Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/74/2008

Shri Atul Chandra - Complainant(s)

Versus

Birla Corporation Ltd. - Opp.Party(s)

05 Nov 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/74/2008
 
1. Shri Atul Chandra
R/o Saviours Public School, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Birla Corporation Ltd.
Add:- Cement Store Dupty Ganj, Near Tara Building, Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 05 Nov 2016
Final Order / Judgement

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   परिवादी ने इस परिवाद के माध्‍यम से यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण को निर्देशित किया जाए कि वे परिवादी की छत के लिन्‍टर का  पुर्न निर्माण कराऐ। क्षतिपूर्ति की मद में परिवादी को 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 5,00,000/-रूपया तथा परिवाद व्‍यय परिवादी ने विपक्षीगण  से अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार है कि परिवादी शिक्षण संस्‍था   सेवियर्स पब्लिक स्‍कूल (महिला वोकेशनल कालेज) सिविल लाइन्‍स,  मुरादाबाद की सामान्‍य सभा का आजीवन सदस्‍य है। दिनांक 15/3/2007  को स्‍कूल की छत डालने हेतु परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से 160 बोरी  सीमेन्‍ट 225/-रूपया प्रति बोरे की दर से 36,000/-रूपया में खरीदा था।  सीमेन्‍ट का मार्का बी0वी0सी0/9 माच, 2007 था। परिवाद कथनों के  अनुसार विपक्षी सं0-1 विपक्षी  सं0-2 का डीलर है। सीमेन्‍ट खरीदने के  अगले दिन इस सीमेन्‍ट का प्रयोग इस स्‍कूल की छत का आर0सी0सी0   लिन्‍टर डलवाने में किया गया। दिनांक 17/3/2007 को इस लिन्‍टर का  घोल डलवाने के लिए राजमिस्‍त्री के साथ परिवादी छत पर पहुँचा तो उसने  देखा कि लिन्‍टर पर गहरी-गहरी दरारें पड़ गई है और सीमेंट सैट नहीं हो   पाया है। परिवादी ने तुरन्‍त विपक्षी सं0-1 और सिविल इंजीनियर को  बुलवाया उन्‍होंने जॉंचोपरान्‍त बताया कि लिन्‍टर में प्रयोग किया गया  सीमेन्‍ट ठीक नहीं है। इसकी गुणवत्‍ता में कमी है और यह या तो   एक्‍सपार्यड है अथवा अपमिश्रित है। इसकी शक्ति क्षीण हो चुकी है।   परिवादी ने उसी दिन अपनी लिखित रूप से शिकायत सतना सीमेन्‍ट   वर्क्‍स, बरेली के फील्‍ड आफीसर, विपक्षी सं0-2 तथा स्‍थानीय डीलर विपक्षी सं0-3 से की, किन्‍तु उन्‍होने कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं की। परिवादी  के अनुसार लिन्‍टर की ऊपरी सतह बरसात के पानी से बह गई है केवल बजरी और बजरफुट शेष रह गया है। लिन्‍टर गिराऊ हालत में है जो कभी  भी गिर सकता है। परिवादी का अग्रेत्‍तर कथन है कि उसकी शिकायत के  जबाव में बिरला सीमेन्‍ट कारपोरेशन द्वारा स्‍वयं स्‍वीकार किया गया है   कि सीमेन्‍ट एक्‍सपायर्ड था। परिवादी के अनुसार खराब सीमेन्‍ट बेचकर  विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है। परिवादी ने दिनांक 03/1/2008 को  डाक द्वारा विपक्षीगण को एक नोटिस भेजा था, किन्‍तु उस पर विपक्षीगण  ने कोई कार्यवाही नहीं की। परिवादी ने उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद  में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवादी द्वारा परिवाद कथनों के समर्थन में अपना शपथ पत्र  कागज सं0-3/6 लगायत 3/9 दाखिल किया गया है। इसके अतिरिक्‍त   सूची कागज सं0-3/10 के माध्‍यम से सीमेन्‍ट खरीदने की कैश मीमो, सतना सीमेन्‍ट वर्क्‍स के बरेली स्थित फील्‍ड आफीसर को प्राप्‍त कराई गई  लिखित शिकायत दिनांक 17/3/2007, इस शिकायत के आधार पर बिरला  सीमेन्‍ट वर्क्‍स द्वारा परिवादी को उपलब्‍ध कराई गई जॉंच रिपोर्ट दिनांक  9/7/2007 तथा परिवादी द्वारा फील्‍ड आफीसर को की गई शिकायत का  उत्‍तर दिनांक 31/7/2007 को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/11 लगायत 3/15 हैं।
  4.   विपक्षी सं0-1 व 3  की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8ए/1 लगायत 8ए/5 तथा विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 8/1 लगायत 8/5  दाखिल  हुऐ। इन दोनों प्रतिवाद पत्रों में समान कथन  करते हुऐ परिवाद को निराधार होना बताते हुऐ उसे विशेष व्‍यय सहित  खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई। प्रतिवादगण्‍ ने अपने-अपने प्रतिवाद पत्रों में परिवादी का सेवियर्स पब्लिक स्‍कूल (महिला वोकेशनल कालेज)  का आजीवन सदस्‍य होने से इन्‍कार किया गया और यह भी कहा गया  कि यह स्‍कूल रजिस्‍ट्रार फर्म, मुरादाबाद के कार्यालय से पंजीकृत नहीं है अत: परिवादी को परिवाद योजित करने का कोई अधिकार नहीं है। यह  कि स्‍कूल द्वारा दिनांक 15/3/2007 को 160 बोरी सीमेन्‍ट विपक्षी सं0-1 व 3 से उधार खरीदा था जब विपक्षी सं0-1 ने  परिवादी से रूपयों का  तकाजा किया तो उन्‍होंने बहाना बना दिया और सीमेन्‍ट के मूल्‍य का  भुगतान नहीं किया। परिवादी ने सीमेन्‍ट में गुणवत्‍ता विषयक असत्‍य  आरोप लगाऐ हैं जो निराधार हैं। स्‍कूल में प्रश्‍नगत लिन्‍टर के नीचे सुचारू रूप से कक्षायें चल रही है जिससे प्रकट है कि परिवादी सीमेन्‍ट की  गुणवत्‍ता से सन्‍तुष्‍ट है। लिन्‍टर में दरारें आ जाने तथा सीमेन्‍ट में कमी होने से उत्‍तरदाता विपक्षीगण द्वारा इन्‍कार किया गया है और विकल्‍प    में यह भी कहा गया है कि यदि लिन्‍टर में दरारें हैं तो उसके अनेक कारण  हो सकते हैं जिनका उत्‍तरदाता विपक्षीगण अथवा सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता से  कोई सम्‍बनध नहीं है। परिवादी को बेचा गया सीमेन्‍ट आई0एस0ओ0 9002 सर्टिफाईड है जो अन्‍तर्राष्‍ट्रीय मानक के अनुरूप है। सीमेन्‍ट वी 16 – 1489 सर्टि‍फाईड है। विपक्षीगण की ओर से अग्रेत्‍तर कहा गया है कि  विपक्षी सं0-2 ने अपने स्‍थानीय डीलर विपक्षी सं0-1 एवं विपक्षी सं0-3  को बी0वी0सी0 मार्क/ 9 मार्च, 2007 की 600 बोरी सीमेन्‍ट की सप्‍लाई   की थी इनहीं 600 बोरी सीमेन्‍ट में से 160 बोरी सीमेन्‍ट परिवादी के   कथित स्‍कूल को बेची गई और शेष 400 बोरी सीमेन्‍ट शहर मुरादाबाद   में ही अन्‍यत्र विक्रय किया गया। अन्‍यत्र विक्रय की गई सीमेन्‍ट की बोरी   की आज तक कोई शिकायत प्राप्‍त नहीं हुई। इसी लाट की 20 लाख   बोरी सीमेन्‍ट विपक्षी सं0-2 ने सम्‍पूर्ण भारत में बेची थीं लेकिन कहीं से  भी सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता की कोई शिकायत उत्‍तराता विपक्षी सं0-2 को  प्राप्‍त नहीं हुई। सीमेन्‍ट की जॉंच किऐ जाने पर सीमेन्‍ट में भारतीय मानक  व्‍यूरों मिनीमम नार्मस के अनुसार सीमेन्‍ट के अन्‍दर शिकयत नहीं पाई गई। परिवाद को पुराना सीमेन्‍ट बेचा गया था बल्कि सीमेन्‍ट के सैम्पिल  की जॉच चॅूंकि लगभग 3 माह बाद दी गई थी इस कारण कम्‍पनी की  जांच रिपोर्ट दिनांकित 31/7/2007 में सीमेन्‍ट की ताकत स्‍वत: कम हो  जाने का उल्‍लेख किया गया था। इसका अर्थ यह था कि टेस्टिंग होने के   समय सीमेन्‍ट 3 माह पुराना था। विपक्षीगण की ओर से अग्रेत्‍तर यह भी  कहा गया कि परिवादी को एक्‍सपायर्ड सीमेन्‍ट की बिक्री नहीं की गई  बल्कि 9 मार्च,2007 में उत्‍पादित सीमेन्‍ट की डिलिवरी परिवादी को की  गई थी। परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी विपक्षीगण ने नहीं की।   विपक्षीगण को परिवादी का कोई नोटिस नहीं मिला। फोरम को परिवाद  की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है और परिवाद कालबाधित है। उक्‍त कथनों के आधार पर विपक्षीगण ने परिवाद को विशेष व्‍यय सहित खारिज  किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5.   परिवादी ने रेप्‍लीकेशन कागज सं0-11/1 लगायत 11/6 दाखिल किया जिसमें परिवाद कथनों को सही बताते हुऐ विपक्षीगण के इस कथन   से इन्‍कार किया गया कि परिवादी ने सीमेन्‍ट की बोरियां उधार खरीदी थी  बल्कि सही बात यह है कि सीमेन्‍ट खरीदते समय परिवादी ने सीमेन्‍ट के  मूल्‍य का नकद भुगतान किया था। विपक्षीगण ने गलत सीमेन्‍ट सप्‍लाई   किया है। प्रकरण में विधि अथवा तथ्‍यों का कोई गूढ़ प्रश्‍न निहित नहीं है। फोरम को परिवादी की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है और परिवाद निर्धारित समय सीमा में योजित किया गया है। रेप्‍लीकेशन में किऐ गऐ कथनों के आधार पर परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ जाने  की प्रार्थना की। रेप्‍लीकेशन के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र  कागज सं0-11/7 भी दाखिल किया।
  6.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य सापथ पत्र कागज सं016/1 लगायत 16/6   दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 वसीम ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-18/1 लगायत 18/4 प्रस्‍तुत किया। बिरला सीमेन्‍ट-विपक्षी सं0-2 की  ओर से उनके सीनियर मैनेजर श्री कमलेश चन्‍द्र चौरसिया ने अपना साक्ष्‍य   शपथ पत्र कागज सं0-19/2 लगायत 19/5 दाखिल किया। परिवादी ने  अतिरिक्‍त साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-42/1 लगायत 42/3 दाखिल   किया जिसके साथ उसने बतौर संलग्‍नक दो फोटोग्राफ्स कागज सं0-42/4  व 42/5 दाखिल किऐ। प्रत्‍युत्‍तर में बिरला सीमेन्‍ट की ओर से साक्ष्‍य में   प्रत्‍युत्‍तर शपथ पत्र  कागज सं0-45 और परिवादी द्वारा रिज्‍वांडर शपथ पत्र कागज सं0-47/1 लगायत 47/2  दाखिल किऐ गऐ। 
  7.   किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  8.   हमूने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  9.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने हमारा ध्‍यान परिवाद कथनों की  ओर आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि रसीद कागज सं0-3/11 के  माध्‍यम से उसने विपक्षी सं0-2 द्वारा निर्मित जो सीमेन्‍ट विपक्षी सं0-1   से खरीदा था वह निम्‍न गुणवत्‍ता का था और एक्‍सपायर्ड था जिस कारण  अगले दिन जब इस सीमेन्‍ट को मिलाकर स्‍कूल की छत डाली गई तो   वह सैट नहीं हुई। परिवादी ने तुरन्‍त इसकी शिकायत बिरला कम्‍पनी के  फील्‍ड आफीसर को की। परिवादी की ओर से कहा गया है कि एक्‍सपायर्ड  और निम्‍न गणवत्‍ता का सीमेन्‍ट बेचकर विपक्षीगण ने सेवा में कमी   की है।
  10.   प्रत्‍युत्‍तर में विपक्षीगण की ओर से कहा गया कि परिवादी के   आरोप आधारहीन एवं मिथ्‍या हैं उन्‍होंने परिवाद के साथ दाखिल सीमेन्‍ट की टेस्टिंग रिपोर्ट दिनांकित 31/7/2007 और बिरला कम्‍पनी के प्रोडेक्‍शन   डिपार्टमेंट की सीमेन्‍ट टेस्‍ट रिपोर्ट दिनांकित 23/7/2007 जो पत्रावली के  क्रमश: कागज सं0-3/14 एवं 3/15 हैं की, ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित  किया और तर्क दिया कि परिवादी को बेचा गया सीमेन्‍ट भारतीय मानक ब्‍यूरों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप था और इसमें किसी प्रकार की  कोई कमी नहीं थी। विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया कि परिवादी  को बेचे गऐ सीमेन्‍ट से दिनांक 16/3/2007 को स्‍कूल की जो छत डाली  गई थी वह पूरी तरह मजबूत है और उसके नीचे लगातार स्‍कूल की  कक्षायें संचालित हो रही हैं। यह भी कहा गया कि जिस लाट का प्रश्‍नगत  सीमेन्‍ट है उस लाट के अकेले मुरादाबाद में सीमेन्‍ट के 600 बौरे बेचे गऐ  थे और पूरे भारतवर्ष में उस लाट के 20 लाख बौरे बेचे गऐ, किन्‍तु किसी  भी बौरे में किसी प्रकार की कोई शिकायत कम्‍पनी को प्राप्‍त नहीं हुई।  विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार यदि परिवादी को बेचे गऐ   सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता में कोई कमी होती तो ऐसा कोई कारण नहीं था   कि उस लाट की सीमेन्‍ट की अन्‍य बोरों में वैसी ही शिकायत अन्‍य स्रोंतों से कम्‍पनी को प्राप्‍त न होती। विपक्षीगण की ओर से परिवाद को मिथ्‍या   और आधारहीन होना बताते हुऐ इसे सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना  की गई। हम विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत तर्कों से सहमत हैं।
  11.   परिवादी द्वारा सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता के सम्‍बन्‍ध में की गई  शिकायत पत्रावली का कागज सं0-3/12 और 3/13 हैं। इस शिकायत की  जॉंच विपक्षी सं0-2 ने कराई जिसका निष्‍कर्ष पत्र कागज सं0-3/14 और  3/15 के माध्‍यम से कम्‍पनी ने परिवादी को भेजे। टेस्टिंग में सीमेन्‍ट   की मजबूती आम छत की तरह पाई गई। सीमेन्‍ट में भारतीय मानक ब्‍यूरों  द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप ताकत पाई गई। विपक्षी सं0-2 की  ओर से दाखिल साक्ष्‍य शपथ पत्र में किऐ गऐ इन कथनों का परिवादी प्रतिवाद नहीं कर पाऐ कि विपक्षी सं0-2 द्वारा मुरादाबाद में स्‍थानीय डीलर  विपक्षी सं0-1 व 3 को इसी लाट के 600 बोरे सीमेन्‍ट सप्‍लाई किऐ थो जिनमें से परिवादी द्वारा खरीदे गऐ  बोरों के अतिरिक्‍त शेष 440 बोरी सीमेन्‍ट मुरादाबाद में अन्‍यत्र बेचा गया, किन्‍तु सीमेन्‍ट के शेष बोरों की कोई शिकायत कम्‍पनी को आज तक प्राप्‍त नहीं हुई। विपक्षी सं0-2 के  साक्ष्‍य शपथ पत्र में यह भी उल्‍लेख है कि कम्‍पनी ने प्रश्‍नगत लाट के पूरे भारतवर्ष में 20 लाख बोरे सीमेन्‍ट के बेचे थे, किन्‍तु सीमेन्‍ट की  गुणवत्‍ता सम्‍बन्‍धी कोई शिकायत किसी अन्‍य स्रोत से कम्‍पनी को प्राप्‍त   नहीं हुई। विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्‍तुत इस तर्क में बल है कि यदि   सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता वास्‍तव में खराब होती अथवा सीमेन्‍ट एक्‍सपायर्ड अथवा अपमिश्रित होती तो ऐसा कोई कारण नहीं था कि अन्‍य स्रोतों से भी सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता विषयक शिकायत कम्‍पनी को प्राप्‍त न होती। अन्‍य  किसी स्रोत से सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता सम्‍बन्‍धी शिकायत प्राप्‍त न होना  विपक्षीगण के इस कथन को बल प्रदान करता है कि सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता   में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी और उनकी टेस्‍ट रिपोर्ट कागज सं0-3/14 और 3/15 सही तथ्‍यों पर आधारित है।
  12.   परिवादी ने अपने शपथ पत्र कागज सं0-42/1 लगायत 42/3 के   साथ बतौर संलग्‍नक ‘’ बिरला उत्‍तम ‘’ के खाली बोरे की फोटोग्राफ  दाखिल करते हुऐ यह कथन किया कि इन बोरों में पैक करके जो सीमेन्‍ट बेचा गया वह उसी कम्‍पनी का था जिस कम्‍पनी का सीमेन्‍ट परिवादी ने रसीद सं0-3/11 के माध्‍यम से खरीदा था। उन फोटोग्राफ को इंगित करके  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि इन बोरों पर कहीं भी   यह उल्‍लेख नहीं है कि सीमेन्‍ट की एक्‍सपायरी डेट क्‍या है। एक्‍सपायरी डेट का उल्‍लेख न होने की वजह से ग्राहक को यह पता नहीं चल सकता  कि सीमेन्‍ट को कितनी समायावधि में इस्‍तेमाल किया जाना है। विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रत्‍युत्‍तर शपथ पत्र कागज सं0-45 दाखिल करके परिवादी  के इस कथन का जोरदार खण्‍डन किया गया कि फोटोग्राफ कागज सं0-42/4 और 42/5 में पैक करके जो सीमेन्‍ट बेचा गया वह विपक्षी सं0-2  द्वारा ही निर्मित था। हम विपक्षी सं0-2 के कथनों से सहमत है। विपक्षी सं0-2 की ओर से कम्‍पनी के उप महाप्रबनधक श्री कमलेश चौरसिया ने अपने प्रत्‍युत्‍तर शपथ पत्र कागज सं0-45 में इस बात का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया है कि  ‘’ बिरला गु्रप  आफ कम्‍पनीज ‘’ जिसके द्वारा सीमेन्‍ट कागज सं0-42/4 एवं 42/5 निर्मित होना बताया गया है उसका विपक्षी सं0-2 बिरला कारपोरेशन लिमिटेड से किसी प्रकार का कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है। परिवादी श्री कमलेश चौरसिया के उक्‍त कथनों का खण्‍डन नहीं कर पाऐ। परिवादी यह दर्शाने में असफल रहे है कि प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट बिरला ग्रुप आफ  कम्‍पनीज का ही है। अन्‍यथा भी विवाद दिनांक 15/3/2007 को परिवादी  द्वारा खरीदे गऐ सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता का है अत: हमें दिनांक 15/3/2007  को परिवादी द्वारा खरीदे गऐ सीमेन्‍ट और उसकी गुणवत्‍ता पर ही ध्‍यान   केन्द्रित करना है और जैसा हमने ऊपर कहा है कि उक्‍त सीमेन्‍ट की  जॉंच रिपोर्ट में वह भारतीय मानक ब्‍यूरों द्वारा निर्धारित मानको के  अनुरूप पाया गया है ऐसी दशा में परिवाद में सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता के  सन्‍दर्भ में परिवादी लगाऐ गऐ आरोप प्रामाणित नहीं होते।
  13.   परिवाद के पैरा सं0-3 में उल्‍लेख है कि परिवादी द्वारा खरीदा गया  सीमेन्‍ट बी0वी0ग्रुप / 9 मार्च, 2007 मार्का का था। विपक्षी सं0-2   के प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8 के पैरा सं0-25 के बिन्‍दु सं0-4 (पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-8/4 पर दृष्‍टव्‍य) में उल्‍लेख है कि सीमेन्‍ट के उत्‍पादन और  पैकिंग की तारीख 9 मार्च, 2007 है। सीमेन्‍ट खरीद की रसीद कागज सं0-3/11 के अनुसार परिवादी ने यह सीमेन्‍ट दिनांक 15/3/2007 को खरीदा था। परिवाद कथनों के अनुसार छत डालने के लिए परिवादी ने इस  सीमेन्‍ट का प्रयोग दिनांक 16/3/2007 को किया था। कहने का आशय   यह है कि प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट का उत्‍पादन और पैकिंग की तिथि के मात्र  7 वें दिन इस्‍तेमाल हो गया था। विपक्षी सं0-2 के ग्राहक सेवा प्रभाग द्वारा  परिवादी द्वारा भेजे गऐ पत्र दिनांक 31/7/2007 (पत्रावली का कागज सं0-3/14) के बिन्‍दु सं0-4 में यह उल्‍लेख है कि ‘’ चॅूंकि सीमेन्‍ट 3 माह  पुराना है तो कुछ न कुछ उसकी ताकत स्‍वत: कम हो जाती है। ‘’ कदाचित  प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट छत डालने में प्रयुक्‍त तिथि के सन्‍दर्भ में नहीं है बल्कि  इसका सन्‍दर्भ प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट का सैम्पिल लेने और विपक्षी सं0-2 द्वारा कराई गई उसकी टेस्टिंग के समय के सन्‍दर्भ में है। हमारे इस निष्‍कर्ष  की पुष्टि विपक्षी सं0-2 के प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-25 के बिन्‍दु सं0-4  में उल्लिखित तथ्‍यों से होती है जिसमें अन्‍य के अतिरिक्‍त यह भी उल्‍लेख  है कि प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट का सैम्पिल दिनांक 9/7/2007 को लिया गया था  और उसकी टेस्टिंग की तारीख 23/7/2007 है। निष्‍कर्षत: विपक्षी सं0-2   के पत्र कागज सं0-3/14 के बिन्‍दु सं0-4 में सीमेन्‍ट 3 माह पुराना होने  के कारण उसकी ताकत में स्‍वत: कमी हो जाने का उल्‍लेख सीमेन्‍ट का  सैम्पिल लेने में हुई देरी की वजह से है। इसका यह अर्थ कदापि नहीं  निकाला जा सकता कि दिनांक 16 मार्च,2007 को जब प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट   का प्रयोग छत डालने में किया गया था तब इसकी ताकत कम थी।  
  14.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि विपक्षीगण  की ओर से दाखिल शपथ पत्र क्रमश: कागज सं0-18/1 लगायत 18/4   और 19/2 लगायत 19/5 विधि अनुरूप सत्‍यापित नहीं हैं अत: यह साक्ष्‍य  में पढ़े जाने योग्‍य नहीं हैं। विपक्षीगण की ओर से यह आपत्ति उठाई गई  कि परिवादी श्री अतुल चन्‍द्रा ने चॅूंकि अपने आपको स्‍कूल की सामान्‍य  सभा का आजीवन सदस्‍य होने का कोई प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं किया है अत:   उन्‍हें परिवाद योजित करने का अधिकार नहीं है। दोनों पक्षों की ओर से  जो तकनीकि बिन्‍दु उठाऐ गऐ हैं उनके सन्‍दर्भ में यह उल्‍लेख करना प्रार्याप्‍त होगा कि फोरम के समक्ष कार्यवाही समरी प्रकृति की होती है अत: प्रक्रियात्‍मक अथवा तकनीकि दोष निकाल कर पक्षकारों के मध्‍य विवाद को गुणावगुण से निस्‍तारित करना हमारे विनम्र अभिमत में युक्तियुक्‍त और न्‍यायोचित नहीं होगा।
  15.   उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचना के आधार पर परिवाद खारिज होने योग्‍य  है

 

 

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

    (सुश्री अजरा खान)                (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                       अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद              जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     05.11.2016                    05.11.2016

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 05.11.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

      (सुश्री अजरा खान)             (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                      अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद             जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

    05.11.2016                    05.11.2016

 

 

 

 

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