राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-1409/2022
ब्लाक बार कार्यालय में स्थित कृषि विभाग उ0प्र0 ब्लाक बार सम्बन्धित कर्मचारी/अधिकारी नारायनदास वर्मा, ब्लाक बार, तहसील तालबेहट, जिला ललितपुर, उ0प्र0।
बनाम
देशराज सिंह पुत्र तनय श्री पहलवान सिंह, निवासी ग्राम हीरापुर (हनुपुरा) न्याय पंचायत देवरान, तहसील तालबेहटा जिला ललितपुर आदि।
अपील संख्या:-1807/2023
देशराज सिंह पुत्र श्री पहलवान सिंह यादव, निवासी ग्राम हीरापुर (हनुपुरा) न्याय पंचायत देवरान, तहसील तालबेहट, ब्लॉक बार, जिला ललितपुर (उ0प्र0)
बनाम
ब्लाक बार कार्यालय में स्थित कृषि विभाग उ0प्र0 ब्लाक बार सम्बन्धित कर्मचारी/अधिकारी नारायनदास वर्मा, ब्लाक बार, तहसील तालबेहट, जिला ललितपुर, (उ0प्र0) आदि।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री टी0एच0 नकवी
प्रत्यर्थी/देशराज सिंह के अधिवक्ता : श्री ओ0पी0 दुवेल
दिनांक :- 26.3.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ब्लाक बार कार्यालय में स्थित कृषि विभाग उ0प्र0 द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, ललितपुर द्वारा परिवाद सं0-12/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.11.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।
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उपरोक्त निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी श्री देशराज सिंह द्वारा भी एक अन्य अपील सं0-1807/2023 अनुतोष में अभिवृद्धि हेतु योजित की गई है।
दोनों अपीलों में अपीलार्थी/ ब्लाक बार कार्यालय की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी तथा प्रत्यर्थी/परिवादी देशराज सिंह की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ओ0पी0 दुवेल को विस्तार पूवर्क सुना तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ग्राम हीरापुर, हनुपुरा, ब्लाक बार तहसील तालवेहट जिला ललितपुर का किसान है तथा कृषि करके अपना भरण-पोषण करता है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपनी आराजी स्थित ग्राम हनुपुरा हीरापुर में उर्द की फसल बोने के लिए विपक्षी संख्या 03 से दिनांक 09.7.2015 को 24 किलोग्राम उर्द का बीज 2688/- रू0 में क्रय किया। इस प्रकार वर्ष-2016 में उर्द की फसल बोने के लिए अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 01 से 24 किलोग्राम उर्द (आजाद) बीज रू0 4,080/- में क्रय किया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपनी आराजी में उचित जुताई करके तथा उचित खाद का प्रयोग करके उक्त उर्द बीज वर्ष 2015 एवं वर्ष 2016 खरीफ फसल में बोया। उक्त बीज का जमाव हुआ परन्तु बाद में पौधे पीले पड़ गये। पौधों में वर्ष-2015 एवं वर्ष-2016 में कोई फली नहीं लगी और कोई भी पैदावार नहीं हुई और सम्पूर्ण फसल की हानि हो गयी।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने उक्त उर्द का बीज 5.50 एकड़ भूमि में वर्ष-2015 एवं वर्ष-2016 में खरीफ फसल में बोया था, जिसमें प्रतिवर्ष जुताई, बुबाई एवं खाद आदि पर 30-30 हजार रूपया व्यय
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हुआ। परन्तु उक्त दोनों वर्ष का बीज खराब होने के कारण कोई भी उर्द की फसल पैदा नहीं हुई और उर्द फसल का प्रतिवर्ष 02 लाख रूपया नुकसान हुआ जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी मानसिक रूप से परेशान रहा।
प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रार्थना पत्र पर खेत की जांच कृषि अधिकारी, लेखपाल व अन्य अधिकारियों ने दिनांक 13.8.2016 एवं दिनांक 16.8.2016 को की गई, जिसमें उर्द की फसल पीली पड़ना पाया तथा फसल में फली न लगना व नुकसान पाया। वर्ष-2015 में भी प्रत्यर्थी/परिवादी की उक्त उर्द की फसल को जांच में सम्पूर्ण नुकसान होना पाया गया था। विपक्षीगण ने प्रत्यर्थी/परिवादी को खराब बीज बिक्रय किया जिससे वर्ष 2015 एवं 2016 में खरीफ उर्द की फसल की पैदावार नहीं हुई है, जिस कारण उक्त की क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी विपक्षीगण की है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 23.8.2016 को नोटिस जरिये अधिवक्ता विपक्षीगण को दिया किन्तु विपक्षीगण ने प्रत्यर्थी/परिवादी की क्षतिपूर्ति के 04 लाख रूपया देकर नहीं की है, जो में कमी व व्यापारिक कदाचरण है अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख योजित किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी सं0-1 की ओर से अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कथन किया गया कि परिवाद नियमानुसार चलनसार नहीं है। उत्तरर्वाताजन द्वारा जो बीज परिवादी को उपलब्ध कराया गया था, वह बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित बीज था। बीज की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं पाई गई थी। परिवादी ने स्वयं स्वीकार किया है कि उक्त बीज का जमाव हुआ था, जिस कारण बीज की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं पाई गई जहाँ तक
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पौधा पीला पड़ने का प्रश्न है, वह पीला मौजिक रोग है जो प्राकृतिक है, जिसके लिए विपक्षी जिम्मेदार नहीं है। फिर भी परिवादी व अन्य किसानों को रोग के उपचार के निदान बताये गये फसल की बीमारी या उसके रोकथाम की जिम्मेदारी उत्तरदाता की नहीं है। वादी व अन्य कृषकों के फसल के उपचार के उपाय बताये गये थे। परिवादी की फसल का कोई भी नुकसान नहीं हुआ है। परिवादी को प्रतिवादी संख्या-1 व 2 के विरूद्ध कोई वाद का कारण पैदा नहीं हुआ है अतः परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी संख्या-2 द्वारा अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कथन किया गया कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, क्योंकि परिवादी ने उक्त बीज स्वयं के उपभोग के लिए नहीं खरीदा है, बल्कि व्यवसाय के लिए खरीदा है। परिवादी द्वारा विपक्षी के किसी भी अधिकारी के समक्ष शिकायत/सूचना नहीं दी है। बीज अधिनियम के आज्ञापक प्राविधान का अनुपालन नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा उर्द के बीज बोने का सम्पूर्ण विवरण व प्रक्रिया का उल्लेख नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा सही रीति से बीज को बोया गया है ऐसा उल्लेख नहीं है। उर्द के बीज से फसल का जमाव ठीक हुआ जो परिवादी ने स्वयं स्वीकार किया है लेकिन परिवादी द्वारा समय पर कीट नाशक दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया, जिससे परिवादी की फसल रोग ग्रस्त हुई। पीला मोजिक रोग बीज जनित रोग नहीं है यह रोग टी.एम.बी. वायरस के कारण होता है, जो सफेद मक्खियों के द्वारा फैलता है। यदि यह रोग पौधे में दिखाई दे तो रोगी पौधे को उखाड़ कर जमीन में गहरे दबा देना चाहिए तथा डाईमैथौएठ 30ई.सी. नामक कीट
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नाशक दवा की एक लीटर मात्रा 600-800 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए जो परिवादी द्वारा नहीं किया गया और प्रमाणीकृत बीज को खराब बताकर मिथ्या कथनों के आधार पर परिवाद दाखिल किया गया है अतः परिवाद सव्यय खारिज किये जाने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया कि वह इस निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर परिवादी को 50,000.00 रू0 अदा करें तथा पीठ द्वारा निर्धारित समयावधि में विपक्षी सं0-1 यदि भुगतान करने में असफल रहता है तो विपक्षी सं0-1 इस निर्णय की तिथि से उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर सम्पूर्ण धनराशि के अदा होने की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी अदा करने के उत्तरदायी होगें।
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/ब्लाक बार कार्यालय एवं प्रत्यर्थी/परिवादी देशराज सिंह द्वारा दोनों अपीलें योजित की गई हैं।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के विरूद्ध है।
यह भी कथन किया गया कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, क्योंकि परिवादी ने उक्त बीज स्वयं के उपभोग के लिए नहीं खरीदा है, बल्कि व्यवसाय के लिए खरीदा है।
यह भी कथन किया गया कि उर्द के बीज से फसल का जमाव ठीक प्रकार से हुआ, जो परिवादी ने स्वयं स्वीकार किया है
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लेकिन परिवादी द्वारा समय पर कीट नाशक दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया, जिससे परिवादी की फसल रोगग्रस्त हुई।
यह भी कथन किया है कि बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित था एवं बीज की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं पाई गई थी, जिसको परिवादी द्वारा स्वीकार किया गया है।
यह भी कथन किया गया कि पीला मौजिक रोग है जो प्राकृतिक है, जिसके लिए अपीलार्थी/विपक्षी जिम्मेदार नहीं है। परिवादी द्वारा स्वयं फसल की रक्षा हेतु दवाओं का कोई उपयोग नहीं किया गया है।
यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा किसी प्रकार की सेवा में कोई कमी नहीं की गई है अत्एव अपील स्वीकार कर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश को अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह पाया गया कि परिवादी को विपक्षीगण द्वारा खराब बीज विक्रय किया गया है, जिससे की उसकी फसल की पैदावार अच्छी नहीं हुई है तथा बीच की अच्छी गुणवत्ता के नहीं थे, परन्तु फिर भी परिवाद पत्र में याचित सम्पूर्ण अनुतोष को नहीं दिलाया गया है, जो कि अनुचित है।
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी द्वारा प्रस्तुत अपील को स्वीकार कर परिवाद पत्र में याचित सम्पूर्ण अनुतोष दिलाते हुए अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील को निरस्त किया जावे।
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मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्तागण के कथनों को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि परिवादी द्वारा उर्द का बीज अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 कृषि विभाग से खरीदा गया एवं परिवादी ने जो बीज खेत में बुबाई किया उसमें पीला मौजेक रोग उत्पन्न हो गया था, परन्तु परिवादी द्वारा अपने खेत में फसल को बचाने के लिए किसी कीट नाशक दवा के प्रयोग के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है न ही क्षतिपूर्ति के आंकन सम्बन्धी को साक्ष्य प्रस्तुत किया है।
इस संबंध में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय में विस्तार से चर्चा करते हुए प्रश्नगत जो आदेश पारित किया गया है वह मेरे विचार से उचित एवं विधि सम्मत है एवं विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर विचार करने के उपरांत विधि अनुकूल निर्णय/आदेश पारित किया गया है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में अपीलीय स्तर पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत नहीं हो रही है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
जहॉ तक प्रत्यर्थी/परिवादी देशराज सिंह की ओर से प्रस्तुत अपील सं0-1807/2023 में याचित अनुतोष में अभिवृद्धि किये जाने का प्रश्न है, समस्त तथ्यों तथा अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्नगत आदेश में परिवादी को प्रदान किया गया है, वह
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उचित है, उसमें किसी प्रकार की बढोत्तरी अथवा संशोधन किये जाने का कोई पर्याप्त एवं उचित आधार नहीं पाया जाता है, तद्नुसार प्रस्तुत दोनों अपीलें, अपील सं0-1409/2022 एवं अपील सं0-1807/2023 निरस्त की जाती हैं।
अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्त किया जाता है।
प्रस्तुत दोनों अपीलों को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील सं0-1409/2022 में रखी जाए एवं इस निर्णय/आदेश की एक प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0-1807/2023 पर भी रखी जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1