(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 143/2017
- Alok Jindal, aged about 38 years, S/o Late Gopal Jindal, R/o 37/2, Ramraja Colony, Civil Lines, Jhansi.
- Smt. Anita Jindal, aged about 58 years, W/o Late Gopal Jindal, R/o 37/2, Ramraja Colony, Civil Lines, Jhansi.
.....परिवादीगण
बनाम्
- Bhagwati Signature, Arazi No. 456 & 477, Ballampur Road, Rajgarh, Jhansi, Through its Partner Sandesh Khard.
- Dheerandra Khard Partner of Bhagwati Signature, “SIGNATURE TOWER, JHANSI” Near Blue Bells, Ballampur Road, Rajgarh, Jhansi.
- Branch Manager, State Bank of India, SBI RASHECCC, Gwalior Road, Jhansi.
- .विपक्षीगण
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
परिवादी की ओर से उपस्थित- श्री विकास अग्रवाल।
विपक्षी सं0-3 की ओर से उपस्थित- श्री अंशुमाली सूद।
विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 26 -08-2019
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मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवादीगण Alok Jindal और Smt. Anita Jindal ने यह परिवाद विपक्षीगण (1) Bhagwati Signature, Arazi No. 456 & 477, Ballampur Road, Rajgarh, Jhansi, Through its Partner Sandesh Khard. (2) Dheerandra Khard Partner of Bhagwati Signature, “SIGNATURE TOWER, JHANSI” Near Blue Bells, Ballampur Road, Rajgarh, Jhansi. और (3) Branch Manager, State Bank of India, SBI RASHECCC, Gwalior Road, Jhansi के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है :-
- To direct the Opposite Party No. 1 & 2 to refund the deposited amount of Rs. 27,98,000/- along with interest @ 24% from the respective dates of deposit to actual date of payment.
- To direct the Opposite Party No. 1& 2 to pay a sum of Rs. 5,00,000/- towards the interest paid by Complainant to SBI/O.P No.3, towards their housing loan.
- To direct the Opposite Party No. 1 to 3 to pay a sum of Rs. 10,00,000/- as the compensation in respect of the deficiency in services as well as Unfair Trade Practice and Mental agony committed by the Opposite party No. 1 to 3.
- To direct the Opposite party No. 1 to 3 to pay the cost of the case quantified as Rs. 50,000/-
- Any other direction which is deems fit may also allow in the interest of justice.
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी संख्या-1 पार्टनरशिप फर्म है और विपक्षी संख्या-2 उसके पार्टनर है तथा दोनों Builder/Contractor/Promoter है और भूखण्डों के विकास एवं भवन और फ्लैट के निर्माण का कार्य करते हैं। उन्होंने “Signature Tower, Jhansi” के नाम से एक परियोजना शुरू की और उक्त परियोजना में विभिन्न श्रेणी के फ्लैट की बिक्री आमंत्रित की।
विपक्षी संख्या-3 स्टेट बैंक आफ इण्डिया ने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 की उपरोक्त परियोजना को अप्रूवल प्रदान करते हुए उक्त परियोजना में फ्लैट्स क्रय करने के लिए ऋण सुविधा अपने ब्रांच मैनेजर, झॉसी के नाम से प्रस्तावित की।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के विज्ञापन से प्रभावित होकर वे विपक्षीगण संख्या-1 व 2 से उनकी उपरोक्त परियोजना में एक फ्लैट क्रय करने हेतु मिले। तब विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने उन्हें सूचित किया कि उनकी यह परियोजना स्टेट बैंक आफ इण्डिया (विपक्षी संख्या-3) से स्वीकृत है और विपक्षी संख्या-3 की विभिन्न ब्रांचों द्वारा उनकी उक्त परियोजना के क्रेताओं को ऋण सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। उसके बाद परिवादीगण ने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के यहॉं प्रोवीजनल एलाटरमेंट के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया और विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने उन्हें दिनांक 25-04-2013 को एलाटमेंट लेटर जारी करते हुए 4 BHK Flat No. E-1, 2060 Sq.Ft. अपनी उपरोक्त परियोजना “Signature Tower Jhansi” में आवंटित किया। एलाटमेंट लेटर के अनुसार फ्लैट की कुल लागत रू0 42,64,000/- थी और उसका सुपर एरिया 2400 Sq.Ft. था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण ने “Construction Linked Plan” भुगतान हेतु चुना था और फ्लैट का कब्जा विपक्षीगण संख्या-1 व 2 द्वारा दिनांक 25-04-2015 तक दिया जाना था। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण ने विपक्षी संख्या-3 से
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30,00,000/- का होम लोन प्राप्त किया और परिवादीगण विपक्षीगण संख्या-1 व 2 एवं विपक्षी संख्या-3 के बीच एक त्रिपक्षीय करार निष्पादित किया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा की गयी मांग और “Construction Linked Plan” के अनुसार उन्होंने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के यहॉं दिनांक 25-04-2013 को 1,09,000/-, दिनांक 24-05-2013 को रू0 2,51,000/-, दिनांक 24-06-2013 को रू0 3,60,000/-, दिनांक 24-07-2013 को रू0 3,60,000/- दिनांक 24-03-2015 को रू0 25,000/- और दिनांक 13-05-2015 को रू0 25,000/- जमा किया। इस प्रकार उन्होंने कुल 11,30,000/-रू0 विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के यहॉं दिनांक 25-04-2013 से दिनांक 13-05-2015 तक की अवधि में जमा किया है। इसके अलावा विपक्षी संख्या-3 स्टेट बैंक आफ इण्डिया ने 5,35,000/-रू0 दिनांक 20-08-2013, को रू0 3,60,000/- दिनांक 30-03-2015 को, रू0 4,38,000/- दिनांक 20-05-2015 को और 3,35,000/- दिनांक 19-06-2015 को विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को दिया है। इस प्रकार कुल 16,68,000/-रू0 का भुगतान विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को विपक्षी संख्या-3 बैंक द्वारा किया गया है और कुल भुगतान 27,98,000/-रू0 “Construction Linked Plan” के अनुसार विपक्षीगण संख्या-1 व 2 प्राप्त कर चुके हैं।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि एलाटमेंट लेटर के समय विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने उन्हें सूचित किया था कि उनकी प्रश्नगत परियोजना विकास प्राधिकरण से अप्रूब्ड है और फ्लैट का कब्जा दो साल के अंदर दिया जायेगा। इसी शर्त पर परिवादीगण फ्लैट लेने के लिए तैयार हुए थे और फ्लैट का कब्जा विपक्षीगण संख्या-1 व 2 द्वारा वर्ष 2015 में दिया जाना था परन्तु यह अवधि बीत चुकी है और परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य लम्बे समय से बंद पड़ा है। परिवादीगण को यह सूचना मिली कि विकास प्राधिकरण ने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 का लाईसेंस सीज कर
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दिया है अत: ऐसी स्थिति में विपक्षीगण को अपनी जमा धनराशि ब्याज सहित पाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है, परन्तु विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने परिवादीगण की जमा धनराशि वापस नहीं की है अत: उन्होंने सेवा में कमी की है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण संख्या-1 व 2 की प्रश्नगत परियोजना के भविष्य को देखते हुए वे विपक्षी संख्या-3 के अधिकारियों से मिले और उनसे अनुरोध किया कि उनके ऋण की भविष्य में EMI बंद कर दी जाए और विपक्षीगण संख्या-1 व 2 पर जमा धनराशि वापस करने का दबाव बनाया जाए ताकि परिवादीगण के लोन एकाउन्ट का समाधान हो सके। परिवादीगण ने विपक्षी संख्या-3 से यह भी अनुरोध कि कि ऋण की भविष्य की EMI की मांग परिवादीगण से न की जाए। परन्तु उन्होंने परिवादीगण की मांग स्वीकार नहीं किया।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी संख्या-3 ने भी सेवा में कमी की है क्योंकि उसने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 की प्रश्नगत परियोजना को स्वीकृति प्रदान की है। अत: परियोजना विफल होने में उसका भी दायित्य बनता है। इसके साथ ही विपक्षी संख्या-3 को इस बात की पूर्ण जानकारी है कि विपक्षीगण संख्या-1 व 2 परियोजना पूर्ण करने योग्य नहीं है फिर भी वह विपक्षीगण का सहयोग कर रहे है और अपनी सेवा में कमी कर रहे हैं। अत: परिवादीगण ने क्षुब्ध होकर परिवाद सभी विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण संख्या-1 व 2 द्वारा संयुक्त लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है जिसमें उन्होंने कहा है कि परिवादीगण ने प्रश्नगत परियोजना की बिल्डिंग नम्बर-2 में फ्लैट के लिए आवेदन दिया था परन्तु बिल्डिंग में आवंटन हेतु कुछ प्रार्थना पत्र ही प्राप्त हुए है जिससे बिल्डिंग का निर्माण प्रारम्भ करने के बाद पूर्ण गति से उसे पूरा नहीं किया जा सका है क्योंकि इस बिल्डिंग के अधिकांश फ्लैट विक्रय हेतु आवंटित नहीं हो सके है अत: फण्ड की कमी और
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सम्भावित क्रेताओं का सहयोग न मिलने के कारण बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने परिवादीगण से इसी स्पेसीफिकेश्न का दूसरा फ्लैट बिल्डिंग नम्बर-5 में लेने को कहा, परन्तु परिवादीगण ने अपनी सहमति नहीं दी और न ही विपक्षीगण को कोई जवाब दिया।
लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि बिल्डिंग नम्बर-2 के निर्माण में परिवादीगण की कमी के कारण कोई रूकावट नहीं आयी है। बिल्डिंग का निर्माण उपरोक्त कारणों से पूरा नहीं हो सका है जो विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के नियंत्रण से बाहर है। परिवादीगण अपनी जमा धनराशि करार पत्र के अनुसार बिना ब्याज के वापस पाने के अधिकारी है। विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने लिखित कथन में कहा है कि परिवादीगण ने रू0 27,98,000/- फ्लैट की कुल लागत रू0 42,64,000/- के विरूद्ध जमा किया है और स्वत: भुगतान रोक दिया है। उन्होंने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के सामने अपना कोई प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया है इसका कारण यह है कि विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने उन्हें बिल्डिंग नम्बर-5 में फ्लैट के एलाटमेंट का विकल्प दिया है परन्तु वे प्रकरण तय नहीं करना चाहते है और अपनी सहमति प्रदान नहीं की है। उन्होंने स्वत: प्रकरण के निस्तारण में विलम्ब ऊँची दर पर ब्याज पाने के उद्देश्य से किया है। यदि परिवादीगण ने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 से सम्पर्क किया होता तो उनकी समस्या का उचित हल निकाला गया होता। परिवादीगण जमा धनराशि ब्याज के साथ पाने के अधिकारी नहीं है।
विपक्षी संख्या-3 की ओर से भी लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और परिवाद का विरोध करते हुए कहा गया है कि उसके विरूद्ध गलत परिवाद, मात्र ऋण के भुगतान से बचने के लिए परिवादीगण ने प्रस्तुत किया है। परिवादीगण ऋण करार के अनुसार ऋण धनराशि के भुगतान हेतु उत्तरदायी है और परिवाद विपक्षी संख्या-3 के विरूद्ध ग्राह्य नहीं है। परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
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परिवादीगण की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी आलोक जिन्दल का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या-3 स्टेट बैंक आफ इण्डिया की ओर से श्री बृजेश कुमार, चीफ मैनेजर एस0बी0आई0 का शपथ पत्र विपक्षी संख्या-3 के लिखित कथन के समर्थन में प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण संख्या-1 व 2 की ओर से कोई शपथ पत्र साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं किया गया है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादीगण की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल और विपक्षी संख्या-3 की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अंशुमाली सूद उपस्थित आए है। विपक्षीगण संख्या-1 व 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादीगण और विपक्षी संख्या-3 के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र एवं विपक्षीगण संख्या-1 व 2 की ओर से प्रस्तुत संयुक्त लिखित कथन से यह स्पष्ट है कि विपक्षीगण संख्या-1 व 2 की प्रश्गनत परियोजना में परिवादीगण को प्रश्नगत फ्लैट रू0 42,64,000/- का आवंटित किया गया है जिसमें परिवादीगण द्वारा विभिन्न तिथियों पर दिनांक 25-04-2013 से लेकर दिनांक 19-06-2015 तक की अवधि में कुल रू0 27,98,000/- का भुगतान विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को किया गया है यह तथ्य निर्विवादित है।
परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण नियत अवधि में पूरा नहीं किया गया है और न ही निकट भविष्य में निर्माण कार्य पूरा होने की सम्भावना है यह तथ्य भी उभयपक्ष के अभिकथन से स्पष्ट है। विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के अनुसार उन्होंने परिवादीगण को आवंटित फ्लैट के बदले दूसरा फ्लैट अपनी इसी परियोजना में
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बिल्डिंग नम्बर-5 में प्रस्तावित किया है, परन्तु लिखित रूप से ऐसा कोई आफर परिवादीगण को दिये जाने का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है और न ही बिल्डिंग नम्बर—5 में फ्लैट तैयार और उपलब्ध होने का कोई साक्ष्य दिया गया है। परिवादीगण को प्रश्गनत फ्लैट का आवंटन विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने एलाटमेंट पत्र दिनांक 25-04-2013 से किया है और उपरोक्त धनराशि 27,98,000/-रू0 का भुगतान परिवादीगण ने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को दिनांक 15-04-2013 से दिनांक 19-06-2015 तक की अवधि में किया है। परिवादीगण ने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को उपरोक्त धनराशि में 16,68,000/-रू0 का भुगतान विपक्षी संख्या-3 से ऋण लेकर किया है। जिस पर उन्हें ब्याज सहित EMI जमा करनी पड़ रही है। इस प्रकार स्पष्ट है कि आवंटन पत्र की तिथि के बाद 06 साल से अधिक की अवधि बीत चुकी है और आवंटन करार पत्र में कब्जा अन्तरण की प्रस्तावित तिथि के बाद 04 साल का समय बीत चुका है। परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को अंतिम भुगतान दिनांक 29-06-2015 को किया गया है इस तिथि के बाद भी 04 साल का समय बीत चुका है परन्तु अब तक परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूरा नहीं हुआ है और न ही निकट भविष्य में निर्माण पूरा होने की सम्भावना है। विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने परिवादीगण को दूसरी बिल्डिंग में समान मापदण्ड और गुणवत्ता का फ्लैट देने का कोई लिखित प्रस्ताव परिवादीगण को दिया जाना प्रमाणित नहीं किया है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि परिवादीगण को उनकी जमा धनराशि विपक्षीगण संख्या-1 व 2 से ब्याज के साथ वापस दिलाया जाना ही उचित है।
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परिवाद पत्र के कथन एवं परिवादी के शपथ पत्र से यह स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या-3 से परिवादीगण ने जो ऋण प्राप्त किया है उस पर उसे ब्याज देना पड़ा है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने Civil Appeal No. (s). 3948 of 2019 SLP© 9575 of 2019 M/s Krishan Estate Developers Pvt. Ltd. Vs. Naveen Srivastava व अन्य में पारित आदेश दिनांक 15-04-2019 में बिल्डर द्वारा तय समय के अंदर निर्माण पूरा कर कब्जा न दिये जाने पर आवंटी द्वारा जमा धनराशि एक मास के अंदर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने हेतु आदेशित किया है और इस अवधि में बिल्डर द्वारा ब्याज सहित धनराशि आवंटी को वापस न किये जाने पर उसकी जमा धनराशि राज्य आयोग द्वारा आदेशित 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज के साथ वापस करने को कहा है।
मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए उचित प्रतीत होता है कि विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को परिवादीगण की जमा धनराशि रू0 27,98,000/- दो मास के अंदर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने का अवसर प्रदान किया जाए। यदि इस अवधि में विपक्षीगण संख्या-1 व 2 परिवादीगण की जमा धनराशि उपरोक्त ब्याज दर से वापस करने में असफल रहते हैं तो ऐसी स्थिति में विपक्षीगण संख्या-1 व 2 से परिवादीगण की जमा उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि, जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ उन्हें वापस दिलाया जाए।
परिवादीगण की जमा धनराशि ब्याज सहित विपक्षीगण संख्या-1 व 2 से वापस दिलायी जा रही है है अत: ऐसी स्थिति में
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परिवादीगण द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान किया जाना उचित नहीं दिखता है, परन्तु परिवादीगण को रू0 10,000/- वाद व्यय विपक्षीगण संख्या-1 व 2 से दिलाया जाना उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि विपक्षी संख्या-3 की सेवा में कमी मानने हेतु उचित आधार नहीं है। अत: परिवाद विपक्षी संख्या-3 के विरूद्ध निरस्त किये जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादीगण की जमा धनराशि रू0 27,98,000/- दो माह के अंदर, जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित परिवादीगण को वापस करें। यदि इस अवधि में विपक्षीगण संख्या-1 व 2 परिवादीगण की जमा धनराशि उपरोक्त दर से ब्याज सहित वापस करने में असफल रहते हैं तो ऐसी स्थिति में वे परिवादीगण की सम्पूर्ण जमा धनराशि रू0 27,98,000/- जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ उन्हें वापस करेंगे।
विपक्षीगण संख्या-1 व 2 परिवादीगण को रू0 10,000/- वाद व्यय भी प्रदान करेंगे।
विपक्षी संख्या-3 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है।
विपक्षीगण संख्या-1 व 2 द्वारा परिवादीगण को दी जाने वाली धनराशि से परिवादीगण के ऋण की अवशेष धनराशि विपक्षी संख्या-3 बैंक विधि के अनुसार प्राप्त कर सकता है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1