जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री अली खान पुत्र श्री अहमद जी, जाति-मुसलमान, निवासी-ग्राम दौलतपुरा ।।, तहसील मसूदा, जिला-अजमेर हाल निवासी- पीली खान, नई बस्ती, लोहाखान, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
बैंक प्रबन्धक, स्थानीय षाखा, बैंक आॅफ बडौदा, षाखा-मसूदा,जिला-अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 208/2016
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राजकुमार रावत, अधिवक्ता, प्रार्थी
2. अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 08.07.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके द्वारा स्वयं व परिवार के जीविकोपार्जन के लिए क्रय किए गए वाहन ज्ंजं डवजवतेध्स्च्ज्ध्407ध्34 भ्क्ध्ठैप्प् पर अप्रार्थी बैंक से जनवरी, 2012 में जरिए खाता संख्या 063006000002116 सेे ऋण प्राप्त किया । ऋण प्राप्त करते समय अप्रार्थी बैंक द्वारा यह अवगत कराया गया था कि प्रार्थी अपने स्तर पर वाहन का बीमा करवा ले । तो उसने प्रष्नगत वाहन का युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड से परिवाद की चरण संख्या 3 में वर्णित अनुसार बीमा पाॅलिसियों के अन्तर्गत वर्ष 2012-13, 2013-14 एवं वर्ष 2015-16 की अवधि का बीमा करवाया । प्रार्थी ने अपने वाहन की बकाया ऋण की जानकारी प्राप्त करने हेतु अपने ऋण खाते का स्टेटमेंट प्राप्त किया तो उसे जानकारी हुई कि अप्रार्थी बैंक ने उसके प्रष्नगत वाहन का वर्ष 2015-16 का बीमा नेषनल इन्ष्योरेंस क.लि. से दिनंाक 9.12.2014 को बिना उसे सूचित किए करवा दिया और बीमा प्रीमियम की रााषि रू. 25,868/- भी उसे बताए बिना उसके खाते से डेबिट कर बीमा कम्पनी को अदा कर दी जबकि उसने उक्त वर्ष का बीमा पूर्व में ही करवा रखा था । अप्रार्थी बैंक ने अपने स्तर पर करवाए गए बीमा की न तो बीमा पाॅलिसी उसे दी और ना ही कवर नोट दिया । इस संबंध में उसने अप्रार्थी बैंक को षिकायत करते हुए उसके खाते से डेबिट की गई राषि रू. 25.868/- लौटाए जाने का निवेदन किया । किन्तु बावजूद नोटिस दिनांक 21.1.2016 के अप्रार्थी बैंक ने राषि नहीं लौटाई । प्रार्थी ने अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी के विरूद्व दिनांक
3.5.2016 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
3. प्रार्थी का तर्क है कि उसने परिवार के पालन पोषण के लिए वाहन ज्ंजं डवजवतेध्स्च्ज्ध्407ध्34 भ्क्ध्ठैप्प् क्रय किया था और उस पर अप्रार्थी बैंक से जनवरी, 2012 में ऋण प्राप्त किया । ऋण प्राप्त करते समय अप्रार्थी बैंक ने उसे यह बतलाया था कि प्रार्थी अपने स्तर पर वाहन का बीमा करवा ले । इस पर उसने वाहन का युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड से वर्ष 2012-13, 2013-14 एवं वर्ष 2015-16 का बीमा करवा लिया । प्रार्थी ने अपने वाहन की बकाया ऋण की जानकारी प्राप्त करने हेतु अपने ऋण खाते का स्टेटमेंट प्राप्त किया तो उसे जानकारी हुई कि अप्रार्थी बैंक ने उसके वाहन का वर्ष 2015-16 का बीमा नेषनल इन्ष्योरेंस क.लि. से दिनंाक 9.12.2014 को बिना उसे सूचित किए करवा दिया और बीमा प्रीमियम की रााषि रू. 25,868/- उसके खाते से डेबिट कर बीमा कम्पनी को अदा कर दीजबकि उसने उक्त वर्ष का बीमा पूर्व में ही करवा रखा था । अप्रार्थी बैंक ने अपने स्तर पर करवाए गए बीमा की न तो बीमा पाॅलिसी उसे दी और ना ही कवर नोट दिया । उसने अपने खाते से डेबिट की गई राषि रू. 25,868/- लौटाए जाने को कहा । किन्तु नोटिस दिनांक 21.1.2016 के बाद भी अप्रार्थी बैंक ने राषि नहीं लौटाई ।उसका परिवाद स्वीकार कर अप्रार्थी से बीमा प्रीमियम की राषि दिलाया जावे ।
4. हमने प्रार्थी के तर्क सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री का अनुषीलन किया ।
5. प्रार्थी ने अपने परिवाद में वर्णित कथनों की पुष्टि अपने षपथपत्र के माध्यम से एवं दस्तावेज उसने जो अभिलेख पर उपलब्ध कराए हैं यथा-वर्ष 2013 से वर्ष 2017 तक युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस क.लि. की बीमा पाॅलिसियों, बैंक लोन स्टेटमेंट, अप्रार्थी बैंक को दिए गए नोटिस दिनंाक 21.1.2016 की फोटोप्रतियों से की है । यह सभी मौखिक एवं प्रलेखीय साक्ष्य अखंडित रही है। मंच की राय में प्रार्थी द्वारा वाहन ऋण पेटे वाहन का बीमा अपने स्तर पर वर्ष 2013 से लगातार 2017 तक करवाए जाने के बावजूद भी अप्रार्थी बैंक ने बिना प्रार्थी को सूचित किए उसके प्रष्नगत वाहन का बीमा अपने स्तर पर करवाना व बीमा प्रीमियम की राषि बिना प्रार्थी की सहमति के उसके खाते से डेबिट कर लिया जाना अप्रार्थी के स्तर पर सेवा दोष का परिचायक है ।
6. प्रार्थी के कथन एवं प्रार्थी द्वारा मंच के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजात को दृष्टिगत रखते हुए अप्रार्थी के किसी खण्डन के अभाव में प्रार्थी के कथनों को नहीं मानने का कोई आधार इस स्तर पर मंच के समक्ष विद्यमान नहीं है । ऐसी स्थिति में प्रार्थी का परिवाद मंच की राय में अप्रार्थी के विरूद्व एक पक्षीय स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि:
:ः- आदेष:ः-
7. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बैंक से रू. 25,868/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू.2500/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 08.072016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष