Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/53/2017

Shri Mati Sashibala Sharma - Complainant(s)

Versus

Bhumi Electro & Aero etc. - Opp.Party(s)

15 May 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या-53/2017  

श्रीमती शशि बाला शर्मा पत्‍नी श्री आर.एल. शर्मा निवासी एसपी ट्रेडर्स अपोजिट सैनिक फर्म पीएसी रोड अलकनन्‍दा कालोनी खुशहालपुर मुरादाबाद।                                                                                                                                                                                           परिवादनी

बनाम

भूमि इलेक्‍ट्रो एण्‍ड स्‍टोरेज टेक्निक 21 ब्‍लॉक जी इस्‍पात नगर कानपुर नगर कानपुर यू.पी.।                                                    विपक्षी

वाद दायरा तिथि: 28-04-2017                                  निर्णय तिथि: 15.05.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादनी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षी से उसे डिफेक्टिव एम.सी.सी.बी. 250 ए.टी.पी. का मूल्‍य 25 हजार रूपये दिलाया जाये। क्षतिपूर्ति की मद में 25 हजार रूपये, आर्थिक हानि की मद में अंकन-103143/-रूपये तथा अधिवक्‍ता फीस की मद में 15 हजार रूपये विपक्षी से उसने अतिरिक्‍त मांगे हैं।      
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादनी ने दिनांक 14-12-2016 को विपक्षी से 25 हजार रूपये मूल्‍य देकर एमसीसीबी-250 एटीपी खरीदे थे, जिनकी एक वर्ष की वारंटी थी, परिवादनी की फैक्‍ट्री खुशहालपुर मुरादाबाद में माह नवम्‍बर, 2016 में विपक्षी का एजेंट परिवादनी के पास आया और उसने कहा कि यदि परिवादनी विपक्षी कंपनी द्वारा पेसिप्‍ट इलेक्‍ट्रोक लगा ले तो बिजली की खपत 75 प्रतिशत कम हो जायेगी। परिवादनी एजेंट के प्रभाव में आ गई और उसने दिनांक 14-12-2016 को अपनी फर्म के लिए इलेक्‍ट्री कंट्रोल एमसीसीबी-250 एटीपी तीन नग कुल 25 हजार रूपये में विपक्षी से खरीदे। विपक्षी ने उसकी रसीद दी। इस इलेक्‍ट्री कंट्रोल को परिवादी ने अपनी फैक्‍ट्री में लगवाया, इसके लगने के बाद फर्म का विद्युत बिल अप्रत्‍याशित रूप से बढ़ गया। परिवादनी ने इस बात की शिकायत विपक्षी से की तो विपक्षी ने अपना इंजीनियर मुरादाबाद भेजा, उसने निरीक्षण करके परिवादनी को बताया कि उनकी समस्‍या दूर कर दी गई है। परिवादनी के अनुसार पहले उसका बिल लगभग 12 हजार रूपये म‍हीने का आता था किन्‍तु जनवरी, 2017 में उसका बिल अंकन-47301/-रूपये का तथा फरवरी, 2017 में अंकन-55842/-रूपये का आया। परिवादनी के अनुसार बिजली की खपत में बढ़ोत्‍तरी डिफेक्टिव एमसीसीबी लगाये जाने की वजह से हुई। परिवादनी द्वारा पुन: शिकायत करने पर भी विपक्षी का इंजीनियर इस समस्‍या को दूर नहीं कर पाया। परिवादनी ने विपक्षी के कृत्‍यों को सेवा में कमी होना बताते हुए परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादनी ने अपना शपथपत्र दाखिल किया, इसके अतिरिक्‍त उसने एमसीसीबी खरीदने की सेल्‍स इंवायस, नवम्‍बर, 2016, दिसम्‍बर, 2016 के बिजली के बिल जमा करने की रसीदों तथा माह जनवरी, 2017 व फरवरी, 2017 के विद्युत बिलों की नकलों को दाखिल किया। विपक्षी को भिजवाये गये कानूनी नोटिस की नकल भी परिवादनी ने दाखिल की, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/10 हैं।
  4. विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-6/1 लगायत 6/9 दाखिल किया गया, इसके अतिरिक्‍त सूची कागज सं.-6/10 के माध्‍यम से परिवादनी की ओर से प्राप्‍त नोटिस, इस नोटिस का विपक्षी की ओर से परिवादनी के अधिवक्‍ता को भेजे गये उत्‍तर, नोटिस का उत्‍तर भेजने की डाकखाने की रसीद, एमसीसीबी खरीदे जाने की सेल्‍स इंवायस तथा विपक्षी कंपनी की ओर से दी गई स्‍पेशल पॉवर आफ एटार्नी की नकलों को दाखिल किया गया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-6/11 लगायत 6/22 हैं।
  5. प्रतिवाद पत्र में विपक्षी द्वारा यह तो स्‍वीकार किया गया है कि परिवादनी ने उत्‍तरदाता विपक्षी से दिनांक 14-12-2016 को परिवाद के पैरा-1 में उलिलखित एमसीसीबी 25 हजार रूपये में खरीदी थी किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया। अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि विपक्षी का कोई एजेंट परिवादनी के पास गया हो, ऐसा परिवादनी का कथन असत्‍य है। यह भी असत्‍य है कि परिवादनी को यह बताया गया हो कि एमसीसीबी लगाने से बिजली की खपत लगभग 75 प्रतिशत कम हो जायेगी। परिवादनी को उत्‍तरदाता विपक्षी ने इलेक्‍ट्री कंट्रोल विक्रय नहीं किया, यह एक अलग उपकरण है, जो मशीन एवं लिफ्ट आदि में कंट्रोल करने के लिए इस्‍तेमाल होता है। परिवादनी द्वारा बिजली के जो अधिक बिल आना कहा गया है, उससे अथवा बिजली की खपत में बदलाव से एमसीसीबी का कोई संबंध नहीं है। इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है क्‍योंकि परिवादनी ने एमसीसीबी कानपुर से खरीदा है। यह भी कहा गया कि प्रश्‍नगत विवाद ‘’उपभोक्‍ता विवाद’’ नहीं है क्‍योंकि परिवादनी उपभोक्‍ता की परिभाषा में नहीं आती। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
  6. परिवादनी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-11/1 लगायत 11/2 दाखिल किया, इसके  साथ उसने परिवाद के साथ दाखिल प्रपत्रों को पुन: बतौर संलग्‍नक दाखिल किया।
  7. विपक्षी की ओर से श्री संजय दीक्षित का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/7 दाखिल हुआ।
  8. विपक्षी की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई। परिवादनी ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  9. हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  10. पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादनी ने विपक्षी से 25 हजार रूपये मूल्‍य देकर दिनांक 14-12-2016 को प्रश्‍नगत एमसीसीबी खरीदी थी। परिवादनी पक्ष के अनुसार यह एमसीसीबी डिफेक्टिव है। इसके विपरीत विपक्षी का कथन है कि इसमें कोई दोष नहीं है।
  11. विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रश्‍नगत एमसीसीबी कानपुर नगर से खरीदी गई थी, विपक्षी की कोई शाखा मुरादाबाद में नहीं है, ऐसी दशा में इस फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवादनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने इन तर्कों का प्रतिवाद किया। यह सही है कि एमसीसीबी कानपुर नगर से खरीदी गई थी किन्‍तु परिवाद में उलिलखित समस्‍या तब आयी जब इसे मुरादाबाद में स्थित फैक्‍ट्री में इनस्‍टाल कराया गया। कहने का आशय यह है कि परिवादनी को वाद का कारण इस फोरम के क्षेत्राधिकार में उत्‍पन्‍न हुआ। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-11(2)(सी) की व्‍यवस्‍था अनुसार इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ऐसा कोई प्रमाण फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं कर पाये, जिससे यह प्रमाणित हो कि प्रश्‍नगत एमसीसीबी का परिवादनी द्वारा व्‍यवसायिक उपयोग किया गया है। परिवादनी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि परिवादनी ने एमसीसीबी अपनी फैक्‍ट्री में लगवायी थी, जिसे वह अपने जीविकोपार्जन के लिए संचालित करती है। हम संतुष्‍ट हैं कि परिवादनी उपभोक्‍ता की परिभाषा में आती है।
  12. विपक्षी की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा-1 में एमसीसीबी की सेल्‍स इंवायस कागज सं.-3/5 को स्‍वीकार करते हुए परिवादनी के इन कथनों को भी स्‍वीकार किया है कि परिवादी ने तीन नग एमसीसीबी जिनका उल्‍लेख सेल्‍स इंवायस में किया गया है, 25 हजार रूपये मूल्‍य देकर विपक्षी से खरीदी थी। विपक्षी की उक्‍त स्‍वीकारोक्ति के दृष्टिगत उसकी ओर से बहस के दौरान प्रस्‍तुत किये गये इस तर्क में कोई बल नहीं रह जाता कि परिवादनी ने सेल्‍स इंवायस में उल्लिखित एमसीसीबी के अतिरिक्‍त कोई इलेक्ट्रिक कंट्रोल भी विपक्षी से खरीदा था। पक्षकारों के अभिकथनों तथा सेल्‍स इंवायस के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि दोनों ही पक्षों को पता है कि इस सेल्‍स इंवायस के माध्‍यम से परिवादनी ने विपक्षी से दिनांक 14-12-2016 को क्‍या खरीदा था और इसमें किसी प्रकार के भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं है।
  13. विपक्षी की ओर से दाखिल जबाव नोटिस की नकल कागज सं.-6/12 लगायत 6/15 के पैरा-10 में विपक्षी ने परिवादनी के समक्ष यह प्रस्‍ताव रखा है कि परिवादनी यदि चाहे तो विपक्षी इन तीन नग एमसीसीबी का मूल्‍य 25 हजार रूपये परिवादनी को वापस करने के लिए तैयार है। ऐसी दशा में हम यह उचित समझते हैं कि परिवादनी जब एमसीसीबी से संतुष्‍ट नहीं है तो विपक्षी से उसे इसका मूल्‍य ब्‍याज सहित वापस दिला दिया जाये और परिवादनी सेल्‍स इंवायस में उल्लिखित तीन नग एमसीसीबी विपक्षी को वापस कर दे।
  14. जहां तक परिवादनी के इस कथन का प्रश्‍न है कि एमसीसीबी इनस्‍टाल करने के बाद फैक्‍ट्री का बिजली का बिल अप्रत्‍याशित रूप से अधिक आने लगा, हम इस कथन से सहमत नहीं हैं क्‍योंकि अभिकथित रूप से अधिक विद्युत बिल एमसीसीबी के कारण आया इस बात का परिवादनी की ओर से कोई प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, अन्‍यथा भी एमसीसीबी का कार्य केवल यह होता है कि वोल्‍टेज में अप्रत्‍याशित फ्लेक्‍चुएशन होने पर यह विद्युत प्रवाह को सट-आफ कर देती है। हमारे विनम्र अभिमत में एमसीसीबी के कारण विद्युत बिल में अप्रत्‍याशित बढ़ोत्‍तरी होने का कोई प्रमाण चूंकि पत्रावली पर नहीं है, ऐसी दशा में उक्‍त मद में परिवादनी द्वारा मांगा गया अनुतोष स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है। परिवाद तद्नुसार निस्‍तारित होने योग्‍य है।  

परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित अंकन-25000(पच्‍चीस हजार) रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादनी के पक्ष में विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवादनी परिवाद व्‍यय की मद में विपक्षी से अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त पाने की भी अधिकारिणी होगी। इस आदेशानुसार धनराशि प्राप्‍त करने से पूर्व परिवादनी को सेल्‍स इंवायस की नकल कागज सं.-3/5 में उल्लिखित तीन नग एमसीसीबी विपक्षी को वापस करनी होंगी। इस आदेशानुसार धनराशि को भुगतान दो माह के भीतर किया जाये।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •       अध्‍यक्ष

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •      अध्‍यक्ष

दिनांक: 15-05-2018

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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