Uttar Pradesh

StateCommission

A/736/2018

Ex.Eng. Vidyut Vitran Khand - Complainant(s)

Versus

Bhawani Deen Ahrwar - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

19 Apr 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/736/2018
( Date of Filing : 23 Apr 2018 )
(Arisen out of Order Dated 17/03/2018 in Case No. C/59/2012 of District Mahoba)
 
1. Ex.Eng. Vidyut Vitran Khand
Mahoba
...........Appellant(s)
Versus
1. Bhawani Deen Ahrwar
Mahoba
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Apr 2022
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 736/2018

 

अधिशासी अभियंता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 विद्युत वितरण खण्‍ड, महोबा, जिला महोबा।

                                            .........अपीलार्थी

                       बनाम

भवानीदीन अहिरवार पुत्र श्री नत्‍थू लाल अहिरवार निवासी ग्राम- घनघौरा परगना व तहसील कुलपहाड, जनपद महोबा, उ0प्र0।

                                               .......प्रत्‍यर्थी

समक्ष:-

   माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।   

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से  : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।                         

प्रत्‍यर्थी की ओर से    : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

                     

दिनांक:- 19.04.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय/आदेश

          परिवाद सं0- 59/2012 भवानीदीन अहिरवार बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में जिला उपभोक्‍ता आयोग, महोबा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 17.03.2018 के विरुद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है। 

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद पत्र इन आधारों पर प्रस्‍तुत किया गया कि उसने वर्ष 2005 में अपीलार्थी/विपक्षी के यहां विद्युत कनेक्‍शन प्राप्‍त करने हेतु आवेदन किया था और मु0 730/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी विभाग में जमा करके अपने निजी उपयोग हेतु घरेलू कनेक्‍शन सं0- 000163 तथा खण्‍ड संकेत सं0- एम0बी0/2 बुक सं0- 0243 प्राप्‍त किया था। विद्युत कनेक्‍शन लिये जाने के पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी के गांव का ट्रांसफार्मर दि0 20.07.2006 को जलकर खराब हो गया, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी के गांव की विद्युत आपूर्ति बाधित हो गई और प्रत्‍यर्थी/परिवादी तथा गांव के अन्‍य उपभोक्‍तागण के द्वारा किये गये काफी प्रयास के बावजूद अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के गांव का ट्रांसफार्मर माह-जून वर्ष 2011 तक नहीं बदला गया जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी व गांव के अन्‍य विद्युत कनेक्‍शनधारकों को बहुत लम्‍बे समय तक विद्युत उपभोग से वंचित रहना पड़ा जो अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में त्रुटि एवं कमी है।                 उपरोक्‍त विद्युत आपूर्ति बाधित रहने की अवधि जुलाई 2006 से जून 2011 तक अपीलार्थी/विपक्षी फर्जी रीडिंग के विद्युत बिल मनमाने तरीके से उपभोक्‍ताओं से वसूलने की कुचेष्‍ठा में हैं जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को घोर मानसिक, शारीरिक व आर्थिक कष्‍ट का सामना करना पड़ रहा है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के  यहां विद्युत मीटर सं0- एल.एफ.9439 स्‍थापित किया गया है जो वर्तमान तक सही कार्य कर रहा है और उसके द्वारा उससे 800 यूनिट विद्युत उपभोग प्रदर्शित कर रहा है। उपरोक्‍त तथ्‍यों की जानकारी के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जानबूझकर फर्जी रीडिंग के आधार पर जारी विद्युत बिल सं0- 9221063 दि0 21.01.2011 की राशि मु0 16,229/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी से जबरन वसूलना चाहते हैं तथा उक्‍त धनराशि जमा न करने पर आर0सी0 जारी करने की धमकी दे रहे हैं, जिससे व्‍यथित होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

          अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा निर्धारित फीस जमा करके विद्युत कनेक्‍शन लिया जाना तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के यहां मीटर लगाये जाने के तथ्‍य को स्‍वीकार किया गया है तथा परिवाद पत्र के शेष कथनों का खण्‍डन किया गया है।  यह कथन किया कि परिवाद तथ्‍यों एवं विधि के विपरीत है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्युत संयोजन के दिनांक से ही विद्युत देयों की अदायगी न करने के कारण दि0 07.02.2012 को उसका विद्युत संयोजन विच्‍छेदित कर दिया गया था।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन गलत है कि दि0 20.06.2006 को ट्रांसफार्मर जल जाने के कारण गांव की विद्युत आपूर्ति बाधित हो गई और माह-जून, 2011 तक ट्रांसफार्मर बदला नहीं गया जिस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्‍य गांववासी विद्युत उपभोग करने से वंचित रहे। वास्‍तविकता यह है कि ट्रांसफार्मर पूर्व से यथावत कायम है तथा ग्रामवासियों को विद्युत सप्‍लाई प्रदाय की जा रही है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ट्रांसफार्मर जलने का तथ्‍य विद्युत देयों की अदायगी से बचने के लिए असत्‍य अंकित किया है। परिवाद में वर्णित ट्रांसफार्मर जब से लगाया गया है तब से विभागीय अभिलेखानुसार एवं मौके पर जांचोपरांत खराब ही नहीं हुआ है और न ही विद्युत विभाग के भण्‍डार केन्‍द्र से उक्‍त स्‍थान पर लगाये जाने हेतु नया ट्रांसफार्मर जारी किया गया है। परिवाद पत्र में वर्णित ट्रांसफार्मर से अन्‍य उपभोक्‍ता जिन्‍होंने विद्युत संयोजन ले रखा है विद्युत देयों की अदायगी कर रहे हैं। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन त्रुटिपूर्ण व असत्‍य है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के संयोजन में स्‍थापित मीटर खराब हो गया है इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आई0डी0एफ0 के अंतर्गत बिल प्रेषित किया जा रहा है जो नियमानुसार पूर्णत: सही है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दायित्‍व देय समस्‍त विद्युत बिल अदायगी करने का है। विद्युत देयों की अदायगी न करने पर वसूली नियमानुसार राजस्‍व देयों के माध्‍यम से की जायेगी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का विद्युत संयोजन विद्युत देयों की अदायगी न करने के कारण विच्‍छेदित किया गया है तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी जब तक समस्‍त विद्युत देय अदा नहीं कर देता संयोजन कराने का अधिकारी नहीं है। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रति कोई सेवा में त्रुटि अथवा व्‍यापारिक कदाचरण नहीं किया गया है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद सव्‍यय खारिज किये जाने योग्‍य है।      ‍        

          हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा को सुना एवं प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया।

          यहां यह तथ्‍य उल्लिखित करना आवश्‍यक है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से पूर्व में यह अनुरोध किया था कि खराब ट्रांसफार्मर को बदला जावे और अंदाजन भेजे जाने वाले विद्युत बिल में गलत मीटर रीडिंग के आधार पर विद्युत बिल की देयता समाप्‍त की जावे तथा सही मीटर रीडिंग का विद्युत बिल उपलब्‍ध कराया जावे, फिर भी अवर अभियंता एवं अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा न तो खराब ट्रांसफार्मर का शुद्धीकरण कराया गया न ही विद्युत मीटर को सही कराकर बिल भेजा गया और न ही उक्‍त के सम्‍बन्‍ध में कोई स्‍पष्‍टीकरण ही प्रस्‍तुत किया गया। यद्यपि अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग के अवर अभियंता द्वारा ग्राम प्रधान के द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र से यह साबित करने की चेष्‍ठा की गई कि जिस ट्रांसफार्मर के खराब होने के कारण विद्युत वितरण बाधित रहने का कथन किया गया वास्‍तव में मौके पर जाकर उक्‍त कथन को सही नहीं पाया गया।

          जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभयपक्ष के द्वारा प्रस्‍तुत कथनों को दृष्टिगत रखते हुए तथा साक्ष्‍य का समग्र परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरांत यह पाया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग का स्‍वीकृत रूप से विद्युत उपभोक्‍ता रहा है एवं सम्‍बन्धित विद्युत ट्रांसफार्मर दि0 20.07.2006 को जल जाने के कारण विद्युत आपूर्ति बाधित रही जो 05 वर्ष की अवधि के उपरांत पुन: चालू की जा सकी जो कि अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से सेवा में घोर कमी एवं व्‍यापारिक कदाचरण को प्रमाणित करता है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इस तथ्‍य को भी संज्ञान में लिया गया कि विद्युत प्रदाता अर्थात अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बिना विद्युत प्रदाय किये एवं बिना विद्युत मीटर के सही होने के बावजूद अनुमान के आधार पर विद्युत बिल निर्गत किये गये हैं वह निश्चित रूप से उपभोक्‍ता को मानसिक पीड़ा पहुँचाते हैं तथा यह कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 एक सामाजिक विधायन है जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य उपभोक्‍ताओं को विधि विरुद्ध शोषण से बचाना है। तदनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा निर्गत विद्युत बिल दिनांकित 21.01.2011 मु0 16,239/-रू0 को निरस्‍त किया गया जो हमारे विचार से पूर्णत: विधिसम्‍मत है, परन्‍तु जहां तक जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक व आर्थिक क्षति के मद में देय धनराशि की देयता का प्रश्‍न है अर्थात रू0 3,000/- एवं वाद व्‍यय के मद में रू0 2,000/- वह समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए अनुचित प्रतीत होती है, जिसे समाप्‍त किया जाता है। शेष निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।  

          तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है।        

              अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय/आदेश के अनुसार निस्‍तारण हेतु जिला उपभोक्‍ता आयोग को प्रेषित की जावे।               ‍                     

     आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

   (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                  (विकास सक्‍सेना)

                          अध्‍यक्ष                            सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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