(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1017/2008
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कंपनी लि0 बनाम विशम्भर सिंह पुत्र श्री मनिराम
दिनांक : 26.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-164/2004, विशम्भर सिंह बनाम दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.3.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री जे.एन. मिश्रा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आर.के. मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने बीमित वाहन सं0-यू.पी. 14 जी. 3878 के चोरी होने पर बीमित राशि अंकन 03 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति का आदेश मय 8 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को यह तथ्य स्वीकार है कि उपरोक्त वर्णित वाहन का बीमा हुआ था। यह भी स्वीकार है कि वाहन चोरी होने के पश्चात बीमा क्लेम प्रस्तुत हुआ था तथा इन्वेस्टिगेशन कराया गया था, परन्तु यह कथन किया गया कि वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था तथा इन्वेस्टिगेटर की रिपोर्ट के अनुसार वाहन चोरी भी नहीं हुआ था, परन्तु चोरी होने के संबंध में विद्वान जिला आयोग द्वारा विस्तृत निष्कर्ष दिया गया है और प्रथम सूचना रिपोर्ट की चर्चा की गई है तथा इससे संबंधित दस्तावेजों का भी उल्लेख किया गया है, इसलिए चोरी के संबंध में पारित निष्कर्ष हस्तक्षेप योग्य नहीं है, परन्तु चूंकि चोरी गए वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट मौजूद नहीं था। अत: इस स्थिति में बीमित राशि में 25 प्रतिशत की कटौती किया जाना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.03.2008 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि बीमित धनराशि अंकन 3,00,000/-रू0 में से 25 प्रतिशत राशि यानि अंकन 75,000/-रू0 की कटौती करने के पश्चात अवशेष राशि अंकन 2,25,000/-रू0 परिवादी को देय होगी। इसी प्रकार इस राशि पर ब्याज 08 प्रतिशत के स्थान पर 07 प्रतिशत देय होगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2