जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, कोरबा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/14/28
प्रस्तुति दिनांक:- 15/04/2014
समक्ष:- छबिलाल पटेल, अध्यक्ष,
श्रीमती अंजू गबेल, सदस्य,
श्री राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, सदस्य
अजय कुमार वर्मा, उम्र-48 वर्ष,
पिता श्री परशु राम वर्मा, मकान नंबर-सी-7,
आफिसर्स कॉलोनी, पोस्ट–बलगी नगर,
तहसील-कटघोरा, जिला–कोरबा (छ.ग.) पिन 495455............................आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
भारतीय जीवन बीमा निगम,
शाखा क्रमांक-1, कोरबा, जिलाधिकारी कार्यालय के समीप,
कोसाबाड़ी, पोस्ट-रामपुर, जिला कोरबा (छ.ग.)
पिन 495677…....................................................................अनावेदक/विरोधीपक्षकार
आवेदक द्वारा श्री संतु साहू अधिवक्ता।
अनावेदक द्वारा श्री पी0 के0 अग्रवाल अधिवक्ता।
आदेश
(आज दिनांक 15/04/2015 को पारित)
01. परिवादी/आवेदक अजय कुमार वर्मा के द्वारा अपने पुत्र आकर्ष कुमार वर्मा के जीवन में ली गयी बीमा पॉलिसी का अभ्यर्पण करने पर कुल जमा प्रीमियम की राशि 85,592/-रू0 के बदले में मात्र 49,389/-रू0 प्रदान कर सेवा में कमी किये जाने के आधार पर कम भुगतान की गयी राशि 36,203/-रू0, ब्याज की राशि 30,000/-रू0 अनावेदक के पास आने-जाने का ब्यय 10,000/-रू0, मानसिक क्षपिूर्ति 5000/-रू0 तथा अन्य व्यय 2000/-रू0 इस प्रकार कुल 83,206/-रू0 अनावेदक से दिलाये जाने हेतु, यह परिवाद पत्र धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रस्तुत किया गया है।
02. यह स्वीकृत तथ्य है कि आवेदक के द्वारा अपने पुत्र आकर्ष कुमार वर्मा के नाम पर बीमा पॉलिसी क्रमांक 377862669 दिनांक 15/03/2004 को लिया गया था, वह कोमल जीवन योजना बीमा पॉलिसी था, जिसका प्लान नंबर 159/21/13 तथा बीमाधन राशि 1,00,000/-रू0 जिसका वार्षिक प्रीमियम राशि 10699/-रू0 निर्धारित किया गया था। उक्त बीमा पॉलिसी को आवेदक के द्वारा सरेंडर किया गया, तब 49,389/-रू0 का भुगतान आवेदक को किया गया है, शेष बाते विवादित है।
03. परिवादी/आवेदक का परिवाद-पत्र संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक के द्वारा अनावेदक से बीमा पॉलिसी दिनांक 15/03/2004 को प्राप्त किया था, जिसके संबंध में प्रतिवर्ष 10,699/-रू0 का भुगतान बीमा प्रीमियम के रूप में किया जाना था। आवेदक के द्वारा आठवें प्रीमियम की राशि दिनांक 17/04/2011 तक अनावेदक को भुगतान किया जा चुका है, जो कुल राशि 85592/-रू0 होते है। आवेदक के द्वारा उक्त आठवे प्रीमियम की राशि के बाद उक्त बीमा पॉलिसी को सरेंडर कर दिये जाने पर अनावेदक की ओर से मात्र 49,389/-रू0 का भुगतान आवेदक को किया गया। इस प्रकार कुल जमा प्रीमियम राशि में से 36,203/-रू0 की राशि आवेदक को कम अदा की गयी है। आवेदक के द्वारा उसके संबंध में शिकायत किये जाने पर भी उक्त राशि का भुगतान नहीं किया गया। इसलिए 36,203/-रू0 की राशि 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से आवेदक को दिलायी जावे। आवेदक ने जो प्रीमियम राशि अदा किया था, उसके संबंध में चक्रवृद्धि ब्याज 14 प्रतिशत वार्षिक की दर से 30,000/-रू0, अनावेदक के कार्यालय में आने जाने का 10,000/-रू0, मानसिक क्षतिपूत्रि की राशि 5,000/-रू0 तथा अन्य अनुतोष 2000/-रू0 इस प्रकार कुल राशि 83206/-रू0 अनावेदक से आवेदक को दिलायी जावे।
04. अनावेदक द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा संक्षेप में इस प्रकार है कि अजय कुमार वर्मा के द्वारा अपने पुत्र आकर्ष कुमार वर्मा के जीवन पर बीमा पॉलिसी क्रमांक 377862669 दिनांक 15/03/2004 को लिया गया था, वह कोमल जीवन योजना बीमा पॉलिसी था, जिसका प्लान नंबर 159/21/13 तथा बीमाधन राशि 1,00,000/-रू0 जिसका वार्षिक प्रीमियम राशि 10699/-रू0 निर्धारित किया गया था। आवेदक ने 08 प्रीमियम राशि चुकाने के पश्चात उक्त बीमा पॉलिसी को सरेंडर किये जाने हेतु आवेदन अनावेदक के कार्यालय में पेश किया, तब नियमानुसार गणना करते हुए 49,389/-रू0 का भुगतान आवेदक को किया गया है। इस अनावेदक के द्वारा आवेदक को 36,203/-रू0 कम भुगतान करने की बात गलत है। आवेदक के द्वारा ली गयी बीमा पॉलिसी की अवधि 21 वर्ष थी। जिसके वार्षिक प्रीमियम अदा करने की अवधि 13 वर्ष थी। आवेदक के द्वारा ली गयी उक्त बीमा पॉलिसी में जीवन बीमा लाभ के अतिरिक्त प्रीमियम वेवर बेनीफिट व टर्मराईडर भी लिया गया था। जिसमें बीमाधारी के जीवन का जोखिम आवेदक के द्वारा बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने तक जारी रहा। इस प्रकार इस अनावेदक के द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। अत: परिवाद पत्र को निरस्त किया जावे।
05. परिवादी/आवेदक की ओर से अपने परिवाद-पत्र के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज तथा स्वयं का शपथ-पत्र दिनांक 15/04/2014 का पेश किया गया है। अनावेदक द्वारा जवाबदावा के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज तथा पी0 ए0 राव, मैनेजर, भारतीय जीवन बीमा निगम मंडल कार्यालय बिलासपुर का शपथ-पत्र दिनांक 16/07/2014 का पेश किया गया है। उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया गया।
06. मुख्य विचारणीय प्रश्न है कि:-
क्या परिवादी/आवेदक द्वारा प्रस्तुत परिवाद-पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है?
07. आवेदक ने दस्तावेज क्रमांक ए/2बी एवं ए/4सी का प्रस्तुत किया है, जिसमें उसके द्वारा अपने पुत्र की बीमा पॉलिसी क्रमांक 377862669 के संबंध में 08 वार्षिक प्रीमियम की कुल राशि 85592/-रू0 का भुगतान किया जाना दर्शाया गया है। अनावेदक के द्वारा आवेदक को दस्तावेज क्रमांक ए/2सी के अनुसार बीमा पॉलिसी के सरेंडर किये जाने पर दी जाने वाली राशि की गणना करते हुए 49,389/-रू0 भुगतान किये जाने योग्य दर्शाया गया है। आवेदक के द्वारा बीमा पॉलिसी सरेंडर करने से संबंधित जो आवेदन पत्र अनावेदक के पास प्रस्तुत किया गया था, वह दस्तावेज क्रमांक डी/4 के रूप में प्रस्तुत किया गया है,जो आवेदक के द्वारा दिनांक 22/06/2011 को लिखा गया था।
08. आवेदक ने दस्तावेज क्रमांक ए/1ए का आवेदन पत्र अनावेदक के पास सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत प्रस्तुत किया और, उसके द्वारा जमा की गयी प्रीमियम की राशि में किस तरह से कटौती करते हुए मात्र 49,389/-रू0 प्रदान किया गया और 36,203/-रू0 की राशि कम भुगतान क्यो किया गया? इसके बारे में जानकारी आवेदक को उपलब्ध कराने हेतु निवेदन किया गया है। उक्त जानकारी प्राप्त करने के लिए दस्तावेज क्रमांक ए/1बी के अनुसार शुल्क 10/-रू0 का जमा करना दर्शाया गया है। आवेदक को दस्तावेज क्रमांक ए/2बी,ए/2सी एवं ए/4बी सूचना के अधिकार के तहत प्रदान किया गया है। जिसके संबंध में दस्तावेज क्रमांक ए/2ए का पत्र अनावेदक के लोक सूचना अधिकारी के द्वारा दिनांक 24/07/2012 को आवेदक के पास प्रेषित किया गया है। आवेदक के दस्तावेज क्रमांक ए/2डी एवं ए/4डी के अनुसार बीमा पॉलिसी के सरेंडर करने पर दी जाने वाली राशि के संबंध में जानकारी दी गयी है।
09. आवेदक ने दस्तोवज क्रमांक ए/3 का आवेदन पत्र प्रथम अपीलीय अधिकारी भारतीय जीवन बीमा निगम बिलासपुर को लिखकर आवेदक को 49,389/-रू0 मात्र भुगतान किये जाने में गणना करने को गलत बताते हुए स्पष्टीकरण देने की मांग की है, जिस पर दस्तावेज क्रमांक ए/4 का पत्र दिनांक 21/09/2012 को लिखकर जानकारी उक्त अपीलीय अधिकारी के द्वारा दिया जाना स्पष्ट होता है। आवेदक को उपरोक्त पत्र के माध्यम से यह भी सूचित किया गया है, कि दस्तावेज क्रमांक ए/2डी में यह बताया गया है कि बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने पर उसका समर्पण मूल्य अदा किये गये प्रीमियम से कम क्यों होता है।
उपरोक्त दस्तावेज क्रमांक ए/4डी की संबंधित कंडिका निम्नानुसार है-
WHY THE SURRENDER VALUE IS LESS THAN THE PREMIUMS PAID-
The life insurance is essentially a co-operative movement. The premiums paid by the policyholders are pooled together and the balance of amount after paying the claims of those policyholders who have unfortunately died and meeting the management expenses etc. is formed in to a fund, which is accumulated with interest. As such, when any one of the policyholder desires to opt out of the co-operative enterprises, he is entitled only a share of the amount he contributed in fund and not full premiums paid. This is the reason why the surrender value amount is less than the total premiums paid. As the duration elapsed from date of commencement of policy increases, the ssv factor will also increase.
10. आवेदक ने अनावेदक के लोक सूचना अधिकारी के द्वारा दिये गये आदेश के विरूद्ध प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील पेश किया और उसके बाद पुन: अपील केन्द्रिय सूचना आयुक्त, नई दिल्ली के समक्ष भी प्रस्तुत किया था। जिससे संबधित दस्तावेज क्रमांक ए/5ए, ए/5बी तथा ए/6 तथा ए/7 है।
11. अनावेदक की ओर से आवेदक की विवादित बीमा पॉलिसी की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक डी/3 तथा उसकी मूल प्रति दस्तावेज क्रमांक डी/3ए का प्रस्तुत किया गया है। कोमल जीवन बीमा प्लान नंबर 159 से संबंधित जानकारी दस्तावेज क्रमांक डी/1 में दिया गया है। उक्त बीमा पॉलिसी के संबंध में बीमा प्रस्ताव पत्र दस्तावेज क्रमांक डी/2 को होना दर्शाया गया है।
12. अनावेदक के द्वारा दस्तावेज क्रमांक डी/7, डी/8 एवं डी/9 का स्टेटस रिपोर्ट उपरोक्त विवादित बीमा पॉलिसी के संबंध में प्रस्तुत किया है तथा सरेंडर पेमेंट व्हाउचर दस्तावेज क्रमांक डी/6 का 49,389/-रू0 के संबंध में भी प्रस्तुत किया गया है। उपरोक्त राशि आवेदक ने प्राप्त कर लिया है। आवेदक के अनुसार उसे अनावेदक के द्वारा बीमा पॉलिसी के संबंध में जमा की गयी सभी वार्षिक प्रीमियम की राशि का भुगतान पूर्णत: किया जाना था। अनावेदक की ओर से बताया गया कि उसके द्वारा भुगतान योग्य राशि की गणना विधिवत करते हुए 49,389/-रू0 का भुगतान प्राप्त करने का ही अधिकारी है। अत: परिवाद पत्र को निरस्त करने का निवेदन किया गया है।
13. अनावेदक की ओर से उपरोक्त तर्क के समर्थन में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, नई दिल्ली के द्वारा मेसर्स विजय कन्सर्न विरूद्ध स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 2013(4)सीपीआर एनसी 165, एलआईसी ऑफ इंडिया विरूद्ध रमेशचंद्र 197(2)सीपीआर एनसी 8 के न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किये गये हैं। अनावेदक की ओर से माननीय उच्चतम न्यायालय का भी एक न्याय दृष्टांत एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड विरूद्ध मेसर्स गर्ग संस इंटरनेशनल 2013(4)सीपीआर एससी 373 का प्रस्तुत किया गया है।
14. उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों एवं शपथ पत्र के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है, कि अनावेदक के द्वारा आवेदक को बीमा पॉलिसी की सरेंडर मूल्य (अभ्यर्पण मूल्य) की गणना विधिवत करते हुए देय राशि 49,389/-रू0 का भुगतान किया गया है। इसके संबंध में अनावेदक की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक डी/7 का अवलोकन किया जा सकता है जिसमें गांरटी सरेंडर वेल्यु 9203/-रू0, जोखिम प्रारंभ होने के बाद की राशि 18,407/-रू0 तथा केश वेल्यु 21,768/-रू0 होता है, इस प्रकार कुल 49,378/-रू0 ही आवेदक प्राप्त करने का अधिकारी होता, लेकिन आवेदक को 49,389/-रू0 का भुगतान किया गया है।
15. तदनुसार आवेदक को अनावेदक के द्वारा कम राशि का भुगतान नहीं किया गया है, इसलिए सेवा में कमी किये जाने का तथ्य प्रमाणित नहीं होना पाया जाता है। आवेदक परिवाद पत्र में दर्शित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। इसलिए मुख्य विचारणीय प्रश्न का निष्कर्ष ‘’नहीं’’ में दिया जाता है।
16. अत: आवेदक/परिवादी की ओर से प्रस्तुत इस परिवाद को धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत स्वीकार किये जाने योग्य नहीं होना पाते हुए निरस्त किया जाता है। आदेश दिया जाता है, कि उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेगें।
(छबिलाल पटेल) (श्रीमती अंजू गबेल) (राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य