Uttar Pradesh

Faizabad

CC/135/2009

Asad Ullah Khan - Complainant(s)

Versus

Bharti Airtel - Opp.Party(s)

12 Aug 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/135/2009
 
1. Asad Ullah Khan
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Bharti Airtel
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-135/2009 

               
असद उल्ला खान पुत्र मो0 हकीक उल्लाखान, निवासी भवन सं0 295/283/8-5-100, खिड़की अलीबेग, कालेज रोड, जिला फैजाबाद।                  .............. परिवादी 
बनाम
1.    प्रबन्धक निदेषक, भारती टेलीवेंचर्स, एच-5/12 कुतुब एमबियन्स, महरौली रोड, नई दिल्ली।
2.    प्रबन्धक भारती टेलीवंेचर्स लि0, एयरटेल टावर्स 12 लक्ष्मीबाई मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ।                                         .............. विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 12.08.2015            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी का मोबाइल संख्या 9935223619 जिसका सिम कार्ड नम्बर 8991540407001952213 था। एयरटेल कम्पनी का लगा हुआ था। प्रष्नगत सिम कार्ड पर लाइफ टाइम वैलिडिटी के लिये दिनांक 18.12.2006 को रिचार्ज रुपये 999/- का कराया गया जो 2024 तक वैध था। परिवादी को इनकमिंग काल की सुविधा सन 2024 तक प्राप्त थी तथा आउट गोइंग काल्स के लिये परिवादी को समय समय पर रिचार्ज कराना पड़ता था। परिवादी ने अंतिम बार रुपये 15/- का रिचार्ज कराया। मार्च 2009 तक परिवादी को इनकमिंग काल्स प्राप्त होती रहीं किन्तु 20 अपै्रल 2009 को परिवादी के मोबाइल पर इनकमिंग व आउट गोइंग सेवायें बन्द हो गयीं। दिनांक 22 अपै्रल सन 2009 को परिवादी ने प्रातः 2 बज कर 25 मिनट पर विपक्षीगण के कस्टमर केयर नम्बर पर बात की और अपने मोबाइल की सेवा के बारे में जानकारी मंागी तो विपक्षीगण के केयर सेन्टर ने डीलर से संपर्क करने को कहा। डीलर से संपर्क करने पर डीलर ने कोई भी जानकारी देने से इन्कार कर दिया। अनुबन्ध के विपरीत विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कमी की है, जिससे परिवादी को क्षति हुयी है। परिवादी को विपक्षीगण से रुपये 2,00,000/- क्षतिपूर्ति, वाद व्यय तथा ब्याज दिलाया जाय एवं परिवादी का प्रष्नगत मोबाइल नम्बर एक्टीवेट करा कर चालू कराने का आदेष दिया जाय। 
    विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के परिवाद की पोशणीयता पर कहा है कि परिवादी का परिवाद चलने लायक नहीं है। विपक्षीगण के पास दूरसंचार विभाग से मोबाइल सेवा के लिये अनुबन्ध के रुप में लाइसेन्स है जो अपनी सेवायें उत्तर प्रदेष में देता है। परिवादी को विपक्षीगण के विरुद्ध किसी प्रकार का कार्यकारण उत्पन्न नहीं हुआ है। परिवादी ने अपनी मनगढ़ंत कहानी बना कर परिवाद दाखिल किया है। इसके अतिरिक्त माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘‘जनरल मैनेजर टेलीकाम बनाम एम0 कृशनन आदि एक अन्य’’ में दिनांक 01.09.2009 को आदेष पारित किया है कि टेलीफोन व मोबाइल सेवायें टेलग्राफ एक्ट की धारा 7बी से बाधित हैं और उपभोक्ता न्यायालयों को टेलीफोन व मोबाइल सेवाऔं के विरुद्ध परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवादी ने अपने परिवाद में गलत तथ्यों को पेष किया है और तथ्यों को छिपा कर अपना परिवाद दाखिल किया है। ट्राई की षर्तों के अनुसार लाइफ टाइम सिम कार्ड की सेवा होते हुए भी किसी भी उपभोक्ता को छः माह में कम से कम रुपये 200/- का रिचार्ज कराना अनिवार्य है। जब कि परिवादी ने चार माह में मात्र रुपये 15/- का रिचार्ज कराया है। यदि परिवादी ने षर्तों के अनुरुप रिचार्ज कराया हो तो उसे प्रमाण दाखिल करना चाहिए था। ट्राई के दिषा निर्देषों के अनुसार परिवादी को अपनी वैलिड आई0डी0 पुनः रेगूलेषन संख्या 800 - 04/2003-वी ए एस (वाल्यूम 2) / 104 दिनांक 22.11.2006 के अनुपालन में जमा करनी चाहिए थी, जिसके जमा न होने पर परिवादी के सिम कार्ड की सेवायें बन्द की गयीं। परिवादी को किसी प्रकार की आर्थिक, मानसिक व षारीरिक क्षति नहीं हुई है। उत्तरदातागण ने नियमों के अनुसार कार्यवाही की है। जिसमें कुछ भी गलत नहीं है। परिवादी का परिवाद भारी मूल्य पर खारिज करने की कृपा जाय। 
    पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने षपथ पत्र के अलावा अपने पक्ष के समर्थन में कुछ भी साक्ष्य नहीं लगाया है। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन, श्री एफ0 ए0 खान सहायक प्रबन्धक, लीगल का षपथ पत्र तथा अपनी लिखित बहस दाखिल की है। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में जो भी कथन किये हैं उसको परिवादी प्रमाणित करने में असफल रहा है। जब कि विपक्षीगण अपने पक्ष को प्रमाणित करने में सफल रहे हैं। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में ऐसा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया है जिससे यह प्रमाणित होता हो कि परिवादी ने लाइफ टाइम सेवा के लिये रुपये 200/- का रिचार्ज प्रति छः माह पर कराया हो। परिवादी ने ऐसा भी कोई प्रमाण दाखिल नहीं किया है कि उसने ट्राई के आदेष के अनुपालन में अपनी वैध आई डी विपक्षीगण के यहां जमा की थी। परिवादी का परिवाद प्रमाणित न होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है। 
आदेश
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।   
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 12.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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