Uttar Pradesh

StateCommission

R/2012/93

Vidhut Vitran Nigam - Complainant(s)

Versus

Bhagwati Ice and Cold Storage - Opp.Party(s)

M N Mishra

16 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. R/2012/93
( Date of Filing : 21 May 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Vidhut Vitran Nigam
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Bhagwati Ice and Cold Storage
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 May 2023
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

पुनरीक्षण सं0- 93/2012

 

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन (तृतीय) फतेहाबाद, आगरा, द्वारा एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर।

                                                                                                                                    ......... पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी

बनाम

 

मै0 मां भगवती आईस एण्‍ड कोल्‍ड इरादत नगर, आगरा, द्वारा विजय कुमार त्‍यागी, पार्टनर।

                                                                                                                                          .......विपक्षी/परिवादी  

 

समक्ष:-                                                               

   मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

   मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

 

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।                                                                  

                                         

दिनांक:- 16.05.2023

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

      निर्णय      

            परिवाद सं0- 264/2008 मै0 मां भगवती आईस कोल्‍ड स्‍टोरेज बनाम विद्युत विभाग में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय, आगरा द्वारा पारित आदेश दि0 05.03.2012 के विरुद्ध यह अपील योजित की गई है।

             जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा आदेश दि0 24.02.2012 इस प्रकार पारित किया गया है कि-   

            ‘’वादी ने रसीद संख्‍या 125712 दिनांकित 08.09.2008 मु0 2,50,000/- की छायाप्रति दाखिल की है, इसकी ओर वादी ने ध्‍यान दिलाया। इसके अलावा रसीद संख्‍या 125712 दिनांकित 08.09.2008 मु0 1000/-रूपया भी जमा कराया था।

            फैसले के मुताबिक वादी चोरी में लिप्‍त नहीं पाया गया था। उक्‍त रकम 2,50,000/-रू0 विपक्षी ने वादी से असिस्‍मेंट के रूप में जमा करवायी थी। वादी ने कहा कि वह यह रकम 2,50,000/-रू0 वापस पाने का हकदार है।

            यह आदेश दिया जाता है कि वादीगण 2,50,000/-रू0 के पर्सनल सियोरिटी बान्‍ड (बन्‍ध पत्र) दाखिल करे। फोरम की तसल्‍ली के लिए 25.02.2012 को दाखिल करे, तत्‍पश्‍चात आगे कार्यवाही की जायेगी।‘’

            पुनरीक्षणकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 मिश्रा उपस्थित हैं। पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एन0 मिश्रा की मृत्‍यु होने के उपरांत कार्यालय द्वारा पुनरीक्षणकर्ता को पंजीकृत डाक से सूचना प्रेषित की गई थी, फिर भी पुनरीक्षणकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया है। अत: हमने विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना तथा प्रश्‍नगत आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया।  

            जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा आदेश दि0 24.02.2012 के उपरांत पुन: प्रश्‍नगत आदेश दिनांकित  05.03.2012 पारित किया गया, जिसके अनुसार विपक्षी/परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि 2,50,000/-रू0 को वापस दिलाये जाने के आदेश पारित किए गए थे। इस प्रकार आदेश दि0 24.02.2012 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि स्‍वयं जिला उपभोक्‍ता आयोग के आदेश के अनुसार विपक्षी/परिवादी द्वारा ही रसीद सं0- 125712 दिनांकित 08.09.2008 रू0 2,50,000/- की दाखिल की गई है जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी अर्थात निगरानीकर्ता विद्युत विभाग द्वारा असेसमेंट के रूप में रू0 2,50,000/- के बाण्‍ड दाखिल किए जाने के आदेश दिए गए थे। इसके उपरांत पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी को निर्देश दिया गया कि वे उक्‍त धनराशि विपक्षी/परिवादी को वापस कर दें। यह अन्तिम आदेश नहीं है एवं परिवाद के अंतरिम स्‍तर पर आदेश पारित किया गया था। परिवाद के गुण-दोष पर निर्णीत हो जाने के उपरांत यह प्रश्‍न निर्णीत हो जायेगा कि उक्‍त रू0 2,50,000/- विपक्षी/परिवादी देने के लिए उत्‍तरदायित्‍व रखता है अथवा नहीं। अत: विपक्षी/परिवादी को उक्‍त धनराशि दिलाये जाने का परिवाद के गुण-दोष पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अतिरिक्‍त उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 13(3)(बी) के अंतर्गत अंतरिम आदेश देने का अधिकार है। अत: अंतरिम आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं माना जा सकता है, अतएव प्रश्‍नगत आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई उचित आधार प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार पुनरीक्षण याचिका निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

            पुनरीक्षण याचिका निरस्‍त की जाती है।

            आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         (सुधा उपाध्‍याय)                         (विकास सक्‍सेना)        

             सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 3

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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