(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-982/2011
आरोही बिल्डर्स प्राइवेट लि0 तथा एक अन्य बनाम बसन्त लाल गुप्ता (मृतक) प्रतिस्थापित विधिक उत्तराधिकारी श्रीमती शान्ती देवी गुप्ता पत्नी स्व0 बसन्त लाल गुप्ता
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 23.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-328/2003, बसन्त लाल गुप्ता बनाम आरोही बिल्डर्स प्रा0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय (अतिरिक्त पीठ) लखनऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.5.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वतसल गुप्ता तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अंकुर राजदान को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 4,40,000/-रू0 9 प्रतिशत ब्याज के साथ दुकान की कीमत वापस लौटाने, मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 25,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा विपक्षीगण बिल्डर्स से एक दुकान दिनांक 10.5.1986 को रू0 15,740.60 पैसे में क्रय
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की गई। दुकान का कब्जा परिवादी को सुपुर्द किया जा चुका था। वर्ष 1988 में विपक्षीगण ने यह दुकान किसी तृतीय व्यक्ति के पक्ष में विक्रय कर दी तथा बलपूर्वक इस दुकान को तोड़कर कब्जा तृतीय व्यक्ति को दे दिया गया और परिवादी से दुकान सं0-95 लेने के लिए कहा गया, जो निर्माणाधीन थी तथा यह भी कथन किया गया कि कोई अतिरिक्त धनराशि नहीं ली जाएगी, परन्तु परिवादी को दुकान सं0-95 भी नहीं दी गई तथा परिवादी द्वारा जमा राशि रू0 15,740.60 पैसे भी वापस नहीं किए गए।
4. विपक्षीगण ने अपने लिखित कथन में स्वीकार किया है कि परिवादी को दुकान आवंटित की गई थी, परन्तु कब्जा नहीं दिया गया था। परिवादी ने आवंटित दुकान का क्षेत्रफल कम होने के कारण बड़ी दुकान की मांग की गई थी, इसलिए दुकान सं0-95 आवंटित की गई थी। दोनों दुकानों के मूल्य के अंतर की राशि की मांग की गई थी, परन्तु तत्कालीन संचालक सुभाष जैन की दुर्घटना में मृत्यु के कारण आवंटी को पैसा वापस करने के लिए कहा गया और परिवादी को भी अंकन 22,826/-रू0 का चेक दिनांक 10.9.2002 को देने का प्रयास किया गया, परन्तु परिवादी ने यह चेक प्राप्त नहीं किया और तीन गुना बड़ी दुकान लेने के लिए अड़ा रहा।
5. पक्षकारों की साक्ष्य की व्याख्या करते हुए विद्वान जिला आयोग ने यह निष्कर्ष दिया है कि चूंकि स्वंय विपक्षीगण ने अपनी देनदारी स्वीकार की है, इसलिए तत्समय जमा राशि के विपरीत परिवादी अंकन 4,40,000/-रू0 की कीमत प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
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6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि कभी भी परिवादी द्वारा अंकन 4,40,000/-रू0 जमा नहीं किए गए। यथार्थ में परिवादी का यह कथन ही नहीं है कि अंकन 4,40,000/-रू0 जमा किए गए थे, उसने स्पष्ट कहा है कि उसके द्वारा रू0 15,740.60 पैसे जमा किए गए थे और यह राशि वर्ष 1986 में जमा की गई थी। विद्वान जिला आयोग ने अंकन 4,40,000/-रू0 अदा करने का आदेश करते समय क्षति का वैधानिक रूप से आंकलन नहीं किया और परिवाद पत्र में जिस राशि की मांग की गई, उस राशि को अदा करने का आदेश पारित कर दिया गया। अत: क्षति का आंकलन करने में त्रुटि कारित की गई है। यथार्थ में परिवादी द्वारा जो राशि जमा की गई थी, उस राशि को 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश पारित किया जाना चाहिए था। चूंकि परिवादी द्वारा वर्ष 1986 में यह राशि जमा की गई है, जिसका मूल्य वर्तमान समय में अत्यधिक हो चुका है और इस राशि को अदा करने के बावजूद परिवादी दुकान प्राप्त नहीं कर सका, इसलिए मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित करना विधिसम्मत है। तदनुसार प्रस्तुत अपील इन संशोधनों के साथ आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7.(अ) प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.05.2011 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को जमा राशि रू0 15,740.60 पैसे 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ वापस
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लौटाई जाए। ब्याज की गणना इस राशि के जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक की जाएगी।
(ब) मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,00,000/-रू0 (पांच लाख रूपये) अदा किए जाए। यदि यह राशि तीन माह के अन्दर अदा की जाती है तब इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा और तीन माह के अन्दर अदा नहीं करने पर इस राशि पर भी 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज की दर से ब्याज देय होगा। ब्याज की गणना उपरोक्त राशि रू0 15,740.60 पैसे जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक की जाएगी।
(स) परिवाद व्यय की मद में अंकन 5,000/-रू0 देय होंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2