Rajasthan

Kota

CC/240/2008

Kailashchand jain - Complainant(s)

Versus

Bhartiy Jeevan Beema Nigam ltd., Reginal Manager - Opp.Party(s)

Rajendra kumar jain

20 Jul 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीनः- 

01.    नंदलाल शर्मा    ः    अध्यक्ष  
02.    महावीर तंवर    ः    सदस्य

परिवाद संख्या:-240/08

कैलाश चन्द्र जैन पुत्र जयकुमार जैन जाति महाजन उम्र 60 वर्ष जाति महाजन निवासी 746, महावीर नगर सैकण्ड, कोटा, राजस्थान।                           परिवादी

                    बनाम
01.    क्षैत्रीय प्रबंधक महोदय, भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड गृह वित्त निगम     लिमिटेड, अजमेर, राजस्थान। 
02.    स्थानीय अधिकारी, भारतीय जीवन निगम लिमिटेड, शाखा छावनी चैराहा, कोटा,     राजस्थान।                                           अप्रार्थीगण

    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.    श्री राजेन्द्र कुमार जैन, अधिवक्ता,परिवादी की ओर से ं।
02.    श्री द्धिनेश राय त्रिवेदी, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 1 की ओर से।
03.    अप्रार्थी सं02 को तर्क कर दिया गया। 

            निर्णय             दिनांक 20.07.2015

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया कि उसने अप्रार्थी से 1,20,000/- रूपये लोन लेकर मकान खरीद किया था, लोन की शर्तो के आधार पर मकान के समस्त दस्तावेज मय मूल रजिस्ट्री भारतीय जीवन बीमा निगम को सौप दिये। परिवादी ने मार्च 06 अपना लोन चुकता कर दिया। दिनांक 04.04.06 को जीवन बीमा गृह निगम द्वारा परिवादी को पत्र द्वारा सूचित किया उसके मकान संबंध दस्स्तवेज क्षैत्रीय कार्यालय कोटा पर पहुंचा दिये, जिसमें 7 दस्तावेजों का हवाला दिया उसमें रजिस्ट्री का हवाला नहीं दिया। उक्त सभी दस्तावेज परिवादी ने प्राप्त कर लिये। मूल रजिस्ट्र नहीं होने के कारण  परिवादी ने दिनांक 18.05.06 को अप्रार्थी को पत्र लिखा परन्तु आज तक उक्त मूल रजिस्ट्री परिवादी को नहीं लौटाये। अप्रार्थी ने दिनांक 15.04.08 को श्री पराग महावर ने परिवादी को पत्र दिया जिसने रजिस्ट्री देने से मना कर दिया लेकिन अप्रार्थीगण का कहना है कि लोन प्रारंभ होते समय आपके द्वारा केवल रजिस्ट्री डिपोजिट नही करायी गयी थी। अतः आप सब रजिस्ट्रार से अपनी रजिस्ट्री छुडवा लीजिए आपकी रजिस्ट्री इसी कार्यालय में पडी हुई है। रजिस्ट्री प्राप्त करने के बाद कार्यालय में इसकी सूचना देदे। जबकि उक्त रजिस्ट्री रजिस्ट्रार कार्यालय से ही जीवन बीमा के  प्रतिनिधि के पास चली जातीहै ना कि लोनी को दी जाती है। अप्रार्थीगण ने परिवादी की मूल रजिस्ट्री नहीं लोटा कर उसकी सेवा में कमी की है, इसलिये परिवादी को अप्रार्थीगण से मूल रजिस्ट्री, मानसिक संताप की राशि, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।  
  
    अप्रार्थीसं. 1 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी ने एल आई सी फाइनेन्सिंग लि. क्षे.ीय कार्यालय अजमेर को पक्षकार नहीं बनाया। उक्त प्रकरण में अप्रार्थीगण का नाम जिस प्रकार सेअंकित किया गया है उस तरह की कोई संस्थए अस्तित्व में नही है। परिवादी ने टाईटिल डीड्स जमा किये, उस समय मकान की रजिस्ट्री नही हुई। परिवादी ने जो भी दस्तावेजात हमारे पास जमा कराये वह उसको लौटा दिये। परिवादी ने दिनांक 10.05.06 को एल आई सी फाईनेन्स को कोई पत्र नहीं लिखा। भारतीय जीवन बीमा निगम को कोई पत्र लिखा हो तो उसे याद नहीं । अप्रार्थी ने परिवादी को यह भी बता दिया कि उसके पास अप्रार्थी सं.1 ने रजिस्ट्री जमा नहीं की, इसलिये परिवादी को नहीं लोटाई जा सकती। परिवादी का कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ। परिवादी की रजिस्ट्री परिवादी के पास होगी या उससे खो गई या रजिस्ट्रार कार्यालय से प्राप्त नहीं की हो। परिवादी ने अपने मकान की रजिस्ट्री कभी भी एल आई सी हाउसिंग फाइनेन्स लि. के पास जमा नहीं कराई है और ना ही एल आई हाउसंिग फाइनेन्स लि0 द्वारा प्राप्त की। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।   
    अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी के दस्तावेज का अप्रार्थी सं. 2 से कोई लेना देना नहीं है। अप्रार्थी सं0 2 ने परिवादी को लोन दिया और नही वसूल किया। परिवादी का परिवाद अप्रार्थी सं. 1 से संबंधित है। अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे। 
    अप्रार्थी सं. 2 के विरूद्ध दिनांक 16.06.14 को तर्क किया गया। 

    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-

01.    आया परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?

    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, से परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है। 
02.    आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?

    उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि यह तथ्य उभय पक्षों द्वारा स्वीकृत है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से 1,20,000/- रूपये का लोन लिया था और मार्च 06 में परिवादी ने पूरा लोन राशि अप्रार्थीगण को चुकता कर दिया तथा मेमो रेन्डम आॅफ डिपोजिट आॅफ टाइटल डीड के आधार पर परिवादी ने अप्रार्थीगण को 6 डीड डिपोजिट करवाई, इसके पश्चात उभय पक्षकारों में मत भेद है जहाॅ परिवादी कहता है कि उसने रजिस्ट्री अप्रार्थीगण के यहाॅ जमा करवा दी और अप्रार्थीगण कहते है कि हमें रजिस्ट्री जमा नहीं करवाई, इसलिये रजिस्ट्री परिवादी को लौटाने में असमर्थ है। 

    पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजात के आधार पर स्पष्ट है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से होम लोन लिया था पैरा नं. 6 में परिवादी ने स्पष्ट अंकित किया है कि लोन का चैक अप्रार्थीगण ने मकान के विक्रेता को दिया था और चैक का उल्लेख रजिस्ट्री में भी था व रजिस्ट्री, रजिस्ट्री कार्यालय से सीधे जीवन बीमा के प्रतिनिधि के पास चली जायेगी न कि वह लोनी को दी जायगी और अप्रार्थीगण रजिस्ट्री पहंुचने से मना करते है यह भी सच है कि सामान्यतः बिना रजिस्ट्री के लोन नहीं दिया जाता है परन्तु प्रस्तुत मामले मंे होम लोन मकान खरीदने के लिये दिया गया था, जिसकी रजिस्ट्री गिरवी रखे जाने के बाद ही होती है। परिवादी कहता है कि रजिस्ट्री कार्यालय में भी रजिस्ट्री उसे नही दी, सीधे अप्रार्थीगण को भेज दी । अप्रार्थीगण कहते है कि रजिस्टीª न तो परिवादी ने हमें दी और ना ही रजिस्ट्री कार्यालय से हमारे पास प्राप्त हुई, इस तथ्य को प्रमाणित करने का भार परिवादी पर है। परिवादी ने ऐसा कोई दस्तावेज  मंच मे प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे यह साबित हो सके कि विवादित रजिस्ट्री स्वयं परिवादी ने अप्रार्थीगण को दी हो या रजिस्ट्री कार्यालय से अप्रार्थीगण के पास चली गई हो, चूंकि यह तथ्य अप्रमाणित, अप्रार्थीगण रजिस्ट्री प्राप्त करने से मना करते है तो जब परिवादी अप्रार्थीगण को रजिस्ट्री जमा करना सिद्ध नहीं कर पाया तो अप्रार्थीगण परिवादी को रजिस्ट्री कहाॅ से लौटायेगे, इस तथ्य की पुष्टि डिपोजिट आॅफ  टाईटल डीड को तो अप्रार्थीगण द्वारा जारी पत्र दिनांक 10.04.08 से प्रमाणित होता है। परिणामतः परिवादी विवादित रजिस्ट्री को अप्रार्थीगण के यहाॅ जमा करना साबित नहीं करने से, अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोष प्रमाणित नहीं पाया जाता है। 

03.    अनुतोष ?

    परिवादी का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 
 
                     आदेश 

     परिवादी कैलाश चन्द्र जैन का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है।  परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 


     (महावीर तंवर)                (नंदलाल शर्मा)
        सदस्य                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

    निर्णय आज दिनांक 20.07.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।

   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

 

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