Uttar Pradesh

StateCommission

C/2010/34

Minesh Singh - Complainant(s)

Versus

Birla Sun Life Insurance - Opp.Party(s)

Sushil Kumar Sharma

30 Oct 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2010/34
( Date of Filing : 06 Apr 2010 )
 
1. Minesh Singh
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Birla Sun Life Insurance
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 30 Oct 2023
Final Order / Judgement

 (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-34/2010

श्रीमती मीनेश सिंह पत्‍नी श्री रहीश पाल सिंह, निवासी 1/537, राजेन्‍द्र कालोनी, सुरेन्‍द्र नगर, अलीगढ़।

बनाम

बिरला सन लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स कंपनी लिमिटेड, ग्राउण्‍ड फ्लोर, धीरज पैलेस, चौराहा गांधी पार्क, अलीगढ़ द्वारा मैनेजर।

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी की ओर से उपस्थित     : श्री अवनीश पाल,

                                             विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : 30.10.2023 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        यह परिवाद, बीमा कपंनी के विरूद्ध बीमित अमित प्रताप सिंह की मृत्‍यु होने पर बीमा क्‍लेम नकारने के विरूद्ध अंकन 22,00,000/-रू0 बीमा क्‍लेम प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है। अंकन 2,00,000/-रू0 मानसिक प्रताड़ना की मद में तथा अन्‍य अनुसांगिक अनुतोष प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी के भाई श्री अमित प्रताप सिंह द्वारा दिनांक 6.7.2009 को अंकन 22,00,000/-रू0 की एक बीमा पालिसी सं0-003066402 प्राप्‍त की गई थी, जिसमें  परिवादिनी  नामिनी है। बीमाधारक दिनांक 11.10.2009 को

-2-

बीमार हो गए, जिनका इलाज जे.एन. मेडिकल कालेज हॉस्पिटल, ए.एम.यू., अलीगढ़ में कराया गया, जहां से दिनांक 13.10.2009 को वह अवमुक्‍त कर दिया गया, इसके बाद फोर्टीस हॉस्पिटल, नोयडा में भर्ती कराया गया, इसके बाद AIIMS, नई दिल्‍ली में भी दिखाया गया। दिनांक 15.10.2009 को बीमाधारक की मृत्‍यु हो गई, इसके बाद बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया। बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्‍लेम गलत तथ्‍यों के आधार पर नकार दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.        परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्‍जर 1 लगायत 10 दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किये गये।

4.        विपक्षी, बीमा कंपनी का कथन है कि बीमाधारक की मृत्‍यु बीमा पालिसी लेने के 6 माह के अंदर हो गई। जांच की गई, जांच में पाया गया कि बीमाधारक बीमा प्रस्‍ताव भरने से पूर्व से ही बीमार थे और इस तथ्‍य को उनके द्वारा छिपाया गया, इसलिए बीमा क्‍लेम नकार दिया गया।

5.        बीमा कंपनी की ओर से प्रस्‍तुत किए गए लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा अनेक्‍जर ए लगायत आई दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किये गये।

6.        परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा तथा विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अवनीश पाल को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एव साक्ष्‍यों का अवलोकन किया गया।

 

-3-

7.        मृत्‍यु के कारण में यह अंकित है कि बीमित की मृत्‍यु का कारण इलाज के दौरान ज्ञात नहीं हो सका। बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि वे बीमा प्रस्‍ताव भरने से पूर्व Alcohol का उपयोग करता था और इसके उपयोग के कारण अनेक बीमारियों से ग्रसित था, परन्‍तु स्‍वंय बीमा कंपनी द्वारा प्रस्‍तुत दस्‍तावेज के अनुसार बीमाधारक की मृत्‍यु का कारण ज्ञात नहीं हो सका। दस्‍तावेज सं0-36 के अवलोकन से जाहिर होता है कि AIIMS, नई दिल्‍ली द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के अनुसार बीमाधारक गंभीर रूप से Acute pancreatitis नामक बीमारी से ग्रसित है। यह बीमारी अचानक हो सकती है। Alcohol का प्रयोग करने से इस बीमारी के विकसित होने का कोई अकाट्य सबूत मेडिकल साईंस के अंतर्गत नहीं है, इसलिए बीमा कंपनी का यह तर्क विधिसम्‍मत नहीं है कि Alcohol जनित बीमारी के कारण बीमाधारक की मृत्‍यु कारित हुई है और उसे बीमा प्रस्‍ताव भरते समय इन सब बीमारियों का ज्ञान था।

8.        बीमाधारक द्वारा बीमा प्रस्‍ताव, अनेक्‍जर ए के अनुसार दिनांक 10.6.2009 को भरा गया। मरीज सर्वप्रथम दिनांक 11.10.2009 को जे.एन. मेडिकल कालेज हॉस्पिटल, ए.एम.यू., अलीगढ़ में भर्ती हुए, इस तिथि से पूर्व बीमाधारक द्वारा किसी भी हॉस्पिटल में इलाज कराने का कोई सबूत/प्रमाण पत्र पत्रावली पर मौजूद नहीं है। यह दस्‍तावेज तथा इसके बाद इलाज कराने से संबंधित दस्‍तावेज बीमा प्रस्‍ताव भरने के पश्‍चात के हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि बीमाधारक द्वारा आश्‍यपूर्वक बीमा प्रस्‍ताव भरते समय बीमारी के किसी तथ्‍य को छिपाया गया हो, इसलिए बीमा

-4-

क्‍लेम नकारने का आधार अनुचित है। तदनुसार प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

9.        प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कंपनी को ओदशित किया जाता है कि वह इस निर्णय/आदेश की तिथि से 45 दिन के अंदर परिवादिनी को बीमित धनराशि अंकन 22,00,000/-रू0 (बाईस लाख रूपये) परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज के साथ अदा की जाए।

          परिवाद व्‍यय की मद में अंकन 25,000/-रू0 (पच्‍चीस हजार रूपये) भी उपरोक्‍त अवधि में अदा किये जाए। इस राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

    

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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