Uttar Pradesh

StateCommission

A/829/2018

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Bhagwati Prasad Kanya Maha Vidyalay - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

15 Nov 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/829/2018
( Date of Filing : 08 May 2018 )
(Arisen out of Order Dated 19/03/2018 in Case No. C/331/2013 of District Gorakhpur)
 
1. Central Bank Of India
Shakha Bank Road Gorakhpur To Shakha Prabandhak
...........Appellant(s)
Versus
1. Bhagwati Prasad Kanya Maha Vidyalay
Gorakhpur To Prabandhak Bhagwati Prasad Kanya Maha Vidyalay Gorakhpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 15 Nov 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-829/2018

(जिला फोरम, गोरखपुर द्धारा परिवाद सं0-331/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.3.2018 के विरूद्ध)

सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया शाखा बैंक रोड़ गोरखपुर द्वारा शाखा प्रबन्‍धक गोरखपुर।

                                              ........... अपलार्थी/विपक्षी

बनाम

भगवती प्रसाद कन्‍या महा विद्यालय गोरखपुर द्वारा प्रबन्‍धक भगवती प्रसाद कन्‍या महा विद्यालय गोरखपुर।

       …….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष 

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता    : श्री जफर अजीज

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता      : श्री अम्‍बरीश कौशल

दिनांक :-19/12/2019       

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-331/2013 श्री भगवती प्रसाद कन्‍या महा विद्यालय गोरखपुर बनाम सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया शाखा बैंक रोड़ गोरखपुर द्वारा शाखा प्रबन्‍धक में जिला फोरम, गोखरपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 19.3.2018 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

 -2-

“परिवादी का यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी निर्देश दिया जाता है कि निर्णय के 45 दिनो के अन्‍तर्गत परिवादी का जमा धनराशि मु0 93,594.00 रू0 का भुगतान करे। विपक्षी को यह भी निर्देश दिया जाता है कि परिवादी को हुई मानसिक व शारीरिक पीड़ा के रूप में क्षतिपूर्ति मु0 5,000.00 रू0  तथा वाद व्‍यय के रूप में मु0 2,000.00 रू0 उक्‍त अवधि के अन्‍तर्गत परिवादी को भुगतान करे। यदि उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन विपक्षी द्वारा समायान्‍तर्गत नहीं किया जाता है तो उक्‍त समस्‍त धनराशि पर वाद के योजित करने की तिथि से पूर्ण भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत अतिरिक्‍त ब्‍याज देय होगा।”

जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज और प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अम्‍बरीश कौशल उपस्थित आये हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी

-3-

कन्‍या महा विद्यालय के प्रबन्‍धक श्री भगवती प्रसाद है। महा विद्यालय में कक्षा 6 से 12 तक छात्राऐं अध्‍ययन करती हैं। विद्यालय की संस्‍थान का चालू खाता सं0-4344 दिनांक 16.5.1990 को अपीलार्थी/विपक्षी बैंक में खोला गया था, जिसका संचालन समय-समय पर विद्यालय द्वारा किया जाता था। दिनांक 22.4.1991 को विद्यालय के उक्‍त खाते में कुल 93,594.10 रू0 बैलेन्‍स था। उसके बाद काफी समय से खाते से लेनदेन नहीं हुआ और महा विद्यालय के वर्तमान प्रबन्‍धक ने विद्यालय के एकाउन्‍टेंट के जब उक्‍त खाते की जानकारी की तो पता चला कि वर्षों से इस खाते से कोई लेनदेन नहीं हुआ है। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय द्वारा दिनांक 16.6.2010 को अपीलार्थी बैंक को एक प्रार्थना पत्र प्रेषित करते हुए खाते को आपरेटिव करने का निवेदन किया गया इस पर अपीलार्थी बैंक ने कुछ अभिलेखों की मॉग की जिसे उपलब्‍ध कराया गया। जमा स्‍लीप की छायाप्रति और चेक बुक की छाया प्रति भी दी गई, फिर भी अपीलार्थी विपक्षी बैंक ने कोई कार्यवाही नहीं की। तब वि‍वश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय के प्रबंधक ने पुन: प्रार्थना पत्र अपीलार्थी बैंक को प्रेषित किया और अन्‍त में सूचना के अधिकार के तहत सूचना मॉगी तब अपीलार्थी बैंक के उपक्षेत्रीय प्रबन्‍धक ने पत्र दिनांक 16.8.2013 के द्वारा बताया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय का प्रश्‍नगत खाता वर्ष 1991 के पूर्व का है और वर्ष-1991 के बाद इस खाते में कोई लेनदेन नहीं हुआ है। इस कारण खाते के बारे में

-4-

कोई जानकारी दिया जाना सम्‍भव नहीं है। तब क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी बैंक की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का खाता सं0-4344 वर्ष 1991 के पहले खोला गया था और उसमें कोई लेनदेन नहीं हुआ है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय के प्रश्‍नगत खाते को अपीलार्थी के बैंक ने वर्ष-2003 में कम्‍प्‍यूटरिकृत नहीं किया गया है। लिखित कथन में कहा गया है कि बैंक में वर्ष-2007 से सारे खाते सी.बी.एस. प्रणाणी में हो गये है। परन्‍तु कम्‍प्‍यूटर लेकिन प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते का कोई रिकार्ड और बैलेंस एकाउण्‍ट नहीं दिखा रहा है और पुराने रिकार्ड उपलब्‍ध न होने के कारण खाते का विवरण प्रस्‍तुत करना कठिन कार्य है। लिखित कथन में अपीलार्थी बैंक की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय ने खाता सं0-1433191267 उसी नाम से अपीलार्थी विपक्षी बैंक की शाखा में खोला है और उसका संचालन वह कर रहा है। बैकिंग नियमावली के अन्‍तर्गत कोई व्‍यक्ति दो चालू खाता एक ही शाखा में एक ही नाम से नहीं चला सकता है। अत: परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी

-5-

विद्यालय का खाता सं0-4344 अपीलार्थी विपक्षी के बैंक में था जिसमें 93,594.00 रू0 जमा होना कहा जा रहा है। परन्‍तु अभिलेखों की अनउपलब्‍धता के कारण खाते का विवरण प्राप्‍त नहीं हो रहा है। अत: जिला फोरम ने माना है कि अपीलार्थी विपक्षी बैंक खाते की जमा धनराशि का भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी को करने हेतु जिम्‍मेदार है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया है।

अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी बैंक में प्रत्‍यर्थी/परिवादी का प्रश्‍नगत खाता वर्ष 1991 से पहले का है और वर्षों से इसका संचालन नहीं किया गया है। अत: बैंक शाखा के कम्‍प्‍यूटरीकृत होने पर यह खाता कम्‍प्‍यूटर में नहीं आया है और उसका कोई विवरण शाखा पर उपलब्‍ध नहीं है। जिससे भुगतान कर पाना सम्‍भव नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी बैंक की सेवा में कोई कमी नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा खाते का संचालन न करने के कारण खाता निष्‍प्रभावी हो गया है और उसे कम्‍प्‍यूटरीकृत नहीं किया गया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के अनुकूल है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय का पैसा प्रश्‍नगत खाते में जमा है। अत: वह खाते में जमा धनराशि ब्‍याज सहित पाने का अधिकारी है।

-6-

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

अपीलार्थी बैंक प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय के प्रश्‍नगत खाते से स्‍पष्‍ट रूप से इंकार नहीं कर रहा है। अपीलार्थी बैंक का कथन है कि बैंक का कार्य कम्‍प्‍यूटरीकृत किये जाने के पहले से प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय के खाते का संचालन नहीं किया जा रहा था। इस कारण यह खाता कम्‍प्‍यूटर पर नहीं आया है और उसका कोई विवरण या अभिलेख बैंक में उपलब्‍ध नहीं है। इस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय के प्रश्‍नगत खाते का भुगतान सम्‍भव नहीं है। जिला फोरम के निर्णय में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत खाते की पास बुक प्रस्‍तुत किये जाने का उल्‍लेख नहीं है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हॅू कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाये कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय द्वारा प्रश्‍नगत खाते की पास बुक प्रस्‍तुत किये जाने पर पास बुक के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते की धनराशि का भुगतान जमा धनराशि पर अदायगी की तिथि तक देय ब्‍याज के साथ अपीलार्थी विपक्षी बैंक उसे करें।

मेरी राय में जिला फोरम ने जो 5,000.00 रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया है वह उचित नहीं है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश

-7-

संशोशित करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय द्वारा अपने प्रश्‍नगत खाते की पास बुक प्रस्‍तुत किये जाने पर पास बुक में अंकित प्रविष्टि के अनुसार जमा धनराशि व उस पर अदायगी की तिथि तक देय ब्‍याज का भुगतान अपीलार्थी बैंक प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्यालय के प्रबन्‍धक को इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर करें। साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा आदेशित वाद व्‍यय की धनराशि 2,000.00 रू0 भी अदा करें।

जिला फोरम ने जो 5,000.00 रू0 मानसिक व शारीरिक पीडा हेतु क्षतिपूर्ति दिलाया है, उसे अपास्‍त किया जाता है।

अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेगें।

अपीलार्थी बैंक द्वारा उपरोक्‍त आदेशित धनराशि एक मास के अन्‍दर अदा न किये जाने पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी आदेशित धनराशि की वसूली के लिये विधि के अनुसार कार्यवाही करने हेतु स्‍वतंत्र होगा।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनिमय, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000.00 रू0 अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रेषित की जाये कि यदि एक मास के अन्‍दर अपील में पारित उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन कर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में जमा धनराशि ब्‍याज सहित उसे अपीलार्थी बैंक अदा कर देता है तो राज्‍य आयोग से प्राप्‍त यह धनराशि अपीलार्थी बैंक को वापस कर दी जायेगी, परन्‍तु यदि इस

-8-

अपील में पारित आदेश का अनुपालन अपीलार्थी बैंक नहीं करता है, तो यह धनराशि इस अपील में पारित आदेश के अनुसार जिला फोरम द्वारा निस्‍तारित की जायेगी और अपील में पारित निर्णय और आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु विधि के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।

 

                        (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)               

                                 अध्‍यक्ष                           

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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