(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 3339/2017
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा परिवाद सं0- 178/2008 में पारित निर्णय और आदेश दि0 22.12.2015 के विरूद्ध)
M/s S.R. Cold Storage, Agra road, Jaswat Nagar, Etawah through Prop. Siya ram yadav, R/o- Kusaina, Jaswant nagar, Etawah.
……….Appellant
Versus
Vasudeo singh S/o- Tofan singh, R/o Pathak pura, Police Station- Jaswant nagar, Mauza-Ajnaura, Tehsil-Jaswant nagar, District-Etawah.
…………Respondent
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अखिलेश त्रिवेदी,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 14.05.2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 178/2008 वासुदेव सिंह बनाम मै0 एस0आर0 कोल्ड स्टोरेज आगरा में जिला फोरम, इटावा द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 22.12.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’परिवाद विपक्षी के विरुद्ध 2,80,150/-रू0 की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा, विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्तानुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करें।‘’
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार शर्मा और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अखिलेश त्रिवेदी उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
मैंने अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध उपरोक्त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने मार्च 2008 में कुल 1214 पैकेट आलू अपीलार्थी/विपक्षी की कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित किया जिसमें प्रत्येक पैकेट में 22 किलो और प्रति बोरा भण्डारण किराया 55/-रू0 था। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी दि0 10.10.2008 को अपना आलू लेने विपक्षी के यहां गया तो अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों ने असल रसीद मांगी तब उसने असल रसीद दिखायी, फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों ने उसका भण्डारित आलू नहीं दिया। उसके बाद उसने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज के कई चक्कर लगाये परन्तु उसे आलू नहीं मिला जिससे वह अगले वर्ष आलू की फसल की बुआई भी नहीं कर सका। उसे आलू वापस नहीं किया गया। अत: क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से स्पष्ट है कि जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से नोटिस तामीला के बाद अधिवक्ता उपस्थित हुए हैं और बार-बार प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है, परन्तु कोई लिखित कथन/प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है और अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित हो गये हैं। अत: अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से जिला फोरम द्वारा की गई है और आक्षेपित निर्णय व आदेश पारित किया गया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि आलू की अवधि दि0 30 नवम्बर तक होती है। उसके बाद आलू की कोई जिम्मेदारी कोल्ड स्टोरेज की नहीं होती है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज से लगभग 1,85,000/-रू0 ऋण लिया था और भण्डारित आलू से 260 बोरा आलू की निकासी किया था जिसका भण्डारण शुल्क नहीं दिया था। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने भण्डारित आलू का जो मूल्य निर्धारित किया है वह वर्ष 2008 में प्रचलित मूल्य से बहुत अधिक है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश एकपक्षीय है और तथ्य के विरुद्ध है। अत: अपास्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद वर्ष 2008 में अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध प्रस्तुत किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम के समक्ष अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित हुए हैं, परन्तु लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया है और बाद में अनुपस्थित हो गये हैं। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करके जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह उचित है इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो आलू का मूल्य निर्धारित किया है वह उचित है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
वर्तमान परिवाद वर्ष 2008 में प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध प्रस्तुत किया है और जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता नोटिस तामीला के बाद उपस्थित हुए हैं, परन्तु लिखित कथन अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से नहीं प्रस्तुत किया गया है और बाद में अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित हो गये हैं। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से कार्यवाही करते हुए जिला फोरम ने जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह उचित और विधि सम्मत है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का 1214 पैकेट आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित था जिसमें प्रत्येक पैकेट आलू का वजन 22 किलो था। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी का कुल 267.08 कुन्तल आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित था। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का सम्पूर्ण आलू वापस नहीं किया है जब कि अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से अपील में प्रस्तुत लिखित तर्क में कहा गया है कि 260 पैकेट आलू प्रत्यर्थी/परिवादी ले गया है और उसका भाड़ा नहीं दिया है। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा 260 पैकेट आलू ले जाने का कोई प्रमाण नहीं दिखा सके हैं। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन आधारयुक्त और विश्वसनीय है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का भण्डारित आलू वापस नहीं किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी अपना भण्डारित आलू लेने दि0 10.10.2008 को गया है, परन्तु उसे अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा आलू वापस नहीं दिया गया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने लिखित तर्क के साथ कार्यालय कृषि उत्पादन मण्डी समिति जसवंत नगर, इटावा का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है जिसमें आलू का मूल्य अक्टूबर 2008 में 230/-रू0 प्रति कुन्तल अंकित है।
परिवाद पत्र में प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने प्रश्नगत आलू का मूल्य अक्टूबर 2008 में 225/-रू0 प्रति पैकेट बताया है जब कि एक पैकेट में 22 किलो आलू बताया है। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार आलू का मूल्य करीब 1000/-रू0 प्रति कुन्तल था। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित मूल्य के आधार पर उसके भण्डारित 267.08 कुन्तल आलू का मूल्य 2,67,080/-रू0 होता है। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा लिखित तर्क के साथ प्रस्तुत प्रभारी सचिव कृषि उत्पादन मण्डी के प्रमाण पत्र के आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित आलू का मूल्य 1000/-रू0 प्रति कुन्तल अक्टूबर 2008 में बहुत अधिक प्रतीत होता है, परन्तु परिवाद पत्र के कथन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने 80 बीघा खेत आलू बोने के लिए तैयार किया था और प्रश्नगत आलू न मिलने के कारण वह अपने खेत की बुआई नहीं कर सका है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रश्नगत आलू बीज के लिए रखा था। अत: बीज के आलू का मूल्य सामान्य खाने वाले आलू के मूल्य से अधिक बुआई के सीजन में होना विश्वसनीय है। अत: मण्डी समिति के सचिव द्वारा प्रमाणित आलू का मूल्य और परिवादी द्वारा कथित आलू के मूल्य पर विचार करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी के बीज के आलू का मूल्य अक्टूबर 2008 में 700/-रू0 प्रति कुन्तल निर्धारित किया जाना युक्ति संगत प्रतीत होता है। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी के भण्डारित आलू 267 कुन्तल का मूल्य 1,86,900/-रू0 निर्धारित किया जाना उचित है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का आलू अपीलार्थी/विपक्षी ने जो भण्डारित किया था उसका किराया 55/-रू0 प्रति बोरा था और अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने लिखित तर्क के साथ जो आलू भण्डारण की रसीद लगायी है उसमें 16/-रू0 प्रति पैकेट भण्डारण शुल्क अंकित है जो परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में कथित भण्डारण किराया के अनुसार उचित प्रतीत होता है। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू का किराया 19,424/-रू0 होता है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी के उपरोक्त आलू के मूल्य 1,86,900/-रू0 से भण्डारण किराया घटाकर आलू के मूल्य हेतु 1,67,476/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया जाना उचित है।
अपीलार्थी द्वारा अपने लिखित तर्क में जो प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा 1,85,000/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी से ऋण लिया जाना कहा गया है। उसके सम्बन्ध में इस परिवाद में कोई निर्णय दिया जाना विधि की दृष्टि से सम्भव नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी अपने इस कथित ऋण की वसूली के सम्बन्ध में विधि के अनुसार कार्यवाही करने हेतु स्वतंत्र है।
जिला फोरम ने जो 5,000/-रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/विपक्षी को प्रदान की है वह उचित नहीं प्रतीत होती है, क्योंकि आलू के मूल्य पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज जिला फोरम ने दिया है। अत: जिला फोरम द्वारा आदेशित मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति की धनराशि 5,000/-रू0 अपास्त किया जाना उचित प्रतीत होता है।
जिला फोरम ने जो 2,000/-रू0 वाद व्यय दिया है वह उचित है इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह आलू का मूल्य 1,67,476/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करे। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गई वाद व्यय की धनराशि 2,000/-रू0 भी अदा करेगा।
जिला फोरम ने जो 5,000/-रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान किया है उसे अपास्त किया जाता है।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1