Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/86/2017

Gul Aksha - Complainant(s)

Versus

Bharti Aexa Life Insurance - Opp.Party(s)

11 Apr 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या- 86/2017  

गुल अक्‍शा पुत्री श्री लियाकत अली निवासी मौहल्‍ला ढाव अगवानपुर थाना सिविल लाइन्‍स जिला मुरादाबाद।                                    परिवादनी

बनाम

भारतीय अक्‍शा लाईफ इंश्‍योरेंस कंपनी लि. यूनिट 601, 602 6 फ्लोर रहेजा टाइटेनियम आफ बेस्‍टम एक्‍सप्रेस हाइवे गौरेगांव (ई) मुम्‍बई-400063   विपक्षीवाद      दायरा तिथि: 29-8-2017                                  निर्णय तिथि: 11.04.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादनी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षी से उसे अपनी स्‍वर्गीय भाई की पालिसी सं.-5008183777 तथा पालिसी सं.-5008738584 की बीमा राशि क्रमश: अंकन-2,20,000/-रूपये एवं अंकन-3,00,000/-रूपये इस प्रकार कुल राशि अंकन-5,20,000/-रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलायी जाये। अधिवक्‍ता फीस की मद में अंकन-10,000/-रूपये परिवादनी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादनी के भाई स्‍वर्गीय जीशान ने परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित बीमा पालिसियां विपक्षी की मुरादाबाद शाखा से वर्ष 2011-12 में ली थीं। परिवाद योजित करते समय विपक्षी का मुरादाबाद स्थित कार्यालय बन्‍द हो गया है। परिवादनी इन पालिसियों में नामिनी है। दिनांक          04-01-2013 को परिवादनी का भाई जीशान बुलैरो कार सं.-यूके-04जी-4624 चलाकर दिल्‍ली जा रहा था, रास्‍ते में थाना डिडौली के क्षेत्रान्‍तर्गत ग्राम अम्‍हेड़ा से आगे गाड़ी साइड लेने के चक्‍कर में अनियंत्रित होकर पलट गई। दुर्घटना में जीशान गंभीर रूप से घायल हो गया।  बुलैरो में बैठे मौहम्‍मद आसिफ को भी चोटें आयीं। जीशान को उपचार हेतु तत्‍काल सरकारी अस्‍पताल जे.पी. नगर(अमरोहा) में मौ. आसिफ द्वारा ले जाया गया, उसने दुर्घटना की रिपोर्ट थाना डिडौली जिला अमरोहा में दर्ज करायी। जीशान को गंभीर चोटें आने की वजह से सरकारी अस्‍पताल, अमरोहा से जीशन को इलाज हेतु हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। उसे मेरठ ले जाते समय रास्‍ते में अचानक तबियत ज्‍यादा खराब हो जाने के कारण गजरौला में जीवन ज्‍योति अस्‍पताल में इलाज हेतु ले जाया गया किन्‍तु वहां कुछ ही समय बाद उसकी मृत्‍यु हो गई। परिवादनी ने समस्‍त प्रपत्रों सहित क्‍लेम फार्म भरकर विपक्षी के यहां बीमा दावा प्रस्‍तुत किया, जिसका विपक्षी ने आज तक निस्‍तारण नहीं किया, परिवादनी अनेक चक्‍कर लगा चुकी है। परिवादनी ने यह कहते हुए कि विपक्षी ने बीमा दावा का भुगतान न करके सेवा में कमी की है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने  की प्रार्थना की।
  3. परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादनी ने अपना शपथपत्र दाखिल किया है, इसके अतिरिक्‍त दुर्घटना के संबंध में थाना डिडौली की जी.डी., थाने की तत्‍संबंधी रिपोर्ट, परिवादनी के निवास प्रमाण पत्र, जीवन ज्‍योति सेवा संस्‍थान गजरौला के चिकित्‍सक  द्वारा दिया गया जीशान का मृत्‍यु प्रमाण पत्र, सरकारी अस्‍पताल अमरोहा के आकस्मिक चिकित्‍साधिकारी द्वारा जीशान की चोटों का मुआयना कर तैयार की गई इनजरी रिपोर्ट, सरकारी अस्‍पताल अमरोहा के चिकित्‍सीय पर्चों को दाखिल किया गया है। ये सभी प्रपत्र दुर्घटना वाले दिन अर्थात दिनांक 04-01-2013 के हैं, इन प्रपत्रों के अतिरिक्‍त नगर पंचायत गजरौला द्वारा जारी मृत्‍यु प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित पालिसियों के फ्री लुक हेतु विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा भेजे गये पत्रों की छायाप्रतियों को भी परवादनी की ओर से दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/6 लगायत 3/20 हैं।
  4. विपक्षी की ओर से शपथपत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं.-5/1 लगायत 5/17 दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में कहा गया कि परिवाद असत्‍य कथनों पर आधारित है, फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। उत्‍तरदाता विपक्षी ने बीमा पालिसी सं.-5008143777 तथा पालिसी सं.-5008738584 इस आधार पर अस्‍वीकृत कर दी थीं कि बीमित ने अन्‍य बीमा कंपनियों से ली गई पालिसियों को प्रस्‍ताव फार्म भरते समय उत्‍तरदाता से छिपाया तथा अपनी आयु प्रमाण हेतु फर्जी ड्राईविंग लाइसेंस दाखिल किया। पालिसी सं.-5008148065 इस आधार पर अस्‍वीकृत कर दी गई कि यह हैल्‍थ पालिसी थी, इसके सापेक्ष डैथ क्‍लेम देय नहीं था। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्‍तर कहा गया कि बीमित ने पालिसियां तथ्‍यों को छिपाकर प्राप्‍त की गई थीं, अत: उनके सापेक्ष बीमा दावा विपक्षी द्वारा अस्‍वीकृत किया जा चुका है। यह भी कहा गया कि परिवाद कालबाधित है। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय खारिज किये जाने की विपक्षी की ओर से प्रार्थना की गई।
  5. परिवादनी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-6/1 लगायत 6/3 दाखिल किया, जिसके साथ मृतक जीशान के चालक लाइसेंस और आरटीओ कार्यालय फरूखाबाद द्वारा जारी रिपोर्ट फार्म सं.-54 की नकलों को दाखिल किया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-6/4 व 6/5 हैं।
  6. विपक्षी की ओर से प्रार्थना पत्र कागज सं.-6/1 के माध्‍यम से परिवाद में उल्लिखित पालिसियों, प्रस्‍ताव फार्म, पालिसी की शर्तें, इन पालिसियों के स्‍पेसिफिकेशन्‍स, परिवादनी के सामान्‍य निवास प्रमाण पत्र, मृतक जीशान के नगर पंचायत गजरौला द्वारा जारी मृत्‍यु प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, परिवादनी के पैन कार्ड, बैंक की पासबुक, मृतक के ड्राईविंग लाइसेंस, परिवादनी द्वारा बीमा कंपनी को क्‍लेम भुगतान हेतु दिये गये प्रार्थना पत्र व शपथपत्र, जीशान के गजरौला में हुए इलाज संबंधी प्रपत्र, चिकित्‍सक द्वारा दिया गया मृत्‍यु प्रमाण पत्र, सरकारी अस्‍पताल अमरोहा द्वारा तैयार की गई इनजरी रिपोर्ट, थाना डिडौली की जी.डी. दिनांकित 04-01-2013 की नकल, आरटीओ कार्यालय कानपुर द्वारा जारी ड्राईविंग लाइसेंस संबंधी रिपोर्ट तथा परिवाद में उल्लिखित बीमा पालिसियों के रेपुडिएशन लेटर्स की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-7/2 लगायत 7/135 हैं।
  7. विपक्षी की ओर से पृथक से कोई साक्ष्‍य दाखिल नहीं हुआ, उनके प्रतिवाद पत्र के कथन बीमा कंपनी के एसोशिएट वाईस प्रेजीडेंट, श्री सचिन कालरा के शपथपत्र कागज सं.-5/24 से समर्थित हैं।
  8. किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की। हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  9. विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क कि बीमित जीशान ने प्रश्‍नगत बीमा पालिसी लेते समय पूर्व में अन्‍य बीमा कंपनियों से ली गई बीमा पालिसियों को छिपाया और प्रस्‍ताव फार्म में उनका उल्‍लेख नहीं किया। उनका यह भी तर्क है कि अपनी जम्‍नतिथि दर्शाने के लिए बीमित ने अपने ड्राईविंग लाइसेंस की नकल प्रस्‍तुत  की थी, जब ड्राईविंग लाइसेंस का सत्‍यापन आर.टी.ओ. कार्यालय से कराया गया तो ड्राईविंग लाइसेंस फर्जी पाया गया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि बीमा पालिसियों को छिपाया जाना धारा-45 इंश्‍योरेंस एक्‍ट के अधीन ‘’मैटेरियल फैक्‍ट’’ है। अत: बीमा कंपनी ने क्‍लेम अस्‍वीकृत करके कोई त्रुटि नहीं की। अग्रेत्‍तर उनका यह भी तर्क है कि पालिसी सं.-5008143777 एवं पालिसी सं.-5008738584 के सापेक्ष परिवादनी द्वारा प्रसतुत किये गये बीमा दावों को विपक्षी ने पृथक-पृथक रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 08-4-2014 द्वारा अस्‍वीकृत किया गया था। परिवादनी ने यह परिवाद वर्ष 2017 में योजित किया, ऐसी दशा में परिवाद कालबाधित है।
  10. परिवादनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत उपरोक्‍त तर्कों का प्रतिवाद किया और कहा कि बीमित जीशान ने जो ड्राईविंग लाइसेंस अपनी आयु प्रमाण हेतु प्रस्‍तुत किया था, वह फर्जी नहीं था। बीमित ने पूर्व में अन्‍य बीमा कंपनियों से जो पालिसियां ले रखी थी, उनका उल्‍लेख बीमा प्रस्‍ताव फार्म में न किया जाना ‘’मैटेरियल फैक्‍ट’’ छिपाने की श्रेणी में नहीं आता। परिवादनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी कथन है कि रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 08-4-2014 परिवादनी को कभी प्राप्‍त ही नहीं हुआ, ऐसी दशा में परिवाद को कालबाधित नहीं कहा जा सकता है। उन्‍होंने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  11. यह सही है कि मृतक जीशान ने प्रश्‍नगत बीमा पालिसियां लेने के पूर्व अन्‍य बीमा कंपनियों से भी बीमा पालिसियां ले रखी थीं, जिनका उल्‍लेख विपक्षी के प्रतिवाद पत्र के पृष्‍ठ 5/10-11 में है और इनका उल्‍लेख बीमित ने अपने बीमा प्रस्‍ताव फार्म में नहीं किया था किन्‍तु इन बीमा पालिसियों का उल्‍लेख बीमा प्रस्‍ताव फार्म में न किया जाना इंश्‍योरेंस एक्‍ट की धारा-45 के अधीन ‘’मैटेरियल फैक्‍ट’’ छिपाने की श्रेणी में नहीं आता। हमारे इस मत की पुष्टि II(2017) सीपीजे पृष्‍ठ 463 (एनसी), अविवा लाईफ इंश्‍योरेंस कंपनी लि् आदि बनाम रेखा बेन रामजी भाई परमार की निर्णयज विधि में माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा दी गई विधि व्‍यवस्‍था से होती है। इस व्‍यवस्‍था के दृष्टिगत परिवादनी का बीमा दावा इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता था कि बीमित ने बीमा प्रस्‍ताव फार्म में उसके द्वारा अन्‍य बीमा कंपनियों से पूर्व में ली गईं पालिसियों का उल्‍लेख नहीं किया गया था।
  12. ड्राईविंग लाइसेंस सत्‍यापन के दौरान फर्जी पाये जाने के संदर्भ में प्रस्‍तुत तर्कों के समर्थन में विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा आर.टी.ओ. कार्यालय कानपुर की रिपोर्ट कागज सं.-7/105 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया। बीमित जीशान के ड्राईविंग लाइसेंस की छायाप्रति पत्रावली का कागज सं.-6/4 है, जो परिवादनी ने अपने साक्ष्‍य शपथपत्र के माध्‍यम से प्रमाणित की है। अभिकथित दुर्घटना दिनांक         04-01-2013 को होना बतायी गई है। ड्राईविंग लाइसेंस की नकल 6/4 के अवलोकन से प्रकट है कि यह ड्राईविंग लाइसेंस दुर्घटना वाले दिन प्रभावी था। आर.टी.ओ. कार्यालय द्वारा जारी सत्‍यापन रिपोर्ट की नकल कागज सं.-6/5 यह दर्शाती है कि मृतक जीशान का ड्राईविंग लाइसेंस नं.-1088/फरूखाबाद/2003 है। विपक्षी की ओर से ड्राईविंग लाइसेंस को फर्जी दर्शाने हेतु आर.टी.ओ. कार्यालय कानपुर की रिपोर्ट का अवलम्‍ब लिया गया है। जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि बीमित जीशान का ड्राईविंग लाइसेंस आर.टी.ओ. कार्यालय फरूखाबाद से जारी हुआ था, जब बीमित का ड्राईविंग लाइसेंस आर.टी.ओ. कार्यालय फरूखाबाद से जारी हुआ था तो उसका सत्‍यापन आर.टी.ओ. कार्यालय कानपुर से कराये जाने का कोई औचित्‍य नहीं था। प्रकटत: आर.टी.ओ. कार्यालय कानपुर की आख्‍या के आधार पर फरूखाबाद आर.टी.ओ. कार्यालय से जारी बीमित के डा्रईविंग लाइसेंस को फर्जी नहीं कहा जा सकता है। यह भी उल्‍लेखनीय है कि जीशान का ड्राईविंग लाइसेंस उसकी जन्‍मतिथि के प्रमाण के रूप में प्रस्‍तुत किया गया था। ड्राईविंग लाइसेंस में जीशान की जन्‍मतिथि        10-7-84 अंकित है, बीमा प्रस्‍ताव की नकल कागज सं.-7/2, 7/11 तथा 7/17 में बीमित जीशान की जन्‍मतिथि 10-7-1984 अंकित की थी। कहने का आशय यह है कि प्रस्‍ताव फार्म में उसने अपनी जन्‍मतिथि गलत नहीं बतायी थी। इस जन्‍मतिथि के अनुसार मृतक मृत्‍यु के समय लगभग 28 वर्ष का था। चिकित्‍सक द्वारा दिये गये बीमित के मृत्‍यु प्रमाण पत्र की नकल कागज सं.-7/130 में बीमित की आयु 28 वर्ष अंकित है। जीवन ज्‍योति संस्‍थान गजरौला, जहां बीमित की मृत्‍यु हुई थी, उसके बिल की नकल कागज सं.-7/135 में भी बीमित जीशान की आयु 28 वर्ष होने का उल्‍लेख है। कहने का आशय यह है कि किसी भी स्‍टेज पर बीमित अथवा परिवादनी पक्ष द्वारा मृतक की आयु अथवा उसकी जन्‍मतिथि के बारे में कोई गलत बयानी नहीं की गई थी। मृतक की जन्‍मतिथि बीमा प्रस्‍ताव एवं अन्‍य अभिलेखों में गलत अंकित होना नहीं पाया गया है। जन्‍मतिथि के संदर्भ में मृतक का ड्राईविंग लाइसेंस भी फर्जी होना प्रकट नहीं है। ऐसी दशा में मृतक का ड्राईविंग लाइसेंस उसकी जन्‍मतिथि के संदर्भ में फर्जी बताकर परिवादनी का बीमा दावा अस्‍वीकृत किया जाना स्थिर रहने योग्‍य नहीं है।
  13. जहां तक परिवाद कालबाधित होने विषयक विपक्षी की ओर से दिये गये तर्क का प्रश्‍न है, उक्‍त तर्क भी विपक्षी के लिए सहायक सिद्ध नहीं होता है। पत्रावली पर अवस्थित रेपुडिएशन लेटर कागज सं.-7/6 एवं 7/9 जिनके माध्‍यम से मृतक की बीमा पालिसियों क्रमश: 5008143777 एवं 5008738584 के बीमा दावों को अस्‍वीकृत किया गया है, वे दिनांक 08-4-2014 के हैं। विपक्षी की ओर से न तो यह बताया गया है कि ये रेपुडिएशन परिवादनी को किस माध्‍यम से यथा रजिस्‍ट्री/स्‍पीड पोस्‍ट/कोरियर से भेजे गये थे और न ही तत्‍संबंधी रेपुडिएशन लेटर भेजे जाने का कोई प्रमाण विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत किया गया है। ऐसी दशा में यह प्रमाणित नहीं होता कि ये रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 08-4-2014 परिवादनी को प्रेषित कर दिये गये थे। विधि का सुस्‍थापित सिद्धान्‍त है कि यदि बीमा कंपनी द्वारा बीमा दावा अस्‍वीकृत किया जाता है तो पीडि़त पक्ष को वाद हेतुक उस तिथि से उत्‍पन्‍न होगा जिस दिन उसे रेपुडिएशन लेटर प्राप्‍त होगा। इस दृष्टि से परिवाद को कालबाधित माने जाने का कोई औचित्‍य दिखायी नहीं देता।
  14. उपरोक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि विपक्षी द्वारा मृतक जीशान की बीमा पालिसी सं.-5008143777 तथा 5008738584 के बीमे दावों को अस्‍वीकृत करके त्रुटि की गई है। इन बीमा दावों को रेपुडिएशन लेटर में उल्लिखित कारणों से अस्‍वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था।
  15. परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित बीमा पालिसी सं.-5008143777 की बीमा राशि अंकन-2,20,000/-रूपये तथा बीमा पालिसी सं.-5008738584 की बीमा राशि अंकन-3,00,000/-रूपये परिवादनी को दिलाया जाना न्‍यायोचित दिखायी देता है। उक्‍त के अतिरिक्‍त परिवाद व्‍यय की मद में विपक्षी से परिवादनी को अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी न्‍यायोचित होगा। परिवाद तद्नुसार स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।     
  16.  

परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित अंकन-5,20,000(पाँच लाख बीस हजार) रूपये वसूली हेतु यह परिवाद परिवादनी के पक्ष में विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवादनी परिवाद व्‍यय की मद में विपक्षी से अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त पाने की भी अधिकारिणी होगी। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान परिवादनी को दो माह में किया जाये।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •       अध्‍यक्ष

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •      अध्‍यक्ष

दिनांक: 11-04-2018

 

 

 

 

 

  परिवाद सं.-86/2017

  1.  

निर्णय घोषित। आदेश हुआ कि परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित अंकन-5,20,000(पाँच लाख बीस हजार) रूपये वसूली हेतु यह परिवाद परिवादनी के पक्ष में विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवादनी परिवाद व्‍यय की मद में विपक्षी से अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त पाने की भी अधिकारिणी होगी। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान परिवादनी को दो माह में किया जाये।

 

  • ,                                                         अध्‍यक्ष,

 

 

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