Bihar

Darbhanga

CC/25/12

RAM CHANDRA SAHU - Complainant(s)

Versus

BIHAR STATE ELECTRIC BOARD - Opp.Party(s)

M.F HUSSAIN

18 Jan 2020

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/25/12
( Date of Filing : 03 Apr 2012 )
 
1. RAM CHANDRA SAHU
RESIDENT OF VILLAGE- RAJE MANIGACHHI STATION PS- MANIGACHHI, DIST- DARBHANGA
...........Complainant(s)
Versus
1. BIHAR STATE ELECTRIC BOARD
ELECTRICAL EXCUTIVE ENDINEER RURAL, DARBHANGA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SRI SARVJEET PRESIDENT
 HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar MEMBER
 HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha MEMBER
 
For the Complainant:M.F HUSSAIN, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 18 Jan 2020
Final Order / Judgement

आदेश

आवेदक रामचंद्र साहू ने इस आशय का परिवाद पत्र फोरम के समक्ष दाखिल किया कि वह बिहार इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का डोमेस्टिक कस्टमर है जिसका नंबर 14280/राजे/CS-02 है।

2              आवेदक का यह भी कथन है कि विघुत बिल का भुगतान नहीं करने के कारण उसके बिजली का कनेक्शन काट दिया गया उसके बाद आवेदक ने बिजली बिल का सत्यापन किया जो 3809 रु० बकाया था।  दिनांक 03.05.2006 को भुगतान कर दिया गया, बिजली विभाग द्वारा उसका विघुत कनेक्शन चालू कर दिया गया।

3              आवेदक का यह भी कथन है कि उसके पश्चात् आवेदक बिजली का उपभोग करता रहा और जो भी बिजली बिल होता था उसका वेध बिल प्राप्त करके उसका भुगतान करता था जिस समय वह बिजली बिल का भुगतान करता था उस समय बिजली बिल की ऋण 1303 रु थी।

4              आवेदक का यह भी कथन है कि पुनः बिजली बिल में बिजली का उपभोग 1849 यूनिट दर्शया गया जिसमें पूर्व के यूनिट को समायोजित नहीं किया गया।

5              आवेदक का यह भी कथन है कि वह सही बिल का भुगतान करना चाह रहा है जिसके लिए बिजली विभाग को अनेकों बार अनुरोध पत्र लिखा कि उसका बिजली बिल सही करा दिया जाए वह सही बिल देने को तैयार है।

6              आवेदक का यह भी कथन है कि दिनांक 14.12.2007 को देय राशि 1326 रु० था लेकिन अचानक उसका बिजली बिल 5970 रु० हो गया जिसको देखकर आवेदक आश्चर्यचकित रह गया।

7              आवेदक का यह भी कथन है कि उसने सकरी अनुमंडल के सहायक अभियंता को पत्र लिखा कि उक्त बिजली बिल का सत्यापन करा लिया जाए लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया उसके बाद उसने अधिवक्ता नोटिस दिया।

8              आवेदक का यह भी कथन है कि उसका मीटर रीडिंग दिनांक 05.09.2011 के 3 बजे शाम तक विघुत उपभोग 21.09 यूनिट दिखा रहा था इससे स्पष्ट है कि पूर्व में भेजा गया बिजली बिल बहुत अधिक था तथा उसे सत्यापन के बाद विपक्षी को भुगतान करना था।

9               आवेदक का यह भी कथन है कि विपक्षी द्वारा सेवा में त्रुटि किया गया तथा सेवा शर्तों का उल्लंघन किया गया जिससे परिवादी को काफी मानसिक एवं आर्थिक क्षति उठाना पड़ा अतः अनुरोध है कि विपक्षी को आदेश दिया जाए कि वह सत्यापन के बाद सही विघुत बिल निर्गत करे और उसका भुगतान पूर्व में किये गए राशि से करे।

10           आवेदक का यह भी कथन है कि विपक्षी को आदेश दिया जाए कि वह उसके शांति पूर्वक प्रयोग में हस्तक्षेप न करे तथा फोरम अन्य जो अनुतोष परिवादी को दिलाने चाहे देने का आदेश देने की कृपा करे।

11           विपक्षी बिहार इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड से उसके विद्वान् अधिवक्ता उपस्थित हुए तथा अपना व्यान तहरीर दाखिल किए, विपक्षी बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का कथन है कि परिवाद पत्र जैसा लाया गया है, वह चलने योग्य नहीं है। सम्पूर्ण परिवाद पत्र अस्पष्ट है, परिवादी द्वारा महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपा लिया गया है।

12           विपक्षी का यह भी कथन है कि परिवादी ने नए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था उसे नया विघुत कनेक्शन दे दिया गया है जिसका कनेक्शन नंबर 14280/राजे/231/DS1 है। आवेदक को बिजली की आपूर्ति शहरी क्षेत्र से किया जाता है लेकिन उसका बिजली बिल DS2 केटेगरी से लिया जाता है।

13           विपक्षी का कथन है कि बिजली बिल भुगतान नहीं करने के कारण परिवादी पर बिजली बिल देय हो गया था और वह बिजली बिल का भुगतान करने में डिफॉलटर हो गया था और आवेदक को संसूचित नोटिस देने के बाद उसके बिजली आपूर्ति को काट दिया गया।

14           विपक्षी का कथन है कि सन 2006 में बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने एकमुश्त बिजली बिल के समायोजन का स्किम लाया, आवेदक ने उस मौके का फयदा उठाया और बकाया DS1 बिजली बिल 3809 रु० दिनांक 30.05.2016 को जमा कर दिया।

15            विपक्षी का यह भी कथन है कि दिनांक 16.06.2016 को आवेदक द्वारा पुनः बिजली का कनेक्शन जोड़ने का चार्ज जमा करने के बाद उसका बिजली की लाइन जोड़ दिया गया इसप्रकार से आवेदक जून 2006 से बिजली का उपभोग कर रहा है।

16           विपक्षी का यह भी कथन है कि आवेदक को पुनः बिजली दिए जाने के बाद यह बात प्रकाश में आया कि आवेदक बिजली का प्रयोग व्यवसायिक रूप में कर रहा है लेकिन उसका बिल घरेलु बिजली की दर से भुगतान कर रहा है। उसके बाद सम्बंधित पदाधिकारियों ने आवेदक के बिजली कनेक्शन को घरेलु बिजली से व्यवसायिक बिजली में परिवर्तित कर दिया जिसका नंबर 14280/RAJE/231/NDS2 है।

17           विपक्षी का यह भी कथन है की आवेदक बिजली का प्रयोग व्यवसायिक रूप से करने लगा। बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के टेरिफ नोटिफिकेशन 1993 के अनुसार व्यवसायिक कनेक्शन में प्रति किलोवाट लोड पर 50 यूनिट बिजली का खपत आवश्यक था, 50 यूनिट से कम खर्चा पर उसे न्यूनतम बिल की धनराशि देना होता था लेकिन 50 यूनिट से अधिक उपयोग पर उपभोक्ता से मीटर रीडिंग के अनुसार बिजली बिल लिया जाता था उपभोक्ता द्वारा बिजली बिल विलंब से जमा करने पर सरचार्ज भी लिया जाता था। आवेदक द्वारा नोटिस के बाद भी बिल का भुगतान नहीं करने पर उसका बिजली खर्चा सहित खारिज करने की कृपा करे।

18           परिवादी ने अपने केस के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सहायक अभियंता विघुत आपूर्ति प्रमंडल सकरी को लिखा पत्रों की छायाप्रति, निदेशक राजस्व बिहार राज्य विघुत बोर्ड पटना, विघुत आपूर्ति प्रमंडल मिथिला दरभागा एवं जिला समाहर्ता को लिखे गए पत्रों की छायाप्रति, बिजली बोर्ड द्वारा दिए गए बिल जो नवंबर 2007  एवं दिसंबर 2007 की छायाप्रति तथा बिहार इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में आवेदक द्वारा जमा किए गए 3809 रु० दिनांक 30.05.2006 को एवं 30 रु० दिनांक 14.06.2006 की रसीद की छायाप्रति, अधिवक्ता नोटिस एवं कुछ समाचार पत्रों के कटिंग की छायाप्रति दाखिल किया गया तथा साक्षी के रूप में परिवादी रामचंद्र साहू का शपथ पर परिक्षण तथा विपक्षी द्वारा उसका प्रतिपरीक्षण किया गया। परिवादी ने अपने शपथ पत्र पर कहे गए कथन में अपने परिवाद पत्र में कहे गए बात का समर्थन किया है। साक्षी का प्रतिपरीक्षण विपक्षी द्वारा किया गया इसके आलावा साक्षी ने एक अलग से अपना शपथ पत्र दाखिल किया है।परिवादी द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र हिंदी में है और एक शपथ पत्र अंग्रेजी में है।

19           विपक्षी ने मौखिक साक्ष्य दाखिल नहीं किया लेकिन दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एनेक्सचर-1 दाखिल किया जो कि आवेदक के द्वारा देय विघुत बिल का विवरणी है।

                                     उपभयपक्षों के विद्वान् अधिवक्ता को सुना तथा अभिलेख का अवलोकन किया इस बिंदु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी का विघुत कनेक्शन जो कि घरेलु था जिसका नंबर 14280/राजे/231/CS-2 था। इस बिंदु पर भी कोई विवाद नहीं है कि आवेदक ने दिनांक 30.05.2006 को बकाया बिल का  भुगतान 3809 रु० बिजली बोर्ड को जमा किया विवादित विषय यह है कि परिवादी का विघुत मीटर की रीडिंग जो 1303 यूनिट था जो विघुत बिल परिवादी को उपलब्ध कराया गया उसमें 1849 यूनिट बिजली खपत दिखाया गया जिस बिल का भुगतान परिवादी ने पहले कर दिया है उसको भी उसमें से नहीं घटाया गया है। विवादित विषय यह भी है कि दिनांक 14.12.2007 तक बकाया बिजली बिल 1326 रु० था लेकिन अचानक बकाया बिजली बिल 5970 रु० दिनांक 13.01.2008 परिवादी को भेजा दिया गया। विवाद का विषय यह भी है दिनांक 05.09.2011 तक परिवादी का विघुत मीटर 21.09 यूनिट विघुत खपत दिखा रहा था। परिवादी का कथन है कि इससे स्पष्ट है कि पूर्व का विघुत बिल सही नहीं था।

20           आवेदक का मुख्य शिकायत है कि उसे सही बिजली बिल उपलब्ध कराई जाए बार-बार अनुरोध करने के बाद भी उसके बिजली बिल को विघुत विभाग द्वारा सुधारा नहीं जा रहा है और मनमाना तरीके से बिजली बिल उसके पास भेज दिया जा रहा है।

21           परिवादी द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि बिजली विभाग द्वारा परिवादी को भेजे गए विघुत बिल में काफी विरोधाभाष है तथा विघुत विभाग द्वारा बिना मीटर से सत्यापन किए ही विघुत बिल परिवादी को भेज दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को विघुत बिल को मीटर रीडिंग से सत्यापित करके तथा यदि परिवादी ने विघुत बिल का भुगतान कर दिया है तो उसे समायोजित करते हुए सही बिजली बिल आवेदक को भेजा जाए।

22           परिवादी द्वारा विपक्षी से बारबार अनुरोध करने एवं वरीय पदाधिकारयों से पत्राचार करने के बाद तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के बाद भी विपक्षी द्वारा परिवादी के शिकायत का निदान नहीं किया गया ऐसी स्थिति में विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि आदेश प्राप्ति के 3 माह के अंदर परिवादी के विघुत विपत्र को विघुत मीटर से सत्यापन करके यदि परिवादी ने पूर्व में विघुत बिल का भुगतान किया है तो उसे समायोजित करते हुए विघुत विपत्र परिवादी को निर्गत करे। विपक्षी को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को वाद खर्चा के रूप में 3000 रु० का भुगतान इस आदेश के पारित होने के 3 माह के अंदर करे उपरोक्त आदेशों का अनुपालन नहीं करने पर विधिक प्रक्रिया द्वारा उपरोक्त आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। तदनुसार शिकायतकर्ता के शिकायत वाद को सविरोध आंशिक रूप में स्वीकृत किया जाता है। 

 
 
[HON'BLE MR. SRI SARVJEET]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha]
MEMBER
 

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