Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/1282

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Bhagirath - Opp.Party(s)

R.Chadha

08 Jun 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/1282
( Date of Filing : 18 Jul 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Bhagirath
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Jun 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :- 1282/2011

(जिला उपभोक्‍ता आयोग (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद सं0-347/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02/05/2011 के विरूद्ध)

Union Bank of India, having its head office at 239, Vidhan Bhawan Marg, Nariman Point, Mumbai-400 001.

  1.                                                                            Appellant   

Versus

Bhagirath S/O Lajjaram R/O Mohanpur saiyan, Agra (U.P.)

  •                                                               Respondent  

समक्ष

  1. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री राजेश चड्ढा

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-  कोई नहीं

दिनांक:-08.06.2023 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           जिला उपभोक्‍ता आयोग (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद सं0-347/2010 भागीरथ बनाम यूनियन बैंक आफ इंडिया में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02/05/2011 के विरूद्ध यह अपील योजित की गयी है।
  2.           संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से भैंस के लिए 32,000/- रूपया का ऋण लिया था। यह कि कृषि ऋण छूट राहत योजना के तहत विपक्षी बैंक ने ऋण में कोई छूट नहीं दी और परिवादी के पास 25,463/- रू0 का नोटिस भेज दिया। जिस कारण यह परिवाद योजित किया गया।
  3.           अपीलार्थी/विपक्षी को नोटिस भेजा गया, परंतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
  4.           जिला उपभोक्‍त आयोग ने एकपक्षीय सुनवाई के उपरान्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया है।
  5.            अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा को विस्‍तार से सुना गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।  
  6.           प्रस्‍तुत परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से स्‍वयं को लघु/सीमांत कृषक दर्शाते हुए कृषि ऋण राहत योजना 2008 के अंतर्गत कृषि संबंधी ऋण में राहत न दिये जाने के कारण संबंधित अनुतोष की प्रार्थना हेतु योजित किया गया है।
  7.           उक्‍त राहत योजना में स्‍पष्‍ट प्रावधान है कि जिनमें लघू एवं सीमांत कृ‍षक को सरकार द्वारा कृषि ऋण में राहत दी गयी है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अर्हता पूर्ण करने के लिए स्‍वयं को लघू अथवा सीमांत कृषक साबित करना होगा, जिसके संबंध में कोई भी दस्‍तावेज उपलब्‍ध नहीं है न ही प्रश्‍नगत निर्णय में इस आशय का कोई निष्‍कर्ष दिया गया है कि परिवादी किस प्रकार लघू अथवा सीमांत कृषक की श्रेणी में आता है, जिस कारण उसे कृषि राहत योजना 2008 का लाभ दिया जा सके।
  8.           उक्‍त कृषि ऋण राहत योजना के अंतर्गत उस ऋण के संबंध में कृषकों को राहत दी गयी है, जो मार्च 31 सन 1997 से मार्च 31 सन 2007 के मध्‍य बकाया धनराशि से संबंध रखते हैं तथा यह धनराशि दिसम्‍बर 31, सन 2007 से फरवरी 29 सन 2008 के मध्‍य बकाया रह गयी हो। उसी धनराशि के संबंध में केन्‍द्र सरकार द्वारा सीमित की गयी धनराशि की राहत संबंधित ऋण किसान को दी जानी है, जो अर्हता पूर्ण करता हो। प्रस्‍तुत मामले में न तो अर्हता संबंधी कोई दस्‍तावेज अभिलेख पर रखे गये हैं एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा यह भी स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि उसका कितना ऋण मार्च 31 सन 1997 से मार्च 31 सन 2007 के मध्‍य बकाया हो गया था तथा वह दिसम्‍बर 31 सन 2007 से फरवरी 29 सन 2008 के कितनी देनदारी नहीं कर सका। उक्‍त धनराशि के संबंध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को राहत दी जा सकती है इस संबंध में भी कोई निष्‍कर्ष नहीं दिया गया और न ही कोई अभिलेख अपील के स्‍तर पर रखे गये हैं और न ही इस संबंध में कोई निष्‍कर्ष अथवा किसी दस्‍तावेज का उल्‍लेख प्रश्‍नगत निर्णय में किया गया है। अत: समस्‍त  परिस्थितियों को देखते हुए यह परिवाद प्रतिप्रेषित किया जाना उचित प्रतीत होता है जिससे जिला उपभोक्‍ता आयोग दोनों पक्षों को पूर्ण अवसर देते हुए साक्ष्‍य पर विचार करके उपरोक्‍त बिन्‍दुओं के आधार पर वाद का निस्‍तारण करें। तदनुसार अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।
  9.  

       तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-347/2010, भागीरथ बनाम यूनियन बैंक आफ इंडिया में पारित आदेश दिनांक 02.05.2011 अपास्‍त किया जाता है तथा यह प्रकरण जिला उपभोक्‍ता   आयोग (प्रथम) आगरा को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग (प्रथम) आगरा उपरोक्‍त परिवाद अपने पुराने नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करे तथा उभय पक्ष को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए बिना परिवाद स्‍थगित किए हुए परिवाद का गुणदोष के आधार पर निस्‍तारण यथासंभव 06 माह में करना सुनिश्चित करे।

     उभय पक्ष दिनांक 17.08.2023 को जिला आयोग के समक्ष उपस्थित हों।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

            

(सुधा उपाध्‍याय)(विकास सक्‍सेना)

  •  

 

 

     संदीप आशु0कोर्ट नं0 3

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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