Rajasthan

Kota

CC/77/2012

Sharda devi - Complainant(s)

Versus

Bhartiya Jeevan Beema Nigam Ltd. - Opp.Party(s)

Ashok Kumar Gupta

03 Aug 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:-77/2012
श्रीमति शारदा देवी पत्नी दिलीप कुमार शर्मा आयु 42 साल जाति ब्राहमण निवासी कुन्हाडी कोटा राजस्थान।               -परिवादिया

                    बनाम
01.    भारतीय जीवन बीमा निगम, झालावाड रोड कोटा राजस्थान।
02.    भारतीय जीवन बीमा निगम,डिवीजनल आफिस जीवन प्रकाश,     राण्डे मार्ग पोस्ट बाक्स नं. 2 अजमेर राजस्थान।   -विपक्षीगण
समक्ष:-
भगवान दास     ः    अध्यक्ष    
महावीर तंवर     ः    सदस्य
हेमलता भार्गव    ः    सदस्य
    परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-

01.    श्री ए0के0गुप्ता, अधिवक्ता, परिवादिया की ओर से। 
02.    श्री एम0पी0मित्तल, अधिवक्ता, विपक्षीगण की ओर से। 

            निर्णय             दिनांक 03.08.2015
         

    परिवादिया ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में सेवा दोष बतया है कि  उसके पति दिलीप कुमार की जीवन बीमा पालिसी सं. 184879427 का नियमित रूप से प्रिमियम अदा होने के बावजूद दिनांक 17.11.10 को अचानक हृदयघात से उनकी मृत्यु के फलस्वरूप देय बीमा क्लेम गलत एवं अनुचित रूप से अस्वीकार कर दिया गया। पालिसी के अन्तर्गत वह नोमीनी है। क्लेम अस्वीकार करने से उसे आर्थिक क्षति के साथ-साथ मानसिक संताप भी हुआ है। 
    विपक्षी बीमा निगम के जवाब का सार है कि परिवदिया के पति की जीवन बीमा पालिसी से संबंधित मृत्यु क्लेम की जांच करवाने पर प्रकट हुआ कि उसने बीमा प्रस्ताव प्रस्तुत करने से पूर्व दिनांक 06.04.08 से दिनांक 30.11.08 तक डा0 वर्मा के यहाॅ ईलाज कराया एवं दिनांक 12.11.08 से 15.11.08 तक एम. बी. एस. अस्पताल कोटा में भर्ती भी रहा इसके अलावा बीमारी के कारण इस अवधि में कार्यालय से अवकाश भी लिया। जबकि बीमा प्रस्ताव में बीमारी, ईलाज व अवकाश से संबंधित प्रश्नों का जान बूझकर असत्य जवाब दिया अर्थात् इन तथ्यों को जान बूझकर छिपाते हुये विपक्षी बीमा कंपनी को धोखा देकर उससे बीमा संविदा की, जिस कारण पालिसी के अन्तर्गत कोई क्लेम देय नही होने से सही खारिज किया गया। सेवा में कोई कमी नहीं की गई। 

    परिवादिया ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा बीमा पालिसी, पालिसी की परिवादिया के जरिये विपक्षी बीमा निगम को अदा की गई प्रिमियम राशि प्रमाण-पत्र, विपक्षी निगम द्वारा क्लेम खारिज करने के पत्र, स्व. दिलीप शर्मा की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट,विपक्षी निगम को क्लेम हेतु प्रस्तुत पत्र, पोस्टल रसीदे एवं दिलीप शर्मा का मृत्यु प्रमाण-पत्र आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है। 
     विपक्षी निगम ने साक्ष्य मंडल प्रबंधक रमेश चन्द के शपथ-पत्र के अलावा क्लेम खारिज करने के पत्र,क्लेम सेट, स्टेडिंग कमेटी निर्णय,एम.बी.एस. अस्पताल का भर्ती टिकिट, बीमा प्रस्ताव-पत्र, दिलीप शर्मा,  चिकित्सक प्रमाण-पत्र, ईलाज पर्ची, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम कार्यालय कोटा का पत्र दिनांक 27.07.11  आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है। 
    हमने विचार किया।
    विपक्षी बीमा निगम ने परिवादिया के पति की जीवन बीमा पालिसी सं. 184879427 के अन्तर्गत उसकी मृत्यु के कारण क्लेम को इस आधार पर खारिज किया है कि उसने बीमा कराते समय अपनी बीमारी, ईलाज व कार्यालय से अवकाश लेने संबंधी प्रश्नों का जान बूझकर गलत उत्तर दिया एवं सही तथ्यों को छिपाया। 
    प्रश्न यह उठता है कि क्या उक्त आधार पर क्लेम खारिज किया जाना सेवादोष है ?
    इस बात में विवाद की स्थित नहीं है कि परिवादिया के पति श्री दिलीप शर्मा ने विपक्षी बीमा निगम से जीवन बीमा पालिसी सं. 184879427 ली थी जिसकी प्रिमियम राशि उसके नियोजन कार्यालय (राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम) कोटा के माध्यम से विपक्षी बीमा निगम को मृत्यु होने तक नियमित रूप से अदा की थी। यह विवादित नहीं है कि श्री दिलीप शर्मा (बीमाधारी) की मृत्यु दिनांक 17.11.10 को हो गई, जिसका मृत्यु क्लेम नोमीनी (परिवादिया) के जरिये प्रस्तुत होने पर विपक्षी बीमा कंपनी ने पत्र दिनांक 28.11.11 द्वारा उसे खारिज कर दिया । विपक्षी बीमा कंपनी ने क्लेम खारिज करने के पत्र में अंकित किया कि बीमाधारी दिलीप शर्मा ने बीमा पालिसी हेतु विपक्षी निगम के समक्ष दिनांक 03.02.10 को स्वयं के हस्ताक्षर सहित बीमा प्रस्ताव-पत्र प्रस्तुत किया। उसके कालम सं. 11 में श्री दिलीप शर्मा की बीमारी, ईलाज व कार्यालय से अवकाश आदि के संबंध में प्रश्न पूछे गये जिन सभी का उसने ष्नहींष् अर्थात् नकारात्मक उत्तर दिया। जबकि जांच में पाया गया कि उक्त प्रस्ताव प्रस्तुत करने से लगभग 1 वर्ष 2 माह पूर्व  मलेरिया रोग से पीडित रहा जिसके लिये चिकित्सक से परामर्श व ईलाज लिया। बीमारी के आधार पर कार्यालय से अनुपस्थिति का अवकाश भी लिया। इसलिये उसने जानबूझकर अपनी बीमारी, ईलाज व अवकाश से संबंधति तथ्यों के बारे में असत्य कथन किये  सही तथ्यों को छिपाकर धोखे से बीमा संविदा की। विपक्षी बीमा निगम ने दिलीप शर्मा की बीमारी, ईलाज व बीमारी के आधार पर  अवकाश  से संबंधित तथ्यों को प्रमाणित करने के लिये दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत की है जिसमें दिनांक 12.11.08 को एम.बी.एस. अस्पताल कोटा में ईलाज हेतु भर्ती होने व दिनांक 15.11.08 को डिस्चार्ज होने, डा. गिरीश वर्मा प्रोफेसर मेडिसीन से दिनांक 18.11.08 से 29.11.08 तक लगातार मलेरिया रोग हेतु परमार्श लेकर ईलाज लेने व श्री दिलीप शर्मा (बीमाधारी) द्वारा उसके नियोजन कार्यालय मुख्य प्रबंधक, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम, कोटा से बीमारी के कारण दिनांक 06.11.08 से 30.11.08 तक अवकाश लेने के दस्तावेज प्रस्तुत किये है, इन दस्तावेजो का खंडन परिवादिया की ओर से नहीं किया गया है अर्थात् उक्त दस्तावेजी साक्ष्य संदेह से परे है। 
    इस प्रकार हम पाते है कि विपक्षी बीमा निगम द्वारा यह भली- भाॅति सिद्ध कर दिया है कि परिवादिया के पति श्री दिलीप शर्मा (बीमाधारी) ने विपक्षी बीमा निगम से जीवन बीमा पालिसी लेते समय प्रस्तुत किये गये प्रस्ताव-पत्र में बीमारी हेतु उसने चिकित्सक से लिये गये परामर्श, उपचार, अस्पताल में भर्ती होने व बीमारी के आधार पर अपने कार्यालय से अनुपस्थित होने संबंधी महत्वपूर्ण तथ्यो के बारे में जानबूझकर गलत एवं असत्य कथन किये तथा सही तथ्यों को छिपाया, अर्थात् उसने विपक्षी बीमा निगम से जीवन बीमा पालिसी हेतु संविदा करते समय जान बूझकर सही तथ्य छिपा कर कपट व धोखा किया। ऐसी स्थिति में उक्त संविदा के अन्तर्गत विपक्षी बीमा निगम कोई क्लेम देने के लिये उत्तरदायी नहीं है तथा उसने क्लेम खारिज करके सेवा में कोई कमी नहीं की है। क्लेम सही खारिज किया गया है। परिवादिया का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 

                    आदेश 
    अतः परिवादिया श्रीमति शारदा देवी का परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।       


(महावीर तंवर)                 (हेमलता भार्गव)                (भगवान दास)  
  सदस्य                        सदस्य                       अध्यक्ष
 

     निर्णय आज दिनंाक 03.08.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष
           

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.