Uttar Pradesh

Baghpat

CC/14/2018

SMT MUNESH W/O RAJVEER SINGH - Complainant(s)

Versus

BHARTI AXA GENERAL INSURANCE COMPANY LIMTIED - Opp.Party(s)

SANJAY SAINI

20 May 2023

ORDER

District Consumer Redressel Disputes Forum
Baghpat
 
Complaint Case No. CC/14/2018
( Date of Filing : 14 Jun 2018 )
 
1. SMT MUNESH W/O RAJVEER SINGH
VILL RATOUL BAGHPAT
...........Complainant(s)
Versus
1. BHARTI AXA GENERAL INSURANCE COMPANY LIMTIED
RATAN ASQUAYAR OFFICE 507 VIDHAN SHABHA MARGE LUCKNOW
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. R.P. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MEENAKSHI JAIN MEMBER
 HON'BLE MR. RAJIV KUMAR MEMBER
 
PRESENT:SANJAY SAINI, Advocate for the Complainant 1
 
Dated : 20 May 2023
Final Order / Judgement
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बागपत।
उपस्थितः- आर.पी. सिंह अध्यक्ष
  श्रीमती मीनाक्षी जैन महिला सदस्य
  राजीव कुमार सामान्य सदस्य
परिवाद संख्याः- 14 सन् 2018
श्रीमती मुनेश पत्नी स्व0 राजवीर सिंह, निवासी ग्राम रटौल थाना व तहसील खेकडा, जिला बागपत। प्रार्थिनी/परिवादिनी  
       परिवादिनी की ओर से- श्री प्रदीप कुमार कौशिक अधिवक्ता 
बनाम
01-भारती एक्सा जनरल इन्श्योरेन्श कम्पनी लि0 द्वारा प्रबन्धक भारती एक्सा जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0, रतन स्क्वायर आॅफिस नं0- 507, 20 विधान सभा मार्ग लखनऊ-226001, विपक्षी/प्रतिवादी
02-आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेन्श कम्पनी लि0 द्वारा लीगल मैनेजर आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड लनरल इंश्योरेन्श कम्पनी लि0, समिता बिल्डिंग विभूती खण्ड गौमतीनगर, लखनऊ उ.प्र.। विपक्षी/प्रतिवादी
      विपक्षीगण की ओर से- श्री उदयेश नारायण गोर्ड अधिवक्ता।
परिवाद संस्थित करने की तिथि-10.05.2018
     अंतिम सुनवाई की तिथि- 15.05.2023
        निर्णय की तिथि- 20.05.2023
आर.पी. सिंह, अध्यक्ष द्वारा
निर्णय
  प्रस्तुत परिवाद परिवादिनी की तरफ से विपक्षीगण के द्वारा उसके बीमा क्लेम की धनराशि न देकर सेवा में कमी किये जाने के कारण प्रस्तुत किया गया है।
01- संक्षेप मे परिवादिनी का कथन इस प्रकार है, कि परिवादिनी के पति राजबीर सिंह वाहन मोटर साईकिल संख्या यू.पी. 17 ई 5725 के पंजीकृत स्वामी थें परिवादिनी के मृतक पति द्वारा अपने जीवन काल में अपनी मोटर साईकिल उपरोक्त की बीमा पाॅलिसी संख्या थ्ज्ॅध्54385958ध्क्1ध्02ध्004370 विपक्षी बीमा कम्पनी से ली गयी थी, जिसमें राजवीर से 50/- की प्रीमियम बतौर व्यक्तिगत दुघर्टना बीमे के रुप में विपक्षी द्वारा वसूल किये गये थे, जिसके तहत अंकन 1,00,000/-रुपये का दुघर्टना बीमा कवर था। परिवादिनी के पति की सडक दुर्घटना में दिनांक 22.05.2016 को मृत्यु हो गयी थी, जिसकी सूचना परिवादिनी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के टाॅल फ्री नम्बर 1800-103-2292 पर दिनांक 25.05.2016 को दी और उक्त वर्णित पाॅलिसी के आधार पर मृत्यु दावा दर्ज कराया गया, जो विपक्षी ने दावा संख्या ब्1037438ध्थ्0871578 के रुप में दर्ज किया। बार-बार विपक्षी के कार्यालय में टेलीफोन व टाॅल फ्री नम्बर पर वार्ता करने के उपरान्त विपक्षी द्वारा परिवादिनी के दावे की जांच करायी गयी, जिसके तहत विपक्षी द्वारा अपने इन्वैस्टिगेटर मुकेश माथुर को भेजा गया, जिसके निर्देशानुसार परिवादिनी ने दिनांक 14.01.2017 को दावा प्रपत्र तैयार कर उसके साथ सभी आवश्यक कागजात आदि संलग्न कर इन्वैस्टिगेटर के माध्यम से विपक्षी के कार्यालय में प्रस्तुत किये, परन्तु विपक्षी द्वारा कोई समुचित कार्यवाही नही की गयी। परिवादिनी द्वारा पुनः विपक्षी के टाॅल फ्री नम्बर पर दावा निस्तारण का विनेदन किया गया तो विपक्षी द्वारा अपने पत्र दिनांक 11.05.2017 व 19.05.2017 के माध्यम से कुछ कागजातों की मांग की गयी। परिणाम स्वरुप परिवादिनी ने विप्ख्ीा के पत्र का जवाब देते हुए अपने पत्र दिनांक 30.05.2017 के साथ मांगे गये कागजातों को सलंग्न कर विपक्षी को प्रेषित किया। चुकि आर.सी. दुघर्टना के समय गुम हो गयी थी, और गुमशुदगी की सूचना थाना सिंघावली अहीर पर दिनांक 29.05.2016 को दी गयी थी की प्रति पूर्व में ही विपक्षी को प्रेषित की जा चुकी है। बार-बार दावा निस्तारण का आग्रह किये जाने के पश्चात भी विपक्षी द्वारा परिवादिनी का दावा निस्तारित नही किया गया। अतः विवश होकर परिवादिनी द्वारा एक वैधानिक सूचना पत्र दिनांक 10.01.2018 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपखी को प्रेषित किया गया। फिर भी विपक्षी ने परिवादिनी का दावा न तो आज तक निस्तारित ही किया है तथा न ही इस सन्दर्भ में कोई समुचित कार्यवाही की है तथा न ही किसी प्रकार की कोई सूचना परिवादिनी को दी है, जिस कारण परिवादिनी व उसके परिवार को घोर मानसिक पीडा व आर्थिक समस्या का सामना करना पड रहा है, जिससे प्रतीत होता है, कि विपक्षी ने परिवादिनी की सेवा में कमी की है। परिवादिनी के पति द्वारा दी गयी उक्त सन्दर्भित पाॅलिसी में परिवादिनी के पति ने अपने पिता यानि परिवादिनी के ससुर स्व0 रामसिंह को बतौर नाॅमिनी दर्शित किया था, जबकि परिवादिनी के ससुर स्व0 रामसिंह की मृत्यु पूर्व में ही दिनांक 19.09.1991 को हो चुकी हैं उनका इस पाॅलिसी में नाॅमिनी दर्शित किया जाना केवल एक भूल एवं लिपिकिय त्रुटि हैं इसके साथ-साथ स्व0 राजवीर के दो पुत्र व दो पुत्रियां विधिक उत्तराधिकारी है। जो परिवादिनी के ही संरक्षण में रह रही है। परिवादिनी को विपक्षी से दावाकृत धनराशि अंकन 1,00,000/-रुपये मय ब्याज 14 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से तथा मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रुप में अंकन 50,000/-रुपये व वाद व्यय अंकन 20,000/-रुपये दिलाये जावे। अन्य कोई अनुतोष जो मान्य न्यायालय की राय में हितकर परिवादिनी हो विपक्षी से दिलाया जावे।
  परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या 1 भारती एक्सा जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी के विरुद्ध प्रस्तुत किया था, जिसका विलय विपक्षी संख्या 2 में हो चुका है। इस बाबत परिवाद में संशोधन परिवादी द्वारा किया गया और विपक्षी संख्या 2 को विपक्षी बनाया गया।
  विपक्षी संख्या 2 की तरफ से 21ग जवाबदावा दाखिल करके, जवाबदावा में वाद पत्रों के कथनों से इंकार किया है तथा वाहन संख्या यू.पी. 17 ई 5725 का बीमा विपक्षी के यहां से कराया जाना स्वीकार किया है, जिसमें परिवादी के पति राजवीर (पंजीकृत स्वामी) द्वारा 50/-रुपये का प्रिमियम दुर्घटना बीमे के रुप में अदा किया है और एक लाख रुपये का दुर्घटना बीमा बीमा पाॅलिसी के अनुसार था। परिवादिनी के पति राजवीर की सडक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी, विपक्षी द्वारा जवाबदावे में मुख्य रुप से यह कहते हुए परिवाद का विरोध किया है, कि परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी द्वारा मांगे जाने पर सभी प्रपत्र प्रस्तुत नही किये तथा मृतक के वारिसों को परिवाद में पक्षकार नही बनाया गया है। पाॅलिसी में मृतक राजबीर के पिता रामसिंह नोमिनी थे। परिवादिनी ने गलत तथ्यों के आधार  पर परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादिनी कोई क्षतिपूर्ति पाने की अधिकारिणी नही है।
03- अपने कथन के समर्थन मे परिवादिनी की तरफ से साक्ष्य में 10ग, 15ग व 24ग शपथपत्र श्रीमती मुनेश परिवादिनी दाखिल किया है तथा सूची 5ग से 5ग/2 इन्श्योरेन्स पाॅलिसी, 5ग/3 ता 6 प्रथम सूचना रिपोर्ट, 5ग/7 मृत्यु प्रमाण पत्र, 5ग/8 आधार कार्ड परिवादिनी, 5ग/9 ड्राईविंग लाईसेन्स राजवीर की छायाप्रति तथा सूची 11ग से 11ग/2 ता 4 दावा फार्म मृतक राजवीर, 11ग/5 ता 8 प्रथम सूचना रिपोर्ट, 11ग/9 स्वयं का घोषणा पत्र दावेदार मुनेश, 11ग/10 पोस्टमार्टम रिपोर्ट राजवीर, 11ग/11 बीमा पाॅलिसी वाहन नम्बर यू.पी. 17 ई. 5725, 11ग/12 मृत्यु प्रमाण पत्र राजवीर, 11ग/13 डी.एल. मृतक राजवीर, 11ग/14 ता 19 चिकित्सा प्रपत्र दीपासैनी, 11ग/20 पुलिस सूचना रिपोर्ट, 11ग/21 ता 22 राशन कार्ड, 11ग/23 वारिसान प्रमाण पत्र, 11ग/24 परिवार रजिस्टर की नकल, 11ग/25 मृत्यु प्रमाण पत्र स्व0 राम सिंह, 11ग/26 आधार कार्ड परिवादिनी, 11ग/27 आधार कार्ड मृतक राजवीर, 11ग/28 विपक्षी पत्र दिनांकित 11.05.2017, 11ग/29 विपक्षी पत्र दिनांकित 19.05.2017, 5ग/30 प्रार्थना पत्र दिनांकित 30.05.2017, 5ग/31 अनापत्ति प्रमाण पत्र दिनांकित 30.05.2017, 5ग/32 ता 34 विधिक नोटिस मय असल डाक रसीद की छायाप्रति शपथपत्र 24ग श्रीमती मुनेश परिवादिनी के साथ संलग्नक के रुप में 24ग/6 वाहन का विवरण, 24ग/7 ता 8 मोटर क्लेम नोटिफिकेसन, 24ग/9 विपक्षी को भेजा गया प्रार्थना पत्र दिनांकित 06.07.2021 की छायाप्रतियां दाखिल की है।
  इसके विरुद्ध विपक्षी की तरफ से 30ग शपथपत्र दिगविजय तिवारी पुत्र अखिलेश तिवासी, मैनेजर आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लि., सुमित बिल्डिंग विभुति खण्ड, गोमतीनगर, लखनऊ दाखिल किया है तथा शपथपत्र के साथ संलग्नक के रुप में 30ग/9 ता 11 बीमा पाॅलिसी की छायाप्रति दाखिल की है।
04-परिवादिनी की तरफ से 32ग लिखित बहस दाखिल की गयी है तथा विपक्षी की तरफ से 31ग लिखित बहस दाखिल की गयी है एवं उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की मौखिक बहस सुनी गई तथा पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया गया ।
05- पक्षों के अभिवचनों के आधार पर परिवाद के उचित न्याय निर्णयन हेतु निम्नलिखित निर्धारण बिन्दु विरचित किये जाते हैंः-
01-क्या विपक्षी के द्वारा परिवादिनी का बीमा क्लेम स्वीकार न करके सेवा में कमी की गयी?
02-क्या परिवादिनी विपक्षी से किसी अनुतोष को पाने की अधिकारिणी है?
निर्धारण बिन्दु संख्या 1 का निस्तारण- इस निर्धारण बिन्दु संख्या 1 में तय किया जाना है, कि क्या विपक्षी के द्वारा परिवादिनी का बीमा क्लेम स्वीकार न करके सेवा में कमी की गयी? इस संबंध में परिवादिनी का यह कथन है, कि परिवादिनी के पति राजबीर सिंह वाहन मोटर साईकिल संख्या यू.पी. 17 ई 5725 के पंजीकृत स्वामी थें परिवादिनी के मृतक पति द्वारा अपने जीवन काल में अपनी मोटर साईकिल उपरोक्त की बीमा पाॅलिसी संख्या थ्ज्ॅध्54385958ध्क्1ध्02ध्004370 विपक्षी बीमा कम्पनी से ली गयी थी, जिसमें राजवीर से 50/- की प्रीमियम बतौर व्यक्तिगत दुघर्टना बीमे के रुप में विपक्षी द्वारा वसूल किये गये थे, जिसके तहत अंकन 1,00,000/-रुपये का दुघर्टना बीमा कवर था। परिवादिनी के पति की सडक दुर्घटना में दिनांक 22.05.2016 को मृत्यु हो गयी थी, जिसकी सूचना परिवादिनी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के टाॅल फ्री नम्बर 1800-103-2292 पर दिनांक 25.05.2016 को दी और उक्त वर्णित पाॅलिसी के आधार पर मृत्यु दावा दर्ज कराया गया, जो विपक्षी ने दावा संख्या ब्1037438ध्थ्0871578 के रुप में दर्ज किया। बार-बार विपक्षी के कार्यालय में टेलीफोन व टाॅल फ्री नम्बर पर वार्ता करने के उपरान्त विपक्षी द्वारा परिवादिनी के दावे की जांच करायी गयी, जिसके तहत विपक्षी द्वारा अपने इन्वैस्टिगेटर मुकेश माथुर को भेजा गया, जिसके निर्देशानुसार परिवादिनी ने दिनांक 14.01.2017 को दावा प्रपत्र तैयार कर उसके साथ सभी आवश्यक कागजात आदि संलग्न कर इन्वैस्टिगेटर के माध्यम से विपक्षी के कार्यालय में प्रस्तुत किये, परन्तु विपक्षी द्वारा कोई समुचित कार्यवाही नही की गयी। परिवादिनी द्वारा पुनः विपक्षी के टाॅल फ्री नम्बर पर दावा निस्तारण का विनेदन किया गया तो विपक्षी द्वारा अपने पत्र दिनांक 11.05.2017 व 19.05.2017 के माध्यम से कुछ कागजातों की मांग की गयी। परिणाम स्वरुप परिवादिनी ने विप्ख्ीा के पत्र का जवाब देते हुए अपने पत्र दिनांक 30.05.2017 के साथ मांगे गये कागजातों को सलंग्न कर विपक्षी को प्रेषित किया। चुकि आर.सी. दुघर्टना के समय गुम हो गयी थी, और गुमशुदगी की सूचना थाना सिंघावली अहीर पर दिनांक 29.05.2016 को दी गयी थी की प्रति पूर्व में ही विपक्षी को प्रेषित की जा चुकी है। इसके बावजूद भी विपक्षी द्वारा परिवादिनी का क्लेम निरस्त किया गया।
विपक्षी की ओर अपने जवाबदावे में मुख्य रुप से यह कहा गया है, कि परिवादी के पति राजवीर (पंजीकृत स्वामी) द्वारा 50/-रुपये का प्रिमियम दुर्घटना बीमे के रुप में अदा किया है और एक लाख रुपये का दुर्घटना बीमा बीमा पाॅलिसी के अनुसार था। परिवादिनी के पति राजवीर की सडक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी, विपक्षी द्वारा जवाबदावे में मुख्य रुप से यह कहते हुए परिवाद का विरोध किया है, कि परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी द्वारा मांगे जाने पर सभी प्रपत्र प्रस्तुत नही किये तथा मृतक के वारिसों को परिवाद में पक्षकार नही बनाया गया है। पाॅलिसी में मृतक राजबीर के पिता रामसिंह नोमिनी थे।  
  उपभयपक्षों के अभिवचनों तथा प्रस्तुत साक्ष्यों, परिवादिनी द्वारा दाखिल दस्तावेजों तथा उभयपक्षों के द्वारा दाखिल बहस के अवलोकन से स्पष्ट है, कि परिवादिनी के पति राजवीर का मोटर साईकिल नम्बर यू.पी. 17 ई. 5725 का दुर्घटना बीमा एक लाख रुपये का था, जिसे बीमा कम्पनी द्वारा स्वीकार किया गया, जो बीमा पाॅलिसी पत्रावली पर दाखिल है उससे भी बीमा होना साबित है। परिवादिनी द्वारा दावा क्लेम तथा बीमा कम्पनी को दिये गये सभी दस्तावेजों की छायाप्रतियां सूची कागज संख्या 5ग व 11ग से पत्रावली पर दाखिल किये है। मृतक की मृत्यु दुर्घटना में होने की बाबत सभी प्रपत्र प्रथम सूचना रिपोर्ट, पोस्टमार्टम आदि भी पत्रावली पर दाखिल हैं, जिससे परिवादिनी के पति की दुर्घटना में मृत्यु होना साबित है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी का बीमा क्लेम स्वीकार न कर सेवा में कमी की है। निर्धारण बिन्दु संख्या 1 तद्नुसार परिवादिनी के पक्ष में विपक्षी के विरुद्ध निर्णीत किया जाता है।
निर्धारण बिन्दु संख्या 2 का निस्तारण- इस निर्धारण बिन्दु में यह तय किया जाना है, कि क्या परिवादिनी विपक्षीगण से किसी अनुतोष को पाने की अधिकारिणी है? उपरोक्त निर्धारण बिन्दु संख्या 1 में यह तय हो चुका है, कि परिवादिनी द्वारा दावा क्लेम तथा बीमा कम्पनी को दिये गये सभी दस्तावेजों की छायाप्रतियां सूची कागज संख्या 5ग व 11ग से पत्रावली पर दाखिल किये है। मृतक की मृत्यु दुर्घटना में होने की बाबत सभी प्रपत्र प्रथम सूचना रिपोर्ट, पोस्टमार्टम आदि भी पत्रावली पर दाखिल हैं, जिससे परिवादिनी के पति की दुर्घटना में मृत्यु होना साबित है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी का बीमा क्लेम स्वीकार न कर सेवा में कमी की है। अतः ऐसी स्थिति में परिवादिनी अपने पति की दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण, उसकी उत्तराधिकारी होने के कारण बीमित धनराशि पाने की अधिकारी है। यह स्पष्ट है, कि मृतक राजबीर के पाॅलिसी में दिये गये नोमिनी रामसिंह की मृत्यु हो चुकी है। परिवादिनी अन्य उत्तराधिकारियों का अनआपत्ति प्रमाण पत्र बीमा कम्पनी को प्रस्तुत कर चुकी है, जिसकी प्रति पत्रावली पर भी दाखिल है। ऐसी दशा में परिवादिनी मृतक के सभी उत्तराधिकारियों की ओर से प्रतिकर की राशि प्राप्त करेगी। तद्नुसार निर्धारण बिन्दु संख्या 2 निस्तारित किया जाता है। परिवादिनी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है, कि बीमा क्लेम की धनराशि अंकन 1,00,000/-(एक लाख रुपये) तथा परिवादिनी को हुई मानसिक क्षति के रुप में अंकन 10,000/-(दस हजार रुपये) तथा 5,000/-(पांच हजार रुपये) वाद व्यय कुल अंकन 1,15,000/-(एक लाख पन्द्रह हजार रुपये) 60 दिन के अन्दर परिवादिनी को अदा करें। ऐसा न करने पर परिवादिनी उक्त राशि पर निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी पाने की अधिकारिणी होगी।
  परिवादिनी उक्त धनराशि मृतक राजवीर के सभी वैध उत्तराधिकारियों की ओर से प्राप्त करेगी तथा उसका उत्तराधिकारियों में अनुपातिक वितरण करेगी।
  प्रार्थना पत्र यदि कोई लम्बित हो तो वह सभी इस निर्णय के अनुसार निस्तारित किए जाते है।
  इस आदेश की सत्यापित प्रति पक्षकारों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986/2019 के प्रावधान के अनुसार निःशुल्क प्राप्त कराई जाए। इस आदेश की प्रति को कनफोनेट वेबसाईट पर पक्षकारों के अवलोकन के लिए अपलोड किया जाए।
  पत्रावली निर्णय की प्रति के साथ अभिलेखागार दाखिल किया जाए।
दिनांकः-20.05.2023
 
(राजीव कुमार)             (मीनाक्षी जैन)            (आर.पी. सिंह)
सामान्य सदस्य        महिला सदस्य    अध्यक्ष
   
  आज यह निर्णय आयोग के खुले न्यायालय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।
 
(राजीव कुमार)           (मीनाक्षी जैन)            (आर.पी. सिंह)
सामान्य सदस्य       महिला सदस्य    अध्यक्ष
दिनांकः-20.05.2023
 
 
 
[HON'BLE MR. R.P. SINGH]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MRS. MEENAKSHI JAIN]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. RAJIV KUMAR]
MEMBER
 

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