Uttar Pradesh

StateCommission

CC/437/2017

Komal Kumari Bhatnagar - Complainant(s)

Versus

Bharti AXA Life Insurance Co. Ltd - Opp.Party(s)

Brijendra Chaudhary

19 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/437/2017
( Date of Filing : 30 Oct 2017 )
 
1. Komal Kumari Bhatnagar
W/O Late Dr. R.S. Bhatnagar R/OH.No. C-2001/28 C-Block Indira Nagar Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Bharti AXA Life Insurance Co. Ltd
Through its Director Registered Office at Unit No. 601and 602 6th Floor Raheja Titanium Off Wewstern Express Highway Goregaon(E) Mumbai 400063
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Sep 2022
Final Order / Judgement

                                                          (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-437/2017

कोमल कुमारी भटनागर पत्‍नी स्‍व0 डा0 आर.एस. भटनागर, निवासिनी मकान नं0-सी 2001/28, सी ब्‍लाक, इन्दिरा नगर, लखनऊ।

                   परिवादिनी

बनाम

1.    भारती एक्‍सा लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स कंपनी लिमिटेड, द्वारा डायरेक्‍टर, रजिस्‍टर्ड आफिस यूनिट नं0-601 व 602, 6th फ्लोर, रहीजा टाइटेनियम, वेस्‍टर्न एक्‍सप्रेस हाइवे, गुड़गांव (ई), मुम्‍बई 400063, इंटरेलिया ग्रिवान्‍स आफिस, भारती एक्‍सा लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स कंपनी मुम्‍बई।

2.    भारती एक्‍सा लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स कंपनी लिमिटेड, द्वारा ब्रांच/रिजनल मैनेजर, आफिस द्वितीय तल, हबिबुल्‍ला स्‍टेट, लखनऊ 226001 ।

3.    इन्‍श्‍योरेन्‍स रेगुलेटरी एण्‍ड डेवलपमेंट अथारिटी आफ इण्डिया, द्वारा चेयरमैन, आफिस 3rd फ्लोर, परिश्रम भवन, बशीर बाग, हैदराबाद 500004, तेलांगना स्‍टेट।

        विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

परिवादिनी की ओर से उपस्थित         : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी।

विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री मुजीब एफेण्‍डी के

                                                            सहायक अधिवक्‍ता श्री

                                                              अतुल कीर्ति।

विपक्षी सं0-3 की ओर से उपस्थित     : कोई नहीं।

दिनांक:  28.09.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन 04 लाख रूपये 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए तथा अंकन 01 लाख रूपये प्रतिकर एवं अंकन 50 हजार रूपये परिवाद व्‍यय प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.         परिवाद में वर्णित तथ्‍यों का संक्षिप्‍त सार यह है कि विपक्षी संख्‍या-1 व 2, बीमा कंपनी द्वारा धोखा देकर तथा तथ्‍यों को छिपाकर अंकन 18,99,314/- रूपये की एक पालिसी अंकन 2 लाख रूपये का प्रीमियम प्राप्‍त कर जारी की गई, जिसका नाम जीवन समृद्धि योजना है तथा अंकन 10,53,169/- रूपये की एक पालिसी अंकन 01 लाख रूपये का प्रीमियम प्राप्‍त कर जारी की गई, जिसका नाम जीवन धन वर्षा योजना है तथा अंकन 10,53,169/- रूपये की एक और पालिसी अंकन 01 लाख रूपये का प्रीमियम प्राप्‍त कर जारी की गई, जिसका भी नाम जीवन धन वर्षा योजना है। इस प्रकार परिवादिनी द्वारा उपरोक्‍त तीनों पालिसियों के लिए अंकन 04 लाख रूपये प्रीमियम का भुगतान किया गया है। परिवादिनी वर्ष 1999 में राजकीय सेवा से सेवानिवृत्‍त हुई हैं, केवल 59,708/- रूपये प्रतिमास की पेन्‍शन परिवादिनी को प्राप्‍त होती है, जब परिवादिनी द्वारा पालिसियों की शर्तों का अवलोकन किया तो पाया कि परिव‍ादिनी का धन किसी लम्‍बी योजना में जमा कर दिया गया है और परिवादिनी को हर वर्ष 9,46,000/- रूपये प्रीमियम जमा करना है, शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं की गई। विपक्षीगण द्वारा धोखा देकर पालिसियां जारी की गई हैं, इसलिए परिवादिनी उपरोक्‍त वर्णित अनुतोष प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

3.         परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा पालिसियों से संबंधित दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए।

4.         विपक्षी संख्‍या-1 व 2, बीमा कंपनी द्वारा परिवादिनी के पक्ष में पालिसियां जारी करना स्‍वीकार किया गया तथा कथन किया गया कि पालिसी होल्‍डर पालिसियों से संतुष्‍ट नहीं थी तब 15 दिन के अन्‍दर पालिसी रद्द की जा सकती थी और 15 दिन समाप्‍त होने के पश्‍चात दोनों पक्ष पालिसियों की शर्तों से बाध्‍य हैं।

5.         विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा कथन किय गया कि परिवादिनी का विपक्षी संख्‍या-3 से सेवा प्रदाता एवं सेवा ग्राह्यता का संबंध नहीं है। विपक्षी संख्‍या-3 को अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया गया है।

6.         विपक्षीगण की ओर से अपने-अपने लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किए गए।

7.         परिवादिनी एवं विपक्षी संख्‍या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍ता उपस्थित आए। विपक्षी संख्‍या-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: परिवादिनी एवं विपक्षी संख्‍या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलो‍कन किया गया।

8.         परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवादिनी 85 वर्षीय विधवा सेवानिवृत्‍त महिला है, उनकी पेन्‍शन से कुल आय अंकन 06 लाख रूपये प्रतिवर्ष है, जबकि प्रीमियम अंकन 9,46,000/- रूपये है, इसलिए इस राशि का प्रीमियम दिया जाना संभव नहीं है। प्रस्‍ताव पत्र पर परिवादिनी के हस्‍ताक्षर नहीं हैं, प्रस्‍ताव पत्र की तिथि भी अंकित नहीं है, प्रीमियम के भुगतान का तरीका अंकित नहीं है, परिवादिनी का फोटो मौजूद नहीं है, परिवादिनी को विधवा के स्‍थान पर विवाहित लिखा गया है, मोबाइल नम्‍बर परिवादिनी का नहीं है तथा मेल आई.डी. भी परिवादिनी का नहीं है, इसलिए परिवादिनी द्वारा जमा किया धन वापस कराया जाना चाहिए।

9.         विपक्षी संख्‍या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि पालिसियां प्राप्‍त होने के 15 दिन के अन्‍दर परिवादिनी पालिसी वापस लौटा सकती थी, परन्‍तु ऐसा नहीं किया गया, इसलिए पालिसी की शर्तों से दोनों पक्ष बाध्‍य हैं। परिवादिनी की आय केवल पेन्‍शन पर आधारित नहीं है। सभी औपचारिकताएं विधिसम्‍मत रूप से निष्‍पादित की गई हैं। फिर यह भी कि पालिसियां जारी होने के बाद मामूली औपचारिकताओं की त्रुटि का कोई महत्‍व नहीं है।

10.        दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनने के उपरांत इस आयोग के मत में परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई वाद कारण जाहिर नहीं किया गया है, जो कहानी तैयार की गई है, वह पालिसियां प्राप्‍त होने के 15 दिन के पश्‍चात उद्देश्‍य विहीन हो गई हैं, क्‍योंकि परिवादिनी के पास अवसर था कि वह पालिसी प्राप्‍त होने के पश्‍चात पालिसी की शर्तों का अवलोकन करे और यदि उसमें कोई त्रुटि पायी जाती है तब उसमें पालिसी जारी करने वाली कंपनी से पालिसी की संविदा को रद्द करने का अनुरोध करे। 15 दिन के पश्‍चात परिवादिनी को पालिसी की श्‍ार्तों के संबंध में शिकायत करने का अधिकार समाप्‍त हो जाता है, इसलिए इस आयोग द्वारा अनुबंध को रद्द करने का कोई आधार नहीं पाया जाता है। परिवाद तदनुसार खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

 

11.        प्रस्‍तुत परिवाद खारिज किया जाता है।

              उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

               आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

                           

(विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

     कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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