो उसने ऋण की बाबत बैंक में रखा था, वह बैंक की लापरवाही से चोरी हुआ है, केवल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा देने मात्र से ही बैंक अपने दायित्व से नही बच सकता। बैंक के द्वारा लापरवाही बर्ती गयी है और सेवा में कमी की गयी है। परिवादिनी बैंक से अपने ऋण की राशि को समायोजित करने के उपरान्त बकाया गोल्ड या उसकी कीमत विपक्षीगण से पाने का अधिकारिणी है। तद्नुसार परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंशिक रुप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंशिक रुप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है, कि इस निर्णय की दिनांक से 60 दिन के अन्दर, परिवादिनी के द्वारा लिये गये ऋणों की राशि मय ब्याज के समायोजित करने के उपरान्त परिवादिनी के द्वारा बैंक में जमा किये गये गोल्ड की निर्णय की तिथि को बाजारी कीमत परिवादिनी को अदा करें। परिवादिनी को विपक्षीगण की लापरवाही के कारण गोल्ड चोरी हो जाने के कारण हुई मानसिक क्षति के रुप में अंकन 20,000/-रुपये व अंकन 10,000/-रुपये वाद व्यय के रुप में अदा करें। ऐसा न करने पर परिवादिनी भुगतान की तिथि तक उक्त राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी विपक्षीगण से पाने का अधिकारिणी होगी।
इस आदेश की सत्यापित प्रति पक्षकारों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नियमानुसार निःशुल्क प्राप्त कराई जाए। इस आदेश की प्रति को आयोग की अधिकृत वेबसाईट पर पक्षकारों के अवलोकन के लिए अपलोड किया जाए।
पत्रावली बाद आवश्यक कार्यवाही दाखिल दफ्तर हो।
दिनांकः-24.01.2023
(राजीव कुमार) (मीनाक्षी जैन) (आर.पी. सिंह)
सामान्य सदस्य महिला सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय आयोग के खुले न्यायालय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके सुनाया गया।
(राजीव कुमार) (मीनाक्षी जैन) (आर.पी. सिंह)
सामान्य सदस्य महिला सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः-24.01.2023