जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री जयंषकर जोषी पुत्र श्री रामनारायण जोषी,आयु- 65 वर्ष, निवासी-गायत्री नगर, मकान नं. 41, वार्ड संख्या 34, गली नं. 03, जालिया रोड़, ब्यावर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. एम.डी. बिड़ला सनलाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,वन अण्डिया बुल्स सेन्टर, टाॅवर-1, 15 व 16फलोर, ज्यूपिटर मिल कम्पाउण्ड, 841, सेनापति बापत मार्ग, एलफीनस्टोन रोड़़ मुम्बई-400013
2. विघ्नहरता डाईरेक्ट इंष्योरेंस ब्रोकिंग प्रा.लि.,एडवाईसर, एडवाईसर कोड 001281 , बिरला सन लाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,फस्र्ट फ्लोर मेहरा बिल्डिंग,जयपुर रोड़, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 470/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री अरविन्द कराड़िया, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री तेजभान भगतानी , अधिवक्ता अप्रार्थीबीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-11.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी को अप्रार्थी बीमा कम्पनी के एडवाईजर अप्रार्थी संख्या 2 ने उसे बीमा पाॅलिसी 3 वर्ष की बता कर 5 वर्ष की जारी करवाई जिसमें न तो उसका फोटो लगा हुआ है, ना ही उसपर उसके हस्ताक्षर है साथ ही पाॅलिसी के साथ भेजी मेडिकल रिपोर्ट पर भी उसके जारी हस्ताक्षर किए गए है । प्रार्थी द्वारा उक्त पाॅलिसी को निरस्त किए जाने का निवेदन करने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पाॅलिसी निरस्त करने से इन्कार सेेवा में कमी की है । प्रार्थी ने इस संबंध में अधिवक्ता के माध्यम से दिनंाक 16.2.2013 को नेाटिस भेजकर जमा करवाई गई प्रीमियम राषि लौटाने को कहा किन्तु अप्रार्थी ने राषि नहीं लौटाई । प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थी ने पाॅलिसी की डमतपजे व क्मडमतपजे समझने के बाद प्रपोजल फार्म पर हस्ताक्षर करते हुए बीमा पाॅलिसी प्राप्त की है । प्रार्थी पढ़ा लिखा व्यक्ति है । उसने सोच समझा कर बीमा पाॅलिसी प्राप्त की है । प्रार्थी की पाॅलिसी लैप्स हो चुकी थी जिसे वह रिन्युअल नहीं करना चाहता था इसलिए प्रार्थी ने असत्य आधारों पर परिवाद पेष किया है जो निरस्त होने योग्य है । जवाब के समर्थन में श्री अजय चैबे का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थी का प्रमुख तर्क रहा है कि उसके द्वारा अप्रार्थी ने अपने एडवाईजर के माध्यम से उसका 3 वर्ष का प्लान बताकर 5 वर्ष के प्लान का बीमा कर दिया गया । ऐसा किए जाने के काफी समय जो बीमा पाॅलिसी भेजी गई जिसमें उसे इस बाबत् जानकारी प्राप्त हुई । पाॅलिसी में फोटो भी उसका नहीं था एवं फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे । पाॅलिसी के साथ भेजा गया मेडिकल परीक्षण पर भी उसके हस्ताक्षर नहीं थे । कुल मिला कर उनका तर्क रहा है कि ऐसा करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सेवा में कमी व लापरवाही का परिचय दिया है । इस कारण प्रार्थी को घोर आर्थिक व मानसिक , ष्षारीरिक क्षति का सामना करना पड़ा है । वांछित अनुतोष सहित परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने खण्डन में प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत पाॅलिसी से पूर्व प्रपोजतल फार्म भरते समय पाॅलिसी की अवधि 5 वर्ष होने व समस्त बातों को ध्यान में रखते हुए पूर्ण सन्तुष्टी के बाद ही हस्ताक्षर किए थे । पाॅलिसी जारी नहीं रखने के कारण लैप्स हो चुकी थी । प्रार्थी रिन्युल करवाने का इच्छुक नहीं था । उसने असत्य आधारों पर परिवाद प्रस्तुत किया है जो सव्यय निरस्त होने योग्य है । समर्थन में नजीर पर ब्ब्ध्373ध्2013 डध्े भ्ममदं ठींतहंअं टे भ्क्थ्ब् ैजंदकंतक स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक व्तकमत क्ंजमक 5ण्5ण्2014ण्ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 555ध्2011;छब्द्ध व्तकमत क्ंजमक 21.1.2015 डध्े त्मसपंदबम प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ज्ञण्ैण् म्ेीूंतंचचं अवलम्ब लिया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत नजीरों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. यहां यह उल्लेखनीय है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी द्वारा पाॅलिसी लिए जाने से पूर्व प्रस्ताव प्रपत्र में अपने हस्ताक्षर को सोच समझा कर करने व इसकी अवधि 5 वर्ष बताई है । प्रार्थी ने इन तथ्यों का कोई जवाबुलजवाब अथवा खण्डनीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है । उसने पाॅलिसी कब प्राप्त हुई इसका भी स्पष्ट उल्लेख नहीं किया है । उसका मात्र यह कथन रहा है कि काफी समय बीत जाने के बाद उसे पाॅलिसी भेजी गई है जिन प्रलेखों को अपने पक्ष कथन के समर्थन में प्रस्तुत किया है उनमें पाॅलिसी, प्रस्ताव प्रपत्र ,मेडिकल फार्म प्रस्तुत किए है । जबकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन यह रहा है कि प्रार्थी को पाॅलिसी समय पर भेज दी गई थी तथा प्रपोजल फार्म पर उसने पूर्ण सन्तुष्टी के बात अपने हस्ताक्षर किए है । प्रष्नगत पाॅलिसी के संदर्भ में प्रार्थी का अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कस्टर सर्विस सेन्टर से पत्र व्यवहार संबंधी ई- मेल दिनंाक
13.7.2012 प्रस्तुत हुआ है । जिसके अनुसार उन्होने प्रार्थी को प्रष्नगत पाॅलिसी दिनंाक 3.12.2011 को भेजी थी तथा यह प्रार्थी को दिनंाक 5.12.2011 को प्राप्त हुई, जो कि किन्ही संगता द्वारा प्राप्त की गई है । प्रार्थी ने इन तथ्यों का भी खण्डन नहीं किया है अपितु उसके पास एक मात्र उपलब्ध पाॅलिसी जिसकी उसने एक प्रति मंच के समक्ष प्रस्तुत की हे, को दखेने से यह स्पष्ट है कि यह वही पाॅलिसी थी जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उसे दिनंाक 3.12.2011 को भिजवाई गई थी । उक्त ई-मेल से यह भी स्पष्ट प्रकट है कि उक्त पाॅलिसी का प्रीमियम दिनंाक 30.11.2012 को ड्यू थी । प्रार्थी ने अपने पक्ष कथन में उस तथाकथित पाॅलिसी के नहीं मिलने पर प्रीयिमम के ड्यू डेट के बाद दिनंाक 19.12.2012 को सर्वप्रथम अपने अधिवक्ता के माध्यम से बीमा कम्पनी को नोटिस भिजवाया है । यदि यह नोटिस पाॅलिसी लैप्स होने से पहले तत्काल भिजवाया जाता तो यह बात समझ में आ सकती थी कि प्रष्नगत पाॅलिसी उसको काफी देरी से भिजवाई गई है । पाॅलिसी को देखने से यह भी स्पष्ट है कि ऐसी पाॅलिसी प्राप्त होने के 15 दिवस के अन्दर अन्दर यदि बीमित सन्तुष्ट नहीं है तो इसे रद्द करने हेतु लिखित में अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आवेदन कर सकता है । यह प्रलेख स्वयं प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत किया गया है । उसके द्वारा इस फ्री लुक पीरियड के आप्षन का भी समुचित उपयोग नहीं किया है । स्पष्ट है कि पाॅलिसी की अगली प्रीमियम अवधि समाप्त होने व पाॅलिसी के लैप्स होने के बाद प्रार्थी ने इन समस्त तथ्यों को समावेष करते हुए जो कहानी बनाई है, से उसका परिवाद संदिग्ध हो जाता है । अतः यह नहीं माना जा सकता कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने गलत तथ्यों का दिलासा देते हुए जबरन पाॅलिसी जारी कर दी ।
7. सार यह है कि परिवाद अस्वीकार कर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
8. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 11.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य अध्यक्ष