Uttar Pradesh

StateCommission

A/1809/2014

Ashi Nursing Home - Complainant(s)

Versus

Bhagwat Saran Gupta - Opp.Party(s)

Amit Chandra

28 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/751/2017
( Date of Filing : 26 Apr 2017 )
(Arisen out of Order Dated 21/10/2016 in Case No. C/21/2015 of District Shambhal)
 
1. Medico Legal Insurance Consultants Pvt Ltd
B-68, 70 Ganga Plaza Begum Bridge Road Meerut
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr. Vandana Saxena
W/O Dr. Sarvesh Saxena C/O Ashi Nursing Home Subhash Road Chandausi Distt. Sambhal
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/1809/2014
( Date of Filing : 10 Sep 2014 )
(Arisen out of Order Dated 08/08/2014 in Case No. C19/2014 of District Muradabad-I)
 
1. Ashi Nursing Home
Subhash Road Chadausi Distt Sambhal
...........Appellant(s)
Versus
1. Bhagwat Saran Gupta
R/O Narayanpur Deva PS Baniya Ther Distt Moradabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Mar 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील सं0- 1809/2014

 

Ashi Nursing Home, Subhash Road, Chandausi, District Sambhal through Dr. Sarvesh Saxena another. 

 

                                                                                            …….Appellant

 

Versus

 

Bhagwat Saran Gupta, S/o Sri Basanti Lal Gupta, R/o Narayanpur Deva, P.S. Baniya Ther, District Moradabad.  

                                                                                       ……Respondent

समक्ष:-

   मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

   मा0 श्रीमती सुधा अग्रवाल, सदस्‍य।  

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल ,

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित      : श्री आलोक कुमार सिंह,

                               विद्वान अधिवक्‍ता।                                      

                       

दिनांक:- 28.03.2023

 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.          परिवाद सं0- 19/2014 भगवत सरन गुप्‍ता बनाम आशी नर्सिंग होम व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 08.08.2014 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.          जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है:-

            ‘’परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी की पत्‍नी की चिकित्‍सा में खर्च हुए 4,00,000/-रू0 तथा 2,000/-रू0 वाद व्‍यय एक माह के अन्‍दर परिवादी को अदा करें। अन्‍यथा वह मतलबा डिक्री पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज देने के जिम्‍मेदार होंगे।‘’

3.          हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार सिंह को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया।

4.          अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उक्‍त परिवाद सं0- 19/2014 की पत्रावली दि0 25.02.2014 को जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय, मुरादाबाद में सूचीबद्ध थी जिसमें दि0 04.04.2014 तिथि नियत की गई, परन्‍तु उक्‍त नियत तिथि के पूर्व ही दि0 20.03.2014 को उक्‍त पत्रावली जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय मुरादाबाद से जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल स्‍थानांतरित कर दी गई, जिसकी जानकारी अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को नहीं हो पायी थी। इस कारण वश अपीलार्थीगण/विपक्षीगण जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हो सके। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की अनुपस्थिति में उनके विरुद्ध परिवाद में एकपक्षीय रूप से कार्यवाही करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जो विधि विरुद्ध है।

5.          पत्रावली में संलग्‍न एनेक्‍जर सं0- 4 पर उपलब्‍ध आदेश पत्र दि0 25.02.2014 से स्‍पष्ट होता है कि उक्‍त तिथि को परिवाद सं0- 19/2014 की पत्रावली जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय, मुरादाबाद में थी जिसमें दि0 04.04.2014 तिथि नियत की गई थी, परन्‍तु नियत तिथि से पूर्व ही दि0 20.03.2014 को उक्‍त पत्रावली जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल को प्रेषित कर दी गई तथा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को बिना नोटिस प्रेषित किए हुए जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल में दि0 04.04.2014 को प्रस्‍तुत हुई और कार्यवाही अग्रसारित की गई। अतएव  अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष उपस्थित न होने का पर्याप्‍त कारण दर्शित किया गया है। समस्‍त तथ्‍यों एवं अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को दृष्टिगत करते हुए पीठ इस मत की है कि अपील स्‍वीकार करते हुए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाए तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग को इस निर्देश के साथ प्रति प्रेषित की जाए कि जिला उपभोक्‍ता आयोग उपरोक्‍त परिवाद अपने पुराने नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करे और विधिनुसार उभयपक्ष को साक्ष्‍य व सुनवाई का अवसर देते हुए परिवाद में अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित करें।      

आदेश

6.          प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि0 08.08.2014 अपास्‍त किया जाता है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल को इस निर्देश के साथ प्रति प्रेषित की जाती है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग उपरोक्‍त परिवाद अपने पुराने नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करे और विधिनुसार उभयपक्ष को साक्ष्‍य व सुनवाई का अवसर देते हुए परिवाद में अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित करे।      

            उभयपक्ष दि0 15.05.2023 को जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष उपस्थित होंगे।     

            अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित विधिनुसार अपीलार्थीगण को वापस की जाए।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।  

 

       (सुधा उपाध्‍याय)                            (विकास सक्‍सेना)

           सदस्‍य                                    सदस्‍य  

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0-2

 

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

 

अपील सं0- 751/2017

 

Medico Legal Insurance Consultants Pvt. Ltd. B-68, 70, Ganga Plaza, Begum Bridge Road, Meerut. Through its Manager another.  

                                                                                          …….Appellants

 

Versus

 

Dr. Vandana Saxena, W/o Dr. Sarvesh Saxena, C/o Ashi Nursing Home, Subhash Road, Chandausi, District- Sambhal.  

                                                                                       ……Respondent

समक्ष:-

   मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

   मा0 श्रीमती सुधा अग्रवाल, सदस्‍य। 

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री अमित चन्‍द्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

                       

दिनांक:- 28.03.2023

 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.          परिवाद सं0- 21/2005 डा0 वन्‍दना सक्‍सेना बनाम मेडिको लीगल कंसलटेंस प्रा0लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 21.10.2016 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.          जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है:-

            ‘’परिवाद आंशिक रूप से विपक्षीगण के विरुद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रश्‍नगत धनराशि 4,00,000/- रू0 तथा 5,000/-रू0 बतौर वाद व्‍यय परिवादिनी को दो माह में अदा करें। अन्‍यथा 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दौरान मुकदमा ता वसूली अदायगी के जिम्‍मेदार होंगे।’

3.          परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का संक्षेप में क‍थन इस प्रकार है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की पिछले कई वर्षों से सदस्‍य रही है। अपीलार्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 प्रतिवर्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी से निर्धारित फीस लेकर व एक सर्विस सार्टीफिकेट दे देते थे। वर्ष 2011 में भी विपक्षी सं0- 2 द्वारा रू0 7500/- लेकर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को एक प्रमाण पत्र व नेशनल इंश्‍योरेंस कं0लि0 द्वारा जारी एक बीमा पालिसी जिस पर प्रोफेश्‍नल इंडमिटी पालिसी नम्‍बर व वैधता अवधि दि0 07.12.2011 से दि0 06.12.2012 अंकित है प्रदान की गई। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा सदैव प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को आश्‍वासन दिया जाता रहा कि यदि कोई भी वाद प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विरुद्ध योजित होगा तब उसकी पैरवी अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा की जायेगी। वर्ष 2013 में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विरुद्ध एक परिवाद वर्ष 2012 में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की लापरवाही दर्शित करते हुए जिला उपभोक्‍ता आयेाग द्वितीय, मुरादाबाद में वाद सं0- 19/2013 भगवत सरन गुप्‍ता बनाम आशी नर्सिंग होम योजित हुआ, जिसकी सूचना विपक्षी को दे दी गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा स्‍वयं को निर्दोष बताते हुए अपीलार्थीगण/विपक्षीगण से प्रभावी पैरवी करने का अनुरोध किया गया। दि0 09.08.2014 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को ज्ञात हुआ कि परिवाद सं0- 19/2014 में दि0 08.08.2014 को एकपक्षीय आदेश परिवादिनी के विरुद्ध 4,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति अदा करने का हुआ है। जिसकी सूचना विपक्षीगण को दे दी गई है। दि0 09.08.2014 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को ज्ञात हुआ कि परिवाद सं0- 19/2014 में दि0 08.08.2014 को एकपक्षीय आदेश प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विरुद्ध 4,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति अदा करने का पारित हुआ है, जिसकी सूचना अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को दी गई तब अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा बताया गया कि भूलवश परिवाद की स्थिति अभिलेखों में लिखना भूल गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा मा0 राज्‍य आयोग के समक्ष अपील योजित की गई, जिसमें प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जिला उपभोक्‍ता आयोग सम्‍भल में 4,00,000/-रू0 जमा करने का आदेश दिया गया जिसका अनुपालन प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा कर दिया गया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की लापरवाही के कारण उस पर लगे अर्थदण्‍ड व उसकी प्रतिष्‍ठा को पहुंची ठेस की क्षतिपूर्ति करने का अनुरोध किया गया और एक नोटिस दि0 15.01.2015 की पूर्ति न करने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विरुद्ध यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

4.          अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने अपने लिखित कथन में परिवाद सं0- 19/2013 मुरादाबाद में योजित होना स्‍वीकार किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा 1,324/-रू0 प्रीमियम दि0 07.12.2011 से दि0 06.12.2012 की अवधि का अदा नहीं किया गया है और न ही कोई बीमा विपक्षीगण द्वारा इस अवधि का किया गया है। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण एक इंश्‍योरेंस कम्‍पनी नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का अपीलार्थीगण/विपक्षीगण से वर्ष 2012 व 2013 का अनुबन्‍ध था। वर्ष 2011-12 में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा न तो कोई बीमा पालिसी ली गई न ही मेडिको लीगल सर्विस का कोई अनुबन्‍ध किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा अनुबन्धित न होने के बावजूद अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा परिवाद सं0- 19/2013 में विपक्षीगण ने पैरवी हेतु नियुक्‍त विद्वान अधिवक्‍ता को फीस अदा की है तथा अपील योजित की है। उक्‍त अपील विचाराधीन है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी से बिना कोई अग्रिम शुल्‍क लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के उक्‍त वाद की समस्‍त पैरवी अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा की गई। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा परिवाद फर्जी व मनगढंत तथ्‍यों के आधार पर अनैतिक लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से प्रस्‍तुत किया गया है जो सव्‍यय खण्डित होने योग्‍य है।

5.          हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अमित चन्‍द्रा को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया    

6.          अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी चिकित्‍सक द्वारा परिवाद सं0- 19/2014 के सम्‍बन्‍ध में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय, मुरादाबाद का नोटिस प्राप्‍त होने के उपरांत प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को सूचित किया, जिन्‍होंने एक अधिवक्‍ता मुरादाबाद में मामले की देखभाल एवं पैरवी करने हेतु नियुक्‍त किया, किन्‍तु इस बीच वाद जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल में स्‍थानांतरित कर दिया गया तथा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के संज्ञान में इस स्‍थानांतरण की कोई सूचना नहीं थी। चिकित्‍सक महोदय द्वारा भी इस सम्‍बन्‍ध में कोई सूचना अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को नहीं दी गई थी। इस कारण निश्चित तिथि दि0 04.04.2014 को अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से नियुक्‍त विद्वान अधिवक्‍ता जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय, मुरादाबाद में उपस्थित हुए तथा उसके द्वारा पैरवी की गई, किन्‍तु परिवाद की कोई प्रतिलिपि प्राप्‍त नहीं हुई न कोई सूचना प्राप्‍त हुई और बिना किसी सूचना के विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल द्वारा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की अनुपस्थिति दर्शाते हुए दि0 08.8.2014 को एकपक्षीय निर्णय पारित कर दिया गया, जिसके सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी चिकित्‍सक ने एक अन्‍य अपील 1809/2014 प्रस्‍तुत की है। इस प्रकार अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है। उसके द्वारा पूर्ण तत्‍परता से अनुबन्‍ध का पालन किया गया था। इस कारण वश अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सेवा में त्रुटि का दोषी नहीं है। अत: परिवाद सं0- 21/2014 में पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने योग्‍य तथा अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है। 

7.          समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत करते हुए यह पीठ इस मत की है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अनुचित व विधि विरुद्ध है जो अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।    

आदेश

8.          अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है।

            अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार अपीलार्थीगण को वापस की जाए।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।  

 

       (सुधा उपाध्‍याय)                            (विकास सक्‍सेना)

           सदस्‍य                                    सदस्‍य  

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0-2

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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