मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता फोरम मथुरा, द्वारा परिवाद सं0 49 सन 2016 में पारित आदेश दिनांक 23.06.2022 के विरूद्ध)
अपील संख्या 695 सन 2022
प्रबन्धक सुनन्द कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0 मथुरा रोड, राया, मथुरा एवं अन्य ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
श्री भूपेन्द्र सिंह पुत्र श्री किशन सिंह निवासी बिचपुरी थाना राया, जिला मथुरा व अन्य ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
,
समक्ष:-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार , अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार , सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री अनुराग श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं।
दिनांक:- 29-07-2022
श्री सुशील कुमार, माननीय सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
जिला उपभोक्ता फोरम मथुरा, द्वारा परिवाद सं0 49 सन 2016 भूपेन्द्र सिंह बनाम प्रबन्धक सुनन्द कोल्ड स्टोरेज में पारित आदेश दिनांक 23.06.2022 के विरूद्ध यह अपील योजित की गयी है जिसके अन्तर्गत परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न लिखित आदेश पारित किया गया है :-
परिवाद संख्या 49/16 आंशिक रूप से विपक्षी संख्या 1 व 2 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है विपक्षी सं0 1 व 2 को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 322500.00 रू0 मय 7 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से वाद प्रस्तुत करने की तिथि 26.02.2016 से निर्णय की तिथि 22.06.22 तक का भुगतान करेगा । विपक्षी वाद व्यय के रूप में 5000.00 रू0 परिवादी को भुगतान करेगा । विपक्षी मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति रू0 25000.00 का भुगतान परिवादी को करेगा । आदेश का अनुपालन एक माह में न करने पर 10 प्रतिशत ब्याज वास्तविक भुगतान की तिथि तक अदा करना होगा ।
इस निर्णय को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय अवैध मनमाना एवं कल्पना व सम्भावना पर आधारित है। परिवादी ने चूंकि कोई शुल्क जमा नही किया है इसलिए वह उपभोक्ता नहीं है। परिवादी द्वारा जो आलू के बोरे रखे गए थे उसमें सड़न पैदा हो गयी थी। आलू उठाते समय परिवादी द्वारा कोई शिकायत नहीं की गयी थी और स्वयं परिवादी के स्तर से त्रुटि कारित की गयी है परन्तु जिला आयोग ने इन बिन्दुओं पर विचार किए बिना आलू का मूल्य का मूल्य 700.00 रू0 प्रति कुन्टल अवैध रूप से सुनिश्चित किया गया। आलू की पैदावार वर्ष 2015 में अत्यधिक हुयी थी और उस समय आलू का मूल्य सात सौ रू0 प्रति कुन्टल नहीं था ।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी तथा पत्रावली का अवलोकन किया ।
परिवाद में वर्णित तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा अपीलार्थी के कोल्ड स्टोरेज में रखा गया आलू अपीलार्थी की लापरवाही के कारण सड़ गया और व्यापारियों ने सड़ा आलू लेने से इन्कार कर दिया । आलू के भण्डारण का जो शुल्क तय हुआ था वह परिवादी देने को तैयार था। सुनवाई के दौरान जिला आयोग के समक्ष विपक्षी की ओर से भाग नही लिया गया इसलिए परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों पर विचार करते हुए जिला आयोग द्वारा उपरेाक्त वर्णित आदेश पारित किया गया है। जिला आयोग ने साक्ष्य के आधार पर यह निर्णय दिया है कि परिवादी द्वारा 1314 बोरा आलू कोल्ड स्टोरेज में जमा किया गया था और इनकी जमा रसीद का उल्लेख निर्णय में किया गया है। परिवादी को आलू सुद्ध रूप में वापस प्राप्त नही हुआ है और स्टोर में रखे हुए ही सड़ गया इसलिए अपीलार्थी के स्तर से आलू सुरक्षित रखने में लापरवाही स्वयं प्रमाणित है। चूंकि परिवादी ने भाड़े की राशि अदा करने का वचन दिया था और राशि अदा करने का वचन देना स्वयं का प्रतिफल है जैसा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 2(डी) में परिभाषित है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि परिवादी तथा अपीलार्थी के मध्य उपभोक्ता तथा सेवा प्रदाता का संबध नहीं है।
अपीलार्थी द्वारा यह बहस की गयी कि 700.00 रू0 प्रति कुन्टल की दर से आलू का भाव वर्ष 2015 में नहीं था परन्तु उस समय क्या भाव था यह स्पष्ट नहीं किया गया है। अपील के ज्ञापन में भी यह अंकित नहीं किया गया है कि वर्ष 2015में आलू का क्या भाव रहा होगा और न भारत सरकार अथवा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित सूची ही दाखिल की गयी है इसलिए अपीलार्थी का यह कथन कि जिला आयेाग ने अत्यधिक दर निर्धारित की है गलत है। अत: जिला मंच के निर्णय में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता प्रतीत नही होती है और अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
सुबोल श्रीवास्तव
(पी0ए0(कोर्ट नं0-1)