जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
गुड्डी देवी पत्नी श्री मदन लाल माली, उम्र- 33 वर्ष, निवासी- मालियों का बाड़ी, वाया किषनगढ, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
1. बिरला सनलाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, 6 माला, वामन सेन्टर, मखवाना रोड, अंधेरी कुर्ला रोड के सामने, मारोल नाका के पास, अंधेरी(पूर्व) मुम्बई- 400059
2. एम.डी. इंडिया हेल्थकेयर, एस. लं. 46/1, तृतीय फ्लोर, पुणे नगर रोड, वडगांव षेरी, पुणे- 411014(महाराष्ट्र)
3. बिरला सनलाईफ इन्ष्योेरेंस कम्पनी , स्थानीय मण्डल प्रबन्धक, मेहरा बिल्डिंग के पास, पावर हाउस के सामने, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 462/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री मनीष प्रकाष माथुर, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री तेजभान भगतानी, अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 18.10.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके पति ने विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से विपक्षी संख्या 1 के द्वारा यूनिवर्सल हैल्थ पाॅलिसी अपने पूरे परिवार सदस्यगण के लिए उचित प्रिमियम अदा कर प्राप्त की, जो दिनाॅक 31.05.2011 से लागू थी। पाॅलिसी क्रमांक 004857859 वी.एच.पी प्लान के तहत विपक्षी संख्या 1 द्वारा प्रार्थिया के पति के पक्ष में जारी की गई थी। इसके तहत उसके परिवार के सभी सदस्यांे ं को होने वाली किसी भी बीमारी के तहत अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि हेतु तथा किसी भी बीमारी के तहत कोई आॅपरेषन हेतु अस्पताल मंे भर्ती रहने हेतु भर्ती के लिए बीमा लाभ के तहत क्लेम दिये जाने का प्रावधान किया था। दिनाॅंक 22.10.2012 को प्रार्थिया के बीमार होने पर उसके पति ने उसे मार्बल सिटी हाॅस्पिटल,जयपुर हाईवे मदनगंज किषनगढ में जाॅच हेतु दिखाया व उसके यूटरस फाइबर से संबंधित बीमारी होने पर भर्ती कर लिया गया। उक्त बीमारी से संबधित एक आॅपरेषन दिनाॅक 23.10.2012 को किया गया, वह 22.10.2012 से लेकर 01.11.2012 तक अस्पताल में भर्ती रहकर स्वास्थ्य लाभ लेती रही । कुल 11 दिवस तक भर्ती रहकर उसे 01.11.2012 को अस्पताल से छुटटी दे दी गई। प्रार्थिया के हुए आॅपरेषन जो कि विपक्षी बीमा कंम्पनी के द्वारा जारी हुई पाॅलिसी के ग्रेड-4 कवर्ड सर्जरीज क्र0 63 हिस्टेªकटोमी के श्र्रेणी में आने पर आॅपरेषन व्यय राषि क्लेम प्राप्त करने हेतु बीमा पाॅलिसी के नियमों के तहत वांछित सभी आवष्यक दस्तावेज जिनमें भर्ती टिकिट, ईलाज के दौरान जाॅचों का रिकार्ड, समस्त मेडिकल बिल व अन्य दस्तावेज मय आवेदन पत्र पूर्ण कर विपक्षीगण के समक्ष प्रस्तुत किये। इन सभी के दिनाॅक 13.02.2013 को विपक्षीगण को प्राप्त होने पर प्रार्थी के क्लेम के प्रार्थनापत्र को विचाराधीन रखते हुए,क्लेम आई डी एम आई डी 1532395 दिया गया। प्रार्थिया द्वारा पाॅलिसी के तहत वांछित सभी आवष्यक दस्तावेज मय आवेदन पत्र प्रेषित किये जाने तथा विपक्षीगण को क्लेम प्रार्थना पत्र प्राप्त हो जाने के उपरान्त के बाद भी उनके द्वारा उक्त क्लेम आज दिनांक तक पास नहीं किया है तथा बिना किसी युक्तियुक्त कारण के उक्त क्लेम आवेदन पत्र पर न तो कोई निर्णय लिया गया है और ना ही उसे पास कर रहे है। विपक्षीगण द्वारा क्लेम को सैटल नहीं किया जाना उनकी दोषपूर्ण सेवाओं के कारण प्रार्थी क्लेम राषि प्राप्त नहीं कर पा रहा है। जिससे उसे गहन मानसिक शारिरीक व आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है। प्रार्थिया के पति मदनलाल का चिकित्सक सेवा के सारे बिल अस्पताल छोड़ने से पहले चुकाने पड़े हंै। इस प्रकार वह विपक्षीगण बीमा पाॅलिसी का धारक होने के कारण उपभोक्ता के नाते क्षतिपूर्ति के रूप में चिकित्सालय में कुल 11 दिवस भर्ती रहने, चार हजार प्रति दिन के हिसाब से स्. 44,000/- किये गये आॅपरेषन हेतु व्यय रू. 15 /- एवं डिस्चार्ज के बाद खाना खुराक मे हुआ व्यय कुल रू. 80,000/- मय 12 प्रतिषत ब्याज सहित प्राप्त करने की अधिकारिणी है। प्रार्थिया को बीमा की राषि का भुगतान नहीं होने के कारण पहुंचे मानसिक आघात एवं मानसिक क्षति हेतु रू. 25,000/- मय रू. 5000/- परिवाद व्यय भी दिलवाये जाये।
2. जवाब मंे विपक्षीगण ने प्रारम्भिक आपत्तियों के रूप मंे बताया है कि परिवाद मंच के समक्ष तथ्यों को छुपाकर प्रस्तुत करने के कारण चलने योग्य नहीं हैं। परिवादी को पूर्ण ज्ञान है कि उसका क्लेम विपक्षीगण द्वारा निरस्त कर परिवादिया को पत्र दिनाॅक 26.03.2013 को सूचना पे्रषित की जा चुकी है जो स्वयं परिवादिया द्वारा मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। परिवादिया को पाॅलिसी लेते समय स्पष्ट ज्ञान था कि किसी भी प्रकार से यदि बीमित पूर्व रोग से ग्रस्त है तो वह पाॅलिसी की शर्ताे में कवर नहीं होगा और एक्सक्लुजन क्लाॅज में हैं फिर भी परिवादिया द्वारा तथ्यों को छुपाकर प्रपोजल फाॅर्म के काॅलम 11 सी में मेडिकल इन्फाॅमेर्षन तथ्यों को छुपाया व मिस रिप्रजेंट कर पाॅलिसी प्राप्त की गई। अतः अप्रार्थीगण किसी भी प्रकार से क्षतिपूर्ति राषि की अदायगी हेतु जिम्मेदार नहीं है और इसी कारण परिवादिया के पति श्री मदन लाल द्वारा अपनी पत्नि-परिवादिया के रोग को छुपाने के उद्देष्य से फेमिली प्लान पाॅलिसी प्राप्त की गई। इस प्रकार परिवादिया का परिवाद मात्र इस आधार पर ही निरस्त किये जाने योग्य है। अन्त में कुल मिलाकर पाॅलिसी को तथ्यों को छुपाकर प्राप्त करना बताते हुए परिवाद अस्वीकार करते हुए खारिज किए जाने योग्य बताया।
3. परिवाद के समर्थन में परिवादिया ने अपना षपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
4. प्रार्थिया का तर्क है कि उसके पति द्वारा अपने पूरे परिवार के लिए ली गई पाॅलिसी 31.05.2011 से लागू थी तथा दिनाॅक 22.10.2012 को प्रार्थिया के बीमार होने का तथा उसके यूटरस मंे फाईब्रायक होने पर दिनाॅक 22.10.2012 को अस्पताल में भर्ती होने, 23.10.2012 को आपरेषन होने तथा 01.11.2012 तक उक्त अस्पताल में चिकित्सा सुविधा एवं लाभ लेने के पष्चात पाॅलिसी के ग्रेड- प्ट कवर्ड सजरीज क्रमांक 063 भ्लेजमतमबजवउल की श्रेणी में आने पर ईलाज के दौरान आपॅरेषन आदि पर हुए खर्च के लिए समस्त वांछित औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए भी प्रस्तुत क्लेम को पास नहीें करना एवं बिना युक्तयुक्ति कारण रखते हुए क्लेम प्रार्थना पत्र पर कोई निर्णय नहीं लेना, इसे पास नहींे करना उनकी दोषपूर्ण सेवाओं के कारण परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए।
5. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रार्थिया ने तथ्यों को छिपाकर परिवाद प्रस्तुत किया । उसे पूर्व ज्ञान था कि उसका क्लेम 26.03.2013 को निरस्त कर दिया गया है। पाॅलिसी लेते समय प्रपोजल फाॅर्म में पूर्व बीमारी के तथ्यों को छिपाकर मिस रिप्रजेट करते हुए पाॅलिसी प्राप्त की गई है। पुन तर्क दोहराया कि पूर्व ग्रसित रोग को छिपाकर इस जानकारी के साथ कि उक्त ग्रसित रोग पाॅलिसी की शर्तों में कवर नहीं होगा, प्रपोजल फाॅर्म के काॅलम 11 सी में मेडिकल इन्फोर्मेषन के तथ्यों को छिपाकर मिस रिपे्रजंेट प्राप्त कर पाॅलिसी प्राप्त की गई है जो रोग क्लेम में अंकित किया गया है, वह पाॅलिसी के एक्सक्लुजन में आता है । अत इस आधार पर वह क्लेम प्राप्ति की न तो हकदार थी और न ही है। तर्को के समर्थन में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा रिविजन पिटिषन 717/2013 न्यू इडिया एष्यूरेस कं0 बनाम नानक सिंगला वगैरह पर अवलम्ब लिया है।
6. हमने परस्पर तर्क सुने व उपलब्ध अभिलेख के साथ साथ प्रस्तुत नजीर में प्रतिपादित सिद्वान्तों का अवलोकन एवं मनन किया है ।
7. यहाॅं यह प्रारम्भ में ही उल्लेख करना समीचीन होगा कि स्वयं प्रार्थिया ने अपने परिवाद के समर्थन में जिन प्रलेखों को प्रस्तुत किया है कि ं, उनमें उसके द्वार विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से प्राप्त वह क्लेम डिटेल पत्र सलंग्न किया जिसके द्वारा उसका क्लेम बीमा कम्पनी द्वारा दिनाॅक 26.03.2013 को रेपुडिएट किया गया तथा इसका आधार/कारण भी बताया गया है । अत: उसका यह अभिकथित करना तथा उसका केस पेन्डिग करना तथा उसे न ही पास किया गया और न ही सूचित किया सर्वथा असत्य है। हम इस बिन्दु के सबंध में बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा उठाई गई आपत्ति पर सहमति व्यक्त करते हैं। अब हम इस बिन्दु पर विचार करते हंै कि क्या प्रार्थी ने पूर्व ग्रसित बीमारी के तथ्यो को पाॅलिसी प्राप्त करते समय छिपाया ? क्या उसकी प्रष्नगत बीमारी पाॅलिसी के एक्सक्लूजन क्लाॅज के तहत आने के कारण क्लेम स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है ?
8. हाॅलांकि प्रार्थी द्वारा पाॅलिसी प्राप्त करने से पूर्व भरे गये प्रपोजल फाॅर्म को न तो प्रार्थी ने प्रस्तुत किया और नही विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा इसे प्रस्तुत किया गया है। बहरहाल जहां बीमा कम्पनी द्वारा इस बिन्दु बाबत प्रतिवाद लिया गया है, ऐसी परिस्थिति में इसका सिद्धि भार भी उन पर आ जाता है । उन्हें यह सिद्ध करना होगा कि प्रार्थी ने प्रापोजल फाॅर्म 11 सी में मेडिकल इन्फोर्मेषन के तथ्यों को छिपाकर व मिसरिपे्रजेट कर पाॅलिसी प्राप्त की । ध्यान देने योग्य बात यह है कि बीमा कम्पनी द्वारा उक्त पाॅलिसी का प्रपोजल फाॅर्म भी प्रस्तुत नहीं किया गया है जिसको कि उनके द्वारा उक्त प्रतिवाद का आधार बताया गया है। तर्क की दृष्टि से यदि हम विपक्षी बीमा कम्पनी के तर्को के प्रकाष में हस्तगत प्रकरण की जांच करंे तो यह स्थिति सामने आयी है कि सर्वप्रथम प्रार्थी की पत्नी के 22.10.2012 को बीमार होने पर उसे दिनांक 22.10.2012 को मार्बल सिटी अस्पताल, अजमेर जयपुर हाईवे, मदनगंज-किषनगढ़ में भर्ती किया गया है तथा दिनंाक 23.10.2012 को उसका आपरेषन किया जाकर वह दिनांक 22.10.212 से 1.11.2012 तक उक्त अस्पताल में भर्ती रही है । उसके यूटरस में फाईब्रोइड्स का आॅपरेषन किया गया ।
9. प्रार्थी का तर्क है कि उक्त पाॅलिसी यूनिवर्सल हैल्थ प्लान की थी तथा पाॅलिसी के ग्रेड- प्ट कवर्ड सजरीज क्रमांक 063 भ्लेजमतमबजवउल की श्रेणी में आने पर आपरेषन व्यय राषि देय है जबकि बीमा कम्पनी ने इसे म्गबसनेपवद ब्संनेम में आने के कारण देय नहीं माना है । बीमा कम्पनी की ओर से उक्त पाॅलिसी की ष्षर्तो बाबत् प्रलेख प्रस्तुत किया गया है । इसके ग्रेड- प्ट के तहत 63/ में भ्लेजमतमबजवउल ; ।इकवउपदंसध्अंहपदंसध्संचंतवेबवचपबध्चंद द्ध को कवर्ड सर्जरी के रूप में दर्षाया गया है । अर्थात ऐसी सर्जरी के लिए क्लेम देय होगा किन्तु यदि हम इसके म्गबसनेपवद ब्संनेम को देखंे तो इसके अनुसार म्गबसनकमक ैनतहमतपमे में -
म्गबसनकमक वदसल ूीमद वित इमदपहद बवदकपजपवदे
10. इस प्रकार यदि अप्रार्थी बीमा कम्पनी बीमित को उक्त पाॅलिसी के म्गबसनेपवद ब्संनेम के तहत क्लेम देय नहीं होना कहती है तो उसे यह सिद्व करना आवष्यक है कि बीमित ने ळनंतंदजममक प्देनतंइपसपजल भ्मंसजी ठमदमपिज प्राप्त कर लिए है । चूंकि बीमा कम्पनी यह सिद्व नहीं कर पाई है । अतः यह नहीं माना जा सकता कि प्रार्थी का उक्त क्लेम म्गबसनेपवद ब्संनेम के तहत आता है । फलतः उनका ऐसा प्रतिवाद लेते हुए क्लेम खारिज करना उचित नहीं है एवं उनकी सेवाओं में कमी का परिचायक है ।
11. यह आष्चर्यजनक है कि दोनों पक्षकारों की ओर से प्रष्नगत पाॅलिसी प्रस्तुत नहीं हुई है अपितु इस बाबत् उनके मौखिक कथन सामने आए हंै । परिवाद के स्वीकार किए जाने की स्थिति में क्षतिपूर्ति के संदर्भ में अंतिम निर्णय तक पहुंचने के लिए ऐसी स्थिति में यह मंच क्षतिपूर्ति के मद में एक मुष्त राषि दिलाया जाना उचित समझता है ताकि न्याय के उद्दष्यों की पूर्ति हो सके । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
12. (1) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से क्षतिपूर्ति के मद में राषि रू. 50,000/- प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(2) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 18.10.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष