Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/27/2019

SHYAM NATH - Complainant(s)

Versus

BAROTA FINANCE - Opp.Party(s)

SHUBH KARAN SINGH

06 Aug 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 27 सन् 2019

प्रस्तुति दिनांक 01.03.2019

                                                                                               निर्णय दिनांक 06.08.2021

श्यामनाथ पुत्र रामरतन राम, साकिन ग्राम- घटिया, पोस्ट- गोपालपुर, थाना- मेहनगर, जनपद- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. बरोटा फाईनेन्स लिo पंजीकृत ऑफिस एस.सी.ओ. 859 एन.ए.सी. मनीमोजरा, चण्डीगढ़ कालका रोड, चण्डीगढ़- 160101 द्वारा एम.डी.
  2. जय मौनी बाबा आटो सेल्स खरिहानी (कम्हरिया) आजमगढ़ द्वारा प्रोपराईटर- 276123।
  3. प्रमोद यादव पुत्र कुबेर यादव, ग्राम- खरिहानी (कम्हरिया) आजमगढ़।    
  4.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह एक कृषक तथा शिक्षित बेरोजगार है। विपक्षी संख्या 01 फाइनेन्स कम्पनी है जो ऋण उपलब्ध कराती है तथा विपक्षी संख्या 02 इण्डोफार्मा ट्रैक्टर का डीलर है तथा विपक्षी संख्या 01 से टाई-अप है। विपक्षी संख्या 03, विपक्षी संख्या 02 का एजेन्ट है। परिवादी ने माह सितम्बर 2017 में विपक्षी संख्या 02 से इण्डोफार्म 3040 डी.आई. ट्रैक्टर कृषि कार्य हेतु खरीदा था, जिसका इंजन नं. सी.324405160 व चेचिस नं. के.एन.यू.3040004976 है, जिसमें परिवादी ने मुo 2,50,000/- रुपया मार्जिन विपक्षी संख्या 02 के यहां जमा किया तथा मुo 3,50,000/- रुपया विपक्षी संख्या 01 से ऋण प्राप्त किया। उक्त ट्रैक्टर के साथ परिवादी ने ट्राली भी खरीदा था। रजिस्ट्रेशन का पैसा भी विपक्षी संख्या 02 ने लिया था, लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। उक्त ऋण की अदायगी परिवादी को मुo 10,650/- रुपए प्रत्येक किश्त कुल 48 किश्तों में करनी थी। जिसकी पहली किश्त दिसम्बर, सन् 2018 से शुरू होनी थी। परिवादी ने पहली किश्त 18.12.2018 को जमा किया था। जनवरी 2018 की दो किश्ते दिनांक 30.01.2018 को मुo 10,650/-, दिनांक 16.02.2018 को मुo 5,000/-, दिनांक 27.04.2018 को 10,650/-, दिनांक 06.06.2018 को मुo 10,650/- जमा किया। इस प्रकार परिवादी ने कुल मुo 58,250/- रुपया जमा किया। विपक्षी संख्या 02 व 03 परिवादी के यहाँ आए और दिनांक 14.06.2018 को परिवादी का उक्त ट्रैक्टर बिना पूर्व सूचना दिए खींच ले गए और विपक्षी संख्या 02 की एजेन्सी पर खड़ा कर दिए। जबकि परिवादी का ट्रैक्टर केवल 350 घण्टा ही चला था। परिवादी ने उक्त ट्रैक्टर को वापस करने हेतु दिनांक 18.06.2018 को मुo 10,650/- रुपया जमा कर दिया। दिनांक 19.06.2018 को विपक्षी संख्या 01 के कोई कर्मचारी आए और परिवादी से कहे कि यदि परिवादी मुo 25,000/- रुपया जमा कर देता है तो उसको ट्रैक्टर वापस दिला दिया जाएगा। परिवादी ने उसी दिन दिनांक 19.06.2018 को मुo 25,000/- रुपया विपक्षी के खाते में जरिए आर.टी.जी.एस. जमा कर दिया। जब परिवादी अपना ट्रैक्टर वापस लेने गया तो विपक्षीगण खरिहानी बाजार से परिवादी को रोक लिए और जबरदस्ती विपक्षी संख्या 01 की लखनऊ शाखा को पत्र लिखवाया कि विपक्षी संख्या 02 डीलर का मुo 23,000/- रुपया बकाया है। जिसका भुगतान दिनांक 28.06.2018 तक मुo 20,000/- रुपया शेष मुo 3000/- रुपया दिनांक 15.07.2018 तक करना था और बाकी मुo 10,000/- रुपया को उसने अपना पुराना ट्रैक्टर फाईनेन्स कराकर पैसा डीलर के खाते में सीधा ट्रान्सफर करा देगा। उक्त बातें लिखवाने के बाद विपक्षी संख्या 02 व 03 ने मुo 23,000/- रुपया को मुo 2,30,000/- रुपया व 3000/- रुपया को 3,00,000/- रुपया तथा 10,000/- को मुo 18,000/- रुपया बना दिया। परिवादी दिनांक 30.06.2018 को मुo 9000/- रुपया किश्त जमा कर दिया। इस प्रकार परिवादी ने जून 2018 तक किश्त जमा कर दिया। विपक्षी संख्या 01 फाइनेन्स करते समय परिवादी से कुल 10 ब्लैंक चेक बतौर लिया था, जिसमें उसने 6 चेक का उपयोग कर लिया शेष चेक विपक्षी संख्या 02 को वापस करते हुए हिदायत दिया था कि वह परिवादी को वापस कर देगा, लेकिन विपक्षी संख्या 02 ने उक्त चार चेकों को परिवादी को वापस नहीं किया, बल्कि परिवादी को धमकी दे रहे थे कि उक्त चेकों को बैंक में प्रस्तुत करके डिसऑनर कराकर परिवादी के विरुद्ध अभियोग पत्र प्रस्तुत कर देगा। विपक्षीगण 02 व 03 उक्त ट्रैक्टर का उपयोग भी कर रहे हैं। परिवादी ने कई बार विपक्षीगण से उक्त ट्रैक्टर वापस मांगा, लेकिन जनवरी 2019 के अन्तिम सप्ताह में परिवादी को ट्रैक्टर वापस करने से मना कर दिया। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी के इण्डोफार्मा ट्रैक्टर इंजन नं. सी. 324405160 व चेचिस नं. के.एन.यू.3040004976 को अविलम्ब वापस करे अथवा मुo 6,00,000/- रुपया मय 12% ब्याज के साथ परिवादी को वापस करे तथा दिनांक 14.06.2018 से देय तिथि तक ब्याज परिवादी से न वसूल करें। शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु 2,00,000/- रुपया दिलाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 जय मौनी बाबा आटो सेल्स पैसा देने के लिए लिखे गए पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा कोई भी प्रलेख प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी ने कितने रुपये का फाइनेन्स करवाया था और कितना रुपया उसने जमा किया इसके बारे में कोई भी उल्लेख व प्रपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “सूरज मल राम निवास ऑयल मिल्स प्राo लिo बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी 2010(3) ए.सी.सी.डी. 1535 सुप्रीम कोर्ट” का यदि अवलोकन करें तो इसमें माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि बीमा के निबन्धन में जो कुछ लिखा गया है उसमें न्यायालय अर्थान्वयन नहीं करेगा। लेकिन यहाँ इस बात का उल्लेख कर देना है कि परिवादी ने उक्त कागजात प्रस्तुत ही नहीं किया है। चूंकि परिवादी का यह कथन है कि उसका ट्रैक्टर जबरदस्ती खींच लिया गया। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “मैगमा फिनकॉर्प लिमिटेड बनाम नियाज परवीन IV (2018) सी.पी.जे. 480 (एन.सी.)” का यदि अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिधारित किया है कि बिना किसी नोटिस के किसी वाहन को नहीं खींचा जा सकता है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह भी कहा है कि उससे कागज संख्या 6/1 जबरदस्ती लिखवाया गया था, इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “ग्रासिम इण्डस्ट्रियल लिमिटेड एवं अन्य बनाम अग्रवाल स्टील सी.ए. नं. 5994, 7477/04 & 1733/05 सुप्रीम कोर्ट” के निर्णय का यदि हम अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रलेख पर अपना हस्ताक्षर करता है तो यह माना जाएगा कि उसने प्रलेख में उल्लिखित सारी बातों को पढ़ने व समझने के पश्चात् ही हस्ताक्षर बनाया है, जबतक कि यह सिद्ध नहीं कर दिया जाए कि जिसने हस्ताक्षर बनाया है उसे धोखा देकर हस्ताक्षर बनवाया गया हो, लेकिन इस सन्दर्भ में परिवादी द्वारा कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः यह माना जाएगा कि परिवादी ने कागज संख्या 6/1 पर जो हस्ताक्षर बनाया है उसे पढ़कर या समझकर ही बनाया होगा। चूंकि किसी वाहन बिना नोटिस के कोई खींच नहीं सकता है। अतः हमारे विचार से परिवाद अंशतः स्वीकार होने योग्य है।    

 

 

आदेश

     परिवाद अंशतः स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी नं.03 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी का ट्रैक्टर अन्दर 30 दिन वापस कर दे और यदि फाइनेन्स कम्पनी का कोई बकाया है तो वह मय ब्याज प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।

 

               

 

 

                                                                          गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह    

                                                        (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

 

                   दिनांक 06.08.2021

 

                                                   यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                                         गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                               (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

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