(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1856/2008
यूको बैंक, शाखा बक्कास द्वारा प्रबंधक, लखनऊ।
बनाम
भानू प्रताप सिंह पुत्र यशवन्त सिंह निवासी ग्राम सरसवॉं
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एम0के0 त्रिपाठी, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण टण्डन, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :12.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0 757/2001, भानु प्रताप सिंह बनाम यूको बैंक में विद्धान जिला आयोग, (प्रथम) लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.08.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार यूको बैंक में परिवादी तथा अशोक कुमार सिंह नामक व्यक्ति का एक संयुक्त बचत खाता 4705 मौजूद था। अशोक कुमार सिंह द्वारा जय आटोमोबाइल्स द्वारा लिये गये ऋण की गारण्टी दी थी, जिसके संबंध में बैंक द्वारा परिवादी को पत्र लिखा गया कि अंकन 40,881/-रू0 जमानती से वसूल किये जाने है और परिवादी के खाते से 42,638/-रू0 डेबिट कर लिये।
3. बैंक का कथन है कि चूंकि गारंटर का संयुक्त खाता उनके बैंक में मौजूद था, इसलिए गारंटर के खाते से धनराशि की कटौती की गयी है और भानु प्रताप सिंह को संबंधित पत्र लिखा गया था।
4. जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया है कि परिवादी की आधी धनराशि बैंक में मौजूद थी, इसलिए आधी धनराशि वापस प्राप्त करने के लिए बैंक अधिकृत है। तदनुसार 21,324/-रू0 वापस लौटाने का आदेश 12 प्रतिशत ब्याज के साथ बैंक के विरूद्ध पारित किया गया।
5. अपीलार्थी बैंक के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि संयुक्त खाते में जमा राशि ऋण के मद मे वसूली गयी है क्योंकि एक सहखातेदार द्वारा ऋण की गारंटी ली गयी थी। इस संबंध मे नजीर Anumati Vs. Punjab National Bank (2005) I UPLBEC 740 में व्यवस्था दी गयी है कि संयुक्त खाते मे से एक खातेदार द्वारा दी गयी गारंटी के बदले समस्त राशि की कटौती बैंक द्वारा दूसरे सहखातेदार की सहमति के बिना नहीं की जा सकती। प्रस्तुत केस के लिए यह नजीर अत्यधिक सुसंगत है, इसलिए परिवादी के पक्ष में आधी राशि उन्मुक्त करने का आदेश विधिसम्मत है, परंतु इस राशि पर ब्याज अत्यधिक उच्च दर से लगाया गया है, ब्याज राशि तत्समय/समय-समय पर बैंक द्वारा देय ब्याज के अनुसार गणना किया जाना उचित है। अत: अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को जो राशि प्राप्त होगी, उसपर बैंक द्वारा समय-समय पर प्रचलित दर के अनुसार ब्याज अदा किया जाये।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3