// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/2014/115
प्रस्तुति दिनांक 24/06/2014
1. लखन सिंह परिहार पिता स्वर्गीय शिवपाल सिंह आयु 55 वर्ष,
पता- टाउन वितरण केंद्र पेंड्रा छ.ग.रा. विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित
पेन्ड्रारोड बिलासपुर छ.ग.
2. रामयश सिंह पिता स्वर्गीय शिवधारी सिंह आयु 48 वर्ष,
पता-क्वा.नंबर एन.एफ. 04 सी.एस.ई.बी. कॉलोनी तिफरा
तहसील व जिला बिलासपुर छ.ग.
3. विश्राम सिंह पिता स्वर्गीय पंछीलाल सिंह आयु 55 वर्ष,
पता-कनिष्ठ यंत्री (वि.)
शहरी कार्यालय छ.ग.रा.वि.वितरण कं. मर्यादित
पेण्ड्रारोड जिला बिलासपुर छ.ग. ......आवेदकगण /परिवादीगण
विरूद्ध
- उप क्षेत्रीय अधिकारी,
भविष्य निधि संगठन क्षेत्रीय कार्यालय छ0ग0
ब्लाक डी स्कीम 32 इंदिरा व्यवसायिक परिसर पंडरी रायपुर छ.ग.
- प्रवर्तन अधिकारी जिला कार्यालय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन
सी एम डी कॉलेज के पास, कौशलेन्द्र राव लॉ कालेज के बाजू में
बिलासपुर छ.ग.
- कार्यपालन यंत्री एस.टी.आर.ई. निर्माण संभाग म.प्र.
विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित,
छतरपुर मध्य प्रदेश ..............अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 17/06/2015 को पारित)
१. आवेदकगण ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह संयुक्त परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदकगण से जमा ई.पी.एफ. राशि को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदकगण वर्तमान में छ.ग.राज्य विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारी हैं, जो नवम्बर 1989 से मार्च 2000 तक अनावेदक क्रमांक 3 के अधीनस्थ मस्टर रोल नियमों के अंतर्गत कार्यरत रहे, उक्त अवधि में उनके वेतन से प्रतिमाह ई.पी.एफ. राशि की कटौती की गई, जो वर्तमान में अनावेदक क्रमांक 1 के संस्थान में जमा है तथा जिसका निराकरण क्षेत्रीय कार्यालय के नाते अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा किया जाता है । मार्च 2000 के पश्चात आवेदकगण छ.ग.राज्य विद्युत वितरण कंपनी के स्थायी कर्मचारी नियुक्त हुए तद्उपरांत उन्होंने अपने मस्टररोल नियमों के तहत नवम्बर 1989 से मार्च 2000 तक काटी गई ई.पी.एफ. राशि को प्राप्त करने के लिए अनावेदक क्रमांक 2 के निर्देशानुसार अनावेदक क्रमांक 3 को पत्र भेजा साथ ही दूरभाष से संपर्क किया, जिसने उन्हें कार्यवाही करने का आश्वासन मात्र दिया, किंतु कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया । अत: उन्होंने इसे अनावेदकगण की सेवा में कमी निरूपित करते हुए यह परिवाद पेश कर अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है।
3. अनावेदक क्रमांक 1 व 2 संयुक्त जवाबदावा पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किये कि आवेदकगण का भविष्य निधि खाता उपक्षेत्रीय कार्यालय सागर म.प्र. में अनुरक्षित है तथा उनके खातों से संबंधित कोई भी दस्तावेज अथवा जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है, फलस्वरूप उनके द्वारा सेवा में कमी का कोई प्रश्न ही नहीं उठता । उक्त आधार पर उन्होंने परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया है ।
4. अनावेदक क्रमांक 3 मामले में एकपक्षीय रहा, उसके लिए कोई जवाब दावा दाखिल नहीं किया गया है ।
5. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
6. देखना यह है कि क्या आवेदकगण, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने के अधिकारी हैं \
सकारण निष्कर्ष
7. आवेदकगण वर्तमान में मार्च 2000 से छ.ग.राज्य विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारी हैं, उनका परिवाद मुख्य रूप से यह है कि वे नवम्बर 1989 से मार्च 2000 तक अनावेदक क्रमांक 3 के अधीनस्थ मस्टर रोल नियमों के अंतर्गत कार्यरत रहे, उक्त अवधि में उनके वेतन से प्रतिमाह ई.पी.एफ. राशि की कटौती की गई, मार्च 2000 के पश्चात आवेदकगण अपने मस्टररोल नियमों के तहत नवम्बर 1989 से मार्च 2000 तक काटी गई ई.पी.एफ. राशि को प्राप्त करने के लिए अनावेदक क्रमांक 3 को पत्र भेजा, किंतु उनके पत्र पर कार्यवाही करने के बजाए अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा मात्र आश्वासन दिया गया । आवेदकगण अपने परिवाद में अनावेदक क्रमांक 1 व 2 को पक्षकार इस रूप में बनाए हैं कि ई.पी.एफ. की राशि अनावेदक क्रमांक 1 के संस्थान में जमा है, जिसका निराकरण क्षेत्रीय कार्यालय के नाते अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा किया जाता है, किंतु उनके द्वारा भी उन्हें ई.पी.एफ. की राशि के भुगतान में कोई रूचि नहीं ली गई ।
8. आवेदकगण अपने इस कथन के समर्थन में कि नवम्बर 1989 से मार्च 2000 के मध्य उनके वेतन से प्रतिमाह काटी गई ई.पी.एफ. की राशि अनावेदक क्रमांक 1 के यहॉं जमा है, कोई साक्ष्य अथवा प्रमाण न्यायालय के समक्ष दाखिल नहीं किए हैं, जबकि अनावेदक क्रमांक 1 व 2 अपने जवाब में इस बात से इंकार किए हैं कि आवेदकगण के भविष्य निधि खाते से संबंधित कोई जानकारी अथवा दस्तावेज उनके पास उपलब्ध है, बल्कि उनके अनुसार आवेदकगण का भविष्य निधि खाता उपक्षेत्रीय कार्यालय सागर म.प्र. में अनुरक्षित है ।
9. आवेदकगण द्वारा मामले में ऐसा कोई साक्ष्य अथवा प्रमाण भी पेश नहीं किया गया है, जिससे दर्शित हो कि आवेदक क्रमांक 1 व 2, अनावेदक क्रमांक 3 से संबंधित है । इस प्रकार वास्तव में यह मामला क्षेत्राधिकार से बाधित है । अनावेदक क्रमांक 3 का कोई शाखा कार्यालय इस फोरम के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं है, बल्कि म.प्र. राज्य में है । अत: इस संबंध में आवेदकगण को निर्देशित किया जाता है कि वे वांछित अनुतोष प्राप्ति के लिए संबंधित क्षेत्राधिकार के फोरम के समक्ष कार्यवाही करे । इस संबंध में उनका यह परिवाद इस फोरम के समक्ष प्रचलन योग्य नहीं पाया जाता, फलत: निरस्त किया जाता है।
10. उभय पक्ष अपना-अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे ।
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य