Uttar Pradesh

Shrawasti

CC/2/2018

Sher Bahadur - Complainant(s)

Versus

Branch Manager Allahabad Bank - Opp.Party(s)

Mr. Askand Rav Pandey

31 May 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, श्रावस्ती।
परिवाद सं0 02/2018
परिवाद प्रस्तुत करने का दिनांक- 01.01.2018
बहस किये जाने का दिनांक- 16.05.2023
निर्णीत किये जाने का दिनांक - 31.05.2023
 
शेरबहादुर पुत्र सकटू उर्फ सरदार निवासी ग्राम व पोस्ट अग्गापुर थाना कोतवाली तहसील भिनगा जनपद श्रावस्ती,-द्वारा अधिवक्ता श्री एम.डी.एस...............      -परिवादी     
बनाम
मैनेजर इंण्डियन बैंक शाखा संग्राम गंज तहसील भिनगा परगना इकौना जनपद श्रावस्ती द्वारा अधिवक्ता श्री अशोक कुमार श्रीवास्तव।......................................................................विपक्षी
 
 
कोरमः- 01ः- दिग्विजयनाथ (अध्यक्ष)।
02ः- मनीष चांटिया (सदस्य)।
03ः- कु0 रंजीता देवी (महिला सदस्य)।
 
अध्यक्ष, दिग्विजयनाथ द्वारा उद्घोषित निर्णय
 
निर्णय
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी के विरूद्व फसली ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत माफ हुए सम्पूर्ण ऋण खाता संख्या 50207668325 के भुगतान रसीद व खाता बन्द होने के प्रमाण पत्र प्रदान किए जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है। 
  
परिवाद कथानक-
परिवादी ने परिवाद पत्र में कथन किया है कि -’परिवादी ने विपक्षी इंण्डियन बैंक के यहाॅ से के.सी.सी ऋण लिया था जिसका खाता संख्या 50207668325 है। उपरोक्त के.सी.सी ऋण खाता के सम्पूर्ण धनराशि मु0 74,321/-रूपये को माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा फसली ऋण मोचन अधित्यजन योजना के अन्तर्गत माफ कर दिया गया, जिसका प्रमाण पत्र आई डी 9515305 है जो परिवादी को मूलरूप से प्राप्त हो चुका है और खाते में कोई बकाया धनराशि नही छोड़ा गया है। परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक मैनेजर को दिनांक 25.09.2017 को जरिए रजिस्टर्ड डाक यह प्रतिवेदन भेजा गया था कि परिवादी द्वारा लिए गये उपरोक्त किसान ऋण खाता को बन्द करके उसकी भुगतान रसीद परिवादी को दिया जाए, किन्तु उक्त प्रत्यावेदन प्राप्त होने के बाद भी विपक्षी बैंक मैनेजर द्वारा कोई जवाब नही दिया गया। परिवादी द्वारा तदोपरान्त इसी आशय की विधिक नोटिस जरिए अधिवक्ता दिनांक 23.10.2017 को भेजा गया जिसका कोई जवाब विपक्षी की ओर से नही दिया गया।
अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह फसली ऋण खाता संख्या 50207668325 का ऋण मोचन अधित्यजन योजना के अन्तर्गत माफ हुए सम्पूर्ण ऋण खाता के भुगतान की रसीद व पूर्णरूपेण उपरोक्त खाता बन्द होने का प्रमाण पत्र परिवादी को प्रदान कर दे’। 
परिवाद दिनांक 01.01.2018 को अंगीकृत व पंजीकृत किया गया तथा विपक्षी को नोटिस जारी की गयी। 
विपक्षी द्वारा जवाब दावा कागज संख्या 21/1-2 प्रस्तुत करते हुए यह कथन किया गया है कि-’परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक से दिनांक 12.06.2014 को मु0 62,000/-रूपये का अक्षय कृषि कार्ड बनवाया गया था। मुख्यमंत्री फसली ऋण योजना के अन्तर्गत किसानों के खातों में दिनांक 31.03.2016 को 1,00,000/-तक के बकाया ऋण की माफी की गयी थी। परिवादी के उपरोक्त के.सी.सी. ऋण खाते में दिनांक 31.03.2016 को मु0 74,321/-रूपये बकाया था, जिसकी माफी होनी थी। विपक्षी बैंक को माफी की धनराशि मु0 74,321/-रूपये सरकार से दिनांक 29.08.2017 को प्राप्त होने पर उसका समायोजन परिवादी के उक्त के.सी.सी खाते में कर दिया गया। 
दिनांक 31.03.2016 के प्श्चात का ब्याज परिवादी को जमा करना था। ऋण माफी धनराशि के आने की तिथि पर परिवादी के उपरोक्त खाते में मु0 84,305/-रूपये बकाया था, जिसमें मु0 74,321/-रूपये का समायोजन करते हुए शेष धनराशि जमा करने हेतु परिवादी को अवगत करा दिया गया। नियमों के अनुसार परिवादी को शेष मु0 9,984/-रूपये जमा करके अदेयता प्रमाण पत्र लेना था, किन्तु परिवादी द्वारा उक्त धनराशि जमा नही की गयी, जिसके फलस्वरूप अदेयता प्रमाण पत्र जारी नही किया गया। विपक्षी द्वारा सेवाओं में कोई त्रुटि नही की गयी है और न ही परिवाद में सेवा की कमी का प्रश्न निहित है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए’।  
उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर निम्नलिखित वाद बिन्दु विरचित किया गया-
क्या परिवादी, फसली ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत माफ हुए ऋण खाता संख्या 50207668325के बन्द होने का प्रमाण पत्र विपक्षी से पाने का अधिकारी है?   
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में मो0 शलीम पुत्र शेर बहादुर व मो0 आमिर पुत्र शेर बहादुर का साक्ष्य शपथ पत्र कागज संख्या 28 व 29 प्रस्तुत किया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची 05 से परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक को प्रेषित पत्र दिनांकित 25.10.2017 की छाया प्रति कागज संख्या 06, परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक को प्रेषित कानूनी नोटिस दिनांकित 23.10.2017 की छाया प्रति कागज संख्या 08, तथा उत्तर प्रदेश फसल ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत जारी प्रमाण पत्र की छाया प्रति कागज संख्या 10, व मूल प्रति कागज संख्या 58, प्रस्तुत किया गया है। 
विपक्षी की ओर से मौखिक साक्ष्य के रूप में कोई साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत नही किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची 18 से स्टेटमेंट एकाउन्ट खाता संख्या 50207668325 की कम्प्यूटराइज प्रति कागज संख्या 19/1-2, एवं सूची 24 से उपरोक्त खाते के स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट की कम्प्यूटराइज प्रति कागज संख्या 25 ता 27 प्रस्तुत किया गया है। 
विपक्षी की ओर से लिखित बहस कागज संख्या 55/1-2 तथा परिवादी की ओर से लिखित बहत कागज संख्या 56/1-6 प्रस्तुत किया गया है।    
पत्रावली का अवलोकन किया गया। 
 
निष्कर्ष
निस्तारण वाद बिन्दु- इस मामले में यह वाद बिन्दु विरचित किया गया है कि- क्या परिवादी, फसली ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत माफ हुए ऋण खाता संख्या 50207668325के बन्द होने का प्रमाण पत्र विपक्षी से पाने का अधिकारी है?   
परिवादी ने परिवाद पत्र में कथन किया है कि ’उसने विपक्षी बैंक के यहाॅ से के.सी.सी. ऋण लिया था, जिसका खाता संख्या 50207668325 है। सम्पूर्ण ऋण धनराशि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा फसली ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत माफ कर दी गयी और प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, किन्तु विपक्षी बैंक ने परिवादी द्वारा दिनांक 25.09.2017 को भेजे गये प्रत्यावेदन और दिनांक 23.10.2017 को भेजे गये विधिक नोटिस के बावजूद उपरोक्त फसली ऋण खाता के बन्द होने का प्रमाण पत्र जारी नही किया’।
परिवादी की ओर से मौखिक साक्ष्य के रूप में स्वयं का शपथपत्र प्रस्तुत नही किया गया है, बल्कि साक्षीगण मो0 सलीम व मो0 आमिर का साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें यह उल्लिखित किया गया है कि-’वादी ने अपने सम्पूर्ण दस्तावेज व के.सी.सी. ऋण माफी प्रमाण पत्र आईडी संख्या 9515305 के साथ विपक्षी बैंक को आवेदन प्रस्तुत किया कि वह खाता संख्या 50207668325 को बन्द करके ऋण माफी प्रमाण पत्र प्रदान कर दे, किन्तु विपक्षी ने कोई सुनवाई नही किया और अभद्र व्यवहार किया’।
विपक्षी बैंक ने कथन किया है कि ’परिवादी के के.सी.सी ऋण खाते में दिनांक 31.03.2016 को मु0 74,321/-रूपये बकाया था जिसकी माफी मुख्यमंत्री फसली ऋण योजना के अन्तर्गत की गयी थी और माफी की धनराशि मु0 74,321/- दिनांक 29.08.2017 को सरकार से प्राप्त हुई थी जिसका समयोजन परिवादी के के.सी.सी. ऋण खाते में कर दिया गया। दिनांक 31.03.2016 के प्श्चात का ब्याज परिवादी को जमा करना था। परिवादी के के.सी.सी. ऋण खाते में ऋण माफी की धनराशि आने की तिथि पर मु0 84,305/-रूपये बकाया था जिसमें से मु0 74,321/-रूपये का समायोजन करने के उपरान्त शेष धनराशि मु0 9,984/-रूपये  परिवादी ने नही जमा किया, फलस्वरूप अदेयता प्रमाण पत्र जारी नही किया गया’। 
विपक्षी द्वारा प्रस्तुत ऋण खाता संख्या 50207668325 के स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट कागज संख्या 19/1-2, व 25 के अवलोकन से यह दर्शित होता है कि दिनांक 31.03.2016 को परिवादी के उपरोक्त के.सी.सी ऋण खाते में मु0 74,321/-रूपये बकाया अंकित किया गया है तथा दिनांक 29.08.2017 को मु0 74,321/- रूपये का समायोजन करने के उपरान्त मु0 9,984/-रूपये की धनराशि अभी भी शेष है जिसे परिवादी को जमा करना है। अतः विपक्षी बैंक के इस कथन में बल प्रतीत होता है कि उपरोक्त मु0 9,984/-रूपये की धनराशि परिवादी द्वारा जमा न करने के फलस्वरूप अदेयता प्रमाण पत्र जारी नही किया गया। 
परिवादी ने अपने लिखित तर्क कागज संख्या 56 में कथन किया है कि उत्तर प्रदेश फसल ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत जारी प्रमाण पत्र में कोई धनराशि बकाया दर्शित नही की गयी है। 
उत्तर प्रदेश फसल ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत जारी प्रमाण पत्र कागज संख्या 58 आईडी संख्या 9515305 के अवलोकन से यह दर्शित होता है कि परिवादी के ऋण खाता संख्या 50207668325 में मु0 74,321/- रूपये की धनराशि क्रेडिट की गयी है। इससे यह निष्कर्ष नही निकाला जा सकता है कि उपरोक्त ऋण खाते में अब कोई बकाया शेष नही है और न ही इस तथ्य का उल्लेख उक्त प्रमाण पत्र में किया गया है। 
कागज संख्या 6 के अवलोकन से यह दर्शित होता है कि परिवादी ने दिनांक 25.10.2017 को विपक्षी बैंक के यहाॅ इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रेषित किया है कि ’उसके के.सी.सी. ऋण खाता संख्या 50207668325 की सम्पूर्ण धनराशि मु0 74,321/-रूपये फसली ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत माफ कर दी गयी है, अत्एव उपरोक्त खाता बन्द कर दिया जाए’। कागज संख्या 8 के अवलोकन से दर्शित होता है कि परिवादी ने दिनांक 23.10.2017 को उपरोक्त आशय की कानूनी नोटिस भी विपक्षी बैंक को प्रेषित किया है। 
परिवादी ने अपने लिखित तर्क में यह भी कथन किया है कि ’विपक्षी बैंक ने परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र कागज संख्या 6 व कानूनी नोटिस कागज संख्या 8 का कोई जवाब नही दिया जिससे यह साबित होता है कि परिवादी के ऊपर कोई भी ऋण धनराशि बकाया नही है’।  
परिवादी द्वारा प्रस्तुत इस तर्क में कोई बल प्रतीत नही होता है कि विपक्षी बैंक ने उपरोक्त प्रार्थना पत्र कागज संख्या 6 व कानूनी नोटिस कागज संख्या 8 का जवाब नही दिया, इसलिए परिवादी के ऊपर के.सी.सी ऋण खाता संख्या 50207668325 के सम्बन्ध में कोई बकाया नही है, क्योंकि स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट कागज संख्या 19/1-2 व 25 के अवलोकन से स्पष्टतयाः परिलक्षित होता है कि परिवादी के उपरोक्त के.सी.सी. ऋण खाते में दिनांक 29.08.2017 को मु0 74,321/-रूपये का समायोजन करने के प्श्चात मु0 9,984/-रूपये शेष था, जिसे जमा करने का दायित्व परिवादी का है। पत्रावली के अवलोकन से इस मामले में विपक्षी द्वारा सेवा में कमी किए जाने का कोई तथ्य परिलक्षित नही होता है।       
अतः उपरोक्त विवेचना के परिप्रेक्ष्य में यह वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्व निर्णीत किया जाता है एवं तद्नुसार परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
 
आदेश
परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली नियमानुसार दाखिल दफ्तर हो।
दिनांकः-31.05.2023
 
 
(कु0 रंजीता देवी)           (मनीष चांटिया)           (दिग्विजयनाथ)         
  महिला सदस्य               सदस्य                      अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग    जिला उपभोक्ता आयोग      जिला उपभोक्ता आयोग,
   श्रावस्ती                  श्रावस्ती                     श्रावस्ती
 
उपरोक्त निर्णय खुले आयोग में हस्ताक्षरित दिनांकित व उद्घोषित किया गया।
दिनांकः-31.05.2023
 
 (कु0 रंजीता देवी)          (मनीष चांटिया)           (दिग्विजयनाथ)         
   महिला सदस्य              सदस्य                      अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग    जिला उपभोक्ता आयोग      जिला उपभोक्ता आयोग,
   श्रावस्ती                  श्रावस्ती                     श्रावस्ती

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