जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
नवीन पारीक पुत्र श्री सत्यनारायण षर्मा, आयु- 34 वर्ष, जाति- ब्राह्मण, निवासी- 1248/02, गली नम्बर 3, देव नगर, नृसिंहपुरा, फाॅयसागर रोड़, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. बिरला सन लाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, मेहरा बिल्डिंग, जयपुर रोड़, अजमेर जरिए प्रबन्धक ।
2. बिरला सनलाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जी कार्पोट टेक पार्क, 6 फलोर, कासर वाडावली, घोडबंडर रोड, थाने- 400601 जरिए प्रबन्धक ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 104/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री नवीन पारीक,प्रार्थी स्वयं
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-.02.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक बीमा पाॅलिसी संख्या 005968476 प्राप्त की । जिसके फरवरी, 14 के ड्यू प्रीमियम की राषि रू. 12001/- का अपनी माताजी के खाते का चैक अप्रार्थी संख्या 1 को दिया । जिसे अप्रार्थी संख्या 1 ने चेैक जारीकर्ता की आई.डी व अधिकार पत्र न होने के कारण लेने से इन्कार कर दिए जाने पर उसने उक्त चैक दिनांक 19.2.2014 को स्पीड पोस्ट के जरिए अप्रार्थी संख्या 2 को भेजा जो अप्रार्थी संख्या 2 को दिनांक 21.2.2014 को प्राप्त हो गया । तत्पष्चात् अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा उसे मोबाईल के माध्यम से सूचित किया कि उक्त चैक अप्रार्थी संख्या 1 को ष्षीघ्र प्रेषित कर दिया जाएगा और उसकी रसीद भिजवाते हुए उचित कार्यवाही की जाएगी । बावजूद पत्र दिनांक 19.4.2014 व नोटिस दिनांक 7.11.2014 के प्रार्थी को प्रीमियम रसीद दी गई । प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थीगण बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुए और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थीगण के विरूद्व दिनांक 27.4.2015 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई । दिनांक 4.4.2016 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से श्री तेजभान भगतानी , अधिवक्ता ने वकालातनामा पेष करते हुए एक पक्षीय कार्यवाही निरस्त किए जाने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया । नियत तारीख पेषी दिनांक 5.5.2016 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता द्वारा एक पक्षीय कार्यवाही निरस्त किए जाने बाबत् न्यायिक दृष्टान्त पेष करने हेतु मौका चाहा । बावजूद तारीख पेषी दिनांक 15.6.16, 3.8.2016, 4.10.16, 3.11.16, 7.12.16, 2.2.17 पर अप्रार्थीगण की ओर से कोई न्यायिक दृष्टान्त पेष नहीं किए जाने पर पर परिवाद का मैरिट पर निस्तारण किया जाना उचित समझा गया ।
3. प्रार्थी का तर्क है कि उसके पाॅलिसी होल्डर होने व फरवरी, 14 के बीमा प्रीमियम की किष्त का अपनी माताजी के खाते का चैक प्रस्तुत करने पर अप्रार्थी द्वारा उक्त चैक स्वीकार नहीं करने तथा चैक जारी कराने वाले का आईडी प्रुफ तथा उससे स्वयं का अधिकार पत्र की मांग करना अनुचित है । चैक लौटाना एवं चैक डाक द्वारा भेजने के बावजूद लम्बे समय तक कोई रसीद नहीं भेजना अप्रार्थीगण का उक्त उपेक्षापूर्ण कृत्य है तथा अनुचित व्यापार व्यपहार एवं सेवा में कमी का परिचायक है ।
4. खण्डन में हालांकि अप्रार्थीगण का कोई तर्क नहीं है क्योंकि उनके विरूद्व एक पक्षीय कार्यवाही पूर्व में ही अमल में लाई जा चुकी है । किन्तु क्या किसी भी पक्षकार के विरूद्व खण्डन नही ंहोने की स्थिति में अकाट्य सत्य मानते हुए इस पर विष्वास कर लिया जावे ? हमारी राय में ऐसा नहीं है तथा मात्र अखण्डित तथ्य को ळवेचमस ज्ंसा नहीं माना जा सकता है।
5. हस्तगत प्रकरण में सर्वप्रथम प्रार्थी ने अपनी प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी भी प्रस्तुत नहीं की है जबकि वह इसका धारक है । दूसरा, उसने अपनी पाॅलिसी के प्रीमियम की राषि का भुगतान जिस चैक के द्वारा किया जाना अभिकथित किया है, वह उसकी माताजी का है । यदि अप्रार्थीगण ने उक्त भुगतान के संबंध में धारक से आई.डी. प्रुफ की मांग की है अथवा अधिकार पत्र की मांग की है तो इसमें कोई अनुचित कृत्य नहीं किया है । इनकी मांग इसलिए की जाती है ताकि किसी भी अन्य व्यक्ति के ऐसे चैक कार दुरूपयोग नहीं हो सके । सम्भव है किसी अन्य व्यक्ति के चैक के जरिए भुगतान कर उसका दुरूपयोग कर लिया जावे । चूंकि आई.डी पु्रफ की मांग की है तथा अधिकार पत्र भी चाहा गया है । अतः इनकी उपलब्धता से यह सुनिष्चिित हो जाता है कि किए जा रहे भुगतान के संबंध में ऐसे व्यक्ति की प्उचसपमक ब्वदेमदज है एवं उनकी जानकारी में भुगतान किया जा रहा है।
6. कुल मिलाकर यदि उपरोक्तानुसार अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कोई मांग की गई है तो इसमें कोई सेवा में कमी का परिचय नहीं दिया गया है । सार यह है कि परिवाद एक पक्षीय होने के बावजूद खारिज होने योग्य है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
7. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 14.02.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष