Chhattisgarh

Janjgir-Champa

CC/14/6

SHRI HARISHANKAR SIDAR - Complainant(s)

Versus

BM ILAHBAD BANK - Opp.Party(s)

SHRI L P TIWARI

15 Sep 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Janjgir-Champa
Judgement
 
Complaint Case No. CC/14/6
 
1. SHRI HARISHANKAR SIDAR
GP BAMHANIPALI KHARSIYA
RAIGARH
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. BM ILAHBAD BANK
BRANCG OFFICE DABHARA JANJGIR
JANJGIR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY PRESIDENT
 HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI L P TIWARI
 
For the Opp. Party:
SHRI NAND KUMAR YADAV
 
ORDER

                                                 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
                         

                                                                                          प्रकरण क्रमांक:- CC/2014/06
                                                                                        प्रस्तुति दिनांक:- 14/02/2014


हरिषंकर सिदार आत्मज चैतूराम सिदार उम्र.....साल, 
ग्राम पोस्ट-बाम्हनपाली,
तह. व थाना खरसिया, 
जिला रायगढ़ छ.ग.                     ...................आवेदक/परिवादी
    
                       ( विरूद्ध )    
                  
शाखा प्रबंधक, 
इलाहाबाद बैंक शाखा डभरा, 
जिला जांजगीर-चाॅपा छ.ग.             .........अनावेदक/विरोधी पक्षकार


                                                               ///आदेश///
                                       ( आज दिनांक  15/09/2015 को पारित)

    1. आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक के विरूद्ध अनावेदक बैंक द्वारा आवेदक के ट्रेक्टर मय ट्राली को खींच कर ले जाने से हुई नुकसानी प्रति दिन 900/-रू. की दर से  4,84,200/-रू.  व उक्त ट्रेक्टर को ऋण खाते में तत्काल समायोजन नहीं कर ब्याज चलाते रहने की क्षति 1,00,000/-रू. कुल 5,84,200/-रू., शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्लेष हेतु 5,00,000/-रू., अनावेदक द्वारा अपने मातहतों के जरिए प्राप्त की गई 98,000/-रू., तथा अनावेदक के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने एवं अन्य अनुतोष दिलाए जाने का दिनांक 14.02.2014 को प्रस्तुत किया है । 
2. प्रकरण में यह अविवादित तथ्य है कि आवेदक आदिवासी कृषक है तथा अनावेदक बैंक है व बैंकिंग का व्यवसाय करता है। वर्ष मई 2007 में ट्रेक्टर व ट्राली हेतु अनावेदक से 4,10,000/-रू. ऋण आवेदक ने प्राप्त किया था, जिसे अनावेदक को किष्तों में भुगतान किया जाना था। 
3. अ. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक आदिवासी कृषक है तथा अनावेदक बैंकिंग का व्यवसाय करता है। वर्ष मई 2007 में ट्रेक्टर व ट्राली हेतु अनावेदक से 4,10,000/-रू. का ऋण पर बैंक ने अपनी कार्यवाही कर ट्रेक्टर मय ट्राली प्रदान किया था, जिसमें आवेदक को किष्तों में भुगतान किया जाना था । आवेदक ने स्वयं तथा उनके एजेंट के माध्यम से किष्त रकम जमा किया है परंतु जमा की गई रक खाता में दर्षित नहीं होने के कारण आवेदक विरोध करते हुए हिसाब किताब ठीक करने के संबंध में निवेदन किया था परंतु अनावेदक ने हिसाब सही करने के बजाए 13 जुलाई 2012 से आवेदक की ट्रेक्टर मय ट्राली को खींच कर ले गए, तब आवेदक का कृषि कार्य चल रहा था । आवेदक ने अनावेदक से ट्रेक्टर मय ट्राली देने का निवेदन किया तथा रकम जमा करने कहने पर जुलाई में 1,00,000/-रू. की अदायगी भी किया था, किंतु अनावेदक ने ट्रेक्टर मय ट्राली वापस नहीं दिया, बल्कि अपने मातहतों के जरिए उक्त ट्रेक्टर का दुरूपयोग कर अनुचित लाभ प्राप्त किया है व आज तक ट्रेक्टर खड़ी कर रखा है न तो नीलाम किया है और न आवेदक के ऋण खाता में समायोजन नहीं कर 1,00,000/-रू. नुकसान कारित  किया है । आवेदक को प्रतिदिन 900/-रू. की दर से कुल 4,84,000/-रू. का क्षतिकारित किया है। 
ब. आवेदक आदिवासी कृषक है, जिसका फायदा उठाते हुए अनावेदक द्वारा आवेदक से प्राप्त की हुई जमा रकम की सही प्रविष्टियाॅं आदि भी उल्लेखित नहीं किया है, बल्कि अपने मातहत से मिलीभत कर  बैंक खाता का समायोजित कर, दूसरी ट्रेक्टर दिलाने के नाम पर 98,000/-रू. की रकम भी हड़प कर लिया है, जिससे आवेदक को शारीरिक एवं मानसिक क्षति हुई । 
स. अतः आवेदक ने अनावेदक बैंक द्वारा आवेदक के ट्रेक्टर मय ट्राली को खींच कर ले जाने से हुई नुकसानी प्रति दिन 900/-रू. की दर से  4,84,200/-रू.  व उक्त ट्रेक्टर को ऋण खाते में तत्काल समायोजन नहीं कर ब्याज चलाते रहने की क्षति 1,00,000/-रू. कुल 5,84,200/-रू., शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्लेष हेतु 5,00,000/-रू., अनावेदक द्वारा अपने मातहतों के जरिए प्राप्त की गई 98,000/-रू., तथा अनावेदक के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने एवं अन्य अनुतोष दिलाए जाने का अनुरोध किया गया है । 
4.   अनावेदक ने जवाबदावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्यों को छोड़ शेष तथ्यों को इंकार करते हुए अभिकथन किया कि आवेदक ने बैंक के नियमानुसार/ऋण शर्त अनुसार समय पर ऋण, ब्याज, किष्त राषि का भुगतान स्वयं अथवा एजेंट के माध्यम से नहीं किया है । अनेकों सूचना दिए जाने के बाद भी ऋण/किष्त राषि अदायगी नहीं करने पर अनावेदक ने नियमानुसार संबंधित ट्रेक्टर खींचवा कर, लाया, तब आवेदक मात्र 1,00,000/-रू. जमा किया था । दिनांक 31.03.2012 की स्थिति में 6,44,037/-रू. आवेदक को लोन खाते में बकाया था । आवेदक ने संपूर्ण राषि ब्याज सहित 1 सप्ताह के अंतर्गत जमा करने का वचन देकर राषि अदा नहीं किया, तब अनावेदक द्वारा नियमानुसार ट्रेक्टर नीलामी कर नीलामी राषि आवेदक के लोन खाते में समायोजित कर दिया गया है। आवेदक स्वयं क्षति के लिए उत्तरदायी है आधार पर परिवाद सव्यय निरस्त करने की प्रार्थना, शेष बकाया राषि अनावेदक के बैंक में जमा करने आवेदक को निर्देषित करने की प्रार्थना की गई है।   
5. परिवाद पर उभय पक्ष को सुना गया है । अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है । 
6. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
1.    क्या अनावेदक ने आवेदक के सेवा में कोई कमी की है ?
2.    क्या आवेदक प्रार्थना अनुसार अनुतोष पाने का अधिकारी है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्नों का सकारण निष्कर्ष:-
7. उभय पक्ष के अभिवचन से अविवादित स्थिति है कि आवेदक ने मई 2007 में अनावेदक बैंक से ऋण 4,10,000/-रू. लेकर ट्रेक्टर व ट्राली क्रय किया था तथा लोन राषि का भुगतान किष्तों में किया जाना था। 
8. आवेदक ने अनावेदक इलाहाबाद बैंक के लोन खाता की फोटोप्रति सूची अनुसार दस्तावेज में प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार अनावेदक से लिए लोन खाता क्रमांक 21430643219 था, जिसके अनुसार अपने खाते में दिनांक 11.07.2012 को 1,00,000/-रू. जमा किया था तथा 4,69,703/-रू. बकाया था।  
9. आवेदक ने बकाया सभी राषि अनावेदक को स्वयं या उनके एजेंट के माध्यम से नियमित रूप से भुगतान करता रहा है को प्रमाणित करने के लिए दिनांक 28.12.2010 को 24,663/-रू. के अलावा जमा पर्ची  मूलतः या फोटोप्रति प्रस्तुत नहीं किया है । इस प्रकार आवेदक ने अनावेदक बैंक में लिए गए ऋण खाते में ऋण की सभी राषि ब्याज सहित जमा कर दिया है प्रस्तुत दस्तावेजी प्रमाण से प्रमाणित नहीं हुआ है । 
10. अनावेदक द्वारा लिए ऋण की अदायगी आवेदक द्वारा समय पर नहीं किए जाने पर ऋण शर्त अनुसार कार्यवाही करते हुए अनावेदक ने ट्रेक्टर खींच कर उसे नीलाम कर राषि आवेदक के ऋण खाता पर जमा कर समायोजित करना बताया है, जिसके विरूद्ध भी आवेदक ने उसके संबंध में प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है। अनावेदक ने आवेदक के ऋण खाते की विवरण प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार आवेदक को वर्तमान में भी ऋण खाते में राषि जमा करना शेष है । अनावेदक ने सूची अनुसार दस्तावेज द्वारा अपना पक्ष स्पष्ट रूप से बतलाया है । 
11. उपरोक्त अनुसार अभिलेखगत सामग्री अंतर्गत अनावेदक द्वारा आवेदक को दिए ऋण खाते में नियमित रूप से ऋण की अदायगी नहीं किए जाने पर अनावेदक द्वारा कार्यवाही की गई है, जिससे अनावेदक ने आवेदक की ओर सेवा में कोई कमी की है स्थापित, प्रमाणित नहीं होता है। 
12. आवेदक ने अनावेदक के विरूद्ध कुल 11,82,200/-रू. की राषि दिलाए जाने का निवेदन किया है । उपरोक्तनुसार तथ्य से अनावेदक के विरूद्ध की गई प्रार्थना स्वीकार करने योग्य होना हम नहीं पाते है । तद्नुसार विचारणीय प्रष्नों का निष्कर्ष ’’प्रमाणित नहीं’’ में देते हैं । 
13. उपरोक्तनुसार अनावेदक के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अनुसार आवेदक द्वारा किया यह परिवाद स्वीकार करने योग्य नहीं पाते हैं, फलस्वरूप परिवाद निरस्त किया जाना उचित पाते हुए निरस्त करते हैं ।  
14. उभय पक्ष अपना-अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे। 

                      ( श्रीमती शशि राठौर)      (मणिशंकर गौरहा)        (बी.पी. पाण्डेय)     
                          सदस्य                             सदस्य                        अध्यक्ष   

  

 

 
 
[HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE]
MEMBER

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