(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :-1798/2012
(जिला उपभोक्ता आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद सं0- 229/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15/04/2011 के विरूद्ध)
Ifko Tokio Gen. Insurance co. Ltd. Noida through its Manager.
- Appellant
Versus
M/S Benara Bearing & Piston Ltd., A-3/4 Site-B Industrial Area, Sikandara, Agra through Sri Vivek Khanna Power of Attorney Holder.
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री अशोक मेहरोत्रा
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री वी0एस0 बिसारिया
दिनांक:-25.11.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद सं0 229/2009 मै0 बेनारा बियरिंग एण्ड पिस्टन बनाम मै0 इफको टोकियो जनरल इं0कं0 लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.04.2011 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। दोनो पक्षकारों के विद्धान अधिवक्ता को यह तथ्य स्वीकार है कि वाहन सं0 एचआर 37बी-7376 अपीलार्थी बीमा कम्पनी से बीमित था। बीमित अवधि के दौरान इस वाहन की चोरी हो गयी। वाहन चोरी होने की पुलिस सूचना त्वरित रूप से दर्ज करायी गयी है। बीमा कम्पनी को 2 दिन बाद सूचित किया, परंतु इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। अत: इन सब बिन्दुओं पर विस्तृत विवेचना की आवश्यकता नहीं है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि स्वयं वाहन के ड्राइवर ने यह बयान दिया है कि घटना वाले दिन वाहन को सड़क किनारे खड़ा कर पेशाब के लिए चला गया। इसी मध्य एक मोटर साइकिल पर 02 व्यक्ति आये और गाड़ी को स्टार्ट कर लेकर भाग गये। ड्राइवर ने बयान में स्वीकार किया है कि उस समय चाबी इंजन में ही लगी हुई थी। अत: यह स्वीकृति तथा परिस्थ्िाति जो वर्णित की गयी है, जाहिर करता है कि ड्राइवर द्वारा वाहन को सड़क किनारे चाबी सहित खड़ा किया गया, जो स्वयं ड्राइवर की लापरवाही का द्योतक है। अत: लापरवाही का कारण योगदायी उपेक्षा के सिद्धांत को लागू करते हैं। बीमित राशि में से 25 प्रतिशत की कटौती का आदेश दिया जाना चाहिए था, परंतु इस कटौती का कोई आदेश नहीं दिया गया।
- प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि वाहन के मूल्य में 10 प्रतिशत की दर से कटौती की गयी है इसलिए 25 प्रतिशत कटौती करना उचित नहीं है। यह तर्क इस आधार पर ग्राह्य नहीं है कि डिप्रीसिएशन वैल्यू को काटना एक अलग विषय है और बीमित वाहन की चोरी होने में वाहन चालक या उसके प्रतिनिधि की लापरवाही एक दूसरा विषय है। बीमित राशि में से 25 प्रतिशत की कटौती किया जाना आवश्यक है। अत: तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि बीमित धनराशि में से 25 प्रतिशत कटौती के पश्चात शेष राशि अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करेंगे। शेष निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(सुशील कुमार)
संदीप आशु0कोर्ट नं0 3