राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या–1026/2023
जय प्रकाश सिंह पुत्र स्व0 कमला प्रसाद सिंह निवासी ग्राम फत्तेपुर पोस्ट अहिरौला जनपद-आजमगढ़ हाल पता-शि0 8/50-5-ए-1 अयोध्यापुरी कालोनी, शिवपुर, वाराणसी।
बनाम
भारतीय स्टेट बैंक शाखा फूलपुर जनपद आजमगढ़ जरिये शाखा प्रबन्धक 276001 व अन्य।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता : श्री अतुल कीर्ति
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता: कोई नहीं
दिनांक 14.10.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्धारा परिवाद संख्या– 127/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.01.2023 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में, परिवाद के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी का उसके पिता कमला सिंह के साथ संयुक्त बचत खाता संख्या-10986589714 विपक्षी संख्या-01 के शाखा में है। परिवादी के पिता को दिनांक 22.09.2018 को मानसिक पक्षाघात हुआ जिनका दवा इलाज परिवादी द्धारा वाराणसी में ही कराया जा रहा है वे शारीरिक व मानसिक रूप से पैरालाइज है। परिवादी के पिता के नाम विपक्षी संख्या-01 की शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में ऋण स्वीकृत है है जो भारत सरकार की कृषि ऋण राहत योजना के अंतग्रत माफ कर दी गई थी। परिवादी ने विपक्षी से इस संबंध में विभिन्न तिथियों पर सूचना के अधिकार में सूचना मांगा परन्तु विपक्षी द्धारा नहीं दिया गया। विपक्षी बैंक द्धारा दिनांक07.08.2014 को परिवादी के पिता के नाम से रू0 4,38,025/- का वसूली प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया है जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने यह परिवाद योजित किया है।
विपक्षी ने अपने जवाबदावा में कहा है कि यह प्रकरण विधिक रूप से जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष पोषणीय नहीं है क्योंकि परिवादीगण की ओर से कालबाधित अनुतोष वांछित है। पूर्व में यह प्रकरण जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्धारा क्षेत्राधिकार के बिन्दु पर खारिज किया जा चुका है। विपक्षी बैंक की ओर से दाण्डिक प्रकीर्ण रिट याचिका नम्बर 6484 वर्ष 2022 में मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 07.12.2022 की सत्य प्रमाणित प्रतिलिपि प्रस्तुत की गई जिसमे यह अवधारित किया गया है कि विद्वेषपूर्ण अभियोजन के आशय से यह वाद योजित किया गया है।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
‘’ परिवाद विधिक रूप से पोषणीय न होने के कारण निरस्त कियाजाता है। उभय पक्ष अपना-अपना हर्जा व खर्चा स्वयं वहन करेंगे। प्रकरण के अभिलेख नियमानुसार दाखिल दफ्तर करें।‘’
मेरे द्धारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता श्री अतुल कीर्ति को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हॅू कि विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, इसमे किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्धारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.,
कोर्ट न0- 1