Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/653/11

HAR NARAYEN MISHRA - Complainant(s)

Versus

BAZAZ ALIANZ - Opp.Party(s)

RAJ KUMAR SHUKLA

29 Jan 2015

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/653/11
 
1. HAR NARAYEN MISHRA
RAI PURWA KANPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. BAZAZ ALIANZ
GUMTI NO.5 KNP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    

उपभोक्ता वाद संख्या-653/2011
हर नारायण मिश्र पुत्र स्व0 श्री रामेष्वर प्रसाद मिश्र निवासी 86/224 रायपुरवा, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
बजाज एलियांज लाइफ इंष्योरेन्स कंपनी लि0 द्वारा रीजनल मैनेजर कानपुर कार्यालय जगजीत काम्पलेक्स तृतीय तल मकान नं0-110/188 गुमटी नं0-5 जी0टी0 रोड, कानपुर नगर।
                             ...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 18.10.2011
निर्णय की तिथिः 15.06.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से रू0 20,000.00 आर्थिक क्षति व रू0 5000.00 षारीरिक व मानसिक क्षति दिलाये जाने की कृपा की जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी के पुत्र गौरव ने एक मोबाइल सेट खरीदा था। विपक्षी कंपनी की ओर से मोबाइल नं0-9305154440 पर 26 व 27 दिसम्बर, 2006 को एक काल आयी कि आपका नम्बर लकी नम्बर के रूप में चुना गया है। आपको पुरस्कार दिया जायेगा। यह कहकर कंपनी के कृश्णा टावर सिविल लाइन स्थित कार्यालय में 28 दिसम्बर, 2006 को बुलाया तथा साथ में यह भी कहा था कि अपने माता-पिता को लेते आना। परिवादी अपनी पत्नी व पुत्र सहित विपक्षी के बताये स्थान पर पहुॅचा। जहां कंपनी के कर्मचारी व अन्य लोग जिन्हें डवजपअंजवत के नाम से परिचित कराया गया, नाम व पता नहीं बताया गया। इन लोगों ने परिवादी को कंपनी की इंष्योरेन्स पाॅलिसी ’’फैमिली गेन’’ ;थ्ंउपसल हंपदद्ध लेने के लिए  अपने वाक  जाल में फंसाकर 
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...2...

सहमत कर लिया। परिवादी ने अपने पास मौजूद रू0 6000.00 सालाना के हिसाब से किष्त की पाॅलिसी 10 वर्श के लिए लेने पर सहमति जता दी और रू0 6000.00 तत्काल दिनांक 28.12.06 को जमा कर दिये और किष्त की पावती स्वीकार करने के बाद परिवादी को पाॅलिसी सं0-0034247246 जारी कर दी। जिसके पष्चात परिवादी की आर्थिक स्थिति कुछ खराब हो गयी, इसलिए वर्श 2008 में कंपनी के पास वर्श 2007 की किष्त रू0 6000.00 जमा करने गया, जो कंपनी कर्मचारियों ने बिना कुछ कहे सुने स्वीकार करके रसीद प्रदान कर दी। परिवादी की आर्थिक स्थिति संभल नहीं पा रही थी, तो वर्श 2008-09 की किष्त बकाया हो गयी। वर्श 2010 में परिवादी अपनी कंपनी कार्यालय में एक साल की किष्त जमा करने गया तो कंपनी कर्मचारियों ने विलम्ब की बात बताकर जमा करने से मना कर दिया। परिवादी को अपने जमा धन की चिंता हुई, तो उसने कंपनी से पत्राचार करना षुरू किया। कई ईमेल व फैक्स के जवाब में परिवादी को विपक्षी द्वारा झूठा व मनगढंत उत्तर भेजे गये। परिवादी की तमाम लिखा- पढ़ी के बाद परिवादी की पाॅलिसी निरस्त करते हुए रू0 5112.00 की चेक दिनंाक 25.07.11 को परिवादी के घर भेज दिया। कंपनी ने अपने कार्य के लिये परिवादी का रू0 12000.00 पांच वर्श तक उपभोग किया तथा लाभ उठाया। उपरोक्त कार्य से परिवादी को आर्थिक, मानसिक व षारीरिक नुकसान हुआ। विपक्षी कंपनी ने परिवादी को सेवायें देने की गारंटी दी थी, किन्तु सेवा षर्तें प्रदान करने में अक्षम रही है। विपक्षी सेवा प्रदाता के उक्त कार्य से परिवादी को रू0 20000.00 आर्थिक व रू0 5000.00 की मानसिक क्षति हुई है। अतः प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया।
3.    विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि प्रस्ताव फार्मं के अनुसार परिवादी को, परिवादी के द्वारा दिये गये विवरण के अनुसार पाॅलिसी दी गयी थी, जिसमें कुछ पाॅलिसी की षर्ते भी अंकित थी। परिवादी द्वारा प्रथम प्रीमियम 
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...3...

दिनंाक 28.12.06 को और द्वितीय प्रीमियम दिनांक 23.10.08 को (जबकि पाॅलिसी लैप्स हो गयी थी) जमा किया और उसके पष्चात परिवादी द्वारा केाई प्रीमियम जमा नहीं किया गया। जबकि षर्तों के अनुसार अधिकतम ग्रेस पीरियड में वार्शिक प्रीमियम जमा करना था। परिवादी को यह बात अच्छी तरह ज्ञात थी कि प्रथम तीन वर्शों तक निर्धारित समय के अंदर वार्शिक रूप में किष्तें अदा करनी हैं। किन्तु परिवादी द्वारा उक्त षर्तों के अनुसार प्रीमियम समय के अंदर अदा नहीं किया गया और तीसरा प्रीमियम जमा ही नहीं किया गया, जिसके कारण प्रष्नगत पाॅलिसी जब्त कर ली गयी और बाद में पाॅलिसी की षर्तों के अनुसार पाॅलिसी रोक दी गयी। षर्तों के अनुसार परिवादी को पहले दो वर्शों में अंतिम प्रीमियम जमा करने के बाद पाॅलिसी पुर्नजीवित करने का अवसर था, जिसका लाभ परिवादी द्वारा नहीं लिया गया। फलस्वरूप पाॅलिसी की षर्तों के अनुसार प्रष्नगत पाॅलिसी रोक दी गयी। वास्तव में पाॅलिसी की समयावधि में परिवादी द्वारा बीमा कवर का लाभ उठाया जा चुका है। विपक्षी के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। वास्तव में परिवादी का यह उत्तरदायित्व था कि वह अपना प्रीमियम समय से जमा करता, किन्तु अपने उपरोक्त उत्तरदायित्व को परिवादी स्वयं पूर्ण नहीं कर सका। अतः उपरोक्त कारणों से प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाये।
4.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा अपने परिवाद पत्र में किये गये कथनों की पुनः पुश्टि की गयी है और यह कहा गया है कि विपक्षी द्वारा आज भी यह नहीं कहा गया है कि रू0 5112.00 किस आधार पर परिवादी को वापस देना स्वीकार किया गया है। कथित चेक परिवादी ने स्वीकार नहीं की, तब परिवादी का यह कथन कि वह रू0 5112.00 अदा कर चुका है, सर्वथा झूठा है। विपक्षी ने लैप्स पाॅलिसी के आधार पर ही सही धन वापस करने में कोताही बरती है। बार-बार मांगने पर भी हिसाब नहीं दिया। परिवादी की याचना जमा धन को  नियमानुसार वापस न  किया जाना है। 
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पाॅलिसी गलत तरीके से निरस्त की गयी है। अतः परिवाद स्वीकार किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 15.10.11, 28.10.13 व 28.01.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1/1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/18 लगातय् 5/12 दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में अमित कुन्दु डिवीजनल मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 03.09.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में प्रपोजल फार्म की प्रतियां तथा न्यू गेन फैमिली पाॅलिसी के दो पृश्ठ में दाखिल किया है।
निष्कर्श
7.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया। 
    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी के यहां रू0 12000.00 दो किष्तों में जमा किया गया है। स्वीकार्य रूप से विपक्षी के द्वारा रू0 5112.00  की चेक दिनांक 25.07.11 को परिवादी के घर भेजी गयी, किन्तु परिवादी द्वारा उक्त चेक स्वीकार नहीं की गयी। परिवादी द्वारा संपूर्ण जमा की गयी धनराषि रू0 12,000.00 तथा विपक्षी द्वारा उक्त जमा धनराषि को उपभोग किये जाने के लिए क्षतिपूर्ति की मांग की गयी। विपक्षी का कथन यह है कि बीमा षर्तों के अनुसार दूसरा प्रीमियम समय के अंदर जमा नहीं किया गया और तीसरा प्रीमियम जमा ही नहीं किया गया, जिसके कारण पाॅलिसी जब्त कर ली गयी और पाॅलिसी की षर्तों के अनुसार पाॅलिसी रोक दी  गयी।  पत्रावली के परिषीलन से विदित  होता है कि  विपक्षी ने 
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...5...

अपने कथन के समर्थन में प्रतिषपथपत्र के साथ प्रस्ताव फार्म व दो पृश्ठो की न्यू गेन फैमली पाॅलिसी, जिसमें विपक्षी द्वारा पाॅलिसी समाप्त किये जाने के कारणों का पीले मार्कर से मार्क किया गया है की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है। उपरोक्त के अतिरिक्त स्वयं विपक्षी के द्वारा परिवादी के एक बार किष्त जमा करने में हुई डिफाल्ट से, द्वितीय किष्त जमा करने की अनुमति दी गयी है, तो ऐसे में यह समझ से परे है कि विपक्षी द्वारा तीसरी बार किष्त समय से न जमा करने पर परिवादी को विलम्ब से किष्त जमा करने का अवसर क्यों नहीं दिया गया?  विपक्षी चाहता तो विलम्ब के लिए कुछ हर्जा परिवादी पर लगा सकता था, किन्तु उक्त कार्यवाही विपक्षी द्वारा न करके परिवादी की ओर से जमा की गयी किष्तों में से संपूर्ण धनराषि वासप न करके, मात्र रू0 5112.00 की चेक परिवादी को भेजी गयी, जो कि सेवा में कमी की कोटि में आता है। जिसका विपक्षी द्वारा कोई स्पश्टीकरण नहीं दिया गया है। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में उपरोक्तानुसार पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं, जिनसे यह सिद्ध होता है कि परिवादी द्वारा रू0 12,000.00 दो किष्तों में बीमा प्रीमियम धनराषि जमा की गयी है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों व तथ्यों के उपरोक्तानुसार विष्लेशणोंपरान्त फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से, परिवादी के द्वारा जमा की गयी समस्त धनराषि मय 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करने तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय का दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।    
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...6...

ःःःआदेषःःः
8.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को, उसके द्वारा जमा बीमा धनराषि रू0 12000.00 मय 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।


      (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
          सदस्य                              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद                     जिला उपभोक्ता विवाद
        प्रतितोश फोरम                            प्रतितोश फोरम
        कानपुर नगर।                             कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


      (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
          सदस्य                              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद                     जिला उपभोक्ता विवाद
        प्रतितोश फोरम                            प्रतितोश फोरम
        कानपुर नगर।                             कानपुर नगर।

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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