जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-802/2019
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-23.07.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-22.03.2021
Ajit Bhatt S/o Ghananand Bhatt resident of C-2/70, Sector H, Kanpur Road, Aashiyana, LDA Colony, Lucknow-226012.
....................Complainant.
Versus
Big Bazar (Future Retail) Ltd, City Junction Mall, Haridwar Bypass Road, Beside ISBI, Dehradun-248001 Through its Manager.
...................... Opposite Party.
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी से मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न के लिये विधिक नोटिस की तिथि से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 2,00,000.00 रूपये, हर्जाना के रूप में 90,000.00 रूपये एवं वाद व्यय हेतु 10,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी लखनऊ में निवास करता है, तथा उसने विपक्षी के लखनऊ स्थित स्टोर से इनवाइस सख्या-466687 के माध्यम से कुछ आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी की और उसे ले जाने के लिये कैरी बैग में सामान दिया गया जिसके लिये सात रूपये बिल में सम्मिलित कर चार्ज किया गया। परिवादी के अनुरोध के बावजूद भी मैनेजर द्वारा असिस्ट व्यवहार करते हुए एक कैरी बैग जिस पर विज्ञापन छपा हुआ था सामान ले जाने के लिये दिया गया। परिवादी के अनुरोध के बावजूद भी कैरी बैग के लिये भुगतान को माफ नहीं किया गया, और मैनेजर के द्वारा दुर्व्यहार किया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी को कुल भुगतान 1343.00 रूपये किया गया जिसमें कैरीबैग का सात रूपये सम्मिलित था। उक्त कैरीबैग पर विज्ञापन भी छपा हुआ था। परिवादी द्वारा एक विधिक नोटिस विपक्षी को सेवा में कमी दर्शाते हुए दिनॉंक 24.05.2019 को भेजा गया, परन्तु इसके बावजूद भी विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी न ही कोई राहत प्रदान की गयी। विपक्षी के कर्मचारियों के गलत कार्य के कारण परिवादी को मानसिक उत्पीड़न तथा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है, जिसके लिये विपक्षी पूर्ण रूप से जिम्मेदार है।
वाद की कार्यवाही विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय चल रही है।
अभिलेख का अवलोकन किया जिससे प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी के बिग बाजार (फ्यूचर रिटेल) लखनऊ के स्टोर से आवश्क वस्तुओं की खरीद की गयी थी जिसे ले जाने के लिये एक कैरीबैग दिया गया था, उसका भी भुगतान परिवादी को करना पड़ा है। उक्त कैरीबैग पर विज्ञापन छपा हुआ था जिससे प्रतीत होता है कि विपक्षी अपनी कम्पनी तथा स्टोर का विज्ञापन व प्रचार-प्रसार कर अपना मार्केट बढाना चाहते हैं तथा अपनी बिक्री में बृद्धि के उद्देश्य से कर रहे हैं। यह एक अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है। परिवादी के अनुरोध के बावजूद भी विपक्षी के मैनेजर एवं उनके कर्मचारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी तथा दुर्व्यवहार किया गया, एवं विधिक नोटिस दिये जाने पर भी विपक्षी के स्तर पर कोई संज्ञान न लेते हुए परिवादी को कोई राहत प्रदान नहीं की गयी, जिससे परिवादी को आर्थिक क्षति पहुँची है तथा बार-बार अनुरोध व नोटिस की वजह से मानसिक उत्पीड़न एवं आर्थिक नुकसान हुआ है। विपक्षी द्वारा वस्तुओं के मूल्य के साथ साथ कैरीबैग का भी मूल्य लिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। वस्तुओं को स्टोर से उपभोक्ताओं को अपने स्थान तक ले जाने की सुविधा विक्रेता को प्रदान करनी चाहिए ताकि वह आसानी से खरीद की गयी वस्तुओं को ले जा सके। इसके लिये विभिन्न जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इसे अनुचित माना है और विपक्षी को दोषी ठहराते हुए परिवादी को राहत प्रदान की गयी है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के निर्णय के सन्दर्भ में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा भी यह माना है कि कैरीबैग जिस पर विक्रेता कम्पनी का लोगो दोनों तरफ छपा हो, से विक्रेता कम्पनी के ब्राण्ड का प्रचार माना जाता है और ऐसी स्थिति के लिये भुगतान लेना अनियमित तथा गलत है और जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के आदेश को सही ठहराया है और क्षतिपूर्ति प्रदान किया जाना सही माना है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में निम्न प्रकार से टिप्पणी की है- “ Carry bags, which are sold by appellant bear its logo on both sides and customer who is buying same is in fact publicizing brand of appellant and thereby becomes a brand ambassador” उनके द्वारा अपने निर्णय में यह भी कहा है कि Hence, we are of the opinion that the order passed by the Forum, being based on the correct appreciation of evidence and law, on the point, does not suffer from any illegality or perversity.
उपरोक्त उपलब्ध तथ्यों में माननीय उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी से परिवादी के परिवाद में बल प्रतीत होता है तथा विपक्षी द्वारा अनुचित ढंग से वस्तुओं की खरीद के उपरान्त कैरी बैग के लिये धनराशि चार्ज करना अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है, जो आपत्तिजनक है एवं अपनी वस्तुओं, अपनी कम्पनी तथा स्टोर का प्रचार-प्रसार किये जाने के उद्देश्य से किया गया है और परिवादी को एक ब्रैण्ड अम्बेसडर बनाकर प्रचार-प्रसार किया गया है। अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाना उचित प्रतीत होता है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी (बिग बाजार) को निर्देशित किया जाता है कि वे अनुचित ढंग से कैरीबैग के मुबलिग 7.00.00 रूपये (सात रूपया मात्र) मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में मुबलिग 15,000.00 (पन्द्रह हजार रूपया मात्र) तथा परिवादी को हुई परेशानी के लिये हर्जाने के रूप में मुबलिग 5000.00 (पॉंच हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 2,500.00 (दो हजार पॉंच सौ रूपया मात्र) परिवाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 45 दिन के अन्दर भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें। यदि उपरोक्त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।