जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम बरेली।
उपस्थितः- 1. विनोद कुमार सिंह राठौर अध्यक्ष
2. मोहम्मद कमर अहमद सदस्य
परिवाद संख्या 96/2016
उमेश चन्द्र पुत्र श्री राय सिंह निवासी ग्राम गिल्टईया पोस्ट म्याऊ तहसील दातागंज बदायूँ ............परिवादी
प्रति
बीकानेरी (PAPA’S FOOD COURT) डिपलोमेट बीकानेरी प्रकाश टावर 63 सिविल लाइंस चौपला रोड बरेली (यू0पी0) द्वारा मैनेजर।
............प्रतिपक्षी
निर्णय
1. यह परिवाद इन अनुतोषों हेतु योजित किया गया है कि परिवादी को प्रतिपक्षी से आर्थिक क्षति व मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 153300/- एवं खर्चा मुकदमा व यात्रा खर्च के रूप में रू0 25000/- दिलाये जायें ।
2. संक्षेंप में परिवाद के अभिकथन निम्न प्रकार है।
2.1 परिवादी द्वारा प्रतिपक्षी के रेस्टोरेन्ट में दिनांक 7.07.2016 को 300 एम.एल फैण्टा कोल्डड्रिंक की शीशे की बोतल बिल सं0 6596 खरीदी गयी है जिसका प्रतिपक्षी द्वारा एम0आर0पी0 से अधिक मूल्य रू0 35/-वसूल किया गया। परिवादी द्वारा एम0आर0पी0 से अधिक मूल्य वसूलने का विरोध करने पर प्रतिपक्षी द्वारा कहा गया कि हम सब सामान एम0आर0पी0 से अधिक दाम पर ही बेंचते है। सिविल लाइन्स के रेस्टोरेन्ट में रू0 35/- में कोल्डड्रिक बैठ कर पीने की औकात नही है तो सड़क पर खोखे से खरीद कर पी लेते। प्रतिपक्षी के इस व्यवहार से परिवादी हीन भावना का शिकार हो गया है।
2.2 परिवादी प्रतिपक्षी का उपभोक्ता है तथा प्रतिपक्षी द्वारा एम0आर0पी0 से अधिक मूल्य पर उपरोक्त कोल्डड्रिक बेंंचकर परिवादी के साथ अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस की गयी है और विरोध करने पर गलत व गंदा व्यवहार कर सेवाओं में कमी की है जिससे परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति हुई है।
3. प्रतिपक्षी की ओर से प्रतिवाद कागज सं0 9 प्रस्तुत किया गया है। प्रतिवाद पत्र के अभिकथन संक्षेप में निम्न प्रकार है।
3.1 प्रतिपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र में अभिकथित किया गया है कि परिवादी द्वारा तथ्यों को जिस प्रकार लिखा गया है कि स्वीकार नहीं है परिवाद बेईमानी करने व अवैध रूप से लाभ उठाने, धन वसूल करने, व परेशान करने की नियत से दायर किया गया है।
3.2 प्रतिवाद पत्र में परिवाद के प्रस्तर सं0 1 के अभिकथनों को स्वीकार किया है। परिवाद के अन्य अभिकथनों का प्रायः खण्डन किया गया है।
3.3 प्रतिवाद पत्र में यह अभिकथित किया गया है कि परिवादी ने प्रतिपक्षी के विरुद्ध अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया है जो निराधार व मनगंढ़त है।
3.4 परिवादी द्वारा वाद पत्र में उल्लखित फैण्टा की वास्तविक कीमत का उल्लेख नहीं किया गया है न फोरम में शीशे की बोतल प्रस्तुत की गयी है। परिवादी द्वारा भुगतान किये जाने के सम्बन्ध में जिस बिल का उल्लेख किया गया है उसमें फैण्टा का उल्लेख ही नहीं है।
3.4 प्रतिपक्षी फैण्टा विक्रेता नहीं है बल्कि अपने रेस्टोरेन्ट में आये ग्राहकों को आधुनिक सुविधा युक्त सेवा सहित उसके द्वारा चाही गयी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराता है जिसका रख रखाव का न्यूनतम सेवा शुल्क उपभोक्ता से लेता है जिसका बिल ग्राहक को दिया जाता है। परिवाद खण्डित होने योग्य है।
4. परिवादी ने अपने पक्ष कथन के समर्थन में शपथपत्र कागज सं0 11 तथा प्रलेखीय साक्ष्य को प्रस्तुत किया है।
5. प्रतिपक्षी ने अपने पक्षकथन के समर्थन में शपथपत्र का0सं0 15 को प्रस्तुत किया है।
6. हमने उभयापक्षों की ओर से किये गये तर्को को सुना है एंव पत्रावली का ध्यानपूर्वक परिशीलन किया है।
उपपत्ति
7. पक्षों के अभिकथनों के आधार पर हम परिवाद के निस्तारण हेतु निम्न अवधारण बिन्दु सृजित करने का औचित्य पाते है।
1. क्या प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी से शीतल पेय फैण्टा की बोतल पर अधिकतम फुटकर मूल्य (एम.आर.पी.) से अधिक मूल्य लिया गया है और तद् द्वारा अनुचित व्यापार प्रथा को अपनाया गया है। यदि हाँ तो प्रभाव ?
2. क्या प्रतिपक्षी ने परिवादी को सेवा प्रदत्त करने में कोई त्रुटि कारित की है?
3. क्या परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है?
8. अवधारण बिन्दु सं0 1 उपरोक्त अवधारण बिन्दु इस प्रभाव का है कि क्या प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी से शीतल पेय फैण्टा की बोतल पर अधिकतम फुटकर मूल्य (एम.आर.पी.) से अधिक मूल्य लिया गया है और तद् द्वारा अनुचित व्यापार प्रथा को अपनाया गया है। यदि हाँ तो प्रभाव ?
8.1 परिवादी के पक्षकथन के अनुसार दि0 07.07.2016 को प्रतिपक्षी ने परिवादी से शीतल पेय फैण्टा की 300 एम.एल. की बोतल पर एम.आर.पी से अधिक रु0 35/- वसूल किये जिसका विरोध करने पर परिवादी से यह कहा गया कि वह सब सामान एम.आर.पी. से अधिक दाम पर बेंचते है। सिविल लाइन में रेस्टोरेन्ट में रु0 35/- में कोल्ड डिं्रक पीने की औकात नहीं है तो सडक पर खोखे से ही खरीद कर पी लेते है जिससे परिवादी हीन भावना का शिकार हो गया है। परिवादी ने अपने शपथपत्र का0सं0 11 में परिवाद के अभिकथनों को दोहराया है।
8.2 प्रतिपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र में यह अभिकथित किया गया है कि प्रतिपक्षी ने परिवाद में उल्लिखित फैण्टा के वास्तविक मूल्य का उल्लेख नहीं किया गया है तथा परिवादी द्वारा प्रस्तुत बिल में फैण्टा का उल्लेख नहीं है। प्रतिवाद पत्र में यह भी अभिकथित किया है कि प्रतिपक्षी फैण्टा विक्रेता नहीं है बल्कि अपने रेस्टोरेन्ट में आये ग्राहकों को आधुनिक सुविधा युक्त सेवा तथा उपभोक्ता द्वारा चाही गयी खाद्य सामिग्री उपलब्ध कराता है। जिसकी सेवा व रखरखाब का न्यूनतम सेवा शुल्क उपभोक्ता से लिया जाता है। जिसका उसको बिल दिया जाता है। उपरोक्त पक्षकथन के समर्थन में शपथपत्र का0सं0 15 को प्रस्तुत किया गया है।
8.3 पक्षों के अभिकथनों से यह बात स्पष्ट है कि उनके मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि प्रतिपक्षी एक रेस्टोरेन्ट है जिस पर दि0 07.07.2016 को परिवादी शीतल पेय आदि लेने के लिये गया था।
8.4 परिवादी द्वारा प्रतिपक्षी रेस्टोरेन्ट में 300 एम.एल. की फैण्टा की बोतल लेने के सम्बन्ध में प्रतिपक्षी की ओर से कोई स्वीकृति तो नहीं की गयी है परन्तु विनिर्दिष्ट रुप से उपरोक्त अभिकथन का खण्डन भी नहीं किया गया है और यह अभिकथित किया गया है कि परिवादी ने परिवाद पत्र में फैण्टा के वास्तविक मूल्य का उल्लेख नहीं किया और खाली बोतल को फोरम में प्रस्तुत नहीं किया गया है। उपरोक्त परिस्थितियों में परिवादी द्वारा प्रतिपक्षी से फैण्टा की बोतल क्रय करने का अभिकथन प्रायः अखण्डित रहा है।
8.5 परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रलेख का0सं0 4/4 में कोल्ड ड्रिंक 300 एम.एल. का मूल्य रु0 35/- एंव वेज बरगर का मूल्य रु0 80/- कुल योग रु0 115/- दर्शाया गया है और विभिन्न करो को सम्मिलित करते हुये कुल बिल धनराशि रु0 145/- दर्शायी गयी है।
8.5 परिवादी द्वारा अपने शपथपत्र में फैण्टा का फुटकर मूल्य रु0 15/- दर्शाया गया है। का0सं0 18 पर फैण्टा की बोतल के तीन फोटो चित्र है जिनसे 300 एम.एल. फैण्टा की एम.आर.पी. रु0 15/-अंकित है। प्रतिपक्षी द्वारा फैण्टा की एम.आर.पी. रु0 15/- होने कोई खण्डन नहीं किया गया है। प्रतिपक्षी की ओर से परिवादी के इस अभिकथन का भी खण्डन नहीं किया गया है कि परिवादी से शीतल पेय हेतु रु0 35/- लिया गया था। प्रतिपक्षी का कोई ऐसा भी पक्षकथन नहीं है कि परिवादी द्वारा फैण्टा से अन्यथा कोई शीतल पेय लिया गया था।
8.6 उपरोक्त परिचर्चा के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह स्थापित है कि परिवादी द्वारा प्रतिपक्षी के रेस्टोरेन्ट से 300 एम.एल. फैण्टा लिया गया जिसका उससे रु0 35/- मूल्य लिया गया जो एम.आर.पी. रु0 15 से रु0 20/- अधिक है।
8.7. अब प्रश्न यह उठता है कि प्रतिपक्षी द्वारा फैण्टा का एम.आर.पी. से अधिक मूल्य लिया जाना अनुचित व्यापार प्रथा की श्रेणी में आता है। उपरोक्त बिन्दु पर उभयपक्षों ने अपने अपने पक्षकथन के समर्थन में निम्न निर्णयों को प्रस्तुत किया है।
8.8 परिवादी की ओर से प्रस्तुत निर्णय निम्नवत है।
1. पुनरीक्षण याचिका सं0 2038/2015 बिग सिनेमाज व अन्य प्रति मनोज कुमार। में पारित निर्णय दिनांकित 01.02.2016 उपरोक्त निर्णय विधि में परिवर्णित मामलें में बिग सिनेमाज के पटल से एक्वाफिना (पानी) की बोतल क्रय की गयी थी जिसका उससे एम0आर0पी0 रु0 16/- से अधिक रु0 30/- लिये गये थे। उपरोक्त मामलें में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा परिवाद को स्वीकार किया गया तथा माननीय राज्य आयोग द्वारा उक्त निर्णय/आदेश के विरुद्ध अपील को अस्वीकार कर दिया गया है। माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा उपरोक्त निर्णय/आदेशों को पुष्ट किया गया।
2. पुनरीक्षण याचिका सं0 4090/2012 डी0के0 चौपड़ा प्रति स्नैक बार में पारित निर्णय दिनांकित 04.03.2014 उपरोक्त निर्णय विधि में परिवर्णित मामलें में स्नैक बार से परिवादी डी0के0 चौपड़ा द्वारा दो केन रेड बुल इनर्जी ड्रिंक क्रय किया गया जिसके लिये परिवादी से एम.आर.पी. रु0 75/- के स्थान पर दो गुना मूल्य रु0 150/- प्रति केन की दर से रु0 300/- लिये गये। परिवादी द्वारा उपभोक्ता परिवाद संस्थित किया गया जिसे जिला फोरम द्वारा अस्वीकार कर दिया गया तथा माननीय राज्य आयोग द्वारा अपील भी अस्वीकार कर दी गयी। माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जिला फोरम एंव माननीय राज्य आयोग के निर्णयों/आदेशों को अपास्त कर दिया गया तथा परिवादी को रु0 10000/- प्रतिकर दिलाये जाने का आदेश पारित किया गया तथा प्रतिपक्षी को उपभोक्ता कल्याण कोष में रु0 50,00000/- जमा करने का निर्देश दिया गया।
8.9 प्रतिपक्षी की ओर से निम्न निर्णयों को प्रस्तुत किया गया है।
1. रिट पिटीशन (सी) सं0 6517/03 एवं रिट पिटीशन (सी) सं0 14691-16927/5 द फेडरेशन आफ होटल्स एंव रेस्टोरेन्ट एसोशियेसन ऑफ इण्डिया व अन्य प्रति यूनियन आफ इण्डिया व कुछ अन्य रिट याचिकाओं में माननीय दिल्ली उच्चन्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 5.03.2007ः
उपरोक्त निर्णय में माननीय उच्चन्यायालय द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय विधियों स्टेट ऑफ एच0पी0 प्रति एसोशियेटेड होटल्स ऑफ इण्डिया एवं नार्दन इण्डिया कैटरर्स प्रति लेफ्टीडेन्ट गर्वनर ऑफ दिल्ली (1979) 1 एस0सी0आर0 557 एवं निर्णय दामोदर सामी नायडू एन्ड एवं ब्रास प्रति स्टेट ऑफ टी.एन. (2000) 1 एस0सी0सी0 521 का सन्दर्भ लेते हुये यह व्यवस्था दी गयी है कि मिनरल वाटर की बोतल पर छपे हुये एम.आर.पी. से अधिक मूल्य लेने से एस.डब्लू.एम. एक्ट के प्राविधानों का उल्लंघन नही होता है क्योंकि होटल वालों या रेस्टेरेन्ट वालों द्वारा ग्राहकों को जो वस्तुयें आपूर्ति की जाती है वह बिक्री या अन्तरण की परिभाषा में नही आती है। ग्राहक होटल या रेस्टोरेन्ट में वस्तुओें के क्रय करने के उददेश्य से नही आता है बल्कि उसका प्रत्यक्ष उददेश्य होटल या रेस्टेरेन्ट के वातावरण का आनन्द लेना होता है।
2. रिट पिटीशन (सिविल) सं0 11689-90/2006 दिल्ली जिम खाना क्लब लि0 प्रति यूनियन ऑफ इण्डिया में माननीय दिल्ली उच्चन्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 15 अप्रैल 2009।
उपरोक्त निर्णय में माननीय उच्चन्यायालय द्वारा क्रम सं0 1 पर उल्लिखित उपरोक्त निर्णय का संन्दर्भ लेते हुये यह व्यवस्था दी गयी है कि स्टैण्डर्ड ऑफ वेटस एण्ड मेजर्स एक्ट 1976 एवं स्टैण्डर्ड ऑफ वेटस एण्ड मेजर्स (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स 1977 क्लब के सदस्यों एवं अतिथियों को स्वल्पाहार में दिये जाने वाले खाद्य पदार्थो एवं पेयों पर लागू नही होते हैं।
8.10 हमने उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त निर्णयों का घ्यान पूर्वक परिशीलन किया है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत निर्णय विधियां सिनेमा एवं स्नैकबार जिसमें वस्तुयें स्टाल की भांति विक्री की जाती है में विक्री की जाती है के सम्बन्ध में हैं । डी0 के0 चौपड़ा मामलें में निर्णय के प्रस्तर संख्या 10 में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह सम्प्रेक्षण किया गया है कि होटल रेस्टोरेन्ट इन्स की स्थिति उपरोक्त मामलें के तथ्य व परिस्थितियों से भिन्न है चूंकि उनमें ग्राहको को बिना किसी विशेष या पूर्व संविदा के यिक्त संगत मूल्य पर म्दजमतजंपद किया जाता है उनकी तुलना स्टाल से नही की जा सकती है चूंकि स्टाल में ग्राहकों को कोई फर्नीचर क्राकरी कटलरी आदि की सुविधा उपलब्ध नही करायी जाती है। प्रतिपक्षी की ओर प्रस्तुत क्रम सं0 1 पर उल्लिखित निर्णय द फेडरेशन आफ होटल्स एंव रेस्टोरेन्ट एसोशियेसन में माननीय उच्चन्यायाल द्वारा इस बिन्दुं पर विचार किया गया था कि क्या होटल और रेस्टोरेन्ट मे ग्राहकों /अतिथियो को एम0आर0पी0 से अधिक मूल्य लिया जाना अनुमत नही है तथा उक्त निर्णय में निष्कर्ष याचिकाकर्ता फेडरेशन आफ होटल्स एंव रेस्टोरेन्ट एसोशियेसन के पक्ष में दिया गया था। माननीय उच्चन्यायालय का उपरोक्त निर्णय माननीय उच्चतम न्यायालय की निर्णय विधियों पर आधारित है। उपरोक्त परिचर्चा के आधार पर हम इस विचार के है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत निर्णय विधियां प्रस्तुत मामलें के तथ्यों एव परिस्थितियों पर लागू नही होती है जबकि प्रतिपक्षी द्वारा प्रस्तुत निर्णय प्रस्तुत मामलें के तथ्यों एव परिस्थितियों पर लागू होते है ।
10 उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पहुँचे है कि प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी से फैण्टा पर एम0आर0पी0 से अधिक मूल्य लिया जाना अनुचित व्यापार प्रथा की श्रेणी में नही आता है और न ही उससे स्टैण्डर्ड ऑफ वेटस एण्ड मेजर्स एक्ट 1976 एवं स्टैण्डर्ड ऑफ वेटस एण्ड मेजर्स (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स 1977 के प्राविधानों का उल्लंघन होता है । अवधारण बिन्दु सं0 1 तदनुसार निर्णीत किया जाता है।
11. अवधारण बिन्दुं स0 2 उपरोक्त अवधारण बिन्दु इस प्रभाव का है कि क्या प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी को सेवा प्रदत्त करने में कोई त्रुटि कारित की गयी है।
11.1 परिवाद के प्रस्तर सं0 2 के पक्षकथन के अनुसार परिवादी ने जब प्रतिपक्षी से एम0आर0पी0 से अधिक मूल्य लेने पर आपत्ति की तो प्रतिपक्षी की ओर से कहा गया कि सिविल लाइन्स के रेस्टोरेन्ट में रू0 35 में कोल्ड ड्रिंक पीने की औकात नही है तो सड़क पर खोखे से लेकर पी लेते। परिवादी द्वारा अपने शपथपत्र उपरोक्त अभिकथनों को दोहराया गया है।
11.2 प्रतिपक्षी द्वारा परिवाद के उपरोक्त अभिकथन का खण्डन इस प्रकार किया गया है कि उपरोक्त अभिकथन जिस प्रकार से लिखे है स्वीकार नही है परन्तु अतिरिक्त कथन में परिवाद के प्रस्तर सं0 2 के अभिकथनों का विनिर्दिष्ट रूप से खण्डन नही किया गया है। प्रतिपक्षी की ओर से यह पक्षकथन लिया गया है कि प्रतिपक्षी बिना भुगतान के जाने लगा था बिल देने को कहने पर अमादा फसाद हो गया था।
11.3 पक्षों के अभिकथनों से यह स्थापित है कि उनके मध्य तर्क वितर्क होना दोनों पक्षों को स्वीकार है। यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी द्वारा बिल का भुगतान कर दिया गया था । इस प्रकार यह सम्भाव्य प्रतीत नही होता है कि परिवादी से बिल के भुगतान को लेकर विवाद हुआ। मामलें के तथ्यों एवं परिस्थितियों में ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा प्रतिपक्षी से फैण्टा पर एम0आर0पी0 से अधिक मूल्य लेने पर आपत्ति की गयी तो प्रतिपक्षी की ओर से कहा गया कि सिविल लाइन्स के रेस्टोरेन्ट में रू0 35 में कोल्ड ड्रिंक पीने की औकात नही है तो सड़क पर खोखे से खरीद कर लेकर पी लेते।
11.4 प्रतिपक्षी की ओर परिवादी से उपरोक्त बाते कहा जाना सभ्याचार की श्रेणी में नही आता है। उपभोक्ता से सदव्यवहार किया जाना भी सेवा की श्रेणी में भी आता है । प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी से शिष्टाचार एवं सभ्याचार से परे जाकर बातें करना उपभोक्ता सरंक्षण की धारा 2(1) (जी) में परिभाषित सेवा में त्रुटि के अन्तर्गत आता है।
12. उपरोक्त विवचेना के आधार हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी को सेवा प्रदत्त करने मे त्रुटि कारित की गयी है। अवधारण बिन्दं सं0 2 तदनुसार निर्णीत किया जाता है ।
13. अवधारण बिन्दुं संख्या 3 उपरोक्त अवधारण बिन्दुं अनुतोष के सम्बन्ध में है। अवधारण बिन्दुं सं0 1 के निष्कर्ष के आलोक में परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नही है परन्तु अवधारण बिन्दुं सं0 2 के निष्कर्ष के आधार पर हम परिवादी को रू0 3000/- क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का औचित्य पातें है उपरोक्त धनराशि का भुगतान एक माह के अन्तर्गत न होने पर परिवादी प्रतिपक्षी से परिवाद संस्थित होने की तिथि से उक्त धनराशि का भुगतान होने तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज प्राप्त करने का भी अधिकारी होगा।परिवादी को वाद व्यय के रूप में हम प्रतिपक्षी से रू02000/- दिलाये जाने का औचित्य पातें है। अवधारण बिन्दुं संख्या 3 तदनुसार निर्णीत किया जाता है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादी प्रतिपक्षी से क्षतिपूर्ति के रूप में रू03000/- प्राप्त करने का अधिकारी है उक्त उपरोक्त धनराशि का भुगतान एक माह के अन्तर्गत न होने पर परिवादी प्रतिपक्षी से परिवाद संस्थित होने की तिथि से उक्त धनराशि का भुगतान होने तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। परिवादी वाद व्यय के रूप में प्रतिपक्षी से रू02000/- प्राप्त करने का अधिकारी है।
(मोहम्मद कमर अहमद) ( विनोद कुमार सिंह राठौर )
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 31.10.2017 को हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले फोरम में उद्घोषित किया गया ।
(मोहम्मद कमर अहमद) ( विनोद कुमार सिंह राठौर )
सदस्य अध्यक्ष