Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/761

Sri Ram Transport - Complainant(s)

Versus

Bharat Singh - Opp.Party(s)

Mukesh Saxena

18 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/761
( Date of Filing : 04 May 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sri Ram Transport
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Bharat Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-761/2007

Shriram Transport Finance Company Limited & other

Versus

Bharat Singh by age Major, son of Late Sri Kishan Lal

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा, विद्धान

                            अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री नंद कुमार, विद्धान अधिवक्‍ता  

दिनांक: 18.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           परिवाद सं0 344/1998,  भरत सिंह बनाम श्री राम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कम्‍पनी व अन्‍य मे विद्धान जिला आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.02.2006 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
  2.           जिला उपभोक्‍ता आयोग ने 60 दिन के अंदर प्रश्‍नगत ट्रक जो परिवादी से प्राप्‍त किया गया है, वापस लौटाने का आदेश पारित किया है।
  3.           परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार ट्रक सं0 एम0पी0 07ए-6811 वर्ष 1995 में विपक्षी सं0 1 से 2,00,000/-रू0 में फाइनेंस कराकर क्रय किया था। इस ऋण का भुगतान 11,920/-रू0 प्रति किश्‍त के हिसाब से करना था। परिवादी द्वारा 12 किश्‍तों का नियमित रूप से भुगतान किया गया और कुल 1,49,040/-रू0 जमा किये गये, परंतु विपक्षी सं0 1 ने दिनांक 27.12.1996 को ट्रक को ड्राइवर से छीन लिया गया और परिवादी के विरूद्ध धारा 420,406 आईपीसी का मुकदमा दर्ज करा दिया। ट्रक की मरम्‍मत में 80,000/-रू0 भी खर्च किये गये थे। तत्‍समय ट्रक की कीमत लगभग 3.5 लाख रूपये थी।
  4.       निर्णय में उल्‍लेख है कि विपक्षी पर पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित किया गया, परंतु कोई उपस्थित नहीं हुआ, इसलिए परिवादी की साक्ष्‍य पर विचार करते हुए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
  5.         अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उनका पता बदल चुका था, इसलिए जिस पते पर नोटिस भेजी गयी, वहां पर प्राप्‍त नहीं हुआ। परिवादी ने जिस पते से फाइनेंस कराया था, उसी पते पर नोटिस भेजी गयी, इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि अपीलार्थी पर नोटिस की तामील नहीं हुई।

       चूंकि विपक्षी ने स्‍वीकार किया है कि अंकन 1,49,040/-रू0 प्राप्‍त हो चुका है, परंतु साथ ही ट्रक को विक्रय करने का भी कथन किया है, जिससे परिवादी को इंकार नहीं है। अत: ट्रक विक्रय होने के संबंध में ट्रक को वापस दिलवाया जाना संभव नही है। अत: साम्‍या  सिद्धांत को लागू करते हुए परिवादी द्वारा जमा राशि तथा तथा ट्रक प्राप्‍त करने के पश्‍चात दिनांक 07.03.1997 को परिवादी के ही नाम धारा 420, 406 का मुकदमा दर्ज होने के कारण परिवादी को जमानत कराने तथा अन्‍य प्रताड़ना वहन करने के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 50,000/-रू0 की राशि अदा करने का आदेश दिया जाना उचित है। उक्‍त धनराशि पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज दिना जाना उचित है। परिवाद व्‍यय के रूप में 5,000/-रू0 के लिए भी आदेशित किया जाना उचित है।

  •  

              अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है अपीलार्थीगण/विपक्षीगण, परिवादी द्वारा जमा धनराशि अंकन 1,49,040/-रू0 तथा क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 50,000/-रू0 कुल धनराशि अंकन 1,99,040/-रू0 परिवादी को अदा करे तथा इस धनराशि पर 09 प्रतिशत की दर से ब्‍याज भी अदा करें एवं परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 भी अदा करें।   

              उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

       प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

   आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

   

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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