Rajasthan

Ajmer

CC/344/2015

MAHIPAL MALI - Complainant(s)

Versus

BOB & OTHERS - Opp.Party(s)

ADV. RAJENDRA SINGH RATHORE

03 Feb 2017

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/344/2015
 
1. MAHIPAL MALI
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. BOB & OTHERS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 03 Feb 2017
Final Order / Judgement

जिला    मंच,     उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

महिपाल माली पुत्र श्री उगमा जी माली, जाति- माली, निवासी- ग्राम तबीजी, पंचायत समिति-पीसांगन, तहसील व जिला-अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी


                           बनाम

1. बैंक आफ बड़ौदा जरिए इसके षाखा प्रबन्धक, षाखा राजगढ, तहसील व जिला-अजमेर ।
2. नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए ष्षाखा प्रबन्धक, ष्षाखा कार्यालय- पृथ्वीराज मार्ग, सदर कोतवाली के पास, अजमेर ।        

                                          -       अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 344/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री राजीव जोषी,  अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1 बैंक
                  3.श्री जगतार सिंह,  अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2 बीमा कम्पनी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 15.02.2017
 
1.             संक्षिप्त तथ्यानुसार  प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 बैंक से रू. 60,000/- 60,000/- ऋण प्राप्त कर दो भैंसों को क्रए किए जाने के बाद उनका बीमा  बैंक के माध्यम से करवाए जाने के पष्चात् उक्त बीमित भैंसों में एक भैंस की मृत्यु जिसका टैग संख्या 0569 था, कि  दिनंाक 28.6.2015 को हो जाने के फलस्वरूप उसने अप्रार्थी संख्या 1 बैंक के माध्यम से अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी को  दिनंाक 29.6.2013 को लिखित में सूचना दिए जाने के उपरान्त  समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए प्रस्तुत किए गए क्लेम को अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी ने  पत्र दिनंाक 21.7.2015 के द्वारा  उसका दावा नो क्लेम करते हुए  फाईल बन्द कर दिया जाना सूचित किया  । अप्रार्थीगण के इस कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वंयं का षपथपत्र पेष किया है ।  
2.    अप्रार्थी संख्या 1 बैंक को जवाब के समुचित अवसर प्रदान किए जाने के उपरान्त उनके द्वारा जवाब प्रस्तुत नहीं किए जाने पर जरिए आदेष दिनांक 10.8.2016 के जरिए इनका जवाब बन्द कर  गया । 
3.    अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए  प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 से मुर्रा नस्ल की दो भैंसों हेतु लिए गए लोन के बाद  उनका बैंक के माध्यम से दिनांक 22.3.2014 से 21.3.2015 तक के लिए प्रत्येक भैंस का रू. 50,000/- की सीमा तक बीमा करना व उन्हें टैग संख्या 29178 व 29085 आवंटित किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि   वास्तव में बीमित भैंस की मृत्यु नहीं हुई थी । प्रार्थी ने बीमित भैंसों की पहचान हेतु टेग नहीं लगाए थे । इस प्रकार प्रार्थी ने बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो का उल्लंघन किया है । बीमा कम्पनी का यह भी कथन है कि  बीमा पाॅलिसी की षर्तानुसार यदि बीमित पषु का टैग गुम हो जाने की स्थिति में  उत्तरदाता को सूचित करते हुए  रि-टैगिंग की जिम्मेदारी  बीमित की होती है । उनके जांचकर्ता श्री विनोद कुमार बाद जांच दी गई रिपोर्ट  दिनंाक 29.9.2014 के अनुसार  बीमित भैंस की मृत्यु होना नहीं पाया गया और ना ही बीमा पाॅलिसी में रि-टैंिगग का इन्द्राज है  ।  जांचकर्ता के अनुसार रि-टेगिंग का प्रमाण पत्र  दिनंाक 3.9.2013 भी उत्तरदाता को भिजवाया जाना नहीं पाया गया । पषुपालक के बाड़े के निरीक्षण पर पाया गया कि बाड़े में बिना टेगिंग के  3 भैंसे ओर पाई गई ।  पंचनामे में मृत भैंस का कोई टैग नम्बर अंकित नहीं किया गया था तथा भैंस की मृत्यु की दिनंाक 28.6.2014 उल्लेखित है जो कि पंचनामें से एक दिन  पहले की है ।  ंपंचनामें से यह भी प्रमाणित है कि मृत भैंस के काम में टेग लगा हुआ नहीं था तथा जो टैग बीमा पाॅलिसी में बीमित भैंस को जारी किए गए वह टेग बीमित के द्वारा क्लेम के साथ उत्तरदाता को वापस भी नहीं लौटाया गया है । इस प्रकार प्रार्थी द्वारा बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन किए जाने के कारण जरिए पत्र दिनांक 13.3.2015 के क्लेम खारिज करते हुए बैंक को सूचित कर दिया गया था । उनकी कोई सेवा मे कमी नहीं रही  है। अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में  श्री दिनेष हटवाल, सहायक प्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।  
4.            विद्वान अधिवक्ता बीमा कम्पनी ने प्रष्नगत भैंसों  का बीमा दिनांक 22.3.2014 से 21.3.2015 तक रू. 50,000/- की बीमा राषि का होना बताया है तथा इनकी पहचान हेतु टैग संख्या 29178 व 29085 देना बताते हुए बीमित भैंस की  मृत्यु होना अस्वीकार किया है । तर्क प्रस्तुत किया है कि जो पहचान  हेतु  टैग जारी किए गए थे, उन्हें प्रार्थी ने बीमित भैंसो के कानों में नहीं लगाए थे । प्रष्नगत  क्लेम युक्तियुक्त आधारों पर पाॅलिसी की षर्तो, नियमों व जांचकर्ता की रिपोर्ट तथा दस्तावेजों के आधार पर पत्र दिनांक
 21.7.2015 के जरिए खारिज किया गया हे । 
5.    प्रार्थी पक्ष का तर्क रहा है कि  बीमित भैंस दिनांक 28.6.2015 को अचानक मर गई थी, जिसका टेग नं. 0560 था ।  इसकी सूचना अप्रार्थी संख्या 1 बैंक को जरिए बीमा कम्पनी  को दिनंाक 29.6.2015 को दे दी गई थी। उनके द्वारा मांग गए समस्त दस्तावेजात एवं औपचारिकताओं  के पूर्ण करने के बावजूद अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा  सहीं नहीं पाए जाने का कारण बताते हुए फाईल को नो क्लेम कर बंद करते हुए दिनंाक 21.7.2015 को इस बाबत् प्रार्थी को सूचित किया गया है जो गभीर त्रुटि का परिचायक है तथा सेवा में कमी व लापरवाही का द्योतक है ।  जबकि बैंक की ओर से बहस में प्रार्थी को ऋण देना  व उसके द्वारा दी गई सूचना को बीमा कम्पनी को भिजवाना बताया है तथा स्वयं की कोई  जिम्मेदारी नहीं होना जाहिर किया है । 
6.    परस्पर  प्रस्तुत बहस एवं उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर यह सामने आया है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम खारिज करने का प्रमुख आधार बीमित भैंस जिसका टैग नम्बर जो पूर्व में आवंटित किया गया था, को मौके पर नहीं मिलना व यदि बीमित भैंसों को पूर्व आवंटित टैग कहीं खो गए  है अथवा गिर गए हो तो रि-टैंिगग के बारे में बीमा कम्पनी को सूूचित  नहीं किया जाना माना है  तथा इस संबंध में इनके द्वारा अनुसंधान / जांच करवाए जाने पर जांचकर्ता श्री विनोद कुमार द्वारा इस आषय की रिपोर्ट  देना बताया है । प्रार्थी पक्ष ने हालांकि रि-टैगिंग  के बारे में  परिवाद में कुछ भी नहीं बताया है किन्तु उनकी ओर से  तर्क  प्रस्तुत किया गया है कि मृत भैंस का जो दिनांक 28.6.2014 को मरी थी,का पोस्टमार्टम  दिनंाक 30.6.2014 को कराया गया था तथा  उसमें  उस भैंस का टैग नं. 0569 अंकित है ।  जो रि-टैगिंग के बाद उक्त भैंस को आवंटित किया गया था । रि-टैगिंग बाबत बैंक  के मार्फत बीमा कम्पनी को सूचित किया गया था तथा 0569 टैग नम्बर आवंटित किया गया था । 
7.    हमने बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त जांचकर्ता श्री विनेाद कुमार की रिपोर्ट देखी है जो पत्रावली में उपलब्ध है । इसमें उक्त विनोद कुमार द्वारा अप्रार्थी बैंक से उक्त पषु बाबत् जानकारी/ पत्र व्यवहार किए जाने का उल्लेख किया है तथा बैंक द्वारा उसके पत्र दिनांक 1.2.2014 के साथ संलग्न पषुपालक(प्रार्थी) द्वारा रि-टैगिंग प्रार्थना पत्र दिनंाक 6.8.2013  की प्रति, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र (रि-टैस्टिंग) की प्रति व बीमा कम्पनी को प्रेषित किया गया रि-टेस्टिंग  का पत्र दिनांक 3.9.2013 की प्रति भी उन्हें उपलब्ध कराई गई है । इनके अवलोकन  से प्रकट होता है कि प्रार्थी  ने, जिसके बयान भी उक्त जांच के दौरान लिए गए है, पूर्व में जो भैंसों के बीमा करवाते समय कुड़के जिनके नम्बर  29178, 29085 थे,  एक वर्ष बाद गिरने पर दोनों कुड़के बैंक में प्रार्थना पत्र दिनंाक  6.8.2013 के साथ प्रस्तुत किए है । जांचकर्ता ने यह पत्र जांच में प्राप्त किया है, किन्तु बीमा कम्पनी ने पत्रावली में प्रस्तुत नहीं किया है । हालांकि इस पत्र के संदर्भ में बैंक द्वारा उनके पत्र दिनांक 3.2.2013 के द्वारा  चिकित्सा अधिकारी, राजकीय पषु चिकित्सालय, अजमेर के रि-टेगिंग  प्रमाण पत्र की प्रति जिसके तहत बीमित  पषु को स्वस्थ घोषित  करते हुए उसके पुराने टैग नं. 29178 को 0569( नए टैग नं.) रि-टैगिंग करते हुए  उक्त प्रमाण पत्र जारी किया है, संलग्न किया है । बीमा कम्पनी ने इस रि-टैगिंग बाबत् पत्राचार को बैंक द्वारा उनसे किए जाने से इन्कार किया है ।  अप्रार्थी संख्या 1 बैंक का हमारे समक्ष प्रार्थी के परिवाद  का कोई जवाब नहीं है, किन्तु उपरोक्त विवेचन के अनुसार स्पष्ट रूप से  सामने आया है कि प्रार्थी ने पूर्व आवंटित टेंग के गिर जाने पर बैंक को तदनुसार सूचित करते हुए बीमित भैंस का स्वास्थ्य परीक्षण करवा कर  ही रि-टैंिगंग प्रमाण पत्र प्राप्त किया है । चूंकि उसने बैंक के मार्फत  ऋण प्राप्त किया था , अतः उसने रि-टैगिंग हेतु भी बैंक के मार्फत कार्यवाही की है । जबकि बैंक के लिए यह अपेक्षित  था कि वह प्रार्थी द्वारा प्राप्त सूचना को बीमा कम्पनी को  समय रहते अवगत कराता, जो कि नहीं करवाया गया है तथा लगता है कि बैंक ने प्रार्थी से  दूरभिसंधि करते हुए उक्त सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को समय रहते हुए  नहीं भ्ेाजी, जिसके परिणामस्वरूप  बीमा कम्पनी ने अपने पास उक्त सूचना नहीं होने पर परिवर्तित टेंग को देखते हुए क्लेम स्वीकार नहीं किया  है ।  इसमें बीमा कम्पनी का कोई दोष नहीं है । अपितु बैंक की सीधी जिम्मेदारी है तथा उसने प्रार्थी को उक्त रि-टैगिंग  बाबत् सूचना बीमा कम्पनी को नहीं देकर   न सिर्फ सेवा में कमी का परिचय दिया है अपितु अनुचित व्यापार व्यवहार का भी परिचय दिया है जिसके लिए वह षत प्रतिषत उत्तरदायी है ।  मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद  स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                         :ः- आदेष:ः-  
8.    (1)         अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी को उपरोक्त विवेचन के अनुसार  (उनकी जिम्मेदारी से विमुक्त) उन्मुक्त (क्पेबींतहम) करते हुए अप्रार्थी संख्या 1  बैंक को  सेवा में कमी दोषी करार दिया जाता है । 
           (2)    प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 बैंक से बीमित भैंस की कीमत रू. 50,000/-  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
           (3)             प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 बैंक   से ं मानसिक संताप पेटे  रू. 10,000   /- एवं  परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000 /-भी  प्राप्त करने का  अधिकारी होगा ।               
           (4)        क्रम संख्या 2 लगायत 3 में वर्णित राषि अप्रार्थी     प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 15.02.2017 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.