(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1655/2005
(जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-399/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.09.2005 के विरूद्ध)
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन-I, फैजाबाद।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम
1. भगौती प्रसाद पुत्र श्री गया प्रसाद, निवासी मोहल्ला नियावा रोड, कंधारी बाजार, परगना हवेली अवध, तहसील सदर, शहर व जिला फैजाबाद।
2. अरविन्द कुमार सिंह, अमीन, तहसील सदर, फैजाबाद।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान
अधिवक्ता के सहायक
अधिवक्ता श्री मनोज कुमार।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 10.02.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-399/1993, भगौती प्रसाद बनाम अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा दिनांक 19.09.2005 को निम्नलिखित निर्णय/आदेश पारित किया गया :-
" परिवाद विपक्षीगण से संग्रह शुल्क रू0 644/- एवं रू0 10,000/- क्षतिपूर्ति के लिए सव्यय स्वीकार किया जाता है। परिवादी रू0 644/- पर 12 प्रतिशत की दर से वसूली के दिन तक साधारण ब्याज पाने का अधिकारी होगा। रू0 10,000/- की धनराशि विपक्षी सं0-1 द्वारा एक माह के अन्दर परिवादी को दिया जायेगा और यदि इस अवधि के अन्दर उपरोक्त धनराशि का भुगतान नहीं किया गया, तो रू0 644/- स्वीकृत ब्याज के अतिरिक्त परिवादी निर्णय के तिथि से एक माह के पश्चात से एवं वसूली के दिन तक 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज पाने का अधिकारी होगा। परिवादी विपक्षीगण से रू0 1,000/- वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।''
2. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अवैध निर्णय पारित किया है। परिवादी पर अंकन 6,551/- रूपये का विद्युत शुल्क दिनांक 06.08.1992 तक बकाया था, जिसका भुगतान नहीं किया गया। प्रत्येक बिल में यह राशि बकाया दर्शायी जाती रही थी। परिवादी द्वारा कुल 7,990/- रूपये के विपरीत केवल 6,551/- रूपये दिनांक 11.02.1993 को जमा किए गए। यदि सम्पूर्ण बिल जमा कर दिया जाता तब कोई विवाद उत्पन्न नहीं होता, इसलिए बकाया राशि के विरूद्ध वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया। अत: इस वसूली प्रमाण पत्र के तहत वसूली गई राशि के संबंध में क्षतिपूर्ति का आदेश देना या ब्याज का आदेश देना अनुचित है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा के सहायक अधिवक्ता श्री मनोज कुमार उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी ने परिवाद पत्र में स्वंय विद्युत शुल्क बकाया होना स्वीकार किया है। वसूली प्रमाण पत्र जारी होने के पश्चात इस प्रमाण पत्र के तहत वसूल की गई राशि को वापस लौटाने का अधिकार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग में निहित नहीं है। अत: स्पष्ट है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर निर्णय पारित किया है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.09.2005 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3