Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/111

Ram Mati - Complainant(s)

Versus

Birla Sun Life Insurance - Opp.Party(s)

S K Srivastava

16 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/111
( Date of Filing : 10 Sep 2012 )
 
1. Ram Mati
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Birla Sun Life Insurance
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 May 2023
Final Order / Judgement

( सुरक्षित )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

परिवाद संख्‍या:- 111/2012

 

श्रीमती राममती उम्र 55 वर्ष, पत्‍नी स्‍व0 श्री तोताराम निवासी- एच-09 फेस।। कृष्‍णापुरम, पोस्‍ट आफिस कृष्‍णानगर, कानपुर सिटी

                                                                                                                               परिवादिनी

बनाम

बिरला सन लाइफ इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0, रजिस्‍टर्ड आफिस वन इण्डियाबुल्‍स सेन्‍टर टावर-।, 15 एवं 16 तल, जुपिटर‍ मिल कम्‍पाउण्‍ड 841, सेनापति बपत मार्ग, एल्‍फिनस्‍टोन रोड, मुम्‍बई 400013, ब्रांच आफिस जे०एस० टावर माल, रोड कानपुर द्वारा ब्रांच मैनेजर।

                                                                                                       विपक्षीगण

      परिवादिनी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस०के० श्रीवास्‍तव

      विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से-  विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिव्‍य कुमार श्रीवास्‍तव

     दिनांक -20-06-2023

माननीय श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

  •  

      प्रस्‍तुत परिवाद, परिवादिनी श्रीमती राममती द्वारा विपक्षी बिरला सनलाइफ इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 अन्‍तर्गत धारा-17  इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया है।

     परिवादिनी द्वारा यह परिवाद बीमित धनराशि 17,20,000/-रू० मय 24 प्रतिशत ब्‍याज सहित वसूल किये जाने एवं वाद व्‍यय एवं अन्‍य अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु प्रस्‍तुत किया गया है।

     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसके पति तोताराम  द्वारा एक बीमा पालिसी विपक्षी बीमा  कम्‍पनी से ली गयी

 

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जिसका वार्षिक प्रीमियम 99,608/-रू० दिनांक 05 मई 2010 को जमा किया गया था जिसका कवर नोट एवं रसीद संख्‍या- 19771240 बीमित मृतक तोताराम को प्राप्‍त कराया गया जो संलग्‍नक-1 के रूप में परिवाद पत्र के साथ उपलब्‍ध है। उक्‍त बीमा पालिसी बीमित मृतक की पूर्ण चिकित्‍सीय जांच के उपरान्‍त विपक्षी बिरला सन लाइफ इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 ने किया था। इसके उपरान्‍त दिनांक        08-06-2010 को पालिसी संख्‍या– 004094665 जारी हुआ जो दिनांक 28-05-2010 से 30 वर्ष की अवधि हेतु अर्थात दिनांक 28-05-2040  तक वैध थी, पालिसी संलग्‍नक-3 के रूप में पत्रावली पर उपलब्‍ध है। बीमित व्‍यक्ति की अचानक दिनांक 11-08-2010 को मृत्‍यु हो गयी जिसका मृत्‍यु प्रमाण पत्र संलग्‍नक-5 के रूप में पत्रावली पर उपलब्‍ध है। तदोपरान्‍त परिवादिनी ने बीमा क्‍लेम की धनराशि हेतु बीमा कम्‍पनी के समक्ष आवेदन पत्र/बीमा क्‍लेम दिनांक 25-11-2010 को प्रस्‍तुत किया किन्‍तु विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा पत्र दिनांक 31 जनवरी 2011 के माध्‍यम से बीमा क्‍लेम देने से इस आधार पर अस्‍वीकार कर दिया गया कि बीमित व्‍यक्ति को कैंसर था। अत: बीमित धनराशि अदा नहीं की गयी जिससे विवश होकर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

       विपक्षी बिरला सन लाइफ इंश्‍योरेंश कम्‍पनी द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें परिवाद पत्र में किये गये कथनों को अस्‍वीकार करते हुए यह तथ्‍य स्‍वीकार किया गया है कि बीमित धनराशि 17,20,000/-रू० थी। बीमित व्‍यक्ति ने अपनी बीमारी के हाल को बीमा प्रस्‍ताव फार्म में छिपाया था और बीमा पालिसी जारी

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होने के 03 माह के भीतर ही बीमित की मृत्‍यु हो गयी जो यह स्‍पष्‍ट करता है कि बीमाकर्ता ने अपनी बीमारी से संबंधित महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों को बीमा पालिसी में छिपाया था। बीमा की संविदा सद्भभावना पर आधारित होती है और बीमित व्‍यक्ति ने अपनी बीमारी के तथ्‍यों को छिपाकर इस संविदा का उल्‍लंघन किया है। बीमित व्‍यक्ति को टर्मिनल कैंसर था किन्‍तु इस बात को बीमा क्‍लेम फार्म भरते समय जानबूझकर बीमित द्वारा छलपूर्वक छिपा लिया गया था। बीमित व्‍यक्ति ने प्रस्‍ताव पत्र के प्रश्‍न XII (2) में पिछले पांच साल में होने वाली बीमारियों में कैंसर आदि होने से इन्‍कार किया है जबकि परिवादी को इस तथ्‍य की जानकारी थी।

     विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से मानननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय एवं माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिये गये निर्णयों को उद्धरत करते हुए परिवाद निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।

     परिवादिनी द्वारा अपने पति तोताराम की बीमा पालिसी की धनराशि हेतु यह परिवाद पत्र योजित किया गया है। विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से बीमा पालिसी बीमित तोताराम के नाम से होने से इन्‍कार नहीं किया गया है। वादोत्‍तर में यह स्‍वीकार किया गया है कि उक्‍त बीमा पालिसी दिनांक 28-05-2010 से प्रचलित हुयी थी किन्‍तु बीमा दावे को इस आधार पर अस्‍वीकार किया गया है कि बीमा पालिसी आरम्‍भ होने के पूर्व दिनांक 26-05-2010 को ही बीमित तोताराम को कैंसर बीमारी का डायग्‍नोसिस हुआ था और ऐसी दशा में जानबूझकर तोताराम द्वारा यह पालिसी ली गयी थी।

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    विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा जारी "रेप्‍युडिएशन लेटर" दिनांकित 31-01-2011 की प्रतिलिपि अभिलेख पर उपलब्‍ध है जिसकी प्रतिलिपि परिवाद पत्र के संलग्‍न-6 के रूप में प्रस्‍तुत की गयी है। उक्‍त पत्र में निम्‍नलिखित प्रकार से अंकित किया गया है:-

      The above policy was issued on the basic of all application for insurance dated 5th May 2010 by Mr. Totaram (the"Life Assured") on his life. The policy  was issued on 28th May 2010 However, we hold indisputable proof to show that the life Assured was diagnosed to Cancer on 26th May 2010.

    इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा यह कथन किया गया है कि दिनांक 28-05-2010 को बीमा पालिसी जारी होने के पूर्व दिनांक 26-05-2010 को ही परिवादिनी के पति तोताराम का कैंसर डाइग्‍नोस हो गया था, किन्‍तु इस तथ्‍य को सिद्ध करने के लिए ऐसा कोई अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि दिनांक 26-05-2010 को ही बीमित तोताराम को कैंसर हो जाने की राय किसी चिकित्‍सक द्वारा दी गयी थी। अपने इस तथ्‍य को सिद्ध करने के लिए बीमा कम्‍पनी की ओर से बीमित तोताराम के इलाज का एक पर्चा "महाराज तेज सिंह जिला चिकित्‍सालय", मैनपुरी का इलाज का पत्र बी०एच०टी० दिनांक 07-06-2010 प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें "Ca lung" लिखा हुआ है। बीमा कम्‍पनी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया है कि उक्‍त संलग्‍नक लंग्‍स कैंसर को दर्शाता है जिसका तात्‍पर्य यह है कि बीमित तोताराम के फेफड़े में कैंसर के लक्षण थे।

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    बीमाकर्ता द्वारा प्रस्‍तुत उक्‍त दस्‍तावेज में "Ca lung" अंकित है परन्‍तु किस  चिकित्‍सक द्वारा यह अंकित किया गया है, स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि वास्‍तव में इसका तात्‍पर्य बीमित तोताराम के फेफड़े में कैंसर होना प्रदर्षित करता है। दूसरी ओर महत्‍वपूर्ण तथ्‍य है यह है कि यह बेडहेड टिकट/पर्चा दिनांक 07-06-2010 का है जो बीमा पालिसी के उपरान्‍त का है और यह अभिलेख यही साबित करते हैं कि बीमित तोताराम को पालिसी दिनांक 28-05-2010 को जारी होने के उपरान्‍त दिनांक  07-06-2010 को कैंसर डायग्‍नोस हुआ है, अत: यह नहीं माना जा सकता है कि बीमित तोताराम ने अपनी बीमारी से संबंधित तथ्‍यों को जानबूझकर छिपाते हुए पालिसी प्राप्‍त की थी।

     इस सम्‍बन्‍ध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित     पी. वेंकट नायडू बनाम लाइफ इंश्‍योरेश कारपोरेशन आफ इण्डिया व अन्‍य IV (2011) CPJ 6 (SC) का उल्‍लेख करना उचित होता। इस निर्णय के प्रस्‍तर-7 में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि यदि बीमा कम्‍पनी इस आधार पर बीमा क्‍लेम निरस्‍त करती है कि बीमित व्‍यक्ति ने पालिसी लेते समय अपनी पूर्व बीमारी के महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों को छिपाया था तो इस आशय का प्रमाण प्रस्‍तुत करना होगा कि वास्‍तव में बीमित द्वारा बीमारी छिपायी गयी थी। बिना किसी अकाट्य प्रमाण के यह मान लेना उचित नहीं है।

      माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय प्रस्‍तुत मामले पर भी लागू होता है। इस मामले में भी बीमा कम्‍पनी की ओर से कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया गया है जिसके आधार पर यह

 

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माना जाए कि बीमित तोताराम को पालिसी लेने के पूर्व से ही कैंसर डाइग्‍नोस हो चुका था, अत: इस आधार पर बीमा क्‍लेम अस्‍वीकार किया जाना उचित नहीं है। परिवादिनी के पति द्वारा बीमा पालिसी लिया जाना बीमा कम्‍पनी द्वारा स्‍वीकार किया गया है एवं उसकी मृत्‍यु के सम्‍बन्‍ध में भी कोई सन्‍देह प्रकट नहीं किया गया है।

      अत: उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त यह पीठ इस मत की है कि बीमा पालिसी परिवादिनी को देय है, इस प्रकार प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।  

                        आदेश

        परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है, विपक्षी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी की बीमित धनराशि 17,20,000/- रू० तथा इस पर वाद योजन की तिथि से अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित अदा करें, साथ ही विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा परिवादिनी को 10,000/-रू० वाद व्‍यय के रूप में भी अदा किये जाने हेतु आदेशित किया जाता है।

    आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                                      

            (विकास सक्‍सेना)                           (सुधा उपाध्‍याय)

               सदस्‍य                                    सदस्‍य

           

          कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट नं0 3

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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