(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-540/2009
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कंपनी लि0
बनाम
ब्रह्मानन्द अग्रवाल पुत्र आर.डी. अग्रवाल
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी.पी. पाण्डेय।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा।
दिनांक : 20.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-37/2006, ब्रह्मानन्द अग्रवाल बनाम शाखा प्रबंधक द न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.2.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.पी. पाण्डेय तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने बीमित वाहन संख्या-एम.पी. 17 सी. 0859 दिनांक 26/27.4.1997 की रात्रि में आग लग जाने के कारण नष्ट होने पर अंकन 3,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
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3. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि बीमित वाहन की दुर्घटना होने की सूचना मिलने पर बीमा कंपनी द्वारा स्पाट सर्वेयर नियुक्त किया गया, जिनके द्वारा 100 प्रतिशत हानि मानते हुए अंकन 4,90,000/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया और 50 प्रतिशत की कटौती के पश्चात अंकन 2,45,000/-रू0 क्षतिपूर्ति निर्धारित की गई, जबकि परिवादी द्वारा अंकन 3,20,000/-रू0 की मांग की गई। लिखित कथन में अंकन 2,44,500/-रू0 की क्षतिपूर्ति के आंकलन का उल्लेख किया गया है, जबकि दुर्घटना की तिथि को ड्राइवर के पास वैध डी.एल. नहीं था। विद्वान जिला आयोग ने समयावधि से बाधित क्षेत्राधिकार विहीन निर्णय/आदेश पारित किया है।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से सर्वप्रथम यह बहस की गई है कि चालक के पास वैध डी.एल. नहीं था, जबकि विद्वान जिला आयोग द्वारा निष्कर्ष दिया है कि चालक द्वारा अपने डी.एल. का नवीनीकरण दिनांक 4.7.1997 से दिनांक 3.7.2000 तक की अवधि के लिए कराया गया था, इसलिए चालक के पास दुर्घटना के समय वैध डी.एल. होने का तथ्य स्थापित है, जिसकी प्रति विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। फिर यह भी कि प्रश्नगत वाहन आग लगने के कारण क्षतिग्रस्त हुआ है। वाहन चालक की कुशलता या अकुशलता का कोई अवसर ही नहीं है। इसी प्रकार समयावधि के संबंध में भी विद्वान जिला आयोग द्वारा साक्ष्यों पर आधारित निष्कर्ष दिया गया है। क्षतिपूर्ति के संबंध में पक्षकारों के
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मध्य निरन्तर पत्राचार बना रहा। विधिक नोटिस जारी होने के बाद तथा क्लेम न मिलने के कारण परिवाद प्रस्तुत किया गया है, इसलिए समयावधि से बाधित न होने का निष्कर्ष भी विधिसम्मत है।
5. अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्षतिपूर्ति की राशि किस दर से सुनिश्चित की जानी चाहिए।
6. बीमा पालिसी के अनुसार प्रश्नगत वाहन का बीमित मूल्य अंकन 3,20,000/-रू0 था। 06 माह की अवधि के पश्चात वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। इस प्रकार 06 माह तक वाहन का प्रयोग किया गया है। अत: हा्स मूल्य की कटौती किया जाना आवश्यक है। विद्वान जिला आयोग द्वारा केवल 20,000/-रू0 की कटौती की गई है, जबकि इस मद में अंकन 50,000/-रू0 की कटौती किया जाना चाहिए उचित था, इसलिए बीमा राशि अंकन 2,70,000/-रू0 प्रदत्त किया जाना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.02.2009 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को केवल 2,70,000/-रू0 (दो लाख सत्तर हजार रूपये) देय होंगे। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित
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जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2