Rajasthan

Nagaur

CC/271/2015

DHAMODHAR PRASAD AACHARY - Complainant(s)

Versus

BHADU AND PUNIYA TELECOM REPAIRING AND MOBILE REPAIRING CENTER - Opp.Party(s)

SELF

13 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/271/2015
 
1. DHAMODHAR PRASAD AACHARY
Nagaur
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. BHADU AND PUNIYA TELECOM REPAIRING AND MOBILE REPAIRING CENTER
Sugan Singh Circle
Nagaur
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:SELF, Advocate
For the Opp. Party: Sh Bhuraram Bikuniya, Advocate
Dated : 13 Jul 2016
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 271/2015

 

दामोदर प्रसाद पुत्र श्री नरोतम लाल, जाति-आचार्य, निवासी-नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                            -परिवादी     

बनाम

 

1.            प्रबन्धक/अधिकृत प्रतिनिधि भादू एण्ड पूनिया टेलीकाॅम रिपेयरिंग एण्ड मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर, बीकानेर रोड, सुगनसिंह सर्किल, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)।

2.            मैसर्स श्रीमती सुगनी कम्युनिकेषन, षाॅप नम्बर 4-5, करणी काॅम्पलेक्स, नियर एसबीआई एटीएम, गांधी चैक, नागौर, तहसील व जिला नागौर।

3.            प्रबन्धक स्पाईस रिटेल लिमिटेड, एस. ग्लोबल नाॅलेज पार्क, 19 ए एण्ड 19 बी, सेक्टर-125, नोएडा-201301 यूपी।     

               

                                          -अप्रार्थीगण     

 

समक्षः

1.            श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2.            श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3.            श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            परिवादी स्वयं उपस्थित।

2.            श्री विमलेष प्रकाष जोषी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                              आ  दे  ष                      दिनांक 13.07.2016

 

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से, अप्रार्थी संख्या 3 स्पाईस कम्पनी द्वारा निर्मित एक मोबाइल माॅडल एमआई 423 (आईएमईआई नम्बर 911337056032141) दिनांक 23.03.2015 को जरिये बिल संख्या 389 के नकद राषि 3,700/- रूपये देकर खरीद किया। जिस पर अप्रार्थीगण की ओर एक वर्श की वारंटी दी गई तथा खरीद के वक्त कहा गया कि इस अवधि में मोबाइल में किसी भी प्रकार की निर्माण सम्बन्धी त्रुटि, खराबी या अन्य समस्या उत्पन होने पर रिपेयर किया जाएगा तथा ठीक नहीं होने पर बदलकर नया दिया जाएगा। उक्त मोबाइल परिवादी की ओर से खरीद किये जाने के कुछ ही दिनों में खराब हो गया। निर्माण सम्बन्धी त्रुटि के चलते इसका टच स्क्रीन खराब था तथा मोबाइल अत्यधिक हैंग हो रहा था एवं अपने आप ही (आॅटोमेटिक) नेट चलना षुरू हो जाता, जिससे परिवादी का बैंलेस भी कट जाता था जिससे परिवादी को आये दिन नुकसान हो रहा था। इस तरह से मोबाइल कुछ ही दिनों में खराब हो गया। इस पर परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 को षिकायत की तो उसने मोबाइल को अप्रार्थी संख्या 2 सर्विस सेंटर के पास ले जाने का कहा। इस पर परिवादी अप्रार्थी संख्या 1 के कहे अनुसार मोबाइल को अप्रार्थी संख्या 2 सर्विस सेंटर पर लेकर गया तो अप्रार्थी संख्या 2 ने मोबाइल की सर्विस करने का कहकर मोबाइल जमा करके रसीद संख्या 695, दिनांक 10.04.2015 दे दी। इसके बाद अप्रार्थी संख्या 2 ने दिनांक 22.04.2015 को मोबाइल परिवादी को लौटा दिया तथा कहा कि अब कोई समस्या नहीं आयेगी लेकिन कुछ दिन उपयोग में लेने के बाद मोबाइल में वही समस्या पुनः आ गई। इस पर परिवादी फिर अप्रार्थी संख्या 2 के पास गया तो उसने फिर से मोबाइल जमा कर लिया तथा रसीद संख्या 867, दिनांक 22.05.2015 परिवादी को दे दी। कुछ दिन बाद अप्रार्थी संख्या 2 ने वापस मोबाइल दे दिया तथा कहा कि अब मोबाइल में कोई समस्या नहीं आयेगी लेकिन मोबाइल में वही समस्या बरकरार रही। इस तरह परिवादी ने छह माह में यह मोबाइल सात बार अप्रार्थी संख्या 2 के पास जांच व ठीक कराने हेतु भेजा। इसके बावजूद मोबाइल में यह समस्या बरकरार है तथा आज दिन भी मोबाइल खराब पडा। परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से मोबाइल चैंज करने का आग्रह किया मगर अप्रार्थी संख्या 1 ने वारंटी अवधि में होने के बावजूद मोबाइल चैंज करने से मना कर दिया।

 अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर टेªड प्रेक्टिस की परिभाशा में आता है। अतः परिवादी को उक्त खराब मोबाइल के स्थान पर नया मोबाइल दिलाया जावे अन्यथा मोबाइल की कीमत 3,700/- रूपये मय 18 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज के दिलाये जावे। इसके अलावा परिवाद में अंकितानुसार अनुतोश दिलाये जावे।

 

2.            अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से उसके अधिवक्ता उपस्थित आये लेकिन दिनांक 25.01.2016 को निवेदन किया कि जवाब पेष नहीं करना चाहते हैं। अप्रार्थी संख्या 2 व 3 की ओर से जवाब प्रस्तुत करते हुए परिवाद में अंकित तथ्य को मनमाना व आधारहीन बताते हुए यह कथन किया गया है कि अप्रार्थी संख्या 1 स्पाईस रिटेल लिमिटेड कम्पनी का अधिकृत डीलर नहीं है। अप्रार्थीगण ने यह स्वीकार किया है कि उनकी कम्पनी द्वारा निर्मित मोबाइल हैंडसेट पर एक वर्श की वारंटी तथा चार्जर एवं बैटरी आदि पर छह माह की वारंटी आदि उस स्थिति में रखी गई है, जहां हैंडसेट में विनिर्माण सम्बन्धी कोई त्रुटि रही हो। यह भी बताया गया है कि वारंटी अवधि में हैंडसेट में कोई कमी आने पर अधिकृत सर्विस सेंटर पर उसकी रिपेयर की जाती है तथा परिवादी जब भी अधिकृत सर्विस सेंटर पर गया तब उसे मोबाइल हैंडसेट मरम्मत करके दिया गया है एवं अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोश नहीं रहा है। ऐसी स्थिति में परिवाद मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

3.            बहस सुनी गई। परिवादी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही मोबाइल क्रय करने का बिल प्रदर्ष 1 तथा रिपेयरिंग बाबत् जाॅब कार्ड क्रमषः प्रदर्ष 2 से 6 भी पेष किये गये हैं। यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 भादू एण्ड पूनिया टेलीकाॅम रिपेयरिंग एण्ड मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर, बीकानेर रोड, सुगनसिंह सर्किल, नागौर, से स्पाईस कम्पनी का एक मोबाइल 3,700/- रूपये में दिनांक 23.03.2015 को क्रय किया था, जिसका बिल प्रदर्ष 1 है तथा अप्रार्थी संख्या 2 इस मामले में अप्रार्थी संख्या 3 स्पाईस कम्पनी का अधिकृत सर्विस सेंटर रहा है। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता रहा है एवं प्रार्थी का मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में आता है।

 

4.            परिवादी की ओर से अपने परिवाद में स्पश्ट किया गया है कि उसके द्वारा क्रय किया गया मोबाइल वारंटी अवधि में बार-बार निर्माण सम्बन्धी त्रुटि एवं दोश के कारण स्क्रीन टच खराब होने के साथ ही मोबाइल हैंग हो जाता एवं आॅटोमेटिक नेट चालू हो जाता, ऐसी स्थिति में उसे अप्रार्थी संख्या 1 के कहने पर अप्रार्थी संख्या 2 सर्विस सेंटर ले जाया गया लेकिन मोबाइल आज तक पूर्ण रूप से ठीक नहीं हो रहा है बल्कि बार-बार खराब हो जाता है। परिवादी की ओर से उपर्युक्त तथ्यों के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र पेष करने के साथ ही जाॅब कार्ड प्रदर्ष 2 व 6 भी पेष किये गये हैं, जिनका अप्रार्थीगण की ओर से कोई स्पश्ट खण्डन नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में मामले के तथ्यों एवं पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए स्पश्ट है कि अप्रार्थीगण की ओर से परिवादी को जो मोबाइल विक्रय किया गया था, उसमें अवष्य ही कोई न कोई विनिर्माण सम्बन्धी त्रुटि अथवा दोश रहा है, जिसके कारण ही रिपेयरिंग करने के बावजूद मोबाइल पूर्ण रूप से ठीक नहीं हुआ। परिवादी ने अपने परिवाद में स्पश्ट अभिकथन किया है कि उसने अप्रार्थी संख्या 1 से मोबाइल चैंज करने का आग्रह भी किया मगर अप्रार्थी संख्या 1 ने वारंटी अवधि में होने के बावजूद मोबाइल चैंज करने से मना कर दिया। अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा उपर्युक्त तथ्य के खण्डन में न तो जवाब पेष किया गया है तथा न ही कोई अन्य साक्ष्य ही पेष की गई है। यह भी स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा बार-बार सर्विस सेंटर में मोबाइल हैंडसेट लेकर जाने के बावजूद उसे आज तक ठीक नहीं किया गया है तथा न ही मोबाइल हैंडसेट पूर्णरूप से ठीक होने की कोई सम्भावना ही व्यक्त की गई है। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि अप्रार्थीगण वारंटी नियमों अनुसार परिवादी को सेवा प्रदान करने में असफल रहे हैं जो कि निष्चिय ही अप्रार्थीगण का सेवा दोश रहा है।

 

5.            पत्रावली के अवलोकन पर यह भी स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 से यह मोबाइल क्रय किया गया तथा खराब होने पर उसे कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 2 के वहां बार-बार लेकर गया लेकिन बार-बार चक्कर काटने के बावजूद मोबाइल हैंडसेट आज तक ठीक नहीं हुआ। बार-बार चक्कर काटने से परिवादी को आर्थिक नुकसान होने के साथ-साथ मानसिक रूप से भी परेषान होना पडा। ऐसी स्थिति में अप्रार्थीगण द्वारा किये गये सेवा दोश के कारण परिवाद को हुई मानसिक एवं आर्थिक परेषानी की पूर्ति किये जाने के साथ-साथ परिवाद व्यय दिलाया जाना भी न्यायोचित होगा।

 

 

 

आदेश

 

6.            परिणामतः परिवादी दामोदर प्रसाद द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद धारा-12 अन्तर्गत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का स्वीकार कर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण परिवादी को विवादित मोबाइल के बदले इसी माॅडल/कीमत का इसी कम्पनी द्वारा निर्मित नया मोबाइल हैंडसेट प्रदान करे, जिसकी वारंटी अवधि नया मोबाइल प्रदान करने की दिनांक से होगी। यह भी स्पश्ट किया जाता है कि यदि इसी कम्पनी द्वारा निर्मित इसी माॅडल/कीमत का मोबाइल हैंडसेट उपलब्ध नहीं हो तो अप्रार्थीगण परिवादी को उसके मोबाइल की बिल राषि 3,700/- रूपये प्रदान करंेगे तथा इस राषि पर आवेदन पेष करने की दिनांक 26.11.2015 से 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी प्रदान करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि परिवादी को हुई आर्थिक व मानसिक परेषानी पेटे अप्रार्थीगण परिवादी को 1,000/- रूपये बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने के साथ ही 1,000/- रूपये परिवाद व्यय के भी अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे।

 

7.            आदेष आज दिनांक 13.07.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

 

नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने अथवा दोनों से दण्डनीय अपराध है।

 

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।          ।ईष्वर जयपाल।     ।राजलक्ष्मी आचार्य।                सदस्य                       अध्यक्ष                   सदस्या

                                                 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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