Rajasthan

Jhunjhunun

338/2014

PARDEEP - Complainant(s)

Versus

BIRLA SUN LIFE INSU. - Opp.Party(s)

RAJEEV MAHLA

25 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 338/2014
 
1. PARDEEP
JHUNJHUNU
...........Complainant(s)
Versus
1. BIRLA SUN LIFE INSU.
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

              जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राज0)
              परिवाद संख्या - 338/14

        समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
                2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
                3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

प्रदीप कुमार पुत्र श्री बजरंगलाल जाति जाट निवासी राजीव नगर तहसील व जिला झुन्झुनू (राज0)                                                - परिवादी 
                बनाम
शाखा प्रबंधक, बिरला सन लाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लि0 झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू(राज0)                                             - विपक्षी
        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 
उपस्थित:-
1.    श्री राजीव महला, एडवोकेट    -    परिवादी की ओर से।
2.    श्री अमर सिंह चैधरी, एडवोकेट -    विपक्षी की ओर से।

                  - निर्णय -              दिनांक 23.04.2015
 परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया जिसे दिनांक 20.06.2014 को संस्थित किया गया।
 परिवाद पत्र के संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी प्रदीप कुमार  मृतका श्रीमती बनारसी देवी का पुत्र है जो स्व0 श्रीमती बनारसी देवी का वैध उतराधिकारी (नोमिनी) होने के कारण यह परिवाद पत्र विपक्षी के विरूद्ध परिवादी द्धारा पेष किया गया है।                                                          
 परिवादी प्रदीप कुमार की माता श्रीमती बनारसी देवी ने अपने जीवनकाल में अपने नाम से विपक्षी के यहां से बीमा पाॅलिसी नम्बर 005544184 ली थी, जिसकी प्रथम प्रिमीयम 14999/-रूपये परिवादी द्वारा विपक्षी के यहां जमा कराई गई । इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
 परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह भी कथन किया है कि परिवादी की माता श्रीमती बनारसी देवी अचानक बीमार होने के कारण दिनांक 26.02.2013 को मृत्यु हो गई। उपरोक्त पालिसी के नियमों के तहत श्रीमती बनारसी देवी को परिपक्वता तिथि पर 2,42,925/-रूपये राषि मिलनी थी जिसे परिवादी, मृतका का पुत्र एवं नोमिनी होने से प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में बीमा पालिसी से संबंधित समस्त आवष्यक कागजात जमा करवा दिये तथा परिवादी द्वारा विपक्षी को दिनांक 12.05.2014 को नोटिस भी भिजवाया गया, जिसकी प्रति पत्रावली में पेष की गई है परन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी को उक्त राषि अदा नहीं की गई, विपक्षी का यह कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में परिवादी ने अपना परिवाद पत्र स्वीकार करने एंव विपक्षी से बीमा धन राषि 2,42,925/रुपये व अन्य देय लाभ मय ब्याज के एक मुष्त दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद पत्र में अंकित तथ्यों के संबंध में जवाब पेष कर परिवादी की माता श्रीमती बनारसी देवी के नाम से विपक्षी के यहां बीमा पाॅलिसी नम्बर 005544184 लिया जाना व प्रथम प्रिमीयम 14999/-रूपये की राषि परिवादी द्वारा विपक्षी के यहां जमा कराये जाने के तथ्य को रिर्कोडेड होने का कथन किया है।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से अपने जवाब में यह भी कथन किया गया है कि परिवादी की माता श्रीमती बनारसी देवी पालिसी लेते समय पूर्णतया स्वस्थ नहीं थी बल्कि कैंसर के रोग से पीडि़त चल रही थी। परिवादी की माता का बीमा कराने के लिए प्रस्ताव पत्र दिनांक 14.04.2012 को दिया गया जिस पर विपक्षी ने दिनांक      21.04.2012 को, बीमाधारी द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर व अन्त में की गई घोषणा के आधार पर पूर्ण विष्वास करते हुए बीमाधारी श्रीमती बनारसी देवी के पक्ष में पालिसी संख्या 005544184 जारी करदी। परिवादी द्वारा श्रीमती बनारसी देवी की मृत्यु के बाद जब विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमा क्लेम हेतु आवेदन किया गया जिस पर विपक्षी द्वारा इन्वेस्टीगेटर से जांच करवाई गई तो पाया गया कि श्रीमती बनारसी देवी को उक्त पालिसी जारी करने से पूर्व वर्ष, 2009 में अपना इलाज आचार्य तुलसी क्षेत्रीय कैंसर चिकित्सा एवं अनुसंधान केन्द्र में केंसर संबंधी रोग का कराया था। बीमाधारी श्रीमती बनारसी देवी पालिसी लिये जाने के पूर्व से कैंसर के रोग से पीडि़त थी। परिवादी व बीमाधारी को बीमारीके संबंध में पूर्ण जानकारी थी उसके बावजूद प्रस्ताव पत्र में एवं प्रस्तावक द्वारा की गई घोषणा में जान बूझकर बीमारीव लिये गये इलाज के तात्विक तथ्यों को छिपाते हुए तथा प्रस्ताव पत्र में इतिवृत में पूछे गये सभी प्रष्नों के उतर नकारात्मक देकर बीमा का लाभ प्राप्त करने के उदेष्य से धोखे से पालिसी ली। इस प्रकार परिवादी का क्लेम दिनांक 31.08.2013 को डपेतमचतमेंदजंजपवद व िथ्ंबज के आधार पर विपक्षी द्वारा त्मचनकपंजम कर दिया गया। बीमा धारक ने पालिसी प्राप्त करते वक्त अपनी बीमारी केंसर एवं उसके इलाज के तथ्यों को छिपाकर विपक्षी से हुए अनुबंध व शर्तो को भंग किया है। बीमाधारक द्वारा बीमा पालिसी गलत तथ्यों के आधार पर जारी करवाई गई है। परिवादी विपक्षी से कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
      
अन्त में विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
         प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहे हंै कि परिवादी की माता श्रीमती बनारसी देवी के नाम से विपक्षी के यहां 2,42,925/-रुपये राषि की बीमा पाॅलिसी नम्बर 005544184 ली गई, जिसमें परिवादी  प्रदीप कुमार नोमिनी है । परिवादी की माता श्रीमती बनारसी देवी की मृत्यु दिनांक 26.02.2013 को होने पर परिवादी द्वारा विपक्षी के यहां मृत्यु दावा क्लेम पेष किया गया।
उक्त पाॅलिसी लिये जाते समय परिवादी की माता द्धारा प्रपोजल फार्म को भरकर हस्ताक्षर किये जाते समय अपने आपको पूर्ण रुप से स्वस्थ एंव पूर्व में किसी प्रकार की बीमारी से ग्रसित न होना  बताया गया है। 
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि मृतका बीमाधारी ने प्रस्ताव फार्म भरने से पूर्व वर्ष, 2009 में अपना इलाज आचार्य तुलसी क्षेत्रीय कैंसर चिकित्सा एवं अनुसंधान केन्द्र में कराया था । बीमाधारी पालिसी लिये जाने से पूर्व से ही कैंसर की बीमारी से पीडि़त रही है। परिवादी व बीमाधारी को बीमारी के संबंध में पूर्ण जानकारी थी इसके बावजूद मृतका बीमाधारी नेे पालिसी लेने से पूर्व प्रस्ताव पत्र में बीमारी का उल्लेख नहीं करने पर बीमा कम्पनी ने क्लेम निरस्त किया है।
              हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी के द्वारा बहस के दौरान दिये गये उपरोक्त तर्को से सहमत नहीं है क्योंकि बीमा कम्पनी की ओर से चिकित्सीय संबंधी दस्तावेज की जो फोटो प्रति पेष की है उसमें बीमाधारी को कौनसी तारीख को डिस्चार्ज  किया गया, डिस्चार्ज के कालम में दिनांक अंकित नहीं है न ही किसी डाक्टर के हस्ताक्षर या मुहर अंकित है। इस टिकट के साथ इलाज की पर्चियां या दवाईयों के बिल की कोपी पेष नहीं की है। मात्र डिस्चार्ज से सम्बन्धित टिकट पेष करने से यह प्रमाणित नहीं होता है कि बीमाधारक श्रीमती बनारसी देवी ने अपनी बीमारी का इलाज कराया हो। किस आधार पर यह माना जावे कि विपक्षी द्वारा पालिसी जारी करने से पूर्व श्रीमती बनारसीदेवी ने केंसर की बीमारी का इलाज कराया था । विपक्षी द्वारा इन्वेस्टीगेटर अहमदखान से उक्त वाका की जांच करवाई गई जांच के दौरान मौके पर अनुसंधानकर्ता ने बीमारी के संबंध में जिन लोगों से पूछताछ की उन लोगों के बयान नहीं लिये गये और न ही उनके शपथ पत्र पत्रावली में पेष किये गये । इसके अतिरिक्त पत्रावली में महत्वपूर्ण यह तथ्य उभरकर आया है कि अनुसंधानकर्ता श्री अहमदखान ने स्वयं का जो शपथ पत्र कैंसर की बीमारी से संबंधित पेष किया है लेकिन शपथ पत्र में कहीं भी स्वंय शपथकर्ता के हस्ताक्षर नहीं है। हस्ताक्षर के अभाव में शपथपत्र का कोई महत्व नहीं रह जाता है इसलिए शपथपत्र पर विष्वास किए जाने का कोई कारण नहीं है। अनुसंधान कर्ता द्वारा ऐसी कोई रिपोर्ट पेष नहीं की गई है जिसके आधार पर यह माना जावे कि पालिसी जारी करने से पूर्व मृतका श्रीमती बनारसी देवी कैंसर के रोग से पीडि़त थी। 
            विपक्षी की ओर से पेष किया गया चिकित्सीय दस्तावेज के खण्डन में परिवादी ने राजस्थानी डाईग्नोस्टीक एण्ड एम आर सेण्टर, झुंझुनू में मृतका श्रीमती बनारसी देवी की बीमारी की जाचं करने हेतु विपक्षी द्वारा रेफर किया गया दस्तावेज इस पत्रावली में पेष किया है जिसमें कहीं भी केंसर की बीमारी या अन्य किसी गंभीर बीमारी के तथ्य अंकित नहीं है। पालिसी जारी करने से पूर्व विपक्षी द्वारध ही बीमाधारी श्रीमती बनारसी देवी की जांच कराई गई जो नोरमल व (छप्स्) पाई गई है । राजस्थानी डाईग्नोस्टीक एण्ड एम आर सेण्टर, झुंझुनू की रिपोर्ट दिनांक 18.04.2012 के आधार पर विपक्षी द्वारा श्रीमती बनारसी देवी को केंसर या गंभीर बीमारी से ग्रसित न मानकर उसे स्वस्थ मानकर पालिसी दिनांक 21.04.2012 को जारी की गई है। इस रिपोर्ट में टेक्नोलोजिस्ट के हस्ताक्षर अंकित हैंे। राजस्थानी डाईग्नोस्टीक एण्ड एम आर सेण्टर, झुंझुनू की रिपोर्ट पर किसी भी तरह से अविष्वास  किए जाने का कोई कारण नहीं है क्योंकि पालिसी जारी करने से पूर्व तुरंत विपक्षी द्वारा ही श्रीमती बनारसी देवी की जांच करवाई गई है।
            विपक्षी बीमा कम्पनी यह साबित नहीं कर पाई है कि श्रीमती बनारसी देवी को पालिसी जारी करने से पूर्व वह किसी गंभीर बीमारी/कैंसर से ग्रसित हो तथा उसने लम्बे समय तक किसी अस्पताल में इलाज कराया हो। ऐसा कोई चिकित्सीय प्रमाण पत्र व इलाज की पर्चियां पत्रावली में पेष नहीं है। 
             उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि प्रपोजल फोर्म भरते समय व पालिसी जारी करने से पूर्व मृतका श्रीमती बनारसी देवी स्वस्थ थी तथा किसी भी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं थी। मृतका श्रीमती बनारसी देवी की मृत्यु अचानक घर पर हुई है, किसी अस्पताल में इलाज के दौरान नहीं हुई है। इसलिए पालिसी जारी करने से पूर्व प्रस्ताव फार्म में परिवादी व श्रीमती बनारसी देवी ने जान बूझकर कोई तथ्य नहीं छिपाया है।
अन्त में उक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवादी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है तथा परिवादी विपक्षी से बीमा क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी किसी भी तरह से क्लेम राषि के उतरदायित्व से विमुख नहीं हो सकता। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी से बीमा क्लेम राषि 2,42,925/- (अक्षरे रूपये दो लाख बियालीस हजार नो सौ पच्चीस मात्र) बतौर क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त क्लेम राषि पर संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 20.06.2014 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
        निर्णय आज दिनांक 23.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
  पत्रावली फैसल शुमार होकर वाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 

 


             

 

 

 

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