जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 18/2015
सुनिल पुत्र केशव कुमार, जाति-त्रिवेदी, निवासी-ब्रहमपुरी, नागौर, तहसील-नागौर, जिला-नागौर (राजस्थान) -परिवादी
बनाम
1. बाॅम्बे वाॅच कम्पनी, सब्जी बाजार के पास, गांधी चैक, नागौर (राजस्थान)
2. इनटैक्स टैक्नोलाॅजी (इण्डिया) लिमिटेड, डी-18/2, ओखला इण्डस्ट्रीज एरिया फेज-प्प्, न्यू देहली-110020
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री जयसिंह बडगुजर, अधिवक्ता वास्ते परिवादी
2. अप्रार्थी अनुपस्थित/एकपक्षीय कार्यवाही।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दि0 12.03.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से एक मोबाइल जिसे आगे केवल मोबाइल के नाम से सम्बोधित किया जावेगा, इनटैक्स मोबाइल माॅडल नम्बर जीसी 5070 दिनांक 30.12.2014 को 2300/- रूपये में क्रय किया। मोबाइल की वारंटी 12 माह की थी। मोबाइल क्रय करने के दूसरे ही दिन से खराब हो गया। कभी स्क्रीन पर कुछ भी नहीं दिखता। थोडी-थोडी देर से स्वतः ही बन्द हो जाता है। परिवादी ने दिनांक 06.01.2015 को अप्रार्थी संख्या 01 को शिकायत की। परन्तु उसने यह कहा कि इनटैक्स सर्विस सेन्टर पर जाइये। सर्विस सेन्टर वालों ने मोबाइल ले लिया। जिसकी जाॅब शीट नम्बर 501062063004टी001 दिनांक 06.01.2015 परिवादी को दी। मरम्मत करने के लिए परिवादी को कहा गया। मोबाइल यह कहकर परिवादी को वापिस दिया कि अब भविष्य में मोबाइल खराब नहीं होगा। परन्तु पुनः खराब हो गया और पूर्व स्थिति में ही खराब रहा। इस प्रकार विवादित फोन विनिर्माण दोष से ग्रसित है, वारन्टी पीरियड में हैं।
अतः परिवादी को उक्त मोबाइल के स्थान पर नया मोबाइल दिलाया जावे, अन्यथा मोबाइल की कीमत 2300/- रूपये की राशि दिलायी जावे। मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति के पेटे 25000/- रूपये एवं परिवाद व्यय पेटे 2000/- रूपये दिलाये जावे।
2. यहां यह उल्लेख करना सुसंगत एवं उचित होगा कि अप्रार्थीगण बावजूद वाद तामिल उपस्थित नहीं हुए। इसलिए उनके विरूद्ध एकतरफा कार्रवाई अमल में लाई गई।
3. बहस प्रार्थी सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। जहां तक परिवादी द्वारा अप्रार्थी संख्या 02 द्वारा निर्मित उक्त मोबाइल के निर्माण का एवं अप्रार्थी संख्या 01 द्वारा उक्त उत्पादित मोबाइल को बेचने का प्रश्न है। पत्रावली पर उपलब्ध बिल से यह स्पष्ट है कि उक्त मोबाइल परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 01 से 2300/- रूपये में दिनांक 30.12.2014 को क्रय किया। जिसकी वारन्टी अवधि एक वर्ष की है। जाॅब कार्ड प्रदर्श 02 से इस बात की पुष्टि होती है कि परिवादी का मोबाइल खराब हुआ। जिसकी शिकायत अप्रार्थी के सर्विस सेन्टर पर की गई, मरम्मत कराने के लिए दिया गया। परन्तु उक्त मोबाइल अभी तक सही सेवा नहीं दे रहा है। बार-बार खराब हो रहा है। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि मोबाइल विनिर्माण दोष से ग्रसित है। इस प्रकार अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है।
4. परिवाद-पत्र एवं पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजात का कोई खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं हो सका है। अतः परिवादी के परिवाद-पत्र पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। परिवाद-पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है। परिवाद-पत्र निम्न प्रकार से अप्रार्थीगण के विरूद्ध एक पक्षीय स्वीकार किया जाता हैः-
आदेश
5. अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि उक्त विवादित मोबाइल के माॅडल का अन्य मोबाइल उपलब्ध करायें अन्यथा अप्रार्थीगण परिवादी को 2300/- रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याजदर से दिनांक 13.01.2015 से अदा करें। अप्रार्थीगण परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 1500/- रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में भी 2000/- रूपये अदा करें।
आदेश आज दिनांक 12.03.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या