Rajasthan

Churu

227/2012

BAHADUR SINGH - Complainant(s)

Versus

BIDASAR INDEN GAS SARIVCE - Opp.Party(s)

Dhanna Ram saini

17 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 227/2012
 
1. BAHADUR SINGH
VPO BIDASAR SUJANGARH CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष-  षिव शंकर
सदस्य-  सुभाष चन्द्र
सदस्या-  नसीम बानो
 
परिवाद संख्या-    227/2012
बहादुरसिंह पुत्र श्री बालचन्द जाति दर्जी उम्र 50 वर्ष निवासी ग्राम पोस्ट बीदासर तहसील व जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
 
1.    बीदासर इण्डेन गैस सर्विस चोरड़िया बस स्टेण्ड के पास, बीदासर तहसील सुजानगढ़ जिला चूरू जरिये व्यवस्थापक
2.    इण्डियन आॅयल काॅर्पोरेशन जरिये क्षैत्रीय कार्यालय चैपासनी हाउंसिग बोर्ड रोड़, जोधपुर जरिये क्षैत्रीय प्रबन्धक            (डिलीट)
3.    जिला रसद अधिकारी महोदय, चूरू (डिलीट)
4.    राजस्थान सरकार जरिये जिला कलक्टर महोदय, चूरू  (डिलीट)
                                                 ......अप्रार्थीगण
दिनांक-     23.03.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष-  षिव शंकर
1.    श्री धन्नाराम सैनी एडवोकेट -  प्रार्थी की ओर से
2.    श्री संजीव वर्मा एडवोकेट   -  अप्रार्थीगण की ओर से
 
 
1.    प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थी ने अपने घरेलु उपयोग हेतु एक गैस अप्रार्थी संख्या- 1 से ले रखा है। जिसके नम्बर 11345440001005 जो प्रार्थी को दिनांक 08.05.12 को जारी करके दिया गया था। प्रार्थी ने गैस कनेक्शन लेने हेतु सन् 2009 में बुकिंग करवाई थी। प्रार्थी ने कई बार गैस कनेक्शन लेने हेतु अप्रार्थी संख्या 1 से सम्पर्क किया तो कहा जाता रहा कि आपका नं. नहीं आया है। प्रार्थी जब भी अप्रार्थी संख्या 1 से सम्पर्क करता तो कहा जाता कि वंरियता सुची चल रही है। प्रार्थी दिसम्बर 2010 में गैस कनेक्शन हेतु गया तो कहा कि आपका नं. नही आया है। आपका नं. आने पर आपको घर पर सुचना भेज दी जायेगी। आपको बार बार आने की आवश्यकता नहीं है। प्रार्थी से बाद में आवेदन किये गये व्यक्तियांे को गैस कनेक्शन दे दिये जाने के पश्चात प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 से मिला तो उसने कहा कि कम्पनी के नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। अगर आपकी वंरियता भंग हुई है तो जांच करवालेगे। प्रार्थी को पता चला कि अप्रार्थी संख्या 1 का असली मालिक उक्त गैस एजेन्सी को सचालित नही कर रहा है तथा असली मालिक ने उक्त गैस एजेन्सी को गलत रूप से सबलेट कर रखा है तथा उक्त गैस एजेन्सी मेघवाल जाति के व्यक्ति के नाम से है। जो कोटे में आवंटित हुई है तथा उक्त गैस एजेन्सी का सचालन स्वर्ण जाति के जाट द्वारा किया जा रहा है तथा उसके द्वारा मन मर्जी से कनेक्शन दिये जा रहे कई व्यक्तियो के नाम से फर्जी कनेक्शन चल रहे है। प्रार्थी ने मुख्यमंत्री महोदय को जन सुनवाई में प्रार्थना पत्र दिया था तथा जिला रसद अधिकारी चूरू से भी सुचना के अधिकार के अन्तर्गत रिकार्ड मांगा था। प्रार्थी को पता चला कि अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा प्रार्थी के खुद ही हस्ताक्षर करके प्रार्थी के नाम का गैस कनेक्शन 04.09.09 को जारी कर रखा है तथा उक्त गैस कनेक्शन अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा काम में लिया जाकर प्रार्थी के हिस्से की गैस ब्लैक में अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा बेची जा रही है। जिला रसद अधिकारी चूरू के हस्तक्षेप से प्रार्थी को गैस उपभोक्ताओ के सम्बन्ध मंे सीड़ी मिली पुरे रिकार्ड का प्रार्थी को पता चलने पर अप्रार्थी ने दिनांक 08.05.2012 को प्रार्थी को गैस कनेक्शन जारी किया तथा दिनांक 08.05.12 को प्रथम बार प्रार्थी को गैस की पासबुक जारी करके दी गई तथा अपनी गलती छुपाने के लिये पासबुक के उपर डुप्लीकेेट लिख दिया।
2.    आगे प्रार्थी ने बताया कि अप्रार्थीगण का दायित्व था कि वो प्रार्थी को दिनांक 04.09.09 को गैस कनेक्शन देते अप्रार्थीगण द्वारा जानबुझकर प्रार्थी का गैस कनेक्शन अपने पास रखा और दिनांक 08.05.2012 को गैस कनेक्शन दिया। करीब पौने तीन साल तक अप्रार्थीगण द्वारा उक्त गैस कनेक्शन का गलत ढंग उपयोग किया तथा प्रार्थी को लगातार गुमराह किया जाता रहा कि आपका नं. नही आया है। नं. आने के बावजूद भी प्रार्थी को गैस कनेक्शन नही दिया जाना अप्रार्थीगण द्वारा दी जा रही सेवाओं में गम्भीर त्रुटी है तथा अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधी है। प्रार्थी द्वारा बार- बार निवेदन करने पर भी कोई सुनवाई नहीं करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों के विरूध है। प्रार्थी का कनेक्शन आने के बावजूद भी प्रार्थी को गैस कनेक्शन नही दिया गया प्रार्थी को जिससे भारी मानसिक क्षति हुई है। जिसके लिये प्रार्थी 6,00,000/-  रूपये सालना के हिसाब से क्षतिपूर्ति की मांग करता है। जो 16,50,000/-  रूपये होते है। जो प्रार्थी प्राप्त करने का विधिक अधिकारी है। उक्त कनेक्शन नहीं दिये जाने से प्रार्थी को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है तथा प्रार्थी के उक्त गैस कनेक्शन से अप्रार्थी संख्या 1 लगातार पौने तीन साल तक लाभ प्राप्त करता रहा है। जिसके लिये 1,50,000/-  रूपये की मांग करता है। अप्रार्थीगण से प्रार्थी ने देरी से कनेक्शन देने के सम्बन्ध में क्षतिपूर्ति की मांग की तो अप्रार्थीगण द्वारा दिनांक 16.08.2012 को प्रार्थी की क्षतिपूर्ति करने से इन्कार कर दिया। यह आवश्यक हो गया कि प्रार्थी अपने हितो की रक्षार्थ श्रीमानजी के समक्ष चाराजोई करे। अप्रार्थीगण द्वारा दिनांक 16.08.2012 को क्षतिपूर्ति करने से इन्कार कर दिया। इस कारण वाद हैतुक पैदा हुआ है। प्रार्थी गैस कनेक्षन खाता धारक होने के कारण उसे वाद प्रस्तुत करने का अधिकार प्राप्त है। इसलिए प्रार्थी ने बुक करवाये गये सिलेण्डर को रिफिल शुदा सिलेण्डर प्रार्थी के घर डिलिवरी करने, प्रार्थी को 3 साल देरी से कनेक्शन देने के कारण हुई आर्थिक नुकसानी के 1.50 लाख रूपये, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।  
3.    अप्रार्थी संख्या 1 ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश कर बताया कि प्रार्थी ने दिनांक 04.09.2009 को गैस कनेक्षन बुक करवाया था जिसके नम्बर 11345440 001005 है प्रार्थी के इस गैस कनेक्षन बुकिंग पर अप्रार्थी सं. 1 द्वारा दिनांक 31.10.2009 को गैस कनेक्षन प्रार्थी को दो सिलेण्डर सहित सुपुर्द कर दिया था ओर दिनांक 31.10.2009 को एस.वी नं.11345440001005 जारी कर मूल दस्तावेज भी सुपुर्द कर दिया तथा आॅफिस प्रति पर उसके हस्ताक्षर करवाकर अपने रिकार्ड में रखा है जिस की फोटो प्रति संलग्न है। वास्तविक है कि प्रार्थी सम्पूर्ण दस्तावेज सूचना के अधिकार के अन्तर्गत प्राप्त होने पर अप्रार्थी के पास आया ओर कहा कि मेरे मूल एस.वी प्रमाण पत्र व पास बुक गुम हो गई है मुझे डुप्लीकेट बनाकर दे दो तो अप्रार्थी सं.1 ने सदभावना पूर्ण प्रार्थी को एस.वी.प्रमाण पत्र हाथ से अंकित करते हुये डुप्लीकेट जारी कर दिया तथा प्रार्थी को डुप्लीकेट पासबुक जारी कर दी है तब से लगातार प्रार्थी को गेैस सिलेण्डर रिफिल किये जा रहे है अप्रार्थी सें. 1 ने प्रार्थी को दिनांक 31.10.2009 को ही गैस कनेक्षन सुपुर्द कर दिया है तथा दिनांक 08.05.2012 को मात्र डुप्लीकेट दस्तावेज तैयार कर दिये है अप्रार्थी सं.ने कोई गल्ती नहीं की है अप्रार्थी सं. 1 ने प्रार्थी के गैस कनेक्षन नं. 4195 की गैस को कभी ब्लैक में विक्रय नहीं की है जो रिकार्ड से साबित है।
4.    आगे जवाब दिया कि प्रार्थी ने दिनांक 04.09.2009 को गैस कनेक्षन बुक करवाया था जिसके नम्बर 11395440000067 है प्रार्थी के इस गैस कनेक्षन बुकिंग पर अप्रार्थी सं. 1 द्वारा दिनांक 31.10.2009 को गैस कनेक्षन प्रार्थी को दोै सिलेण्डर सहित सुपुर्द कर दिया था ओर दिनांक 31.10.2009 को एस.वी. नं. 11395440000067 जारी कर मूल दस्तावेज भी सुपुर्द कर दिया तथा आॅफिस प्रति पर उसके हस्ताक्षर करवाकर अपने रिकार्ड में रखा है जिस की फोटो प्रति संलग्न है प्रार्थी द्वारा दिनांक 31.10.2009 को गैस सिलेण्डर लेने के पष्चात काफी समय तक रिफिल नही करवाये है तथा प्रार्थी द्वारा दिनांक 8 दिसम्बर 2011 को एक सिलेण्डर रिफिल करवाया है प्रार्थी ने सूचना के अधिकार के अन्तर्गत दस्तावेज की नकल प्राप्त की है लेकिन प्रार्थी द्वारा सूचना के अधिकार के अन्तर्गत प्राप्त दस्तावेजों की नकल परिवाद ने साथ पेष की है। प्रार्थी सम्पूर्ण दस्तावेज सूचना के अधिकार के अन्तर्गत प्राप्त होने पर अप्रार्थी के पास आया ओर कहा कि मेरे मूल एस.वी.प्रमाण पत्र व पास बुक गुम हो गई है मुझे डुप्लीकेट बनाकर दे दो तो अप्रार्थी सं. 1 ने सदभावना पूर्ण प्रार्थी को एस.वी.प्रमाण पत्र हाथ से अंकित करते हुये डुप्लीकेट जारी कर दिया तथा प्रार्थी को डुप्लीकेट पास बुक जारी कर दी है तब से लगातार प्रार्थी को गैस सिलेण्डर रिफिल किये जा रहे है अप्रार्थी सं.1 ने प्रार्थी को दिनांक 31.10.2009 को गेैस कनेक्यान सुपुर्द कर दिया है तथा दिनांक 08.05.2012 को मात्र डुप्लीकेट दस्तावेज तैयार कर दिये है अप्रार्थी सं. 1 कोई गलती नही की है व ना ही अप्रार्थी का कोई सेवादोष रहा है। अप्रार्थी संख्या 1 ने प्रार्थी के गैस कनेक्षन न. 4195 की गैस को कभी भी ब्लैक में विक्रय नहीं की है जो रिकार्ड से साबित है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।
5.    प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र के अतिरिक्त इकबाल, भीखाराम के शपथ-पत्र, प्रदर्स सी 1 से सी 6, उपभोक्त रजिस्टर की नकल, दैनिक भास्कर की प्रति, इकरारनामा, निर्णय प्रतिलिपि दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी की ओर से रणजीत राय का शपथ-पत्र, वाउचर की प्रति, डिलिवरी स्टेटमेन्ट की प्रति, दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
6.    पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
7.    प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थी के यहां गैस कनेक्शन लेने हेतु वर्ष 2009 में आवेदन किया था। आवेदन करने के पश्चात प्रार्थी लगातार अप्रार्थी के यहां गैस कनेक्शन की मांग करता रहा और प्रार्थी को हर बार यही कहा जाता रहा कि अभी प्रार्थी का नम्बर नहीं आया है। काफी समय बीतने के बाद भी जब प्रार्थी को गैस कनेक्शन जारी नहीं किया गया और प्रार्थी के बाद आवेदन करने वालों को कनेक्शन जारी कर दिया गया तो प्रार्थी ने मुख्य मंत्री राजस्थान सरकार के समक्ष एक प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया तथा सूचना के अधिकार के तहत जिला रसद अधिकारी चूरू के समक्ष अपने गैस कनेक्शन की जानकारी का रिकाॅर्ड मांगा तो प्रार्थी को पता चला कि अप्राथी ने अपने स्वंय के हस्ताक्षर कर प्रार्थी के नाम का गैस कनेक्शन दिनांक 04.09.2009 को जारी कर रखा है और प्रार्थी के हिस्से की गैस को अनुचित रूप से बाजार मंे बेचान किया जा रहा है। उक्त तथ्य का ज्ञान होने पर अप्रार्थी ने प्रार्थी को जिला रसद अधिकारी चूरू के हस्तक्षेप से प्रथम बार दिनांक 08.05.2012 को गेस कनेक्शन की पासबुक डुप्लीकेट अंकित करते हुए जारी की। जबकि वास्तव में प्रार्थी को दिनांक 08.05.2012 से पूर्व कभी भी गैस कनेक्शन जारी नहीं किया गया और अप्रार्थी ने प्रार्थी का गैस कनेक्शन अपने स्तर पर दिनांक 04.09.2009 को जारी कर प्रार्थी के हिस्से की गैस का अनुचित लाभ लेते हुए बाजार में विक्रय किया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष व अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त आधारों पर परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यहि दिया कि प्रार्थी को दिनांक 31.10.2009 को गैस कनेक्शन दो सिलेण्डर व मूल दस्तावेज सहित जारी कर दिया। प्रार्थी ने उक्त कनेक्शन प्राप्त करते समय वाउचर पर अपने हस्ताक्षर भी किये थे। अप्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थी ने दिनांक 31.10.2009 को गैस सिलेण्डर लेने के पश्चात काफी समय तक रिफिल नहीं करवायी। प्रार्थी ने अप्रार्थी के यहां दिनंाक 08.05.2012 को अपनी गैस पासबुक गुम होने की शिकायत करते हुए डुप्लीकेट प्रति की मांग की जिस पर प्रार्थी को नियमानुसार डुप्लीकेट दस्तावेज तैयार करवाकर दिये गये। प्रार्थी दिनांक 08.05.2012 से नियमित रूप से गैस प्राप्त कर रहा है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि अप्रार्थी द्वारा कभी भी गैस एजेन्सी किसी अन्य व्यक्ति को विक्रय नहीं की। गैस एजेन्सी आज भी अप्रार्थी के नाम से विधिवत रूप से चली आ रही है। प्रार्थी केवल नाजायज लाभ प्राप्त करने हेतु मिथ्या आधारों पर यह परिवाद प्रस्तुत किया है। उक्त आधारों पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
8.    हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में विवादक बिन्दु यह है कि अप्रार्थी ने प्रार्थी के गैस कनेक्शन दिनांक 31.10.2009 को जारी कर लगातार 3 वर्ष तक प्रार्थी के हक की गैस बाजार में विक्रय कर अनुचित लाभ कमाया जबकि प्रार्थी को उक्त कनेक्शन दिनांक 08.05.2012 को जारी किया गया। अप्रार्थी अधिवक्ता का यह तर्क कि प्रार्थी को गैस कनेक्शन दिनांक 31.10.2009 को जारी कर दिया था, साबित करने का भार भी अप्रार्थी पर है। इस तथ्य को साबित करने हेतु अप्रार्थी ने इस मंच के समक्ष वाउचर की प्रति व गैस सप्लाई स्टेटमेन्ट की प्रति प्रस्तुत की है जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। वाउचर की कार्बन प्रति के अवलोकन पर ग्राहक के हस्ताक्षर के काॅलम में जो हस्ताक्षर अप्रार्थी ने प्रार्थी के होना अंकित किया है उस पर दिनांक अंकित नहीं है। जबकि इसके विपरित प्रार्थी द्वारा प्रदर्स सी 1 जो कि अप्रार्थी ने डुप्लीकेट वाउचर जारी होने का कथन किया है। उस पर प्रार्थी ने अपने हस्ताक्षर के नीचे दिनांक 08.05.2012 अंकित की है। इसी प्रकार अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत सप्लाई स्टेटमेन्ट के अवलोकन के अनुसार अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को प्रथम बार गैस सप्लाई दिनांक 08.12.2011 को दी गयी। उसके बाद दिनांक 08.05.2012 से लगातार हर माह दिनांक 17.11.2012 तक सिलेण्डर जारी करना अंकित किया गया है। अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत उक्त दस्तावेज विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते है क्योंकि जब प्रार्थी को अप्रार्थी के कथनानुसार गैस कनेक्शन दिनांक 31.10.2009 को जारी कर दिया था तो करीब दो वर्ष तक प्रार्थी द्वारा गैस बुकिंग नहीं करवाना अप्रार्थी के कथन संदेहास्पद प्रतीत होते है। अप्रार्थी ने गैस सप्लाई के स्टेटमेन्ट केवल दिनांक 08.12.2011 से दिनांक 17.11.2012 तक पेश किये है जबकि इससे पूर्व व इसके बाद के सप्लाई स्टेटमेन्ट अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत नहीं किये गये। इसी प्रकार अप्रार्थी के यह कथन भी विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते कि उसके द्वारा प्रार्थी को दिनांक 31.10.2009 को गैस कनेक्शन जारी कर दिया था व दिनांक 08.05.2012 को प्रार्थी के द्वारा मूल पासबुक व वाउचर गुम होने पर डुप्लीकेट प्रति जारी की गयी क्योंकि यदि प्रार्थी के द्वारा अप्रार्थी के यहां अपनी पासबुक व वाउचर गुम होने की शिकायत की जाती तो अप्रार्थी द्वारा अवश्य ही इस सम्बंध में कोई दस्तावेज जो प्रार्थी ने अप्रार्थी के यहां अपनी पासबुक व वाउचर गुम होने के सम्बंध में दिया हो प्रस्तुत किया जाता क्योंकि नियमानुसार कोई भी गैस एजेन्सी का डिलर बिना प्रार्थना-पत्र व शपथ-पत्र के डुप्लीकेट दस्तावेज जारी नहीं करता। इसलिए उपरोक्त आधारों से स्पष्ट है कि अप्रार्थी यह तथ्य साबित करने में विफल रहा है कि उसके द्वारा प्रार्थी को गैस कनेक्शन दिनांक 31.10.2009 को ही जारी कर दिया हो।
9.    अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को गैस कनेक्शन दिनांक 31.10.2009 को ही जारी कर दिया हो यह तथ्य इस आधार पर भी विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते है क्योंकि अप्रार्थी ने अपने जवाब में यह मिथ्या कथन किया है कि वह गैस एजेन्सी का मालिक है व उसने किसी को गैस एजेन्सी सबलेट नहीं किया। जबकि इसके विपरित प्रार्थी ने इस मंच के समक्ष इकरारनामा दिनांक 30.11.2010 व सिविल न्यायाधीश सुजानगढ़ के वाद-पत्र व आदेशिका दिनांक 18.02.2012 की प्रति प्रस्तुत कर इस तथ्य को साबित किया है कि अप्रार्थी ने प्रश्नगत गैस एजेन्सी जरिये इकरारनामा दिनांक 30.11.2006 को श्रीमति चन्दा फोगाट पत्नि श्री सुमेर सिंह निवासी सेक्टर नम्बर 13, भिवानी (हरियाणा) को 21,00,000 रूपये में विक्रय कर दी थी। विक्रय उपरान्त अप्रार्थी व श्रीमति चन्दा फोगाट के मध्य गैस एजेन्सी के सम्बंध में विवाद होने पर एक वाद पत्र सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड सुजानगढ़ के समक्ष वाद संख्या 314/2010 दर्ज हुआ जो दिनांक 18.02.2012 को अदमहाजरी अदमपैरवी में निर्णीत हुआ। उपरोक्त इकरारनामा व वादपत्र से स्पष्ट है कि अप्रार्थी ने अपनी गैस एजेन्सी का विधि विरूद्ध बेचान किया। इस सम्बंध में गैस एजेन्सी को गैस एजेन्सी के अधिकारीयों द्वारा निलंबित भी किया गया था जिस सम्बंध में प्रार्थी ने दैनिक भास्कर की प्रति दिनांक 11.01.2013 प्रस्तुत की है। इसके अतिरिक्त प्रार्थी ने प्रदर्स सी 2, सी 3 व सी 4 प्रस्तुत कर इस तथ्य को साबित किया है कि अप्रार्थी ने प्रार्थी को दिनांक 08.05.2012 से पूर्व गैस कनेक्शन जारी नहीं किया व प्रश्नगत गैस एजेन्सी का विधि विरूद्ध विक्रय किया तथा गलत रूप से क्रय करने वाले अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी के नाम से गैस कनेक्शन दिनांक 30.10.2009 को अपने स्तर पर जारी कर करीब 2 वर्ष तक प्रार्थी को उसके हक की गैस से महरूम रखते हुए बाजार में विक्रय किया जिस कारण प्रार्थी को अपने घरेलू गैस की आवश्यकता हेतु करीब 2 वर्ष तक मानसिक व शारीरिक परेशानीयों का सामना करना पड़ा। अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को करीब 2 वर्ष तक गैस हेतु महरूम रखना मंच की राय में अप्रार्थी का स्पष्ट रूप से सेवादोष व अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
             अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को उसके गैस कनेक्शन नम्बर 11345440001005 पर नियमित रूप से गैस सप्लाई नियमानुसार प्रदान करे। अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति स्वरूप 25,000 रूपये व 5,000 रूपये परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करेगा।
             अप्रार्थी को आदेष दिया जाता है कि वह उक्त आदेष की पालना आदेष कि दिनांक से 2 माह के अन्दर- अन्दर करेंगे।
 
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                    अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक  23.03.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                    अध्यक्ष

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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