राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-649/2024
दिलीप कुमार वर्मा पुत्र श्री बृजनाथ वर्मा
बनाम
भारती एयरटेल लिमिटेड
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अंजनी कुमार श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 14.05.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, अयोध्या द्वारा परिवाद संख्या-182/2023 दिलीप कुमार वर्मा बनाम भारती एयर टेल लिमिटेड में पारित आदेश दिनांक 10.04.2024 के विरूद्ध योजित की गयी है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अंजनी कुमार श्रीवास्तव को सुना गया तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश का सम्यक परिशीलन व परीक्षण किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत आदेश दिनांक 10.04.2024 में निम्न तथ्य उल्लिखित करते हुए परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद ग्राह्य योग्य न होने के कारण निरस्त किया गया:-
''ग्राह्यता के बिन्दु पर परिवादी को सुना।
परिवादी का कथन है कि उसने प्रथम सिम कार्ड मोबाइल नं0-9198405106 था उस पर टैक्स दिया था तथा करार के तहत 2037 तक की इन कमिंग सेवा प्रदान करने का था इसलिए परिवादी प्रतिवादी की कम्पनी एयरटेल की सिम 2जी, 4जी 5जी जो लिया अपने विधि व्यवसाय को बढ़ाने के लिए और अधिक सुविधा क्लाइंट को देने के लिए
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तथा क्लाइन्ट की सुरक्षा को विधिक सुविधा देने के लिए लिया था लेकिन कम्पनी द्वारा अपूर्णनीय क्षतिकारित की गयी। परिवादी के सिम के द्वारा अतिक्रमण किया गया। मैं प्रतिवादी के सिम का उपभोक्ता हूँ जिसका मोबाइल नं0-6387096603, तथा 9198405106 दोनों एयरटेल का है इसलिए उसने यह परिवाद रू0 14,87,300/- की क्षतिपूर्ति के लिए किया है। उसका यह भी कथन है कि दि० 25.09.2021 से 30.09.2021 तक तीन बार रू0 1,000/-, रू0 5,000/- तथा रू0 500/- षडयंत्र करके और पहले से निगरानी करके मोबाइल नं0-6387096603 द्वारा निकाल लिया गया।
पत्रावली का अनुशीलन किया। परिवादी ने अपने एयर टेल सिम नं0-6387096603 तथा 9198405106 का उपभोक्ता होने तथा उन सिम को चार्ज कराने की बात कही है लेकिन उभय पक्षों के बीच क्या उपभोक्ता विवाद है, उसने कथन नहीं किया है। अपने परिवाद में बहुत कुछ लिखने के बाद भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि प्रतिवादी से उसका उपभोक्ता विवाद क्या है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-(2) (8) के अनुसार "उपभोक्ता विवाद" से कोई ऐसा विवाद अभिप्रेत है, जब कोई व्यक्ति जिसके विरूद्ध कोई परिवाद किया गया है, परिवाद में अन्तर्विष्ट विवाद के अभिकथनों से इन्कार करता है या उसका प्रतिवाद करता है।
परिवादी ने अपने कथन में ऐसा कहीं भी नहीं कहा है कि उसका पत्रावली पर कहीं भी उपभोक्ता विवाद प्रति ध्वनित नहीं होता है। इस आयोग के क्षेत्राधिकार के लिए परिवादी का उपभोक्ता होना तथा उसका विपक्षी से उपभोक्ता विवाद होना प्रथम दृष्टया आवश्यक है तभी परिवाद इस आयोग के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत आता है। परिवादी ने उपभोक्ता विवाद के सम्बन्ध में न ही कुछ स्पष्ट कहा है और न ही पत्रावली के अवलोकन से परिलक्षित होता है इसलिए परिवादी का परिवाद सुनवाई हेतु ग्राह्य योग्य नहीं है।''
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के
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उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार आदेश पारित किया गया, जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1