Rajasthan

Churu

640/2011

SAVITRI DEVI - Complainant(s)

Versus

BOB SUJANGARH CHURU - Opp.Party(s)

Dhanna Ram saini

30 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 640/2011
 
1. SAVITRI DEVI
WARD NO 28 DULIYA BAS SUJANGARH CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू

अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
 
1.   परिवाद संख्या-   640/2011
सावित्री देवी पत्नि श्री पुखराम जाति अग्रवाल उम्र 55 वर्ष निवासी वार्ड नम्बर 24 हाल 28 दुलिया बास सुजानगढ़ जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थीया
बनाम
 
1.    बैंक आॅफ बड़ौदा शाखा सुजानगढ़ जरिए शाखा प्रबन्धक
2.    बैंक आॅफ बड़ौदा, ।ैठ। डिपार्टमेन्ट मैंन आॅफिस मुम्बई, समाचार मार्ग, फोर्ट, मुम्बई जरिये प्रबन्धक
                                                 ......अप्रार्थीगण
2.   परिवाद संख्या-   641/2011
राकेश कुमार पुत्र श्री पुखराम जाति अग्रवाल उम्र 25 वर्ष निवासी वार्ड नम्बर 24 हाल 28 दुलिया बास सुजानगढ़ जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
 
1.    बैंक आॅफ बड़ौदा शाखा सुजानगढ़ जरिए शाखा प्रबन्धक
2.    बैंक आॅफ बड़ौदा, ।ैठ। डिपार्टमेन्ट मैंन आॅफिस मुम्बई, समाचार मार्ग, फोर्ट, मुम्बई जरिये प्रबन्धक
                                                 ......अप्रार्थीगण
दिनांक-    18.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री धन्नाराम सैनी एडवोकेट - प्रार्थीया की ओर से
2.    श्री सुरेश शर्मा एडवोकेट    - अप्रार्थीगण की ओर से
 
उक्त दोनो प्रकरण के तथ्य व परिस्थितियां समान होने के कारण एक ही निर्णय पारित किया जा रहा है जिसमें परिवाद संख्या 640/2011 सावित्री देवी को लिडिंग केश के रूप में वर्णित किया जा रहा है।
 
1.    प्रार्थीया ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थीया ने बैंक आॅफ बड़ौदा शाखा सुजानगढ़ में एक डीमेट एकाउन्ट खुलवा रखा है। जिसके खाता संख्या 07890100015322 है। प्रार्थीया उक्त खाते से लेन देन करती चली आ रही है। उक्त खाता के माध्यम से प्रार्थीया स्वरोजगार हेतु विविध कम्पनीयों के शेयर लेन देन का कार्य भी करती है। अप्रार्थीगण द्वारा बड़ौदा कनेक्ट सेवा प्रदान कर रखी है। उक्त सेवा के माध्यम से प्रार्थीया द्वारा इन्टरनेट से आॅन लाईन शेयर खरीद किये जा सकते है। जिसके लिए अप्रार्थीगण द्वारा बताया गया कि ‘‘शेयर आवेदन पत्र इन्टरनेट के माध्यम से आॅन लाईन लिये जा सकते है जिसके लिए अलग से किसी प्रकार का फार्म भरने की आवश्यकता नहीं रहती है तथा बैंक शेष पर ब्याज भी मिलता रहता है। ‘‘ उक्त सुविधा तीन बजे तक उपलब्ध रहती है। प्रार्थीया ने दिनांक 02.06.2011 को इन्टरनेट पर आॅन लाईन शेयर खरीदने हेतु आवेदन किया था। प्रार्थीया द्वारा 3100 शेयर के लिए आवेदन किया उस दिन शेयर की दर 63 रूपये प्रति शेयर थी। प्रार्थीया का ट्रांजेक्शन 14.29.34 अर्थात् 2.29 मिनट पर हुआ था तथा प्रार्थीया के खाते का शेष 1.95.300 रूप्ये लियन कर दिये गये थे अर्थात् उक्त राशि उक्त शेयर अलोटमेन्ट के विरूद्ध लोक कर दी गई थी तथा प्रार्थीया को बिड-कम आवेदन फार्म संख्या 0120038100002835 आवंटित किये गये थे। जो कि इन्टरनेट से निकाले गये प्रपत्र में अंकित है तथा प्रार्थीया को अपलीकेशन स्पोर्टेट बाई ब्लाॅक अमाउन्ट रिसिप्ट इन्टरनेट के जरिये मिली थी। जिसके बैंक रिफरेन्स संख्या 232038102825 है तथा च्।छ नम्बर ।।ॅच्।3024ब् है तथा उक्त रसीद में सक्सेज फुली अपलोडेड अंकित किया हुआ है। उक्त शेयर टीम्बर एचत्रबीत्र कम्पनी का था। दिनांक 17.06.11 को टीम्बर कम्पनी द्वारा अन्य आवेदकों को 305 शेयर प्रति आवेदक आंवटित कर दिये गये थे तथा प्रार्थीया को भी 305 शेयर अलोट होने थे। प्रार्थीया ने दिनांक 18.06.11 को इन्टरनेट के माध्यम से मालूम किया तो प्रार्थीया को पता चला कि प्रार्थीया के आवेदन फार्म नम्बर 0120038100002828 कम्पनी के रिकाॅर्ड में दर्ज नहीं हुए है इस कारण प्रार्थीया को शेयर अलोट नहीं हुए। अप्रार्थीगण की तकनीकी खराबी के कारण प्रार्थीया का आवेदन-पत्र रिकाॅर्ड में दर्ज नहीं हुआ इस कारण प्रार्थीया शेयर प्राप्त करने से महरूम रह गयी। शेयर अलोटमेन्ट के 1-2 दिन साधारणतया अच्छे भाव शेयर के मिलते है। जिस कारण शेयर अलोटी अपने शेयर विक्रय कर लेता है।

2.    आगे प्रार्थीया ने बताया कि अगर प्रार्थीया का आवेदन पत्र सही तरीके से कम्पनी में सबमिट हो जाता तो प्रार्थीया 305 शेयर 63 रूपये प्रति शेयर के हिसाब से मिलते। जिसको दिनांक 23.06.11 को 109 रूपये प्रति शेयर के  हिसाब से विक्रय कर शेयर पर प्रार्थीया को 109-63 = 46 रूपये प्रति शेयर की दर से 305 शेयर पर उक्त शेयर या कम्पनी द्वारा 14030 रूपये का फायदा होता। जिससे प्रार्थीया महरूम रह गई। प्रार्थीया द्वारा दिनांक 02.06.11 को 14.07.57 अर्थात् 2ः07 मिनट पर ही ट्रांजेक्शन कर लिया गया था और प्रार्थीया को बिड आवेदन अपलीकेशन फार्म नम्बर भी आवंटित कर दिये गये थे। लेकिन अप्रार्थीगण की तकनीकी खराबी के कारण उक्त आवेदन कम्पनी में सबमिट नहीं हुआ। जिसकी जानकारी अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थीया को नहीं दी गई तथा अप्रार्थीगण द्वारा दिनांक 02.06.11 से 18.06.11 प्रार्थीया के 195300 रूपये पर लियन रखा गया तथा प्रार्थीया उक्त राशि उक्त अवधि में काम में नहीं ले सकी। जिस कारण प्रार्थीया को नुकसान हुआ। अप्रार्थीगण का दायित्व था कि वो अपनी बड़ौदा कनेक्ट सेवा सही एवं दुरूस्त रखते। अप्रार्थीगण द्वारा उक्त सेवा सही एवं दुरूस्त नहीं रखना अप्रार्थीगण द्वारा दी जा रही सेवाओं में गम्भीर त्रुटि है तथा अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों के विरूद्ध है। इसी प्रकार प्रार्थी संख्या 2 ने भी अपने परिवाद में बताया कि उसके द्वारा भी दिनांक 02.06.2011 को इन्टरनेट पर आॅन लाईन शेयर खरीदने हेतु आवेदन किया था परन्तु अप्रार्थीगण की तकनीकी खराबी के कारण प्रार्थीया का आवेदन कम्पनी में सबमीट नहीं हुआ। जिस कारण प्रार्थीया को नुकसान हुआ। प्रार्थीगण ने परिवाद में क्रमशः 14030 व 14030 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।

3.    अप्रार्थीगण ने दोनों परिवादेां में एक ही प्रकार का जवाब पेश कर बताया कि प्रार्थीया द्वारा शेयर की खरीद फरोख्त (च्नतबींेम - ेंसम) लम्बे स्तर पर की जाती है तथा लाभ कमाया जाता है इस प्रकार प्रार्थीया द्वारा व्यापारिक गतिविधि की जाती है तथा ब्वउउमतबपंस च्नतचवेम होने के कारण परिवाद उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आता है एवं माननीय मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है तथा प्रार्थीया उपभोक्ता अधिनियम की धारा 2 (क्) (प्प्) के तहत उपभोक्ता नहीं है। प्रार्थीया द्वारा स्वंय इन्टरनेट नेटवर्क के जरिए शेयर क्रय करने हेतु ट्रांजेक्शन किया गया था जिसके सम्बधं में किसी प्रकार इन्टरनेट फन्क्शन की त्रुटि के लिए उत्तरवादी बैंक की सेवा में त्रुटि नहीं मानी जा सकती है क्येांकि समस्त आंकड़े व डाटा स्वंय प्रार्थीया द्वारा फिलअप कर संचालित किए गये थे। स्वंय प्रार्थीया के किसी भी कार्य के लिए उतरवादी बैंक किसी प्रकार उतरदायी नहीं हो सकता है। इस कारण परिवाद उतरवादी बैंक के खिलाफ चलने योग्य नहीं है। उतरवादी बैंक द्वारा शेयर अलाॅट करने की कोई सेवा प्रार्थीया को नहीं दी गई है न ही ऐसा कोई अनुबन्ध प्रार्थीया व उतरवादी बैंक के मध्य निष्पादित हुआ था। इस प्रकार यदि प्रार्थीया को शेयर अलाॅट नहीं हुए तो उसके लिए उतरवादी बैंक की सेवा में कोई त्रुटि नहीं मानी जा सकती है तथा परिवाद बैंक के खिलाफ चलने योग्य नहीं है। प्रार्थीया को शेयर मैसर्स टिम्बर एच.बी. कम्पनी द्वारा एलाॅट किए जाने थे एवं प्रार्थीया आवेदन भी उक्त कम्पनी को इन्टरनेट के जरिए भेजा गया था। उक्त कम्पनी के नेटवर्क की त्रुटि व कमी के कारण यदि उक्त आवेदन कम्पनी के रिकाॅर्ड में दर्ज नहीं हुआ तो उसके लिए उक्त कम्पनी की सेवा में त्रुटि रही है तथा उतरवादी बैंक की सेवा में त्रुटि नहीं रही है। इस प्रकार उतरवादी बैंक के खिलाफ कानूनन परिवाद चलने योग्य नहीं है।

4.    प्रार्थीगण की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय के शपथ-पत्र, रसीद आवेदन-पत्र, इन्टरनेट एकाउन्ट की प्रति, पास बुक दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है।

5.    पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।

6.    प्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद मुख्य तर्क यही दिया कि प्रार्थीगण ने अप्रार्थीगण के यहां डिमेट एकाउन्ट खुलवा रखा है जिसमें प्रार्थीगण लेनदेन करते है। उक्त अकाउन्ट में प्रार्थीगण स्वरोजगार हेतु विभिन्न कम्पनीयों के शेयर लेन देन का कार्य भी करते है। जिस हेतु अप्रार्थीगण बैंक ने कनेक्ट सेवा प्रदान कर रखी है। प्रार्थीगण अधिवक्ता ने आगे तर्क दिया कि दिनांक 02.06.2011 को प्रार्थीगण ने इन्टरनेट पर आॅन लाईन शेयर खरीदने हेतु आवेदन किया प्रार्थीगण ने प्रत्येक क्रमशः 3100 व 3100 शेयर हेतु आवेदन किया था। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थीगण के ट्रांजेक्शन के पश्चात उनके खाते से क्रमशः 1,95,300 व 1,95,300 रूपये लियन कर दिये गये थे और उक्त राशि प्रश्नगत अलाॅटमेन्ट होने वाले शेयर हेतु लाॅक कर दी गयी। प्रार्थीगण अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थीगण को मिडकम आवेदन फार्म अलग-अलग अंकित हो गये थे। प्रार्थीगण को टिम्बर एच.बी. कम्पनी के क्रमशः 305 शेयर अलाॅटमेन्ट होने थे परन्तु अप्रार्थीगण की तकनीकी गलती के कारण प्रार्थीगण को उक्त शेयर आवंटित नहीं हुए। फिर भी अप्रार्थीगण ने प्रार्थीगण की क्रमशः 195300 व 195300 रूपये दिनांक 02.06.2011 से 18.06.2011 तक लियन रखे। अप्रार्थीगण की लापरवाही व सेवादोष के कारण प्रत्येक प्रार्थीगण को क्रमशः 14030 रूपये का नुकसान हुआ। जो अप्रार्थीगण का सेवादेाष है। प्रार्थीगण अधिवक्ता ने उक्त आधारों पर परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थीगण अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि प्रार्थीगण के द्वारा प्रश्नगत शेयर क्रय करने हेतु इन्टरनेट के माध्यम से ट्रांजेक्शन किया गया था। प्रार्थीगण का आवेदन-पत्र अप्रार्थीगण द्वारा सफलता पूर्वक अपलोड कर दिये गये थे यदि प्रश्नगत शेयर कम्पनी टिम्बर एच.बी. के नेटवर्क की त्रुटि के कारण प्रार्थीगण के आवेदन-पत्र शेयर कम्पनी में दर्ज नहीं हुआ तो इसके लिए अप्रार्थीगण उत्तरदायी नहीं है। वर्तमान प्रकरण में प्रश्नगत शेयर कम्पनी टिम्बर एच.बी. कम्पनी भी एक आवश्यक पक्षकार थी परन्तु प्रार्थीगण ने उक्त कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया केवल इसी आधार पर प्रार्थीगण के परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह भी तर्क दिया कि प्रार्थीगण के द्वारा शेयर की खरीद फरोख्त लम्बे स्तर पर की जाकर लाभ कमाया जाता है जो कि स्पष्ट रूप से व्यापारिक गतिविधि है। व्यापारिक उदेश्य होने के कारण प्रार्थीगण के परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। उक्त आधारों पर प्रार्थीगण के परिवाद खारिज करने के तर्क दिये।

7.    हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस मंे प्रथम तर्क यह दिया कि प्रार्थीगण द्वारा आवेदन किये गये शेयर कम्पनी टिम्बर एच.बी. वर्तमान प्रकरण मंे आवश्यक पक्षकार थी जिसे प्रार्थीगण ने पक्षकार नहीं बनाया। प्रार्थीगण अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि वास्तव में प्रार्थीगण को शेयर अलाॅटमेन्ट अप्रार्थीगण की लापरवाही के कारण नहीं हुये। अपनी बहस के समर्थन में प्रार्थीगण अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान रसीद आवेदन-पत्र की ओर दिलाया जिनका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त दस्तावेजों के अवलोकन से स्पष्ट है कि अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थीगण के आवेदन-पत्र शेयर हेतु उचित प्रकार से सबमीट किये गये थे। प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज अप्रार्थीगण के तर्कों को बल देते है क्येांकि प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से स्पष्ट है कि अप्रार्थीगण द्वारा अपने स्तर पर जो कार्यवाही की जानी चाहिए थी वह की गयी। वैसे भी आॅफ लाईन शेयर ट्रांजेक्शन में शेयर सम्बंधित समस्त आंकड़े व डाटा आवेदन कर्ता के हाथ में होते है। आॅफ लाईन ट्रांजेक्शन हेतु इन्टरनेट सुविधा ही दोषी होती है। यदि प्रार्थीगण प्रश्नगत शेयर अलाॅटमेन्ट कम्पनी को पक्षकार बनाते तो वर्तमान प्रकरण में सत्यता अपने आप सामने आ जाती। मंच की राय में प्रश्नगत शेयर कम्पनी भी आवश्यक पक्षकार थी जिसे प्रार्थीगण ने पक्षकार नहीं बनाया। प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से यह साबित नहीं होता कि अप्रार्थीगण का प्रार्थीगण के शेयर आवेदन के सम्बंध में कोई सेवादोष रहा हो।

8.    अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में द्वितीय तर्क यह दिया कि चूंकि प्रार्थीगण शेयर की खरीद फरोख्त लम्बे स्तर पर करते है और लाभ कमाते है जो स्पष्ट रूप से व्यापारिक गतिविधि है। इसलिए प्रार्थीगण के परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार में नहीं आते। प्रार्थीगण अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रार्थीगण प्रश्नगत शेयर का कारोबार अपने आजीवीका हेतु करते है। इसलिए यह परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का है। प्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस के दौरान इस मंच का ध्यान न्यायिक दृष्टान्त 3 सी0पी0जे0 2006 पेज 1 एस0सी0, 2 सी0पी0जे0 2000 पेज 2 एस0सी0 की ओर दिलाया जिनका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। न्यायिक दृष्टान्त 3 सी0पी0जे0 2006 पेज 1 एस0सी0 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने पैरा संख्या 8 में बैंक के ट्रांजेक्शन हेतु यह निर्धारित किया कि ।बजपअपजपमे तमसंजपदह जव दव.ेवअमतमपहद चवूमते व िेजंजनजवतल इवकपमे ंतम ूपजीपद चनतपअमू व ि।बज. थ्नदबजपवदे व िेनबी ेजंजनजवतल इवकपमे बवअमतमक नदकमत जमतउ श्ेमतअपबमश् नदकमत ैमबपजवद 2;1द्ध;0द्ध व ि।बजण् ठंदापदह पे बवउउमतबपंस निदबजपवदए ं इनेपदमेे जतंदेंबजपवद इमजूममद इंदा ंदक बनेजवउमते. ैनबी बनेजवउमते ंतम बवदेनउमते ूपजीपद उमंदपदह व िैमबजपवद 2;1द्ध;क्द्ध;पपद्ध व ि।बजण्   प्रार्थीगण अधिवक्ता ने माननीय उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में तर्क दिया कि प्रार्थीगण का प्रकरण इस मंच के क्षैत्राधिकार का है। प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य वर्तमान प्रकरण के तथ्यों से भिन्न होने के कारण चस्पा नहीं होते है।

9.    अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थीगण अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रार्थीगण ने लम्बे स्तर पर शेयर खरीद फरोख्त का कार्य कर लाभ कमाया है जो व्यापारिक गतिविधि है इसलिए परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने बहस के दौरान इस मंच का ध्यान 3 सी0पी0जे0 2013 पेज 594 शशीकान्त एस. टीम्बापूर बनाम कार्वी स्टोक ब्रोकिंग लि. एण्ड अदर्स की ओर ध्यान दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने पैरा संख्या 11 में यह निर्धारित किया कि यदि परिवादी द्वारा शेयर अपनी आजिविका हेतु खरीद करने का अभिवचन किया हो परन्तु उसके द्वारा बड़े स्तर पर शेयर खरीद फरोख्त का कार्य करना पाया जाता है तो उसे उपभोक्ता नहीं कहा जा सकता। वर्तमान प्रकरण में भी स्वंय प्रार्थीगण ने अपने परिवाद की चरण संख्या 1 में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि प्रार्थीगण स्वरोजगार हेतु विविध कम्पनीयों के शेयर लेन देन का कार्य करते है। इसलिए उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य वर्तमान प्रकरण पर पूर्णत चस्पा होते है। माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त 1 सी0पी0जे0 2014 पेज 324 कोटक सिक्योरिटी लि. चेतन दिनेश मोदी बनाम भरत कुमार रणछोड़दास राणा एण्ड अदर्स व 1 सी0पी0जे0 2014 पेज 576 स्टील सिटी सिक्योरिटी लि. बनाम जी. पी. रमेश एण्ड अदर्स में यह निर्धारित किया कि त्महनसंत जतंकपदह पद ेंसम ंदक चनतबींेम व िेींतमे पे चनतमसल बवउउमतबपंस ंबजपअपजल ंदक वदसल उवजपअम पे जव मंतद चतवपिजेण् उपरेाक्त न्यायिक दृष्टान्तों की रोशनी के दृष्टिगत स्पष्ट है कि प्रार्थीगण भी शेयर प्रचेज का कारोबार लम्बें स्तर पर करते है। उक्त तथ्य प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत बैंक स्टेटमेन्ट से साबित होता है व स्वंय प्रार्थीगण ने भी अपने परिवाद में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि उनके द्वारा शेयर लेन देन का कार्य अपने डिमेट अकाउन्ट के खातों से किया जाता है। इसलिए वर्तमान प्रकरणों में उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य पूर्णत चस्पा होते है। प्रार्थीगण के परिवाद उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्तों की रोशनी के दृष्टिगत उपभोक्त संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में कवर नहीं होते है इसलिए प्रार्थीगण के परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।

             अतः प्रार्थीगण के परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किये जाते है। पक्षकारान प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे।

 
सुभाष चन्द्र             नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                     अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक 18.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                     अध्यक्ष     

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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