जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति सावित्री षर्मा पत्नी स्व. श्री नीरज कुमार षर्मा, निवासी- 542, भोपों का बाड़ा, वार्ड नं 52, अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
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2. प्रबन्धक, बिरला सनलाईफ इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, मेहरा बिल्डिंग, हाथीभाटा, अजमेर ं
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 79/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री रमेष वर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थिया
2.श्री तेजभान भगतानी,अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 02.12.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ली गई बीमा पाॅलिसी बिड़ला सनलाईफ इन्ष्योरेंस सरल जीवन संख्या 003040229 की किष्त अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अधिकृत एजेण्ट को अदा किए जाने के बाद भी बीमा कम्पनी द्वारा जरिए पत्र दिनंाक 19.11.2012 से प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी को कालातीत किए जाने पष्चात् जानकारी चाही जाने के बाद उक्त बीमा एजेण्ट को बीमा कम्पनी द्वारा निलम्बित कर दिया जाना व उसके द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी की जमाषुदा राषि मय बोनस के मांग किए जाने के बावजूद अदा नहीं किया जाना अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष की मांग करते हुए परिवाद के समर्थन में स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थिया द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थिया द्वारा एजेण्ट के द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी पेटे जमा कराई गई राषि के लिए वह स्वयं जिम्मेदार है । प्रार्थिया ने उक्त बीमा एजेण्ट को पक्षकार भी नहीं बनाया है । प्रार्थिया द्वारा उक्त बीमा पाॅलिसी पेटे दिनांक 23.9.2010 को अंतिम बार बीमा प्रीमियम की राषि जमा कराई थी । इसके बाद नियमित रूप से जमा नहीं कराए जाने के कारण कालातीत हो गई थी जिसे पुनःर्जीवित कराने का कोई प्रयास प्रार्थिया द्वारा नहीं किया गया । परिवाद मियाद बाहर भी है इसलिए चलने योग्य नहीं है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री जयेष जगरवाल, प्रबन्धक, विधि का षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थिया का तर्क रहा है कि उसके द्वारा ली गई पाॅलिसी के बाबत् नियमित रूप से अप्रार्थी के एजेण्ट के माध्यम से प्रीमियम राषि जमा करवाए जाने के बाद दिनंाक 19.11.2012 से 15-20 दिवस पूर्व अप्रार्थी द्वारा जारी नोटिस से उसे ज्ञात हुआ कि उनके द्वारा उक्त पाॅलिसी नवम्बर माह में अवसान कर दी गई है जबकि उक्त पाॅलिसी की प्रीमियम राषि समय समय पर जमा करवाई जाती रही है व ऐसा करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने लापरवाही एवं सेवा में कमी का परिचय दिया है । अप्रार्थी को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भी दिया गया । उक्त नोटिस का जवाब नहीं देकर व जमा कराई गई राषि को नहीं लौटाया जाकर सेवा में कमी का परिचय दिया है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
4. अप्रार्थी की ओर से पाॅलिसी प्राप्त किए जाने के तथ्य को स्वीकार किया गया, किन्तु प्रीमियम की राषि को नियमित रूप से जमा कराए जाने के तथ्य को अस्वीकार किया गया व प्रार्थी द्वारा सिद्व किया जाने योग्य बताया । पाॅलिसी की षर्तो के अनुसार एजेण्ट को प्रीमियम की राषि एकत्रित करने का अधिकार नहीं होना बताया है । बीमा एजेण्ट को पक्षकार नहीं बनाए जाने के कारण परिवाद खारिज होने योग्य बताया है । परिवाद को मियाद बाहर होना बताते हुए इसको चलने योग्य नहीं होना बताया है । प्रार्थिया द्वारा दिनंाक 23.9.2010 के बाद प्रीमियम राषि पाॅलिसी को जीवित रखने के लिए जमा नहीं कराए जाने के कारण पाॅलिसी का स्वतः लैप्स होना बताया । अपने तर्को के समर्थन में विनिष्चय त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 900ध्2007;छब्द्ध स्प्ब् टे ळपतकींतपसंस च्ण् ज्ञमेंतूंदप - ।दतए 2014ैज्च्स् ;ॅमइद्ध 1758 छब् स्प्ब् टे ल्वह त्ंर ब्ींनींद - ।दतण् भी प्रस्तुत किए है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. प्रकरण में प्रष्नगत पाॅलिसी को जारी करना व प्राप्त किया जाना स्वीकार किया गया है । अतः यह विवाद का विषय नहीं है । पत्रावली में उपलब्ध यह पाॅलिसी बिरला सन लाईफ सरल जीवन पाॅलिसी संख्या 003040229 होकर इसकी टम्र्स 20वर्ष बताई गई है तथा वार्षिक प्रीमियम राषि रू. 36,390/- होना बताया गया है । प्रार्थिया की ओर से इस बीमा पाॅलिसी के संदर्भ में प्रथम प्रीमियम राषि के रूप में रू. 9097/- जमा कराए जाने की रसीद प्रस्तुत की है । इसके बाद उसके द्वारा किसी प्रकार की कोई प्रीमियम राषि जमा कराए जाने की रसीद प्रस्तुत नहीं की गई है । बीमा कम्पनी ने प्रार्थिया द्वारा दिनांक 23.9.2010 तक प्रीमियम राषि को जमा कराए जाने बाबत् स्वीकारोक्ति की है व इसके बाद कोई प्रीमियम राषि पाॅलिसी कोे जीवित रखने के लिए जमा नहीं कराए जाने का प्रतिवाद लिया है । इस प्रकार प्रार्थिया द्वारा जमा कराई गई प्रीमियम राषि के संदर्भ में साक्ष्य के अभाव में अप्रार्थी बीमा कम्पनी की स्वीकारोक्ति को देखते हुए प्रार्थिया द्वारा दिनांक 23.9.2010 तक प्रीमियम राषि जमा करवाई गई है । प्रार्थिया के लिए यह अपेक्षित था कि वह उसके द्वारा कब कब ऐसी प्रीमियम राषि जमा कराई गई, का सम्पूर्ण विवरण प्रस्तुत करती व प्रमाण स्वरूप रसीदंे प्रस्तुत करती, जैसा कि उसके द्वारा पहली किष्त की रसीद प्रस्तुत की गई है । किन्तु ऐसा उसके द्वारा ऐसा नहीं किए जाने से यही माना जा सकता है कि उसने कब कब कुल कितनी राषि जमा कराई है। उसने किस एजेण्ट के माध्यम से यह राषि जमा करवाई तथा उसका क्या नाम था। इन तथ्यों का भी कोई खुलासा नहीं किया है । फलतः बीमा कम्पनी ने यदि उसके द्वारा प्रीमियम जमा नहीं कराए जाने के कारण पाॅलिसी का अवसान कर दिया है तो इन हालात में उनकी ओर से किसी प्रकार की सेवा में कोई कमी का परिचय दिया जाना नहीं माना जा सकता । हम उनकी ओर से प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित सिद्वान्तों से सहमत हंै , जिनमें यह प्रतिपादित किया गया है कि एजेण्ट के माध्यम से प्रीमियम की राषि जमा करवाई गई है तो ऐसी स्थिति में जब तक यह तथ्य सिद्व नहीं हो जाता कि उक्त बीमा कम्पनी ने अपने आचरण से सिद्व नहीं कर दिया हो कि उक्त एजेण्ट उनकी ओर से प्रीमियम राषि को प्राप्त करने हेतु अधिकृत था, तब तक उक्त बीमा कम्पनी ऐसे एजेण्ट के द्वारा प्राप्त राषि के संदर्भ में उत्तरदायी नहीं होगी ।
7. सार यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में प्रार्थिया द्वारा अपना पक्ष कथन सिद्व नहीं किए जाने की स्थिति में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है ।
8. यहां यह लिखना भी उचित होगा कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी नियमानुसार प्रार्थिया को उसके द्वारा जमा कराई गई प्रीमियम राषि को आवष्यक कटौतियों के बाद ष्षेष राषि का भुगतान करेगी । अतः प्रार्थिया का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) अप्रार्थी बीमा कम्पनी को यह आदेष दिया जाता है कि वह प्रार्थिया द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी पेटे जमा कराई गई प्रीमियम की राषि में से आवष्यक कटौतियों के बाद बकाया षेष राषि प्रार्थिया को आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें ।
(2) प्रकरण की परिस्थ्तिियों को मद्देनजर रखते हुए खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करेंगें ।
आदेष दिनांक 02.12.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष