Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/60

Jai Laxmi Cement - Complainant(s)

Versus

Birju Yadav - Opp.Party(s)

Amit Chandra

18 Sep 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/60
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Jai Laxmi Cement
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Birju Yadav
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Sep 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-60/2014

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, मऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 53/09 में पारित निर्णय दिनांक 12.12.13 के विरूद्ध)

मैनेजर जय लक्ष्‍मी सीमेन्‍ट कं0प्रा0लि0 पटनवा पोस्‍ट बंसत नगर,

221110 इंडस्ट्रियल एरिया, रामनगर चंदौली, यू0पी0।

                                                  .........अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

1. बिरजू यादव पुत्र स्‍व0 सत्‍य देव यादव सा0 हिरनपुर पो0 कमरवां,

परगना चिरैया कोट तहसील मुहम्‍मदाबाद गोहना, जनपद मऊ।

2. मैनेजर सत्‍येन्‍द्र एण्‍ड ब्रदर्स बिल्डिंग मैटेरियल सप्‍लायर्स काझा मोड

जनपद मऊ।

3. मैनेजर विराट पावर, जय लक्ष्‍मी सीमेन्‍ट 53 ग्रेड कंपनी बसंत नगर

इंडिया, रजिस्‍टर्ड आफिस 21/बी, आर.बी. बासू रोड कलकत्‍ता

70000(डबल्‍यू.बी)।                             .........प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री अमित चंद्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     :श्री विवेकानंद पाण्‍डेय, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 06.12.2017

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      यह अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम मऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 53/2009 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि. 12.12.2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है। जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

      '' परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि 1 माह के अंदर रू. 305000/- अदा करे। ऐसा न करने पर निर्णय की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देय होगा।''

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 2 से सीमेन्‍ट उसकी गुणवत्‍ता पर विश्‍वास करके भवन निर्माण हेतु क्रय की थी। परिवादी ने अपने छत का बारजा लगाने हेतु विपक्षी की सीमेन्‍ट से ढलाई की, परन्‍तु बारजा में लगी सीमेन्‍ट ने 24 घंटे बाद भी अपनी पकड़ नहीं बनाई, तब इसकी सूचना उसके द्वारा क्षेत्रीय डीलर विपक्षी संख्‍या 1 को दी। ढलाई के बाद जब 17 दिन बाद बारजा का पटरी बल्‍ली खोला गया तो बारजा भी

-2-

दि. 13.05.09 को दीवार सहित गिर गया और उसमें मजदूर तेज प्रताप यादव गंभीर रूप से घायल हो गया। कंपनी के इंजीनियर और डीलर आए और क्षतिपूर्ति का आश्‍वासन देकर जोड़े गए मसालों का नमूना ले गए। परिवादी ने अपने मकान के लिए सीमेन्‍ट मंगाया था। घटिया सीमेन्‍ट के कारण लगभग 10 लाख रूपये का नुकसान हुआ। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में शारीरिक व मानसिक कष्‍ट हेतु चार लाख रूपये और मजदूर के इलाज के लिए एक लाख रूपये की क्षति का अनुतोष चाहा गया। 

      विपक्षीगण ने जिला मंच के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल किया और परिवादी के कथन से इंकार करते हुए यह अभिकथन किया कि परिवादी ने 22 बोरी सीमेन्‍ट तथा अन्‍य सामान खरीदा। उस पर रू. 22495/- बकाया है, जिसको मांगने पर झूठा वाद दाखिल किया है। विपक्षी द्वारा यह भी अभिकथन किया कि परिवादी द्वारा कथित कोई मजूदर घायल नहीं हुआ और न ही उसका कोई डाक्‍टरी परीक्षण हुआ। जिस तेज प्रताप यादव का नाम लेबर के रूप में परिवादी द्वारा बताया जा रहा है वह परिवादी का सगा भतीजा है तथा जिसकी उम्र 13 वर्ष है जो नाबालिग है।

पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।

      अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में कहा है कि परिवादी ने सीमेन्‍ट खर्च की जो रसीद प्रस्‍तुत की है वह दि. 04.06.09 की है जबकि घटना दि. 13.05.09 की बतलाई गई है। प्रत्‍यर्थी ने परिवाद प्रस्‍तुत करते समय कोई विशेषज्ञ की रिपोर्ट प्रस्‍तुत नहीं की है जो रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई है वह वर्ष 2012 की है। परिवादी ने वर्ष 2009 का कोई सैम्‍पल नहीं लिया है और वर्ष 2012 में प्रयोगशाला में भेजा गया। परिवादी द्वारा बताया गया घायल मजदूर तेज प्रताप यादव उसका संबंधी है और नाबालिग है। जिला मंच का निर्णय साक्ष्‍यों पर आधारित नहीं है तथा निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। 

      पत्रावली के अवलोकन से यह सपष्‍ट होता है कि यह निर्विवाद है कि परिवादी ने विपक्षीगण/अपीलार्थी से सीमेंट खरीदा था, परन्‍तु परिवाद पत्र में यह कहीं अंकित नहीं है कि उसके द्वारा‍ कितने सीमेन्‍ट की बोरियां कितनी धनराशि की खरीदी गईं। विपक्षी ने अवश्‍य कहा है कि परिवादी ने मात्र 22 बोरी सीमेन्‍ट विपक्षी संख्‍या 1 दुकानदार से खरीदी थी। परिवादी ने इस प्रकार का कोई विवरण या साक्ष्‍य नहीं दिया है कि उसके द्वारा अपने मकान

 

-3-

में कितने माप की छत ढाली गई थी और उसमें कितनी बोरी सीमेन्‍ट का प्रयोग हुआ, जिसके कारण उसे 10 लाख रूपये की हानि हुई। परिवादी ने जो रसीद सीमेन्‍ट क्रय व अन्‍य सामान की प्रस्‍तुत की है वह दि. 04.06.09 की है जबकि उसके द्वारा अपने परिवाद पत्र में घटना अर्थात दीवार का बारजा का गिरना दि. 13.05.09 का दर्शाया है, जबकि सामान का क्रय दि. 13.05.09 से पूर्व का होना चाहिए। कथित घटना के बाद भी परिवादी विपक्षी सीमेन्‍ट विक्रेता से सीमेन्‍ट खरीदता रहा है, अत: यह विश्‍वसनीय नहीं प्रतीत होता है कि जब सीमेन्‍ट की खराब गुणवत्‍ता के कारण छत का बारजा गिर गया तो उसने पुन: सीमेन्‍ट विपक्षी/अपीलार्थी से क्‍यों खरीदी। पत्रावली पर इस तरह का कोई भी अकाट्य साक्ष्‍य नहीं है जो सीमेन्‍ट बारजा में इस्‍तेमाल किया गया उसका नमूना लेकर उसकी जांच प्रयोगशाला से कराई गई हो। परिवादी ने रिसर्च डेवलपमेन्‍ट एवं क्‍वालिटी प्रमोशन सेल रसायन प्रयोगशाला की रिपोर्ट दि. 01.08.2012 प्रस्‍तुत की है। इससे यह सिद्ध नहीं होता है कि यह रिपोर्ट उसी सीमेन्‍ट के नमूने की थी जो बारजा में प्रयोग किया गया था। इसके अतिरिक्‍त यह रिपोर्ट भी दि. 01.08.12 की है जो परिवाद दायर करने के बाद की है, जबकि घटना दि. 13.05.09 की है। इस प्रकार परिवादी का कथन विश्‍वसनीय प्रतीत नहीं होता है। उपरोक्‍त विवेचना के दृष्टिगत जिला मंच का निर्णय त्रुटिपूर्ण व साक्ष्‍यों पर आधारित नहीं है तथा निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

                                    आदेश

     प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच का निर्णय/आदेश दि. 12.12.2013 निरस्‍त किया जाता है।

      पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।

 

 

        (राज कमल गुप्‍ता)                               (महेश चन्‍द)

         पीठासीन सदस्‍य                                   सदस्‍य

राकेश, आशुलिपिक

      कोर्ट-5 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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